लखनऊ :कार्मिकों का वेतन रोका, कर्मचारी संगठन नाराज, नगर आयुक्त ने की कार्रवाई,क्लिक करें और भी खबरें

लखनऊ। नगर निगम कर्मचारी संगठनों ने चतुर्थ श्रेणी कार्मिको वेतन रोके जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए आन्दोलन की धमकी दी। संगठनों की नाराजगी को देखते हुए नगर आयुक्त नरे अपनी कार्यशैली का परिचय देते हुए तत्काल मुख्य वित्त और लेखाधिकारी के वेतन रोकने के आदेश देकर कर्मचारी संगठन के आक्रोष पर ठंडा पानी डाल दिया।
नगर निगम कर्मचरी संघ लखनऊ अध्यक्ष आनंद वर्मा ने कहा कि मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का वेतन रोके जाने का आदेश नगर आयुक्त द्वारा नहीं दिया गया है। लेकिन आडिट आपत्तियों का निराकरण भी कराया जाना नितांत आवश्यक है। सम्बंधितो को तत्काल आडिट आपत्तियों का निराकरण कराया जाना चाहिए जिससे नगर निगम लखनऊ की कार्य शैली पर विपरीत प्रभाव न पड़े। यही स्थिति करें कोई भरे कोई की कहावत चरितार्थ तथा दुर्भाग्यपूर्ण है। बिना आदेश के अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों का वेतन मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी द्वारा रोके जाने पर संघ घोर निंदनीय है। तत्काल अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों का वेतन निर्गत न करने की दशा में संघ आंदोलन हेतु बाध्य होगा। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश शासन,नगर निगम प्रशासन एवं जिला प्रशासन की होगी।नगर निगम एवं जल कल कर्मचारी संघ, लखनऊ के अध्यक्षशशि कुमार मिश्र ने कहा कि संगठन आडिट आपत्तियों को लेकर आम कर्मचारियों जिनका आडिट आदि मैटर से कोई लेना देना नहीं आदि लेखा विभाग सहित अन्य कर्मचारियों का वेतन रोके जाने की घोर निन्दा करता है। यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई उन अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी। इस तरह की कार्यवाही को तत्काल रोका जाय, इसके पूर्व भी अनावश्यक रूप से एकतरफा निर्णय लेकर सम्पत्ति ,जोन 7, स्वास्थ्य आदि विभागों के कर्मचारियों का निलंबन, वहीं गत वर्ष ज़ोन 8 के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का अनावश्यक रूप से पार्किंग के मैटर पर निलम्बन किया गया। बहाली होने के बाद रोके गए। संगठन की तरफ से कहा गया कि इस तरह की कार्रवाई से कर्मचारियां का मनोबल प्रभावित होता हैं। उधर संगठनों के विरोध के साथ ही नगर आयुक्त ने समस्त विभागो से सम्बंधित लगभग पांच सौ ऑडिट आपत्तियों का निराकरण विभागाध्यक्षो ने लापरवाही के कारण न करने के चलते मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारीयों के वेतन पर रोकलगाई ।

प्रदेश में 24 की जगह 18 घन्टे की विद्युत आपूर्ति आदेश का विरोध
-उपभोक्ता परिषद का तर्क या तो 24 घन्टे बिजली आपूर्ति या फिर मुआवजा

प्रदेश के ऊर्जा मंत्री लगातार यह ऐलान कर रहे थे की उत्तर प्रदेश में पहली बार 24 घंटे सातों बार विद्युत आपूर्ति जारी है। इसके विरूद्व 1 जुलाई 2024 से उत्तर प्रदेश में फिर एक बार रोस्टर व्यवस्था लागू हो गई। यानि उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य बन गया है जो 24 घंटे विद्युत आपूर्ति करने के बाद अब ग्रामीण को 18 घंटे विद्युत आपूर्ति करने की बात कर रहा है। दूसरी तरफ नगर पंचायत को 21 घंटा 30 मिनट तहसील को भी 21 घंटा 30 मिनट कर दिया गया है। वैसे तो प्रगति नीचे से उपर चलती है लेकिन यूपीसीएल के नए आदेश में प्रगति ऊपर से नीचे आ रही है। जबकि विद्युत उपभोक्ता अधिकार नियम 2020 की धारा 10 के तहत सभी विद्युत उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिलने का अधिकार है। लेकिन उत्तर प्रदेश प्रदेश में एक बार फिर रोस्टर व्यवस्था लागू हो गई। उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व प्रदेश के ऊर्जा मंत्री से मांग कि है कि रोस्टर व्यवस्था लागू होने से उत्तर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के मन में निराशा है। इस आदेश का एक गलत संदेश जा रहा है। देश में किसी भी राज्य में रोस्टर व्यवस्था नहीं लागू फिर उत्तर प्रदेश में ऐसा कीर्तिमान क्यों ?
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा अभी विगत सप्ताह पावर कारपोरेशन ने 24 घंटे विद्युत आपूर्ति दिए जाने के नाम पर ग्रामीण फीडर को शहरी फीडर करने का निदेशक मंडल से आदेश किया था। जिससे पावर कारपोरेशन के खजाने में शहरी दर पर वसूली हो सके। उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में निदेशक मंडल के खिलाफ अव मानना वाद दाखिल की थी। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पावर कारपोरेशन को अब लग गया है कि वह ग्रामीण से शहरी दर पर विद्युत की वसूली नहीं कर पाएगा।इसी के चलते पुन रोस्टर व्यवस्था लागू कर दी जो अपने आप में चौंकाने वाला है।उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने फिर एक बार अपनी बात दोहराते हुए कहा कि यदि पावर कारपोरेशन को यह लगता है कि वह ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं को 18 घंटे विद्युत आपूर्ति ही करेगा। तो पावर कारपोरेशन प्रदेश के ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं को मुआवजा देने के लिए तैयार रहना चाहिए। क्योंकि विद्युत अधिकार रूल 2020 लागू होने के बाद ग्रामीण और शहर सभी को 24 घंटे बिजली मिलने का अधिकार है। अगर इस नियम को पावर कारपोरेशन लागू करने में असफल रहेगा तो उसे उपभोक्ताओं को मुआवजा देने के लिए तैयार रहना होगा।

Aaj National

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *