-उपभोक्ता परिषद लगातार उठा रहा सवाल
- REPORT BY:PREM SHARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में निजीकरण की शुरुआत होने के बाद एनर्जी टास्क फोर्स ने अलग-अलग अपने निर्णय इस प्रकार से किए हैं कि यदि उसकी ही जांच हो जाए तो बड़ा मामला सामने आएगा। सबसे पहले एनर्जी टास्क फोर्स ने भारत सरकार की 20 सितंबर 2020 में प्रस्तावित स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन के तहत कार्रवाई शुरू की आरएफपी बनाई और ग्रांट थ्रोनटन कंपनी का चयन किया वह भी झूठा शपथ पत्र दाखिल करने में दोषी है। अब आज एनर्जी टास्क फोर्स में एक नया मामला सामने आ गया आज एनर्जी टास्क फोर्स ने पावर कॉरपोरेशन व भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय के साथ गुपचुप तरीके से तैयार कराई गई एक नई प्रस्तावित स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन 9 अप्रैल 2025 पर चर्चा की गई या गाइडलाइन आज तक भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट पर नहीं सामने आई। पावर कॉरपोरेशन भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय की इस गाइडलाइन का खुलासा कर रहा है जो उसका अधिकार ही नहीं है। भारत सरकार की गाइडलाइन तभी विद्यमान्य होगी जब वह मिनिस्ट्री आफ पावर की वेबसाइट पर उपलब्ध हो।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा आज एनर्जी टास्क फोर्स की मीटिंग में अप्रैल 2025 में प्रस्तावित स्टैंडर्ड विडिग गाइडलाइन के आधार पर टेंडर में भाग लेने वाले उद्योगपतियों के पक्ष में कुछ शिथिलता देने पर सहमति बनी सबसे बड़ा सवाल या उठता है कि वर्ष 2020 में ऊर्जा मंत्रालय ने आम जनता की सहमति और उनके सुझाव के लिए जो स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन बनी क्या उसे फाइनल कर लिया। यदि फाइनल नहीं किया तो एक नई स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन 2025 के रूप में पावर कारपोरेशन द्वारा कैसे सामने आ गई। या तो वह गाइडलाइन समाप्त कर नई गाइडलाइन देश और प्रदेश की आम जनता की राय लेने के लिए भारत सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई होती ऐसा कुछ नहीं हुआ पावर कॉरपोरेशन देश की ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी होने वाली इस प्रस्तावित स्टैंडर्ड विडिग गाइडलाइन का खुलासा कर रहा है जो उसके अधिकार क्षेत्र में है ही नहीं। एनर्जी टास्क फोर्स कोई यह बात समझ लेना चाहिए कि जिन 42 जनपदों के निजीकरण की बात चल रही है वहां पर 1959 से बिजली विभाग कार्यरत है और उनकी सेवा कर रहा है। इस प्रकार से जल्दबाजी में किसी उद्योगपति को नहीं सौपा जा सकता है।
प्रबंधन पर हड़ताल और औद्योगिक अशांति का वातावरण बनाने का आरोप
संघर्ष समिति ने पावर कारपोरेशन के प्रबंधन पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बनाने और शांतिपूर्वक आंदोलनरत बिजली कर्मियों पर जबरदस्ती हड़ताल जैसी स्थिति थोपने का आरोप लगाया है। निजीकरण के विरोध में आज लगातार तीसरे दिन पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों का वर्क टू रूल आंदोलन जारी रहा। बिजली कर्मचारियों ने सायं 5ः00 बजे सभी जनपदों और परियोजनाओं पर निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया।संघर्ष समिति ने कहा कि पता चला है कि आज हुई एनर्जी टास्क फोर्स की मीटिंग में निजी घरानों को मदद पहुंचाने की दृष्टि से ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 में कुछ संशोधन किए गए हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 अभी तक पब्लिक डोमेन में नहीं आया है और न ही इस पर केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने सभी स्टेक होल्डर्स की आपत्ति मांगी है। ऐसे में इस ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ना पूर्णतया असंवैधानिक है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और शीर्ष प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि वे निजीकरण के विरोध में शांतिपूर्वक लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन कर रहे बिजली कर्मचारियों पर हड़ताल थोपना चाहती है। