नयी दिल्ली:फैसला सुनाने के बाद अतिरिक्त आरोपियों को तलब करने के मुद्दे पर न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित रखा

नयी दिल्ली:उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रख लिया कि क्या आपराधिक मामले में कुछ आरोपियों के खिलाफ फैसला सुनाने के बाद भी निचली अदालत को अतिरिक्त आरोपियों को तलब करने का अधिकार है। न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने संदर्भ के सवालों पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू, न्याय मित्र एस. नगामुथू और अन्य की दलीलें सुनीं। संविधान पीठ ने कहा, ‘‘दलीलें सुनीं, फैसला सुरक्षित।’’ पीठ में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना भी शामिल थे। शीर्ष अदालत ने 2019 में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 319 (अपराध के दोषी प्रतीत होने वाले अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही की शक्ति) के दायरे और क्षेत्र पर कानून के तीन प्रश्न तैयार किए थे तथा इस मामले को निर्णय के लिए एक बड़ी पीठ को भेज दिया था। पीठ की ओर से संदर्भित मुद्दों में यह शामिल है कि क्या निचली अदालत के पास सीआरपीसी की धारा 319 के तहत अतिरिक्त अभियुक्तों को तलब करने की शक्ति है, यदि अन्य सह-अभियुक्तों से संबंधित मुकदमे का फैसला आ गया हो और तलब किये जाने की घोषणा से पहले उसी तारीख को दोषसिद्धि का फैसला सुनाया गया हो। शीर्ष अदालत ने इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजते हुए कहा था कि उसका मानना है कि सीआरपीसी की धारा 319 के तहत प्राप्त शक्ति असाधारण प्रकृति की है और निचली अदालतों को जटिलताओं से बचने तथा निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए आरोपियों को तलब करते समय सतर्क रहना चाहिए।शीर्ष अदालत का फैसला पंजाब विधानसभा में विपक्ष के तत्कालीन नेता सुखपाल सिंह खैरा द्वारा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए आया था, जिसमें सीमा पार से नशीली दवाओं की तस्करी से संबंधित 2015 के एक मामले में समन रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गयी थी। फाजिल्का की एक अदालत ने मामले में खैरा को पेश होने के लिए समन जारी किया था। खैरा के मामले में जब मादक पदार्थ मामले में 10 अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चल रहा था, तब अभियोजन पक्ष ने उनके सहित पांच अतिरिक्त अभियुक्तों को समन करने के लिए आवेदन दायर किया था। शीर्ष अदालत ने दिसंबर 2017 में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

Aaj National

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