-लोकतंत्र लूट तंत्र बन रहा है और ताकतवर इस तंत्र का प्रधान
वाराणसी । देश में चुनाव हो रहा है नेता चुनाव लड़ रहे है नेता चुनाव लड़ते हैं जनमुद्दों पर नहीं बिमारी है, गरीबी है, भूखमरी है और इन सबका हासिल मौत तय है। लेकिन इन मुद्दों पर वो नहीं लड़ते। वो समानता की बात करते हैं पर एक समान शिक्षा के लिए नहीं लड़ते हैं। वो कहते है बदल तो रहा है धीरे-धीरे और एक पीढ़ी अपाहिज हो जाती है । वो लड़ते हैं लोगों को लड़वाकर सत्ता हासिल करते है फिर कुछ नहीं करते। कतारों में खड़े आदमी को वो बेच देते हैं। वो समझा जाते है वोट देना आपकी ज़िम्मेदारी है और गैरजिम्मेदारी से शासन चलाना हमारा काम। फिर भी चुनाव हो रहे है।
यह बाते भाष्कर गुहा नियोगी ने कहते हुए बताया कि शहर बनारस में एक डाक्टर मरीजों के अधिकार के लिए आमरण अनशन के जरिए जन की लड़ाई लड़ रहा है। पिछले 14 दिनों से डॉ ओमशंकर मरीजों को बेड दिलाने के लिए आमरण अनशन पर है। तस्वीर बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल की है जिसे एम्स का दर्जा दिया गया है। यहां हृदय रोगियों के इलाज के लिए समुचित बेड नहीं है। बेड पर ताला लगा है। दूर दराज से इलाज को आए लोग वापस जा रहे है, निजी अस्पतालों में लूटे जा रहे है। खेत ,जमीन बेच कर भी अपनों को बचा नहीं पा रहे है। लोकतंत्र लूट तंत्र बन रहा है और ताकतवर इस तंत्र का प्रधान।
भाष्कर गुहा नियोगी ने कहा कि प्रधानमंत्री इसी शहर से चुनाव लड़ रहे है लेकिन लेकिन चुनावी एजेंडे से स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे जनता के मौलिक अधिकार गायब है। वो मौलिक अधिकारों पर बात नहीं करते। नहीं तो उनके खुद के संसदीय क्षेत्र में मरीजों के अधिकारो के लिए लड़ रहे डॉ की बात वो उसी शिद्दत के साथ सुनते जिस शिद्दत से वो अपनी मन की बात कहते हैं। लोकतंत्र में सुनाने से ज्यादा सुनना जरूरी है।डॉ ओमशंकर यही तो सुनाना चाह रहे है कि एम्स का दर्जा मिले अस्पताल में हृदय रोगियों को बेड नहीं मिल रहा है।
भाष्कर गुहा नियोगी ने कहा कि बेड्स पर बीते दो सालों से जबरन डिजिटल लाक लगा रखा है। हजारों की संख्या में मरीज लौट गये और आज भी लौट रहे है। जिन्हें बचाया जा सकता था उनकी मौत हो गई। वो कह रहे है हमें बेड दीजिए हम इलाज करना चाहते है। हम चिकित्सक है हमारा काम रोगियों को बचाना है। उनके सवाल जायज है। वो पूछ रहे हैं की बीएचयू संसद में पारित बीएचयू एक्ट के तहत चलेगा या किसी के व्यक्तिगत इच्छा से? यहां भ्रष्टाचार और लूट पर अंकुश लगेगा? मालवीय जी के सपनों कि क्या यही परणीति होगी?
भाष्कर गुहा नियोगी ने कहा कि उनके सवालों के जबाब में 14 दिन बीत चुके है डॉ ओमशंकर आमरण अनशन के जरिए सवालों का जवाब तलाश रहे हैं। जवाब में पूरा तंत्र सोया पड़ा है।कल प्रधानमंत्री एक बार फिर बनारस में होंगें तो जाहिरा तौर पर बहोत कुछ कहेंगे। पर क्या एक डाक्टर की मन की बात सुनेंगे? उस पीड़ा को समझेंगे जो बिना इलाज के मरते रोगियों के घरवालों की है। या फिर भारत रत्न से सम्मानित मालवीय जी के कर्म भूमि में मची लूट से नजर फेर अपनी ही मन की बात कहते रहेंगे।