-बात नहीं बनी तो इंडिया की यूपी में बल्ले बल्ले
लखनऊ 03 जून।पहली जून को लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान के बाद आए एग्जिट पोल ने लोगों को चौंका दिया है।
ज्यादातर एग्जिट पोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली एनडीए की बंपर जीत की भविष्वाणी हुई है। विपक्षी इंडी गठबंधन काफी पीछे नजर आ रहा है। अगर कल 4 जून को एग्जिट पोल के रुझानों के मुताबिक नतीजे आए तो हैट्रिक लगाते हुए तीसरी बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की शपथ लेंगे।दूसरी ओर विपक्ष ने एग्जिट पोल के आंकड़ों को फर्जी बताया है।एग्जिट पोल के मुताबिक दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए सबसे अहम उत्तर प्रदेश में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 60-70 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि सपा और कांग्रेस गठबंधन को 20-10 सीटें हासिल हो सकती है। लेकिन यूपी में करीब 30 सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी कड़े मुकाबले में फंसी है। इन सीटों पर इतनी कांटे की टक्कर है कि नतीजा कुछ भी हो सकता है। 4 जून की तारीख चौंका भी सकती है। इसमें पश्चिम यूपी से लेकर बुंदेलखंड, रुहेलखंड और पूर्वांचल की कई हाई-प्रोफाइल सीट भी शामिल है। पश्चिम यूपी में 2019 में सपा-बसपा और रालोद गठबंधन की वजह से बीजेपी को कुछ सीटों का नुकसान हुआ था। मेरठ सीट पर बीजेपी केवल 5 हजार वोट से जीती थी। कैराना सीट पर भी उसे जीत हासिल हुई, लेकिन अमरोहा, संभल, सहारनपुर, मुरादाबाद, रामपुर और नगीना लोकसभा सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था। 2024 में पश्चिम यूपी की कई सीटों पर कांटे की टक्कर है।यह स्थिति तब है जब बीजेपी ने रालोद के साथ गठबंधन किया है। मुजफ्फरनगर में बीजेपी के संजीव बालियान को सपा के हरेंद्र मलिक से कड़ी टक्कर मिली है और यह सीट फंसी हुई है। ठाकुरों की नाराजगी का असर भी इस सीट पर है। कैराना, मेरठ, रामपुर, मुरादाबाद, सहारनपुर और संभल में भी टक्कर कांटे की है।मेरठ में बीजेपी की तरफ से रामायण सीरियल के राम अरुण गोविल बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं। उनका सीधा मुकाबला सपा की सुनीता वर्मा से है।इस सीट पर बहरी बनाम स्थानीय मुद्दा भी चुनाव प्रचार के दौरान खूब उछला है। बसपा की तरफ से ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में उतारने और सपा की तरफ से दलित प्रत्याशी होने की वजह से वोट बंटने की बात सामने आ रही है। बसपा का वोट सपा की तरफ छिटका है।इस सीट पर भी जीत हार का अंतर कम रह सकता है। कैराना में सपा की इकरा हसन की जीत तय मानी जा रही है। बीजेपी ने मौजूदा सांसद प्रदीप चौधरी को ही प्रत्याशी बनाया है लेकिन एक बार फिर बसपा की तरफ से जाट प्रत्याशी मैदान में उतारने से वोट बंटने की बात कही जा रही है। इसके अलावा जिन सीटों पर राह आसान नही दिख रही है, उनमें क्रमशः बदायूं, कौशांबी, पीलीभीत, कन्नौज, मैनपुरी, फिरोजाबाद, ललितपुर-झांसी, बांदा, रायबरेली, अमेठी, फतेहपुर, जौनपुर, मछलीशहर, गोंडा आजमगढ़, लालगंज, गाजीपुर, घोसी,चंदौली, कुशीनगर, महराजगंज, सोनभद्र और बाराबंकी सीट है। इनमें से कई सीटें सपा और कांग्रेस को मिल सकती है।बदायूं से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव बीजेपी को टक्कर दे रहे हैं। कौशांबी में सांसद और बीजेपी प्रत्याशी विनोद सोनकर के खिलाफ नाराजगी चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर सामने आई थी। इस सीट पर राजा भैया का भी साथ बीजेपी को नहीं मिला है। पीलीभीत में वरुण गांधी की जगह जितिन प्रसाद मैदान में हैं,उन्हें भी गठबंधन प्रत्याशी से टक्कर मिल रही है। उनकी जीत हुई तो भी कम अंतर होगा।कन्नौज, मैनपुरी फिरोजाबाद में अखिलेश यादव, डिंपल यादव और अक्षय यादव की जीत तय मानी जा रही है।कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली में भी बीजेपी की राह आसान नहीं है।