नई दिल्ली:ब्रिटिश काल का वायसराय हाउस, आज का राष्ट्रपति भवन

-जयपुर के महाराजा ने दी थी भवन के लिए जमीन,मोदी आज उसी भवन में लेंगे पीएम पद की शपथ

नई दिल्ली :ब्रिटिश काल का वायसराय हाउस ही आज का राष्ट्रपति भवन हैं। इस भवन में कल नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।नरेंद्र मोदी कल 9 जून को तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। समारोह राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया जाएगा।किसकी जमीन पर बना है और किसने बनवाया? जानने को सबके मन मे उत्सुकता तो होती है।330 एकड़ में बना राष्ट्रपति भवन दुनिया की सबसे भव्य इमारतों में शुमार है और वास्तु कला का अद्भुत नमूना कहा जाता है। 1911 के दिल्ली दरबार में जब ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली लाने की घोषणा की गई, तब वायसराय के लिए नए घर की तलाश शुरू हुई। ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस को नई राजधानी का खाका तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया। वह दिल्ली की टाउन प्लानिंग कमिटी के मेंबर  थे।एडविन लुटियंस और उनकी टीम ने पहले पूरी दिल्ली का मुआयना किया।उन्होंने पाया कि अगर दिल्ली के उत्तरी इलाके में वायसराय हाउस बनाया जाए, तो वहां हमेशा बाढ़ का खतरा रहेगा, क्योंकि वो इलाका यमुना से सटा था। इसलिए उन्होंने दक्षिणी हिस्से में रायसीना हिल्स वाले इलाके पर वायसराय हाउस बनाने का मन बनाया।यह इलाका खुला और हवादार था। ऊंचाई पर था, इसलिये भविष्य में ड्रेनेज या सीवर वगैरह की परेशानी नहीं हो सकती थी।rashtrapatibhavan.gov.in पर दी गई जानकारी के मुताबिक रायसीना हिल्स की जिस जमीन को वायसराय हाउस के लिए चुना गया, तब वह जयपुर के महाराजा के हिस्से में आती थी। रियासतों का दौर था।जब वायसराय हाउस बनकर तैयार हुआ तो सबसे आगे के हिस्से में खासतौर से एक स्तंभ लगाया गया। जिसे ‘जयपुर स्तंभ’ कहते हैं। इसे जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिंह ने गिफ्ट किया था।
रायसीना हिल्स की जिस पहाड़ी को वायसराय हाउस के लिए चुना गया, पहले उसे विस्फोटक के जरिए तोड़ गया, फिर जमीन समतल की गई।इसके बाद वहां तक ईंट, पत्थर, रोड़ी, बजरी जैसे मैटेरियल पहुंचाने के लिए रेल लाइन बिछाई गई। तत्कालीन गवर्नर जनरल और वायसराय लॉर्ड हार्डिंग चाहते थे कि इमारत 4 साल में बन जाए, पर इसको बनाने में 17 साल से अधिक का समय लगा। 1928 के आखिर में ‘वायसराय हाउस’ बनकर तैयार हुआ। गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन, वायसराय हाउस में जाने वाले पहले वायसराय बने।राष्ट्रपति भवन चार मंजिला है और इसके अंदर छोटे-बड़े कुल 340 कमरे हैं। राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक यह करीब 2 लाख स्क्वायर फीट में फैला है। भवन की इमारत में 70 करोड़ से ज्यादा ईटें लगी हैं जबकि तीन मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर लगा है।भवन के निर्माण में  23000 मजदूर लगे थे, जिसमें से 3000 तो अकेले पत्थर काटने वाले थे।एडविन लुटियंस ने राष्ट्रपति भवन की डिजाइन प्राचीन यूरोपीय शैली के मुताबिक तैयार की, पर डिजाइन में भारतीय वास्तु-शिल्प को भी शामिल किया गया। जैसे गुंबद सांची के स्तूप से प्रेरित था ,  छज्जे, छतरी और जाली तथा हाथी, कोबरा, मंदिर के घण्टे आदि जैसे नमूनों पर भारतीय छाप दिखती है।राष्ट्रपति भवन की मेन बिल्डिंग का निर्माण हारून-अल-रशीद ने किया जबकि अगला हिस्सा सुजान सिंह और उनके बेटे शोभा सिंह ने किया, जो उस दौर में नामी कांट्रेक्टर थे।प्रेसिडेंट हाउस के ठीक सामने नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक भी बनाया गया।इसका निर्माण हरबर्ट बेकर ने किया। वह भी लुटियंस की तरह नामी आर्किटेक्ट थे।
Aaj National

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