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन ने प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को भेजे गए पत्र में शांतिपूर्वक आंदोलन को हड़ताल बताते हुए हड़ताल से निपटने की तैयारी के आदेश दिए हैं। चेयरमैन ने इस पत्र में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पर तमाम अनर्गल आरोप लगाए हैं। संघर्ष समिति का कहना है कि चेयरमैन द्वारा जिला अधिकारियों को भेजे गए इस प्रकार के पत्र और कल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अभियंताओं को धमकी भरे अंदाज में संबोधित किया जाना बहुत ही भड़काऊ है और अनावश्यक तौर पर औद्योगिक अशांति उत्पन्न करने वाला कदम है। संघर्ष समिति ने कहा कि चेयरमैन ने इस पत्र में लिखा है कि वर्ष 2025-26 में 56000 करोड रुपए का घाटा होने वाला है। जबकि पावर कारपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग को सौंप गए ए आर आर में वर्ष 2025-26 में 9206 करोड रुपए के घाटे का उल्लेख किया है। इस प्रकार पावर कारपोरेशन के चेयरमैन समस्त जिला अधिकारियों, पुलिस प्रशासन और प्रदेश को गुमराह कर रहे हैं। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने दृढ़ता पूर्वक कहा कि बिजली कर्मचारी शांतिपूर्वक आंदोलनरत हैं, अपने आंदोलन के दौरान बिजली कर्मी आम उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे, चेयरमैन पॉवर कॉरपोरेशन अनावश्यक उत्तेजना फैलाकर कार्य का वातावरण खराब न करें। बिजली कर्मचारी किसी बहकावे में नहीं आने वाले हैं। बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और यह शांतिपूर्ण आंदोलन कब तक जारी रहेगा जब तक निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया जाता।
चोर दरवाजे बिजलीदरो में बढ़ोतरी के प्रस्ताव की तैयारी
पावर कारपोरेशन नया खेलः निदेशक वाणिज्य ने आयोग से 7 दिन का समय मांगा
प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ए आर आर )वर्ष 2025-26 को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा 9 मई को स्वीकार किए जाने के बाद 3 दिन में समाचार पत्रों में सभी आंकड़ों का विज्ञापन छपवाकर 21 दिन में विद्युत उपभोक्ताओं से आपत्तियां व सुझाव प्राप्त करने का आदेश दिया गया था। लेकिन पावर कारपोरेशन की तरफ से अब निदेशक कमर्शियल द्वारा उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को एक पत्र भेजकर एक सप्ताह का और समय मांगा गया है पावर कारपोरेशन ने कहा है कि कलेक्शन एफिशिएंसी और वितरण हानियां की जो ट्राजैक्ट्री आयोग व आम जनता के बीच ले जाना है अभी वह तैयार नहीं हुआ है। उसके लिए उन्हें कुछ और समय चाहिए वहीं इसकी भनक लगते ही उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात की और कहा पावर कॉरपोरेशन की मनशा ठीक नहीं है। वह चोर दरवाजे बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दाखिल कराना चाहता है और उसके पीछे कहीं-कहीं दोनों बिजली कंपनियों के निजीकरण का मामला है। देश के निजी घराने लगातार दबाव बना रहे हैं कि प्रदेश में 5 साल से बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। इसलिए बिजली दरो में बढ़ोतरी की शुरुआत पावर कॉरपोरेशन इस बार कराए उपभोक्ता परिषद के पास पूरी जानकारी है कि पावर कॉरपोरेशन 12 से 15 प्रतिसत औसत बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दाखिल करने के लिए यह समय ले रहा है।
श्री वर्मा ने कहा यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश में निजी घराने अभी आए भी नहीं और उनकी धमक चालू हो गई है विद्युत नियामक आयोग का आदेश वार्षिक राजस्व आवश्यकता को स्वीकार किए जाने के बाद लागू करने पर अतिरिक्त समय की मांग इसी ओर इशारा कर रही है कि पावर कॉरपोरेशन बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव भी तैयार कर रहा है। वैसे भी पावर कॉरपोरेशन नेपाल 2025- 26 में जो कुल घाटा दिखाया है वह लगभग 9206 करोड़ है लेकिन बिजली कंपनियों को बेचने के लिए जो मसौदा तैयार हो रहा है उसमें बढ़ाकर इसे दिखाया जाता है।उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने विद्युत नियामक से अभी अनुरोध किया है कि बिजली कंपनियों ने चूंकि एआरआर को प्रकाशित करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा है इसलिए प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं को समाचार में विज्ञापन निकालने के बाद कम से कम एक माह का समय दिया जाए। जिससे वह अपनी आपत्तियां व सुझाव व्यापक रूप से तैयार करके आयोग के सामने प्रस्तुत कर सकें।