अमेठी में स्मृति ईरानी के सामने किशोरी लाल शर्मा मैदान में हैं और वे मजबूती से चुनाव लड़ते दिखे। रायबरेली में राहुल गांधी की जीत तय बताई जा रही है। ललितपुर-झांसी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के प्रदीप जैन भी अच्छा लड़े है।बांदा में बीजेपी प्रत्याशी को लेकर लोगों में नाराजगी देखने को मिली थी। पूर्वांचल में कई सीटों पर सपा का इस बार खाता खुल सकता है।इनमे सबसे अहम गोंडा सीट है।यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. बेनी प्रसाद वर्मा की पौत्री सपा की श्रेया वर्मा की जीत तय मानी जा रही है। आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर, गाजीपुर और घोसी सीट भी गठबंधन के खाते में जा सकती हैं। अगर ऐसा हुआ तो यूपी में इंडिया की बल्ले बल्ले हो जायेगी। बीजेपी के लीडरान बराबर दावा करते रहे हैं कि यूपी की सभी सीटों पर 80 बीजेपी जीत रही है। दावे हैं ,दावों का क्या, चुनाव में किये ही जाते हैं, सच तो कल सुबह ईवीएम खुलते ही सामने आ जायेगा।
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मुरादाबाद: मतगणना के साथ ही बनेगा नया इतिहास,
-सपा जीती तो मुरादाबाद को मिलेगी पहली महिला सांसद,बीजेपी जीती तो होगा उपचुनाव
मुरादाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा-सपा के बीच सीधी टक्कर में जो भी जनादेश आयेगा, नया इतिहास बनाएगा। भाजपा प्रत्याशी स्वर्गीय सर्वेश सिंह की जीत होने पर 72 साल में मुरादाबाद लोकसभा सीट पर पहली बार उपचुनाव होगा। सपा उम्मीदवार रुचिवीरा के सिर जीत का सेहरा बंधा तो वह मुरादाबाद से पहली महिला सांसद होंगी। दोनों दलों के नेता अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। सभी की नजरें चार जून यानि कल होने वाली मतगणना पर है। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मुरादाबाद लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को मतदान हुआ था। भाजपा से सर्वेश सिंह, सपा से रुचिवीरा और बसपा से इरफान सैफी समेत 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में रहे।अपना सांसद चुनने के लिए 2059578 मतदाताओं में से 1280706 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो 62.18 फीसदी था। मतदान के दूसरे दिन 20 अप्रैल को भाजपा प्रत्याशी सर्वेश सिंह का निधन हो गया। मतदान के दिन भाजपा और सपा में सीधी टक्कर देखने को मिली। हाथी की चाल सुस्त रही।यही स्थिति मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र की पांचों विधानसभा क्षेत्रों में रही। नगर विधानसभा क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम मतदाताओं में 19-20 का फर्क है। मतदान के दिन भाजपा-सपा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। मिश्रित आबादी वाले केंद्रों पर मतदान प्रतिशत अधिक रहा।शहर की तुलना में देहात विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है। मुस्लिम मतों में बिखराव कम ही देखने को मिला। ऐसे में यहां कमल पर साइकिल की रफ्तार भारी पड़ती दिखाई दी थी। इस विधानसभा में 59.29 फीसदी वोट पड़े हैं।कांठ विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा-सपा में टक्कर रही। मुस्लिम मतों में बिखराव देखने को नहीं मिला। इस विधानसभा क्षेत्र में 66.65 प्रतिशत मतदान हुआ। ठाकुरद्वारा विधानसभा क्षेत्र में 68.70 प्रतिशत वोट डाले गए। जो पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में 1.7 फीसदी वोट अधिक था। इस विधानसभा में सपा-भाजपा के बीच कांटे की टक्कर रही।बसपा लड़ाई से बाहर दिखाई दी। बसपा परंपरागत मतदाताओं तक ही सीमित होकर रह गई। मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में शामिल बिजनौर जिले की बढ़ापुर विधानसभा क्षेत्र में 61.99 प्रतिशत मतदान हुआ है। जबकि 2019 में 60 फीसदी वोट पड़े थे। यहां भी भाजपा और सपा में सीधी टक्कर देखने को मिली थी।