LUCKNOW:अम्बेडकर नगर व डुमरियागंज में कड़ी टक्कर,आसान नहीं है दिल्ली की राह

-अम्बेडकर नगर :सपा और भाजपा में कड़ा मुकाबला

-अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक,बीएसपी कुछ खास गुल खिलाने से रही

  • -के.के.वर्मा 

लखनऊ 24 मई।अम्बेडकर लोकसभा सीट में भी लड़ाई बड़ी रोमांचक है। यहाँ ज्यादातर उम्मीदवार मूलरूप से बसपा की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं। ए बात और है कि आज कोई साइकिल पर सवार होकर चुनावी रेस में है तो कोई कमल का फूल लेकर मैदान में
 डटा है। अंबेडकर नगर 1995 में ज़िला बना, उस समय मायावती मुख्यमंत्री थीं।2009 में  परिसीमन हुआ और अंबेडकरनगर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई जो अब अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित नहीं है।यह सीट बहुजन समाज पार्टी  का गढ़ मानी जाती रही है।मायावती यहाँ से तीन बार जीतकर संसद तक पहुँची। भाजपा के उम्मीदवार रितेश पांडेय हैं जो 2019 में भी यहाँ से चुनाव जीते थे लेकिन बसपा के उम्मीदवार के तौर पर। इस सीट पर दो और प्रमुख उम्मीदवार सपा के लालजी वर्मा और बसपा के क़मर हयात हैं।
लखनऊ से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के ज़रिए हम जिले में प्रवेश करते हैं तो सबसे पहले महरूआ बाजार चौराहा पड़ता है, महरूआ बाजार अंबेडकर नगर लोकसभा क्षेत्र के कटेहरी विधानसभा के अंतर्गत आता है।लोकसभा चुनाव में इस बार सपा के प्रत्याशी लालजी वर्मा इसी विधानसभा सीट से विधायक हैं।
सपा और भाजपा प्रत्याशी के बारे में लोगों का कहना है कि दोनों पहले बसपाई थे अब सपा और भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं।पुराना नेता होने की वजह से जनाधार लालजी वर्मा का ज्यादा मजबूत है लेकिन राम मंदिर बनने के कारण और मोदी की वजह से भाजपा का कद बढ़ गया है।जमीनी हकीकत में लालजी वर्मा का पब्लिक कनेक्शन ज्यादा है। सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा भाषण में बीजेपी पर हमले करते हैं। वे कहते हैं कि चुनाव केवल सांसद बनाने का चुनाव नहीं है, चुनाव भारत का संविधान बचाने का चुनाव है। हमारा संविधान कहता है अनुसूचित जाति को 21 प्रतिशत आरक्षण होगा, पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण होगा। भाजपा सरकार ने उसकी धज्जियाँ उड़ा दी हैं। अंबेडकर नगर में 18 थाने हैं जिनमें एक भी पिछड़े वर्ग का प्रभारी नहीं है एक अनुसूचित वर्ग का प्रभारी है।वे कहते हैं,बीजेपी वाले संविधान को ख़त्म करना चाहते हैं।
रितेश पांडेय कहते हैं, सपा प्रत्याशी संविधान संशोधन का भ्रामक प्रचार कर रहे हैं।इनके पास मुद्दे नहीं हैं, इनकी सरकार में भ्रष्टाचार हुए, दंगे हुए, कानून व्यवस्था चौपट रही।इनके पास जनता को बताने के लिए कुछ नहीं।
अकबरपुर के रूपेश त्रिपाठी शिक्षक हैं।वे  लड़ाई सपा और भाजपा के बीच ही मानते हैं। प्रत्याशी लालजी वर्मा पिछले 25 सालों से यहां राजनीति में हैं।सपा के पक्ष में यादव,मुसलमान और कुर्मी वर्ग के होने से सपा का पक्ष मजबूत है, लेकिन सवर्ण और युवा वर्ग भाजपा के साथ दिखाई दे रहा है।अंबेडकर नगर में सपा और भाजपा दोनों प्रत्याशी बहुत मजबूती से लड़ रहे हैं, बसपा के लिए इस चुनाव में  कुछ नहीं है।