शहर के चार जोनों में अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई
नगर निगम की मेयर सुषमा खर्कवाल के निर्देश पर नगर आयुक्त गौरव कुमार के आदेशानुसार शहर के चार अलग-अलग जोनों में शुक्रवार को एक साथ अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया। अभियान का उद्देश्य सड़कों, सार्वजनिक स्थलों और फुटपाथों को अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराना रहा। इस कार्यवाही में पुलिस प्रशासन एवं नगर निगम की टीमें सक्रिय रहीं।
नगर निगम जोन-2 के अंतर्गत राजाजीपुरम स्थित रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल से लेकर ए ब्लॉक, जलालपुर फाटक अंडरपास तक अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया गया। पुलिस बल की उपस्थिति में टीम 296 के साथ जोनल अधिकारी सुश्री शिल्पा कुमारी के नेतृत्व में अभियान संपन्न हुआ। कार्रवाई के दौरान 1 लोहे की गुमटी, 1 टूटा ठेला, 1 थेलिया, 1 लोहे का काउंटर जब्त किया गया तथा 1500 रुपये का जुर्माना वसूला गया।
जोन-5 के क्षेत्र में आनंद विहार कॉलोनी, गिंदन खेड़ा, सरोजनी नगर, ईको गार्डन से तुलसी पार्क एवं आलमबाग से अवध चौराहे तक फैले अतिक्रमण को हटाया गया। यहां 2 गुमटी, 7 ठेले हटाए गए एवं 3 लोहे के काउंटर जब्त किए गए। साथ ही अतिक्रमण करने वालों को चेतावनी दी गई कि दोबारा कब्जा करने पर सख्त कार्रवाई होगी। जोन-6 के अंतर्गत चरक चौराहा से नक्खास चौराहा और बुलाकी अड्डा चौराहा से लेकर बड़ा टिकैत राय तालाब तक अतिक्रमण हटाया गया। इस दौरान 15 ठेले, 30 बैनर, 15 अस्थायी दुकानें हटाई गईं। इसके अलावा 1 छोटा ड्रम, 11 टेंट मेज, 1 ठेला, 2 लोहे के काउंटर और 4 प्लास्टिक डस्टबिन भी जब्त किए गए। अतिक्रमण करने वालों को सचेत किया गया तथा भविष्य में अतिक्रमण न हो, इसके लिए संबंधित थानाध्यक्ष को पत्र भी भेजा गया। जोन-8 के अंतर्गत इब्राहिमपुर प्रथम वार्ड के नीलमथा स्थित विजयनगर चौराहे से टेंपो स्टैंड तक अतिक्रमण हटाने का वृहद अभियान चलाया गया।
चला बुलडोजर, 20 करोड़ की जमीन अतिक्रमण मुक्त कराई गई
मण्डलायुक्त लखनऊ मंडल और नगर आयुक्त गौरव कुमार के निर्देश पर सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने के अभियान के तहत शुक्रवार को नगर निगम द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई। यह अभियान नगर निगम के अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव के निर्देशन में चलाया गया, जिसमें जोन-4 के ग्राम बाघामऊ और जोन-7 के ग्राम नौबस्ता कलां (तहसील सदर, जनपद लखनऊ) की सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया। जबकि दूसरी कार्रवाई में बिजनौर क्षेत्र में पॉच करोड़ की सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराया गया।
ग्राम नौबस्ता कलां की जमीन देवा रोड के पास है, जो वाणिज्यिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। यहां लंबे समय से कुछ प्रॉपर्टी डीलरों और बिल्डरों द्वारा सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किया गया था। इस अभियान में प्रभारी अधिकारी (संपत्ति) संजय यादव और तहसीलदार अरविंद पांडे की ओर से गठित टीम ने हिस्सा लिया। टीम का नेतृत्व नायब तहसीलदार नीरज कटियार ने किया।
