-संवैधानिक अधिकार का हनन तह्त उठाया मामला
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प्रेम शर्मा
लखनऊ। आयोग पर असंवैधानिक दबाव बनाकर चोर दरवाजे से बिजली दर बढ़ोत्तर के षडयंत्र के खिलाफ राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने हल्ला बोल दिया है। संवैधानिक अधिकारों के हनन का मामला उठाते हुए परिषद ने प्रबंधन एवं निदेशक वाणिज्य के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग रखी है। प्रदेश की बिजली कंपनियां की बिजली दर की सुनवाई के बीच उत्तर प्रदेश पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन द्वारा विद्युत नियामक आयोग पर भारत सरकार सरकार द्वारा आरडीएसएस की मीटिंग में लिए गए एक निर्णय के क्रम में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के ऊपर असंवैधानिक दबाव बनाकर चोर दरवाजे बिजली दरों में बढोतरी करने के लिए किया जा रहे षड्यंत्र को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आज विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर सौपा, विरोध प्रस्ताव पावर कारपोरेशन के असंवैधानिक कार्यवाही का विरोध करते हुए कहा यह बहुत गंभीर मामला है।
पावर कॉरपोरेशन के निदेशक वाणिज्य द्वारा विद्युत नियामक आयोग को पत्र लिखकर वर्ष 2024 -25 की बिजली दर को जारी करने का निर्देश दिया जा रहा है उन्हें क्या विद्युत नियामक आयोग का अधिकार नहीं पता है ?परिषद की तरफ से कहा गया कि उन्हें शायद या नहीं पता है कि विद्युत नियामक आयोग एक अर्ध न्यायिक स्वतंत्र संस्था है उसके साथ इस प्रकार का पत्राचार संवैधानिक अधिकारों का हनन है। ऐसे में पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन और निर्देशक वाणिज्य के खिलाफ संवैधानिक परिपाटी का उल्लंघन करने के लिए विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत कठोर कार्रवाई की जाए। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा पावर कॉरपोरेशन कितना भी जोर लगा ले जब प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड सर प्लस निकल रहा है।तो देश का कोई ऐसा कानून नहीं है जो प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढोतरी की इजाजत दे ।
परिषद के अनुसार पावर कॉरपोरेशन द्वारा जारी पत्र जो नियामक आयोग को भेजा गया है वह पत्र जिस तिथि को भेजा गया उस 18 जुलाई को दक्षिणांचल में वार्षिक राजस्व आवश्यकता की सुनवाई हो रही थी। ग्रेटर नोएडा सहित पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की 20 जुलाई की सुनवाई शेष थी। ऐसे में पावर कारपोरेशन का यह पत्राचार पूरी तरह असंवैधानिक है। जहां तक सवाल है ईंधन अधिभार शुल्क के मामले में तो उसमें विद्युत नियामक आयोग ने भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत आगे क्या कार्यवाही करने के निर्देश पहले ही दे चुका है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सरकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा सभी को पता है कि विद्युत नियामक आयोग एक संवैधानिक अर्धन्यायिक संस्था है। उसे कोई विद्युत वितरण कंपनी या पावर कॉरपोरेशन आदेश नहीं जारी कर सकता। विद्युत अधिनियम 2003 व मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन -2019 में स्पष्ट प्रावधानित है कि वार्षिक राजस्व आवश्यकता संबंधी याचिका स्वीकार करने के 120 दिन के अंदर जनता व हित धारकों से प्राप्त सुझाव एवं आपत्तियों को विचार करने के उपरांत आयोग टैरिफ आदेश निर्गत करेगा। लेकिन जिस प्रकार से पावर कॉरपोरेशन असंवैधानिक दबाव बना रहा है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि वह चोर दरवाजे बिजली दरों में बढोतरी चाहता है। उसके लिए अपने तरीके से असंवैधानिक दबाव डालने पर आमादा है।
निकायों की राजस्व बढ़ोत्तरी पर मिलेगा अतिरिक्त सहयोग