 समाजवादी पार्टी प्रत्याशी लालजी वर्मा कहते हैं,इस बार का चुनाव जनता ख़ुद लड़ रही है। मैं 44 साल से राजनीति मे हूँ जिसकी वजह से जनता का समर्थन मुझे मिल रहा है। बसपा लड़ाई से बाहर है।मुझे पूरा विश्वास है कि बसपा का 80 प्रतिशत वोट समाजवादी पार्टी को मिलेगा।लालजी वर्मा को 2021 में बसपा से निकाल दिया गया था, इस बारे में पूछे जाने पर वे कहते हैं, मैं हमेशा बसपा का अनुशासित सिपाही रहा,पार्टी अनुशासन के अनुरूप काम किया, 2021 में जिला पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में सदस्यों के चुनाव हारने का ज़िम्मेदार मुझे और रामअचल राजभर  को माना गया जबकि उस समय मैं कोरोना से पीड़ित होकर कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहा।वर्मा का कहना है कि भाजपा ने उन्हें बुलाया था लेकिन वे ‘वैचारिक मतभेद’ के कारण नहीं गए, इसके बाद ‘समर्थकों के सुझाव पर’ सपा में शामिल हो गए।लालजी वर्मा 1991 में जनता दल के टिकट पर पहली बार विधायक बने थे।लालजी वर्मा चार बार टांडा से और दो बार कटेहरी से विधानसभा चुनाव जीते।मायावती सरकार में तीन बार मंत्री रहे, एक बार राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और दो बार कैबिनेट मंत्री।इस चुनाव में राम मंदिर मुद्दा तो है लेकिन संविधान बदले जाने का मुद्दा कही भारी न पड़ जाए। बसपा के उम्मीदवार क़मर हयात कहते हैं, अंबेडकर नगर में दलित वर्ग के चार लाख से ज्यादा वोटर हैं, मुसलमान वर्ग के वोटरों की संख्या भी साढ़े तीन लाख के करीब है।इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए बहन जी ने मुझे का यहाँ उम्मीदवार बनाया है।
अंबेडकर नगर क्षेत्र में विधानसभा की पाँच सीटें हैं इनमें चार विधानसभा सीटेंअकबरपुर, कटेहरी, टांडा और जलालपुर अंबेडकर नगर ज़िले में हैं जबकि गोसाईगंज विधानसभा क्षेत्र अयोध्या ज़िले का हिस्सा है।अंबेडकर नगर लोकसभा के पाँचों विधानसभा क्षेत्रों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने अपना कब्ज़ा जमाया था।फरवरी  में राज्यसभा चुनाव में गोसाईगंज के विधायक अभय सिंह और जलालपुर के विधायक राकेश पांडेय ने भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी।गोसाईगंज के सपा विधायक अभय सिंह खुलकर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं लेकिन जलालपुर विधायक राकेश पांडेय खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।अंबेडकर नगर लोकसभा में लगभग साढ़े 18 लाख मतदाता हैं।  सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति के मतदाता हैं जिनकी संख्या चार लाख के करीब है, मुसलमान वोटरों की संख्या साढ़े तीन लाख के करीब है।कुर्मी पौने दो लाख, ब्राह्मण सवा लाख, ठाकुर एक लाख, यादव पौने दो लाख और बाकी अन्य ओबीसी जातियाँ हैं।2014 में मोदी लहर में पहली बार भाजपा ने यहां से जीत हासिल की और हरिओम पांडेय सांसद बने, 2019 में बसपा के टिकट पर रितेश पांडेय ने जीत हासिल की।मायावती का अंबेडकर नगर से गहरा जुड़ाव रहा है, वे अंबेडकर नगर से पहले अकबरपुर लोकसभा, सुरक्षित सीट  1998, 1999 और 2004 में लोकसभा का चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की।

डुमरियागंज :बड़ी कठिन है दिल्ली की राह, दिलचस्प हो गई है लड़ाई

15 साल पहले कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए जगदंबिका पाल  फिर डुमरियागंज से मैदान में हैं। 2014 में  पंजा से हाथ छुड़ाकर कमल का दामन थामा था। इस सीट से 3 बार सांसद चुने जा चुके हैं। वो इस बार इस कोशिश में होंगे कि जीत का सिलसिला यूं ही जारी रखा जाए। उनकी राह आसान नहीं है,  इस सीट से छह उम्मीदवार मैदान में हैं।
तीन बार से डुमरियागंज के सांसद चुने जा रहे जगदंबिका पाल का मुकाबला इस बार समाजवादी पार्टी के भीष्म शंकर तिवारी से है। बसपा ने मोहम्मद नदीम को उम्मीदवार बनाया है।डुमरियागंज से मैदान में जगदंबिका पाल भाजपा भीष्म शंकर तिवारी समाजवादी पार्टी मो. नदीम बहुजन समाज पार्टी अमर सिंह चौधरी एएसपी केआर नौशाद आलम पीस पार्टी किरण देवी निर्दलीय उम्मीदवार हैं। लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम, पिछले चुनाव में सपा और बसपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो भी जगदंबिका पाल ने आसानी से जीत हासिल कर ली थी। ऐसे में इस बार भी उनकी मुश्किलों में ज्यादा इजाफा होता नजर नहीं आ रहा है।भाजपा जगदंबिका पाल 492,253 बसपा  आफताब आलम 3,86,932 कांग्रेस सिकंदर अली जलालुद्दीन 60,549 मत पाए थे।डुमरियागंज लोकसभा सीट पर सात बार कांग्रेस पार्टी का कब्जा रहा है। जबकि एक बार भारतीय जनसंघ, एक बार जनता दल और एक बार ही जनता पार्टी ने चुनाव जीता है। पांच बार भाजपा उम्मीदवार को जीत हासिल हुई है।  समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को एक बार जीत नसीब हुई है। इस क्षेत्र के पहले सांसद केशव देव मालवीय चुने गए थे। यदि जगदंबिका इस बार चुनाव जीतते हैं को सबसे अधिक बार सांसद चुने जाने का रिकॉर्ड बना लेंगे। उनके अलावा भाजपा के ही रामपाल सिंह यहां से तीन बार सांसद चुने जा चुके हैं।
डुमरियागंज में क्रमशः सांसद बने 1952 केशव देव मालवीय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1957राम शंकर लाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस1962 कृपा शंकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1967नारायण स्वरूप शर्मा भारतीय जनसंघ 1971केशव देव मालवीय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1977 माधव प्रसाद त्रिपाठी जनता पार्टी 1980 काजी जलील अब्बासी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1984काजी जलील अब्बासी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1989 बृजभूषण तिवारी जनता दल1991 रामपाल सिंह भारतीय जनता पार्टी1996  बृजभूषण तिवारी समाजवादी पार्टी1998 रामपाल सिंह भारतीय जनता पार्टी1999 रामपाल सिंह भारतीय जनता पार्टी 2004 मोहम्मद मुकीम बहुजन समाज पार्टी 2009 जगदंबिका पाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 2014 जगदंबिका पालभारतीय जनता पार्टी 2019जगदंबिका पाल भारतीय जनता पार्टी। उत्तर प्रदेश की डुमरियागंज सीट पर छठे चरण में 25 मई को मतदान होने हैं। देखना होगा कि  जगदंबिका पाल इस सीट बचा पाते हैं या नहीं। देशभर में 7 चरणों में हो रहे लोकसभा के लिए अंतिम चरण की वोटिंग 1 जून को होगी, जिसके बाद 4 जून को चुनावी नतीजे सामने आएंगे।
Aaj National

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