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वाराणसी:जायसवाल मैरिज प्वाइंट के लोगो ने मनाया भगवान सहस्त्रबाहु का जन्मोत्स्व

  • REPORT BY:MUKESH JAYASWAL || EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS DEASK

वाराणसी। चेतगंज बागबरियार सिंह स्थित जायसवाल मैरिज प्वाइंट के लोगो के द्वारा जायसवाल समाज के जाने माने प्रतिष्ठित व्यक्ति भगवान दास जायसवाल के निवास स्थान पर शुक्रवार की रात कुलदेवता भगवान सहस्त्रबाहु जी का जन्मोत्स्व बड़ी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । जन्मोत्स्व के दौरान भगवान सहस्त्रबाहु की फोटो पर माल्यार्पण के साथ दीप प्रज्वलित कर लोगों ने बारी बारी पुष्प अर्पित किया । वही समाज से जुड़े युवा मनीष जायसवाल जी ने कुलदेवता पर भी प्रकाश डालते हुए लोगो को इनके बारे में भी बताया । उन्होंने बताया की
वाल्मीकि रामायण के अनुसार प्राचीन काल में महिष्मती (वर्तमान महेश्वर) नगर के राजा कार्तवीर्य अर्जुन थे। उन्होंने भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय को प्रसन्न कर वरदान में उनसे एक हजार भुजाएं मांग ली। पुराणों धार्मिक ग्रंथों में कार्तवीर्यार्जुन भगवान विष्णु के अंश चक्रा अवतार थे। भगवान कार्तवीर्यार्जुन को कोई युद्ध में नहीं हरा सकता था। इससे उसका नाम सहस्त्रबाहु अर्जुन हो गया। लोग उन्हें उनके पिता कार्तवीर्य के नाम से भी बुलाते थे। आज भी उनके अनुयायी सहस्त्रबाहु, सहस्त्रार्जुन, सहस्त्रार्जुन कार्तवीर्य के रुप में उनकी पूजा-अर्चना करते है। सहस्त्र का अर्थ है एक हजार, बाहु का अर्थ है भुजाएं, अर्थात जिसकी एक हजार भुजाएं हो।
सहस्त्रार्जुन अपने हैहय वर्ष में सबसे प्रतापी राजा थे, इसलिये उन्हें हैहय वंश का प्रमुख अधिपति भी कहा गया। महिष्मति नगरी के प्रमुख राजा होने के कारण उन्हें इस नाम से भी जाना जाता है। दशग्रीवजयी यानी लंका के दस मुख वाले राजा रावण के ऊपर विजय प्राप्त करने के कारण उन्हें इस नाम की उपाधि मिली थी। सप्त द्विपेश्वर यानी सातों दीपों पर राज करने के कारण कार्तवीर्य को इस नाम से भी जाना गया। राज राजेश्वर यानी राजाओं के भी राजा होने के कारण उन्हें इस नाम से भी पहचान मिली।
सहस्त्रबाहु की राजधानी महिष्मति नगरी थी जो नर्मदा नदी के तट पर बसी थी। वर्तमान में यह स्थान मध्य प्रदेश के नर्मदा नदी के पास महेश्वर नगर हैं जहां सहस्त्रबाहु को समर्पित मंदिर भी स्थित है। मंदिर करीब एक हजार साल पुराने हैं। उस समय इस मंदिर का निर्माण कच्छपघात राजवंश के राजा महिपाल ने ग्यारहवीं वीं शताब्दी में कराया था। मंदिर का निर्माण उत्तर भारत की नागर शैली में कराया गया है। इसमें सुंदर नक्काशी और कंगूरे और देवताओं की मूर्तियां देखने को मिलती हैं। इस मंदिर का निर्माण पाँच भागों में किया गया है। इसमें अर्द्ध मंडप, मंडप, महा मंडप, अंतराल और गर्भगृह हैं। इसमें त्रिदेव की मूर्तियां भी हैं। इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश शामिल है। दरवाजे दोनों तरफ दो द्वारपाल की भी मूर्तियां बनाई गई हैं। इनको जय और विजय कहा जाता है। यह ऐसा मंदिर है, जहां गंगा और यमुना की भी मूर्तियां भी बनी हुई हैं। कार्यक्रम की अध्यता कर रहे मुरलीधर जायसवाल ने भी कहा की आप सभी के यहा की उपस्थिति से यहा आये सभी लोगो का मनोबल उचा हुआ है समाज से आये लोगो से जुड़ने की अपील भी की ।

कार्यक्रम में शामिल कन्हैया लाल, संतोष,अजय कुमार भारतभूषण,महादेव जायसवाल,जितेंद्र कुमार,अखिलेश,राजेंद्र,दुर्गाप्रसाद,राहुल,विनय जायसवाल , रोहित जायसवाल ,राहुल जायसवाल,मुकेश जायसवाल सहित समाज से जुड़े अन्य लोग शामिल रहे।

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