-निजीकरण का विरोध जमकर होगा: समिति
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REPORT BY:PREM SHARMA ||AAJNATIONAL NEWS DEASK
लखनऊ।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदेश भर में सभी जनपदों में ‘बिजली पंचायत’ कर आम उपभोक्ताओं और कर्मचारियों को निजीकरण के दुष्प्रभाव से अवगत कराया जाएगा। प्रांतव्यापी ‘बिजली पंचायत’ के बाद राजधानी लखनऊ में 22 दिसंबर को बिजली कर्मचारियों, उपभोक्ताओं और किसानों की विशाल रैली कर ‘बिजली पंचायत’ की जाएगी। उत्तर प्रदेश व चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में 06 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के साथ उत्तर प्रदेश में समस्त जनपदों व परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन किये जाएंगे।
संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारी राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, सुहैल आबिद, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो. इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह ने पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन के निजीकरण पर दिए जा रहे बयानों को झूठ का पुलिन्दा बताते हुए कहा है कि सभी कर्मचारी संगठनों ने निजीकरण के प्रस्ताव को चेयरमैन से वार्ता के दौरान ही खारिज कर दिया है। आज लखनऊ में सभी संगठनों के अध्यक्ष, महामंत्री और अन्य प्रमुख पदाधिकारियों ने एक साथ खड़े होकर शपथ ली कि प्रदेश में किसी प्रकार का बिजली का निजीकरण स्वीकार नहीं किया जायेगा। निजीकरण की किसी भी एकतरफा कार्यवाही का उपभोक्ताओं और किसानों के साथ मिलकर पुरजोर विरोध किया जायेगा।संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन की यह बात मान लें कि निजीकरण के बाद कर्मचारी हटाये नहीं जायेंगे तो सवाल यह है कि इन्हीं कर्मचारियों के रहते सुधार हो सकता है तो निजीकरण की क्या जरूरत है। सारी विफलता प्रबन्धन की है। आई.ए.एस. प्रबन्धन की जगह विशेषज्ञ अभियन्ताओं को प्रबन्धन दिया जाये तो एक साल में ही गुणात्मक सुधार की जिम्मेदारी लेने को संघर्ष समिति तैयार है।संघर्ष समिति ने कहा कि यदि सभी कम्पनियों का चेयरमैन मुख्य सचिव को बनाने का निर्णय है तो प्रबन्ध निदेशक निजी कम्पनी का बनाने के बजाय प्रबन्ध निदेश विभागीय अभियन्ताओं को बनाकर सुधार किया जाये। उन्होंने कहा कि कर्मचारी किसी भ्रम में नहीं है, जब 51 प्रतिशत भागेदारी निजी कम्पनी की है तो यह टोटल प्राइवेटाईजेशन है जो पूरी तरह अस्वीकार्य है। संघर्ष समिति ने कहा कि प्रबन्धन बर्खास्तगी और उत्पीड़न का भय पैदाकर, निजीकरण थोपना चाहता है। शीर्ष प्रबन्धन ने कल प्रयागराज में कहा कि सबसे लिखित ले लो कि वे निजीकरण के पक्ष में हैं। जो कर्मचारी लिखकर न दे उसे बर्खास्त कर दिया जायेगा। संघर्ष समिति ने कहा कि प्रबन्धन के इस तानाशाही रवैय्ये से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है।
निजीकरण के विरोध में उतरा जेई संगठन, जल्द लेगा बड़ा फैसला
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन (उत्तर प्रदेश) के केंद्रीय अध्यक्ष गोपाल वल्लभ पटेल ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि संगठन ऊर्जा क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निजीकरण को स्वीकार नहीं करता एवं निजीकरण की बजाय कॉरपोरेशन में सुधार के कार्यक्रम लागू किए जाने चाहिए। संगठन का स्पष्ट मत है कि विभाग के अंदर सुधार कार्यक्रमों के द्वारा स्थितियां बदली जा सकती हैं। कॉरपोरेशन में केस्को का प्रदर्शन इसका जीता जगता उदाहरण है, जहां ऊर्जा प्रबंधन एवं विद्युत कर्मियों के संयुक्त प्रयास से विद्युत वितरण व्यवस्था वित्तीय रूप से एवं बेहतर उपभोक्ता सेवा सुनिश्चित करने में सक्षम बनी। इसके अतिरिक्त देश के कई सार्वजनिक उद्यम जैसे एनटीपीसी, एनएचपीसी, बीएचईएल आदि द्वारा अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर मिसाल कायम की गई है। इनका अध्ययन कर कॉरपोरेशन की कार्य प्रणाली में सकारात्मक बदलाव किए जाने चाहिए। अग्रेत्तर शीघ्र ही प्रदेश व्यापी कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी।
उन्होंने कहाकि संगठन का मानना है कि विभाग में नई तकनीकों का अधिकतम प्रयोग करके कार्य दक्षता,पारदर्शिता को बढ़ाया जाए साथ ही हर स्तर पर कार्य की ज़िम्मेदारी,जवाबदेही भी तय होनी चाहिए । संगठन ऊर्जा क्षेत्र की बेहतरी, उत्कृष्ट उपभोक्ता सेवा एवं सस्टेनेबल वित्तीय स्थिति के लिए विभाग में चलाए जा रहे सुधार कार्यक्रमो में पूर्ण सहयोग के लिए संकल्पित है। परंतु रिफॉर्म के नाम पर निजीकरण की कार्यवाही न तो जूनियर इंजीनियर और न ही विद्युत उपभोक्ताओं,आम जनमानस के हित में है, जिसी किसी भी स्थिती में स्वीकार नहीं किया जाएगा। पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रस्तावित निजीकरण के संबंध संगठन के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर इसे निरस्त कराए जाने का अनुरोध किया गया है।
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक से निजीकरण के विरोध में मिले बिजली अभियंता
दक्षिणांचल पूर्वांचल के 42 जनपदों मैं ट्रिपल पी मॉडल यानी निजीकरण की प्रक्रिया का ऐलान वो भी संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर किए जाने के विरोध में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात का अभियान शुरू की गई। अभियान के पहले दिन पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के नेतृत्व में एक आठ सदस्य प्रतिनिधिमंडल ने आज प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक से उनके आवास पर मुलाकात कर लंबी बैठक कर उन्हें निजीकरण की प्रक्रिया के फल स्वरुप दलित व पिछड़े वर्ग सहित आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभियंता कार्मिकों कि आरक्षण व्यवस्था पूर्णतया समाप्त हो जाने और सरकारी नौकरियों पर तलवार लटकने युवाओं का रोजगार खत्म होने निजीकरण के फल स्वरुप बिजली दरों में बढोतरी होने, वर्तमान में पूरे ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक अशांति के मद्दे नजर तत्काल निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाने को लेकर एक ज्ञापन भी सौपा।
पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी द्वारा उपमुख्यमंत्री को विस्तार से अवगत कराते हुए कहा गया कि बिजली क्षेत्र को बिना निजीकरण किया भी उसमें सुधार लाया जा सकता है। लेकिन उसके लिए बिजली अभियंताओं का कार्मिकों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने का मौका दिया जाना चाहिए। विस्तार से चर्चा के उपरांत उपमुख्यमंत्री ने भी अनेकों मुद्दों पर गहनता से समझा।उप मुख्यमंत्री ने संगठन के प्रतिनिधि मडल को भरोसा दिया कि दलित व पिछले वर्गों सहित आर्थिक रूप से कमजोर समान वर्ग के आरक्षण पर पर कोई भी कुठाराघात नहीं हो नहीं पाएगा। उन्होंने सभी संगठन पदाधिकारी से कहा की निश्चित तौर पर बिजली क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिए सभी को अपना योगदान देना चाहिए उनके इस गंभीर विषय पर सक्षम स्तर पर चर्चा की जाएगी। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधि मंडल में उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, अतिरिक्त महासचिव अजय कुमार, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, ए के प्रभाकर, जयप्रकाश शामिल थेे। उपमुख्यमंत्री के साथ लंबी बैठक के बाद महसूस किया कि उनकी बात सक्षम स्तर पर पहुंचेगी और निश्चित तौर पर निजीकरण की प्रक्रिया पर निकट भविष्य में मुख्यमंत्री स्तर से अभियंता कार्मिकों के हित में फैसला होगा। संगठन के पदाधिकारी ने कहा राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात का या सिलसिला चलता रहेगा। जल्द ही प्रदेश के मुख्यमंत्री जी सहित विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की जाएगी। आज प्रदेश के ऊर्जा मंत्री शहर से बाहर थे जल्द ही उनसे भी समय लिया गया है और मुलाकात होगी। हर स्तर पर आरक्षण का संवैधानिक विरोध जारी रहेगा।
उत्पादन व पारेषण निगम का निजीकरण नहीं: चेयरमैन
संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा उत्पादन व पारेषण निगमों के निजीकरण का मुद्दा उछाले जाने के बाद उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के चेयरमैन डा. आशीष कुमार गोयल ने चिट्ठी के माध्यम से दी है। अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए लिखे गए खुली चिट्ठी में चेयरमैन ने यह स्पष्ट किया है कि उत्पादन व पारेषण निगम का निजीकरण नहीं होने जा रहा है। ये दोनों निगम लाभ में चल रहे हैं।
चेयरमैन लिखा हे साथियों, कुछ व्यक्तियों द्वारा प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र की स्थिति सुधारने के लिए प्रस्तावित रिफार्म पर फैलाई जा रही भ्रांतियों पर ध्यान न दें। प्रबन्धन आपके हितों के लिए प्रतिबद्ध है । उत्पादन और ट्रांसमिशन (पारेषण) में बड़ी धनराशि का निवेश किया जा रहा है और उनका विस्तार किया जा रहा है।उन्होंने लिखा हे साथियों, कुछ व्यक्तियों द्वारा प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र की स्थिति सुधारने के लिए प्रस्तावित रिफार्म पर फैलाई जा रही भ्रांतियों पर ध्यान न दें। प्रबन्धन आपके हितों के लिए प्रतिबद्ध है। उत्पादन और ट्रांसमिशन (पारेषण) में बड़ी धनराशि का निवेश किया जा रहा है और उनका विस्तार किया जा रहा है।उन्होंने लिखा है कि पूर्व में एनटीपीसी को ऊंचाहार और टांडा पावर प्लांट बेचे गए थे, इनका पूरा स्वामित्व एनटीपीसी का है। वर्तमान में लगाए जा रहे नये प्लांट जैसे ओबरा डी, घाटमपुर, मेजा और अनपरा ई में उत्पादन निगम की भी बराबर की हिस्सेदारी है। इसलिए इन संयुक्त उपक्रमों में प्रतिनुिक्ति पर ऊर्जा निगमों के कार्मिकों को अवसर दिए जाने का निर्णय उत्पादन निगम निदेशक मंडल ने लिया है।इसके लिए एनटीपीसी और एनएललसी से अनुरोध किया जा रहा है उत्पादन निगम के तहत नये क्षेत्रों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, पंप स्टोरेज प्लांट बढ़ाए जाने की योजना है। इन क्षेत्रों में भी ऊर्जा निगमों में उपलब्ध मैनपावर को लगाया जाएगा। रिफार्म प्रक्रिया में कोई छंटनी नहीं होगी न ही सेवा शर्तों, वेतन व सेवानिवृत्ति लाभों में कोई कमी होगी। अंत में लिखा है मुझे आशा और पूर्ण विश्वास है कि आप शासन को पूर्ण सहयोग करेंगे।
एक बार फिर जाम से मुक्ति के लिए क्रेन उतारेगा नगर निगम
शहर के ट्राफिक व्यवस्था लगातार बिगडती जा रही है। सड़कों पर होने वाली वाहन पार्किग और बिना पार्किक के प्रतिष्ठानों के कारण जाम शहर में आम हो चुका है। ऐसे में नगर में ट्रैफिक सुधार में यातायात पुलिस के सहयोग में एक बार फिर नगर निगम का क्रेन दौड़ता नजर आएगा। सोमवार को नगर निगम की कार्यकारिणी में जोनवार क्रेन संचालन किए जाने की सहमति बनेगी। इसके अलावा अधूरे पड़े विकास कार्यों को लेकर अफसरों से सवाल-जवाब होंगे, जिसको लेकर कार्यकारिणी की बैठक में गहमा-गहमी का माहौल रहने वाला है। नगर में नो पॉर्किंग जोन में वाहनों को खड़ा कर देने से यातायात व्यवस्था चरमराने पर नगर निगम के क्रेन ट्रैफिक पुलिस की मदद से वहां से हटाएंगे। उसके बाद आगे की कार्रवाई ट्रैफिक पुलिस करेगी। हालांकि साल भर पहले तक नगर निगम की ओर से क्रेन का संचालन होता था। लेकिन, कुछ विवादों और आरोपों के कारण नगर निगम ने इस व्यवस्था से अपने हाथ खींच लिए थे। पिछली सदन और कार्यकारिणी में इसके दोबारा संचालन का प्रस्ताव पास होने के बाद अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई।
सूत्रों के मुताबिक सोमवार की कार्यकारिणी में एक बार फिर क्रेन संचालन के लिए अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव की ओर से प्रस्ताव रखा जाएगा। प्रस्ताव में जोनवार टेंडर जारी किए जाने की बात होगी। सहमति मिलने के बाद टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। प्रस्ताव में नो पार्किंग जोन में खड़े चार पहिया वाहन पर दो हजार रुपये जुर्माना लगाए जाने पर भी सहमति बनेगी। इस जुर्माना में से 30 फीसदी नगर निगम, 20 फीसदी ट्रैफिक पुलिस और 50 फीसदी क्रेन का संचालन करने वाली कार्यदायी संस्था को दिया जाएगा। कार्यकारिणी की सहमति मिलने के बाद जोनवार क्रेन संचालन करने के लिए टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। बहरहाल इसके अलावा शहर में जाम के लिए वीआईपी आवागमन, आयोजन आदि को विशेष रूप से नजर में रखने की जरूरत बताई जा रही है।