शहरों के सर्वांगीण विकास और नगरीय स्थानीय निकायों राजस्व बढ़ोत्तरी ही बड़ा सहारा है। इसके लिए नगर विकास विभाग ने सभी निकायों के लिए मुख्यमंत्री वैश्विक नगरोदय योजना की शुरुआत की है। नगर निगमों में न्यूनतम 25 प्रतिशत कर व गैर कर वसूली में वृि करने वालों को न्यूनतम 2.5 करोड़ और अधिकतम 50 करोड़ रुपये दिया जाएगा। इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी गई है।
शासन की मंशानुसार पालिका परिषदों व जिला मुख्यालयों (एक लाख से अधिक जनसंख्या) में न्यूनतम 15 प्रतिशत कर व गैर कर में वृद्धि करने वालों को न्यूनतम 25 लाख और अधिकतम 20 करोड़ रुपये औ एक लाख से कम जनसंख्या जनसंख्या वाले पालिका परिषद और नगर पंचायतों में न्यूनतम 10 प्रतिघ् कर व गैर कर वसूली में वृद्धि करने वालों को न्यूनतम 10 लाख और अधिकतम पांच करोड़ रुपये अनुदान दिया जाएगा। विशेष परिस्थितियों में 50 प्रतिशत से अधिक राजस्व वृद्धि करने, नई परियोजनाएं, राजस्व बढ़ाने वाली परियोजनाएं और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं के लिए प्रति नगर निगम अधिकतम 100 करोड़ रुपये की निधि जारी की जा सकती है।
वर्ष 2022-23 की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ाया जाएगा, जो पात्रता मानदंड होगा। यह योजना 2024-25 से शुरू होकर पांच वर्षों के लिए लागू रहेगी। 2024-25 में इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये की धनराशि की व्यवस्था की गई है। इस योजना से उत्तर प्रदेश के समस्त 762 नगरीय स्थानीय निकायों को लिया जाएगा। यह योजना राज्य के समस्त नगरीय क्षेत्रों में सतत आर्थिक वृद्धि, समानता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाने के लिए 3-ई दृष्टिकोण अपनाएगी। योजना के प्रयोजन के लिए नगरीय स्थानीय निकाय के प्रकार, जनसंख्या और क्षेत्रफल के आधार पर नगरीय स्थानीय निकाय को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। श्रेणी-1 में नगर निगम (3 लाख से अधिक जनसंख्या), श्रेणी-2 में नगर पालिका परिषद एवं जिला मुख्यालय (1 लाख से अधिक जनसंख्या) और श्रेणी -3 में नगर पालिका परिषद, नगर पंचायतें और जिला मुख्यालय (1 लाख से कम जनसंख्या) को शामिल किया गया है। इन श्रेणियों के तहत विभिन्न परियोजनाएं अनुमन्य की गई हैं।
फर्जी दस्तावेज पर कनेक्शन,जेई निलम्बित
लेसा ने फर्जी दस्तावेज पर बिजली कनेक्शन देने पर रजनीखंड उपकेंद्र के जेई को निलंबित कर दिया। आरोप है कि परिसर मालिक की बिना एनओसी और फर्जी शपथ पत्र के आधार पर कनेक्शन जारी कर दिया। इसकी शिकायत परिसर मालिक ने मध्यांचल विद्युत निगम के एमडी भवानी सिंह से की। एमडी ने पूरे प्रकरण की जांच कराई। दोषी पाये जाने पर अधीक्षण अभियंता ने जेई को कार्यालय अधीक्षण अभियंता विद्युत नगरीय वितरण मंडल-वृंदावन अमौसी क्षेत्र से संबंद्ध किया।
जानकारी के अनुसार शारदा नगर के रुचिखंड 1 / 225 निवासी प्रथम वर्मा पुत्र स्व. डा. पूनम का 1/146 रूचिखंड में भी आवास है। प्रथम वर्मा के मुताबिक परिसर में अवैध रूप से प्रियंका सिंह रहती है। परिसर पर कब्जा करने की नीयत से प्रियंका सिंह ने झटपट पोर्टल पर फर्जी दस्तावेज (शपथ पत्र) अपलोड कर 15 अप्रैल को दो किलोवाट लोड बिजली कनेक्शन की फीस जमा कर दी। जिस पर रजनीखंड उपकेंद्र के जूनियर इंजीनियर आनंद कुमार पांडेय ने 24 अप्रैल को परिसर में मीटर लगाकर (खाता सं.9731164301) बिजली कनेक्शन दे दिया।
प्रथम वर्मा ने वृंदावन डिवीजन के एक्सईएन को लिखित शिकायत में आरोप लगाया कि परिसर मालिक के बिना अनुमति और फर्जी दस्तावेज के आधार पर बिजली कनेक्शन दे दिया गया। इसके बाद शिकायतकर्ता ने मध्यांचल विद्युत निगम के एमडी भवानी सिंह के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत किया। जिस पर एमडी ने मुख्य अभियंता रजत जुनेजा से पूरे प्रकरण की जांच कराने का आदेश दिया। आनन-फानन जेई ने 12 जून को परिसर से मीटर उखाड़कर कनेक्शन काट दिया। साथ ही स्थाई विच्छेदन भी कर दिया। वहीं जांच रिपोर्ट में जूनियर इंजीनियर आनंद कुमार पांडेय दोषी पाये गये। जिसके बाद अधीक्षण अभियंता गुरजीत सिंह ने जेई को निलंबित कर दिया।