लखनऊ। गुरुवार को राजधानी में सुहागिन महिलाओं ने करवा चौथ का त्योहार धूमधाम से मनाया। महिलाओं ने व्रत रखकर पति की
लंबी उम्र की कामना की। व्रत रखने वाली सुहागिनों ने सुबह चार बजे से पहले उठकर सबसे पहले सरगी की तथा उसके बाद दिनभर निर्जला रहकर व्रत पूरा किया। शाम को करवाचौथ की कथा सुनने महिलाएं मंदिर गईं। जहां उन्होंने विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की। मिट्टी के बने करवा को सुहागिनों द्वारा बदला गया। उसी करवे के पानी से रात को चांद निकलने पर अर्घ्य दिया फिर व्रतखोला। व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज आए तो पतिव्रता सावित्री ने उनसे अपने पति सत्यवान के प्राणों की भीख मांगी और अपने सुहाग को न ले जाने के लिए निवेदन किया। यमराज के न मानने पर सावित्री ने अन्न-जल को त्याग दिया। वो अपने पति के शरीर के पास विलाप करने लगीं। पतिव्रता स्त्री के इस विलाप से यमराज विचलित हो गए, उन्होंने सावित्री से कहा कि अपने पति सत्यवान के जीवन के अतिरिक्त कोई और वर मांग लो। सावित्री ने यमराज से कहा कि आप मुझे कई संतानों की मां बनने का वर दें, जिसे यमराज ने हां कह दिया। पतिव्रता स्त्री होने के नाते सत्यवान के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष के बारे में सोचना भी सावित्री के लिए संभव नहीं था। अंत में अपने वचन में बंधने के कारण एक पतिव्रता स्त्री के सुहाग को यमराज लेकर नहीं जा सके और सत्यवान के जीवन को सावित्री को सौंप दिया। कहा जाता है कि तब से स्त्रियां अन्न-जल का त्यागकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए करवाचौथ का व्रत रखती हैं।