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योगी एक्शन:तीर एक निशाने अनेक,10 सीटों पर उपचुनाव तय करेंगे बहुत कुछ

लखनऊ 03 अगस्त।लोकसभा चुनाव नतीजों में यूपी से बीजेपी को सबसे बड़ा नुकसान हुआ, जिसके चलते राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ का काम करने के
तरीके पर सवाल उठे। संगठन और सरकार में समन्वय को लेकर भी मुख्यमंत्री को निशाने पर लिया गया और निशाने पर लेने वाले कोई और नहीं बल्कि उनके ही डिप्टी यानि केशव प्रसाद मौर्य रहे। कयास लगाए जाने लगे थे कि संभवतः सीएम योगी को हटा दिया जाएगा।
राजनीतिक गलियारों में जारी चर्चा के बीच पीएम मोदी की बीजेपी के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक भी काफी चर्चा में रही। सोर्सेज ये भी बताते हैं कि बीजेपी को हुए नुकसान की रिपोर्ट भी योगी ने पीएम मोदी और अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंप दी है। इसके बाद शुरू हुए विधानसभा के सत्र में अब सीएम योगी का पुराना अंदाज देखने को मिल रहा है। खास बात यह है कि वो एक तीर से कई शिकार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में आक्रामक अंदाज में कहा कि वह सरकार में नौकरी करने के लिए नहीं आए हैं। उन्होंने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा कि जो अराजकता पैदा करेगा वह उसका अंजाम भुगतेगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को बुलडोजर से डर लगता है लेकिन कानून तोड़ने पर तो बुलडोजर चलेगा ही। ध्यान देने वाली बात यह है कि बीजेपी के सहयोगी और योगी कैबिनेट में मंत्री संजय निषाद ने ही बुलडोजर एक्शन को लेकर आपत्ति जताई थी। बुलडोडर का जिक्र करके उन्होंने सपा को तो निशाने पर लिया ही है, लेकिन उनके निशाने पर संजय निषाद भी थे।सीएम योगी ने कहा कि ये प्रदेश के व्यारारियों और बेटियों की सुरक्षा में सेंध लगाने का काम करते हैं। ये प्रदेश के अंदर अराजकता पैदा करके सामान्य लोगों का जीना हराम करते हैं। मेरा दायित्व बनता है, मैं यहां नौकरी करने नहीं आया हूं, कतई नहीं। मैं यहां पर इस बात के लिए आया हूं कि अगर वह करेगा तो भुगतेगा भी। मैं इसीलिए यहां आया हूं कि हम लोग उससे लड़ेंगे। ये लड़ाई हमारी सामान्य लड़ाई नहीं है। ये प्रतिष्ठा की लड़ाई भी नहीं है। मुझे प्रतिष्ठा प्राप्त करनी होती तो मुझे इससे ज्यादा प्रतिष्ठा अपने मठ में मिल जाती है। कोई आवश्यकता नहीं है मुझे।सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ गोमती नगर में हुए युवती के साथ छेड़छाड़ के मामले को लेकर बताया कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। जिम्मेदार यूपी पुलिस के अधिकारियों पर भी एक्शन हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि सीएम योगी ने कई आरोपियों में से दो का नाम भी लिया, जिसने ये साबित कर दिया कि वे अपनी उसी आक्रामक पिच पर खेलते रहे हैं। सीएम योगी ने एक यादव और मुस्लिम आरोपी का नाम लेते हुए कहा कि इन सदभावना वाले लोगों के खिलाफ बुलेट ट्रेन चलेगी।
सीएम योगी ने हाथ से रिवॉल्वर चलाने का स्टाइल दिखाया, जो बताता है कि वो आरोपियों के खिलाफ गोली चलाने तक की बात भी कर रहे थे। सीएम योगी का यह रवैया दिखाता है कि भले की लोकसभा में बीजेपी को नुकसान हुआ हो लेकिन वे अपने पुराने आक्रामक अंदाज में ही सपा को काउंटर करेंगे, जिससे 10 सीटों में होने वाले उपचुनावों में पार्टी की स्थिति मजबूत हो और विधानसभा चुनाव के लिहाज से पार्टी वापस ट्रैक पर लौटे।यूपी में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत है। ऐसे में सीएम योगी का यह कहना तो लाजमी है कि बीजेपी 2027 में भी विधानसभा चुनाव जीतकर आएगी, लेकिन योगी का सीएम की कुर्सी को लेकर कहना, कि ‘वे नौकरी करने नहीं आए, और मठ में ज्यादा प्रतिष्ठा मिल जाती’ बताता है कि सीएम योगी अपने इस बयान के जरिए न केवल सपा बल्कि अपनी पार्टी में उनके लिए चुनौती बनने वाले लोगों को संदेश दे रहे हैं। इसकी वजह यह है कि अगर 2027 में योगी को हटाया जाता है, तो वो किसी चुनाव की वजह से नहीं बल्कि उनके लिए पार्टी की आंतरिक चुनौतियां होंगी।
सीएम योगी विधानसभा में बात तो विपक्षी दलों की तरफ से देखकर कर रहे थे, लेकिन उनका मुख्य टारगेट अपने पाले में बैठे उनके डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक हैं, जो कि लोकसभा चुनाव के बाद लंबे समय तक उनके खिलाफ कथित तौर पर आंतरिक मोर्चा खोले हुए थे। ये दोनों ही डिप्टी न केवल सीएम योगी द्वारा बुलाई जाने वाली कैबिनेट बैठकों तक में शामिल नहीं होते थे। जब उन्हें हटाए जाने की खबरें चल रही थीं, तो यह भी दावा किया जा रहा था कि बीजेपी की टॉप लीडरशिप उनसे खुश नहीं है और यह भी दावा किया गया था कि अगर बीजेपी का प्रदर्शन 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में बुरा रहता है, तो योगी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हम सभी जानते हैं कि अगर सीएम योगी के खिलाफ कोई फैसला होता भी है, तो उसके केंद्र में पीएम मोदी और अमित शाह ही होंगे।
विधानसभा के पटल से वापस अपने मठ यानी गोरखनाथ पीठ जाने की बात करके सीएम योगी ने बता दिया है कि वे उन्हें सीएम की कुर्सी से हटाया भी जाता है तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन जब तक वे कुर्सी पर रहेंगे, तब तक आक्रामक अंदाज में ही काम करेंगे। अब यह देखना होगा कि 10 सीटों के विधानसभा उपचुनाव के नतीजे क्या होते हैं, क्योंकि वो नतीजे ही योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक भविष्य तय करने में अहम होंगे।

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REPORT BY:MAHI/AGENCY

EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS

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