उपचुनाव : अखिलेश यादव के लिए अग्निपरीक्षा

आजम खां और जयंत चौधरी की भी प्रतिष्ठा का दांव पर

  •         – के.के.वर्मा –

लखनऊ । मुलायम सिंह के निधन के बाद हुए मैनपुरी लोकसभा और खतौली और रामपुर में विधानसभा उपचुनाव अखिलेश यादव के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं। मैनपुरी में  मुलायम की विरासत की परीक्षा है तो खतौली में जयंत और अखिलेश की प्रतिष्ठा दांव पर है, जबकि रामपुर में आजम खान की। उत्तर प्रदेश में आज मैनपुरी लोकसभा सीट के साथ रामपुर और खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान हो गया।  उपचुनाव केवल तीन सीट पर है, लेकिन  नतीजे प्रदेश की राजनीति पर असर डालेंगे।
इस उपचुनाव को बीजेपी और एसपी के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले की अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। बीजेपी एसपी के सबसे सुरक्षित और मजबूत गढ़ मैनपुरी और रामपुर को जीतकर बड़ा संदेश देना चाहती है तो खतौली सीट पर आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी बीजेपी को घेरकर अपनी जमीन मजबूत करना चाहते है। उपचुनाव अखिलेश, जयंत और शिवपाल की तिकड़ी के साथ बीजेपी का टेस्ट है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हुए मैनपुरी, रामपुर और खतौली उपचुनाव पर पूरे देश की निगाहें हैं। मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव मुलायम सिंह यादव के निधन के चलते हुआ है। मुलायम की परम्परागत सीट होने के कारण समाजवादी पार्टी के लिए विरासत की लड़ाई है। आजम खान और विक्रम सैनी को कोर्ट से सजा मिलने के चलते विधानसभा सदस्यता रद्द होने के कारण रामपुर और खतौली सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। एसपी के लिए मैनपुरी के साथ रामपुर को बचाए रखने की चुनौती है तो बीजेपी खतौली के साथ बाकी दोनों सीट पर किसी तरह कब्जा करना चाहती है।मैनपुरी लोकसभा सीट एसपी के लिए करो या मरो वाली सीट बन गई है,क्योंकि एसपी ने डिंपल यादव मैदान में है,  यहां सैफई परिवार की साख दांव पर है। बीजेपी ने पूर्व सांसद रघुराज शाक्य को उतारा है। आजम खान की रामपुर सीट पर उनके करीबी आसिम रजा को उतारा है। बीजेपी ने यहां से आकाश सक्सेना को उतारा है।  खतौली सीट पर बीजेपी ने विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी पर भरोसा जताया है, जबकि आरएलडी ने मदन भैया पर दाव लगाया है।मुलायम सिंह के गढ़ मैनपुरी को बचाने के लिए एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने पूरी ताकत लगा दी है। डिंपल यादव के नामांकन से ही अखिलेश मैनपुरी में डेरा डाले रहे। अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव से गिले-शिकवे दूर कर लिए और घर-घर जाकर वोट मांगे।
मैनपुरी में अखिलेश यादव ने सिर्फ यादव और मुस्लिम वोट ही नहीं बल्कि ब्राह्मण, गैर-यादव ओबीसी और दलितों के वोटों को भी पाले में लाने की कोशिश की है । उधर रामपुर विधानसभा सीट भी एसपी का मजबूत गढ़ है। बीजेपी यहां हर हाल में कब्जा जमाना चाहती है, जिसके लिए आजम खान के कई करीबी मुस्लिम नेताओं को अपने साथ मिला लिया है। रामपुर में 50 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। बीजेपी कभी भी यह सीट नहीं जीत सकी है। आजम खान सिर्फ दो बार यहां से चुनाव हारे हैं, लेकिन इस बार उनके सामने अपने गढ़ को बचाए रखने चुनौती है, क्योंकि उनके ज्यादातर पुराने सिपहसलार बीजेपी की तरफ हैं, जिसके चलते उनके सीट बचाए रखना मुश्किल हो गया है। अखिलेश यादव और दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने एसपी प्रत्याशी के लिए रैली की है। रामपुर के नतीजे तय करेंगे कि एसपी के परंपरागत मुस्लिम वोटर उसके साथ रहेंगे या नहीं? खतौली विधानसभा सीट
खतौली विधानसभा सीट पर जयंत चौधरी ने गुर्जर समुदाय के मदन भैया को उतारकर जबरदस्त तरीके से बीजेपी के लिए चक्रव्यूह रचा है। खतौली सीट पर जाट, गुर्जर, सैनी और मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में है। जयंत ने खतौली सीट के जरिए अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने की रणनीति भी अपनाई है। दलित नेता चंद्रशेखर का समर्थन लेकर दलित मतों को भी साधने की कोशिश है।जयंत चौधरी ने खतौली में गुर्जर समुदाय के मदन भैया को उतारकर अपना प्लान भी साफ कर दिया है। खतौली विधानसभा सीट मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र में आती है और 2019 के लोकसभा चुनाव में संजीव बालियान ने आरएलडी के चौधरी अजीत सिंह को हरा दिया था। बालियान की जीत में खतौली विधानसभा सीट पर बीजेपी को मिले वोटों का बड़ा योगदान था। बालियान इस सीट को हर हाल में बीजेपी को जिताना चाहते हैं। खतौली उपचुनाव जयंत चौधरी और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। मुलायम सिंह यादव के गुजरने के बाद हो रहे मैनपुरी लोकसभा और खतौली और रामपुर विधानसभा उपचुनाव अखिलेश यादव के लिए बड़ी परीक्षा हैं। मैनपुरी में मुलायम सिंह की विरासत की परीक्षा है तो खतौली में जयंत और अखिलेश की दोस्ती दांव पर है। रामपुर में आजम खान की साख के साथ मुस्लिम राजनीति का भविष्य दांव पर है।
Aaj National

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