अभियान के दौरान ग्राम बाघामऊ में गाटा संख्या 178, क्षेत्रफल 0.094 हेक्टेयर तथा ग्राम नौबस्ता कलां में खसरा संख्या 577 (0.455 हे.), गाटा संख्या 596 (0.051 हे.), गाटा संख्या 641 (1.25680 हे.), गाटा संख्या 599 (2.47680 हे.) की जमीन से अतिक्रमण हटाया गया। कुल मिलाकर लगभग 1.5 हेक्टेयर सरकारी भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया, जिसकी बाजारी कीमत 15 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई है।जांच में यह भी सामने आया कि कारोबारी राकेश कुमार, जो कोका-कोला कंपनी के डीलर हैं, द्वारा इस जमीन पर गोदाम बनाया गया था। वहीं, प्रॉपर्टी डीलर देवा प्रसाद सिंह और उनके पुत्र उर्मिल सिंह द्वारा गाटा संख्या 641 व 599 पर अवैध प्लॉटिंग की गई थी और उस पर एक मोटर गैराज भी चलाया जा रहा था। इसके अलावा ग्राम बिजनौर, तहसील सरोजनी नगर में अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया गया। इस अभियान के अंतर्गत नगर निगम और तहसील प्रशासन की संयुक्त टीम ने सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया।इस विशेष अभियान का नेतृत्व अपर नगर आयुक्त श्री पंकज श्रीवास्तव द्वारा गठित टीम ने किया। ग्राम बिजनौर स्थित गाटा संख्या 1919 (0.2530 हेक्टेयर) और गाटा संख्या 1367 (0.052 हेक्टेयर) की भूमि, जो राजस्व अभिलेखों में ऊसर और तालाब के रूप में दर्ज है और नगर निगम की संपत्ति है, पर स्थानीय प्रॉपर्टी डीलरों व कुछ व्यक्तियों द्वारा अवैध प्लाटिंग, पिलर निर्माण, नींव भराई और सीमेन्टेड बाउंड्रीवाल खड़ी कर अतिक्रमण करने का प्रयास किया जा रहा था।जेसीबी मशीन की सहायता से अवैध निर्माण को ध्वस्त किया और भूमि को कब्जे से मुक्त कराया। मौके पर थानाध्यक्ष बिजनौर द्वारा उपलब्ध कराई गई पुलिस बल, पीएसी फोर्स और नगर निगम की ईटीएफ टीम भी मौजूद रही जिससे कार्रवाई शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न हो सकी।उल्लेखनीय है कि गाटा संख्या 1256मि0 व 1351मि0 पर पहले से ही तहसील द्वारा बेदखली का आदेश जारी किया गया था। लेकिन जब टीम मौके पर पहुंची तो अवैध कब्जाधारियों ने विरोध किया। स्थिति को संभालते हुए प्रशासन ने कार्रवाई को आगामी तिथि के लिए स्थगित कर दिया और शांति व्यवस्था बनाए रखी।इस अभियान के अंतर्गत कुल 0.305 हेक्टेयर भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया। विशेषज्ञों के अनुसार, इस भूमि की वर्तमान बाजार कीमत लगभग 5 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह कार्यवाही सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
नालों का निरीक्षण, 30 मई तक सफाई पूर्ण करने के निर्देश
नगर निगम के नगर आयुक्त के निर्देशानुसार प्रतिदिन नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पी.के. श्रीवास्तव वार्डाे का दौरा कर रहे हैं। शुक्रवार को जोन-5 क्षेत्र में स्थित नालों का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित नालों की सफाई व्यवस्था का जायजा लिया और मौके पर मौजूद अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान डॉ. श्रीवास्तव ने पाया कि कुछ स्थानों पर सफाई कार्य जारी है, जबकि कुछ जगहों पर नालों में गंदगी अभी भी जमा है। इस पर उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि सफाई कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि नालों की समयबद्ध सफाई बारिश से पहले अत्यंत आवश्यक है, ताकि जलभराव की समस्या से बचा जा सके।
डॉ. श्रीवास्तव ने विशेष रूप से निर्देश दिया कि जोन-5 में आने वाले सभी प्रमुख और उप नालों की सफाई का कार्य 30 मई तक हर हाल में पूरा कर लिया जाए। इसके लिए प्रत्येक टीम को वार्डवार जिम्मेदारी दी जाए और प्रतिदिन की प्रगति रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सफाई के दौरान निकलने वाले कचरे को तत्काल निस्तारित किया जाए, जिससे दुर्गंध और मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम हो सके।नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि मानसून की तैयारियों के तहत पूरे शहर में नालों की सफाई को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि साफ-सुथरा शहर नागरिकों के सहयोग और नगर निगम की सक्रियता से ही संभव है। नगर निगम लखनऊ द्वारा आगामी दिनों में अन्य जोनों में भी इसी प्रकार निरीक्षण कर नालों की सफाई की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। डॉ. श्रीवास्तव ने नागरिकों से भी अपील की है कि वे नालों में कूड़ा न डालें और सफाई कार्य में नगर निगम का सहयोग करें।