नयी दिल्ली ,23अप्रैल:दवाओं के भ्रामक मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद के साथ-साथ इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) पर भी कड़े सवाल उठाते हुए उसे अपने अंदर भी झांकने की नसीहत दी है।
अदालती अवमानना मामले में न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण से माफी नामे से संबंधित विज्ञापन को उनके कथित भ्रामक विज्ञापन के आकार से जोड़ते हुए सवाल पूछे।पतंजलि के खिलाफ पीठ ने याचिका कर्ता आईएमए को भी खुद के अंदर झां कने की नसीहत दी और
इसके अपने सदस्यों के लिए अत्यधिक महंगी और विदेशी दवाओं को निर्धारित करने की अनैतिक गतिविधियों पर भी विचार किया ।
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी संख्या में फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी ) कंपनियों को जांच के दायरे में लेने का फैसला किया और कहा कि वे भ्रामक विज्ञापनों के जरिए शिशुओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों सहित अन्य उपभोक्ताओं को कथित तौर पर धोखा दे रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एफएमसीजी कंपनियों द्वारा जारी विज्ञापनों पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से भी कई सवाल पूछे। केंद्र सरकार सेअदालत ने 2018 से सूचना और प्रसारण मंत्रालय और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा की गई कार्रवाईयों के बारे में बताते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम स्पष्ट करना चाहते हैं,हम यहां किसी खास (पक्षकार) का पक्ष नहीं लेने आए हैं। हम जानना चाहते हैं कि एजेंसियां कैसे काम कर रही हैं,हमें लगता है कि यह कानून के शासन की प्रक्रिया का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी , बलबीर सिंह और प्रस्तावित अवमानना कर्ताओं की ओर से पेश अन्य अधि वक्ताओं बाबा रामदेव और अन्य ने कहा कि उन्होंने इस मामले में देशभर के 67 अखबारों में बिना शर्त माफी मांगने के लिए एक विज्ञापन जारी किया है।इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या यह माफी वाला विज्ञापन भ्रामक विज्ञापनों के बराबर है ? इसके बाद उन्हें विज्ञापन से संबंधित मूल समाचार पत्र दाखिल करने की अनुमति दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि 29 अगस्त 2023 को सभी राज्यों के लाइसेंसिंसेंसिंग प्राधिकारी को एक पत्र क्यों जारी किया है ?
सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से यह भी पूछा कि उसने 29 अगस्त 2023 को सभी राज्यों के लाइसेंसिंसेंसिंग प्राधिकारी को एक पत्र क्यों जारी किया है?सुप्रीम कोर्ट ने सरका र के वकील से पूछा कि क्या यह मनमाना और दिखावटी प्रयास नहीं है?सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालि या से पूछा कि आप अपने सदस्यों के साथ क्या कर रहे हैं ? हमें आप पर सवाल क्यों नहीं उठा ना चाहिए? आप अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।सुप्रीम कोर्ट ने श्री पटवा लिया के अनुरोध पर उचित सहायता के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को भी कार्यवाही में एक पक्ष बनाया ।सुनवाई शुरू होते ही शीर्ष अदालत ने यह जानना चाहा कि वह हस्तक्षेपकर्ता कौन था,जिसने आईएमए पर 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की मांग की गुहार लगाई थी,हम बहुत उत्सुक हैं। इस मामले में अगली सुनवा ई सात मई को होगी ।