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LUCKNOW:योगी कैबिनेट ने लिये अहम फैसले,71 महाविद्यालयों में पद होंगे सरकारी,क्लिक करें और भी खबरें

-यूपी में एक और निजी विश्वविद्यालय को  मंजूरी,71 नये महाविद्यालयों को राजकीय महाविद्यालय के रूप में संचालन का निर्णय

  • REPORT BY:K.K.VARMA ||AAJNATIONAL NEWS DEASK
लखनऊ ।यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट मीटिंग में प्रदेश में उच्च शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए दो महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इसके अंतर्गत 71 नवनिर्मित,निर्माणाधीन महाविद्यालयों को राजकीय महाविद्यालय के रूप में संचालित करने का निर्णय लिया गया है, जबकि बिजनौर जिले में विवेक विश्वविद्यालय के गठन को भी मंजूरी प्रदान की गई है। ये निर्णय प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण और वहनीय उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।
बैठक के बाद उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि विभाग के द्वारा वर्तमान में 171 राजकीय महाविद्यालय संचालित हैं। इनमें 71 महाविद्यालय नवनिर्मित अथवा निर्माणाधीन हैं। इनमें 17 संगठक महाविद्यालय के रूप में चयनित थे। पहले विश्वविद्यालयों द्वारा इनका संचालन किया जाता था। पिछले दिनों कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा इनके सुचारू संचालन को लेकर असमर्थता जाहिर की गई थी जिसके बाद ये प्रस्ताव लाया गया कि 71 महाविद्यालयों का संचालन अब सीधे सीधे प्रदेश सरकार करेगी। अबतक इनमें संविदा के आधार पर लोग रखे जाते थे। अब सभी 71 महाविद्यालयों में 71 प्राचार्य के पद और प्रत्येक महाविद्यालय में 16-16 के आधार पर 1136 सहायक आचार्य के पद, 639 क्लास थ्री और 710 क्लास फोर के पद सृजत होंगे। इससे रोजगार के अवसर मिलेंगे साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
 उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि बिजनौर में विवेक विश्वविद्यालय को संचालन का प्राधिकार पत्र प्रदान किया गया है। इससे अब प्रदेश में एक और निजी विश्वविद्यालय का संचालन शुरू होगा। इससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा, जिससे सरकारी विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता और बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि यूपी में पिछले दो-ढाई साल में सर्वाधिक ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय उभर कर सामने आए हैं।  नैक ग्रेडिंग में यूपी के 7 विश्वविद्यालय ए डबल प्लस, 4 ए प्लस हैं। 6 निजी विश्वविद्यालय ए प्लस और 4 निजी विश्वविद्यालय ए ग्रेड में शामिल हो चुके हैं। पहले यूपी का पहले कोई भी विवि टॉप 500 में भी नहीं था। आज टॉप 100 में प्रदेश के 3 विवि आ गये हैं। मंत्री ने बताया कि योगी सरकार का लक्ष्य अगले 5 साल में प्रदेश के सभी जिलों में एक-एक विश्वविद्यालय खोलने का है।

कई पीसीएस अफ़सरों का स्थानांतरण

उत्तर प्रदेश शासन ने आह कई पीसीएस अफसरों का तबादला कर उन्हें नई जिम्मेदारी सौंपी है। अपर जिला अधिकारी ट्रांस गोमती लखनऊ राकेश सिंह अब अपर जिला अधिकारी बाराबंकी होंगे।मुख्य राजस्व अधिकारी गोरखपुर सुशील कुमार गोंड को अपर जिलाधिकारी उन्नाव के पद पर भेजा गया है।वही दूसरी ओर इटावा के एसडीएम राजेश कुमार वर्मा एसडीएम जालौन बने हैं। चित्रकूट से एसडीएम प्रमोद कुमार झा को एसडीएम झाँसी के पद पर भेजा गया है। इसके अलावा औरैया में तैनात रहे एसडीएम राम अवतार को इसी पद पर रायबरेली भेजा गया है।वही एसडीएम बरेली देश दीपक सिंह अब बुलन्दशहर में एसडीएम होंगे।

स्वास्थ्य घर से शुरू हो, अस्पताल से नहीं- शर्मा

स्वास्थ्य घर से शुरू होना चाहिए, अस्पताल से नहीं और इस उद्देश्य को पूरा करने में सामुदायिक रेडियो अहम भूमिका निभा सकते हैं। नई विकसित हो रहीं बीमारियों और वर्षों से चली आ रही भ्रांतियों को दूर करने में सामुदायिक रेडियो की बड़ी भूमिका हो सकती है। सामुदायिक रेडियो स्टेशन को मनोरंजन के साथ नए मुद्दों पर अपने समुदाय को उनकी स्थानीय भाषा में बताना चाहिए। प्रमुख सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए 33 सामुदायिक रेडियो के प्रतिनिधियों को संबोधित किया।बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से ‘स्मार्ट’ संस्था द्वारा एक स्थानीय होटल में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में प्रमुख सचिव ने कहा कि सामुदायिक रेडियो अगर अपने समुदाय की समस्याओं पर बात करेंगे और जागरूक करने वाले कार्यक्रम करेंगे तो ही उपयोगी रहेंगे। उन्होंने कहा कि समस्त आयुष्मान आरोग्य मंदिर व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अगर सक्रिय हो गए तो मेडिकल कालेजों व जिला अस्पताल पर लोड घट जाएगा और उनको सक्रिय करने में सामुदायिक भागीदारी आवश्यक है और इसमें सामुदायिक रेडियो से सहयोग अपेक्षित है। कम उम्र में शादी न होना, परिवार नियोजन, टीकाकरण, 102/108 एंबुलेंस, आयुष्मान भारत योजना, ई रूपी बाउचर, संस्थागत प्रसव, स्तनपान और पूरक आहार,टीबी, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, माहवारी स्वच्छता, पोषण जैसे मुद्दों पर सामुदायिक रेडियो को बार-बार बात करनी चाहिए। साल भर में विशेष दिवस पर खासतौर पर बात करनी चाहिए।स्टेट एजेंसी फार काम्प्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज साचीज की सीईओ संगीता सिंह ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत प्रदेश मे 5800 सरकारी व प्राइवेट अस्पताल सूचिबद्ध हैं। सूबे में पांच करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। इस योजना के तहत 26 विभिन्न प्रकार की बीमारियों का इलाज निःशुल्क कराया जा सकता है। उन्होंने रेडियो प्रतिनिधियों को बताया कि आयुष्मान कार्ड बनाने को लेकर आप लोगों को जनता को जागरूक करना चाहिए। लोग सर्विस आपरेटर के पास जाते हैं और पैसा देते हैं लेकिन वह खुद अपने मोबाइल पर आयुष्मान कार्ड बना सकते हैं। वर्तमान में 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को आयुष्मान कार्ड बनाने के अभियान में युवा उनकी मदद कर सकते हैं। मोबाइल पर प्ले स्टोर से आयुष्मान ऐप डाउनलोड करें और आसानी से आयुष्मान कार्ड बनाएं।आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन एबीडीएम के संयुक्त निदेशक डॉ. मोहित सिंह ने बताया कि प्रदेश के सभी नागरिकों का हेल्थ रिकार्ड डिटिजल एक्सेस पर रखने के लिए एबीडीएम योजना अक्टूबर 2022 में शुरू हुई थी। दो साल के अंदर हम प्रदेश के 12.5 करोड़ से अधिक लोगों का आभा आईडी बना चुके हैं।  50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या को कवर कर चुके हैं। यूपी के बाद महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है। वहां अब तक साढ़े पांच करोड़ आभा आईडी बनाई गईं हैं। एबीडीएम में 61075 प्राइवेट व सरकारी अस्पताल पंजीकृत हैं। 5.27 करोड़ लोगों के हेल्थ रिकार्ड भी एबीडीएम में दर्ज हो चुके हैं। सामुदायिक रेडियो को आभा आईडी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम करना चाहिए।इस मौके पर बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की कंट्री लीड- हेल्थ एवं जेंडर कम्युनिकेशन पूजा सहगल ने बताया कि” किसी क्षेत्र विशेष के लिए बनाए गए संचार माध्यम जैसे ‘सामुदायिक रेडियो’ सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक स्थानीय और प्रासंगिक संदेश प्रभावी तरीके से पहुँचाने में सक्षम होते हैं जिन्हें श्रोता सहजता से समझ पाते हैं। हमें उम्मीद है कि इस तरह के माध्यम को बढ़ावा और सहयोग देने से राज्य मेंस्वास्थ्य पहलों की पहुंच और प्रभाव को मजबूत करने में मदद मिलेगी।स्मार्ट संस्था, सामुदायिक रेडियो के साथ  सस्टेनेबिलिटी एंड कैपेसिटी बिल्डिंग पर काम करती है। सामुदायिक रेडियो एक हाइपर लोकल मीडिया है, जो एक निश्चित समुदाय के साथ काम करते है, और विकास में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। इस मौके पर स्मार्ट की संस्थापक निदेशक अर्चना कपूर, यूपीटीएसयू, सीफार, जीएचएस, पाथ, टोर्क व सीएस बीएससी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

परिवहन विभाग से जुड़ी सेवाये फेसलेस बनाने हेतु तेजी से कार्य किया जाए,फर्जी नंबर प्लेट लगी गाड़ियों को चिन्हित कर कार्यवाही की जाए- दयाशंकर 

उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश की जनता को दी जाने वाली परिवहन विभाग से जुड़ी सेवाओं को तकनीकी के माध्यम से फेसलेस बनाए जाने हेतु तेजी से कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि विभाग की विभिन्न 58 सेवाओं को फेसलेश करने हेतु  कार्यवाही शीघ्र पूर्ण करें। विभाग की वर्तमान में 16 सेवाएं फेसलेस सुविधा युक्त हैं अन्य सेवाओं पर कार्य किया जा रहा है जिसे शीघ्र ही फेसलेस कर दी जाएगी। बढ़ती तकनीकी के दृष्टिगत विभाग द्वारा संचालित सेवाओं को फेसलेस बनाए जाने हेतु एनआईसी की सहायता से तेजी से कार्य करें।परिवहन मंत्री परिवहन मंत्री आज यहां परिवहन निगम के सभागार में परिवहन विभाग की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी वाहनों पर एचएसआरपी अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाए। प्रदेश में बिना एचएसआरपी की कोई भी वाहन संचालित न हो,  विभाग द्वारा सघन जांच अभियान चलाया जाए। फर्जी नंबर प्लेट लगी गाड़ियों को चिन्हित कर कार्यवाही की जाए।समीक्षा बैठक के दौरान अपर मुख्य सचिव परिवहन एल वेंकटेश्वर लू, सलाहकार मुख्यमंत्री के वी राजू, परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह, एमडी परिवहन निगम मासूम अली सरवर सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

यूं ही ‘नेताजी’ नहीं कहलाते थे मुलायम सिंह यादव,जन्मदिन पर याद किये गए मुलायम

मुलायम सिंह यादव के बिना उत्तर प्रदेश का राजनीतिक इतिहास कभी पूरा नहीं माना जा सकता है।इसी साल पिछले महीने 82 साल की उम्र में उनका निधन हो गया और वह 22 नवंबर को अपना 83वां जन्मदिन नहीं मना सके। इस बार उनका जन्मदिन पहली बार उनके बिना मनाया जा  रहा है।मुलायम सिंह यादव ने लंबे समय तक न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देश की राजनीति को प्रभावित किया। उनके द्वारा गठित समाजवादी पार्टी में उनका काफी रुतबा था जिसके कारण उनके समर्थक उन्हें सस्मान ‘नेताजी’ कहा करते थे। मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में मूर्ति देवी और सुघर सिंह यादव के किसान परिवार में हुआ था, जिनकी वह चौथी संतान थे। उन्होंने राजनीति विज्ञान में इटावा से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और शिकोहाबाद से बीटी की डिग्री और आगरा विश्वविद्यालय से एमए किया।मुलायम सिंह यादव के पिता चाहते थे कि वह पहलवान बनें, उन्होंने कुश्ती भी सीखी और कुश्ती प्रतियोगिताओं में भाग लेते थे। कुश्ती से ही उनके राजनीति में आने का रास्ता खुला। एक कुश्ती मुकाबले के दौरान वह तत्कालीन विधायक नत्थू सिंह यादव के करीबी हो गये और नत्थू सिंह ने मुलायम के खिलाफ उनकी ही सीट जसवन्तनगर से चुनाव भी लड़ा। इस चुनाव में मुलायम सिंह की जिंदगी बदल गई।लेकिन राजनीति में मुलायम सिंह यादव राम मनोहर लोहिया और राज नारायण जैसे बड़े नेताओं की छत्रछाया में फले-फूले। वह पहली बार 1967 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य बने जहाँ उन्होंने आठ बार जीत हासिल की। आपातकाल के दौरान यादव 19 महीने तक जेल में भी रहे।
मुलायम सिंह यादव 1977 में राज्य मंत्री बने और 1980 में उत्तर प्रदेश में लोकदल के अध्यक्ष बने,जो 1982 में जनता दल का हिस्सा बने। 1982 में मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश विधान सभा में विपक्ष के नेता बने। 1985 में लोकदल के टूटने के बाद उन्होंने क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी का गठन किया। यही वह दौर था जब वह समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, किसान कल्याण के लिए मशहूर हुए। राम मंदिर आंदोलन में वह मुसलमानों को अपने साथ लाने में सफल रहे।1990 के दशक में उन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना की। और उस समय राजनीतिक पंडित एमवाई फैक्टर की बात करते थे।इसका मतलब उत्तर प्रदेश के मुसलमानों और यादवों का एक संयुक्त वोट बैंक था। इस एमवाई फैक्टर के कारण समाजवादी पार्टी को काफी लोकप्रियता मिली और 1992 में जब उनकी सरकार अल्पमत में होने के कारण उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए तो वह एक बार फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार उन्होंने बहुजन के साथ गठबंधन कर लिया।2003 में उन्हें एक बार फिर सरकार में आने का मौका मिला जब बीजेपी-बीएसपी गठबंधन टूट गया और मुलायम सिंह यादव ने कुछ बीएसपी विधायकों के साथ सरकार बना ली लेकिन इसके अलावा वह उत्तर प्रदेश से सात बार सांसद रहे और 1996 में उन्होंने देश के रक्षा मंत्री का पद भी संभाला।मुलायम सिंह यादव ने कई बार अपने फैसलों से देश की राजनीति को दिशा दी। चाहे वह केंद्र में किसी सरकार को समर्थन देने की बात हो या फिर कांग्रेस के साथ न जाने का फैसला। उन्हें नरम राजनीति में बहुत सख्त फैसले लेने वालों में से एक के रूप में जाना जाता था और अपनी राह चुनने के लिए अकेले चलने में हिचकिचाहट नहीं होती थी।

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