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LUCKNOW:विद्युत् उपभोक्ताओं का 1912 पर फूटा गुस्सा,क्लिक करें और भी खबरें

-उपभोक्ता परिषद के वेबीनार में उपभोक्ताओं ने जमकर नाराजगी जताई

लखनऊ। विद्युत् उपभोक्ता परिषद के वेबीनार में उपभोक्ताओं ने जमकर नाराजगी जताई। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से प्रत्येक शनिवार को आयोजित होने वाले साप्ताहिक वेबीनार में आज प्रदेश के अनेकों जनपदों के जुडे विद्युत उपभोक्ताओं ने यह मुद्दा उठाया कि इस समय रोस्टर के हिसाब से गांव को 18 घंटे बिजली केवल कहने की बात है ज्यादातर जनपदों में 10से 12 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिल पा रही है विनोद कुमार गुप्ता नोएडा से शामिल होकर कहा ब्रेकडाउन के चलते 12 घंटे बिजली मिल रही है। बेवीनार में राजपाल सिंह हाथरस से जुडकर कहा कि केवल 12 घंटे बिजली मिल रही है शैलेंद्र सिंह आगरा से जुडकर कहा कि 13 घंटे बिजली मिल रही है हरेंद्र कुमार फिरोजाबाद से जुडकर बताया कि केवल 10 घंटे बिजली मिल रही हैं। अनुराग माही प्रतापगढ से जुडकर कहा यही हाल उनके जनपद का भी है 10 से 12 घंटे बिजली मिल रही है। जय हिंद ने कहा यही हाल अनेकों जनपदों का है। वेबीनार में जुडे विद्युत उपभोक्ताओं ने 1912 पर करारा हमला बोलते हुए कहा पहले तो 1912 पर कॉल नहीं लगती और लग जाती है। थोडा देर बाद ही फर्जी निस्तारण का मैसेज आ जाता है जिससे पूरे प्रदेश में उपभोक्ताओं में काफी गुस्सा है। बिजली कंपनियों व पावर कारपोरेशन को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि इसे सही नहीं कर सकते तो इसे बंद कर देना चाहिए। क्षेत्र में अवर अभियंता उपखंड अधिकारी अधिशासी अभियंता का अनेकों जनपदों में फोन मिलाते रहो फोन लगता नहीं।
वेबीनार में जुडे किसानों ने कुछ कागज उपभोक्ता परिषद को भेजते हुए कहा कि फिरोजाबाद हाथरस आगरा व अन्य जनपदों में किसानों पर काल्पनिक बकाया डाल दिया गया है। जिसकी वजह से उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है। क्षेत्रीय अभियंता कहते हैं कि वह उनके अधिकार में नहीं है। काल्पनिक बकाया को आईटी विंग ठीक करेगा। कुल मिलकर हजारों की संख्या में किसान काल्पनिक बकाया की वजह से रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे हैं। बिजली विभाग के अधिकारी एक दूसरे को पत्राचार कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा सभी विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याओं को पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन व बिजली कंपनियों के सामने उठाया जाएगा। जरूरत पडने पर पूरे मामले को विद्युत नियामक आयोग में भी उपभोक्ता परिषद एक प्रस्ताव के माध्यम से दाखिल करेगा। वर्तमान में बिजली कंपनियों में ओवरलोड ब्रेकडाउन के चलते बिजली व्यवस्था पटरी से उतर गई है, अनेको जनपदों से जुडे विद्युत उपभोक्ताओं ने इस बात पर भी गहरी नाराजगी जताई कहा बडे पैमाने पर बिजली कंपनियों मे स्थानांतरण किए गए हैं उनके क्षेत्र में जो अभियंता नई तैनाती पर आए हैं उन्हें क्षेत्र की स्थिति का पूरी तरह से भौगोलिक ज्ञान नहीं हैं। जिसकी वजह से ब्रेकडाउन को अटेंड करने में उन्हें काफी मशक्कत का सामना करना पड रहा है। विद्युत उपभोक्ताओं ने कहा इसके लिए पूरी तरह बिजली कंपनियों व पावर कारपोरेशन का प्रबंधन जिम्मेदार है।

केन्द्र सरकार आरक्षण को नवी सूची में डालने पर करें विचार: समिति

आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक मंडल की कोर कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण में आरक्षण दिए जाने के फैसले पर गहन चिंतन मनन किया गया और कहा सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में सब कैटिगरी को भी आरक्षण का आदेश दिया गया। यह भी कहा गया कि राज्य अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण में आंकडों के आधार पर सब क्लासिफिकेशन यानी वर्गीकरण कर सकता है। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2004 में एक अपने फैसले में कहा था कि अनुसूचित जाति की सब कैटिगरी नहीं बनाई जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने तब यह भी कहा था कि राज्यों के पास यह करने का अधिकार नहीं है क्योंकि अनुसूचित जाति की सूची राष्ट्रपति की ओर से बनाई जाती है। इसी आधार पर 1975 में पंजाब सरकार ने अनुसूचित जाति की नौकरी और कॉलेज के आरक्षण में 25 प्रतिशत वाल्मीकि और मजहबी सिख जातियों के लिए जो आरक्षण निर्धारित किया था। हाई कोर्ट ने 2006 में खारिज कर दिया था वहीं इंदिरा साहनी के केस में भी सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यों वाली बेंच ने क्रीमी लेयर पर अपना मत स्पष्ट कर दिया था। कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने ही अलग-अलग फैसलों में जो निर्णय समय-समय पर दिए गए उसको देखते हुए आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति मोदी सरकार से मांग करती है कि वह सभी मामले को एकरूपता में सुप्रीम कोर्ट के सामने पुनर्विचार याचिका लगाकर उस पर  पुनः विचार करे।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति सरकार से अभी मांग करती है कि वह संसद में इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा करते हुए जरूरत पडने पर संविधान में पुनः संशोधन कर आरक्षण को नवी सूची में डालने पर भी विचार करें। संघर्ष समिति के नेताओं ने पदोन्नति में 117 वां संविधान संशोधन बिल को भी मोदी सरकार से पास करने की उठाई मांग कहां सभी राजनीतिक पार्टियों में दलित सांसदों की इस मुद्दे पर छुट्टी भी गंभीर है। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के प्रमुख संयोजक अवधेश कुमार वर्मा, संयोजक  राम शब्द जैसवारा, के बी राम, पीएम प्रभाकर ने कहा केंद्र की मोदी सरकार को इस निर्णय पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए  की एम नागराज के मामले में  सुप्रीम कोर्ट ने  कहा था कि राज्य सरकार दक्षता प्रतिनिधित्व व पिछड़ा पन का एक कमेटी बनाकर आकलन कर पदोन्नतियों में आरक्षण दे सकती हैं लेकिन आज तक उत्तर प्रदेश में नहीं दिया गया जो चिंता का विषय है इसलिए आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति अभिलंब इस गंभीर मुद्दे पर संसद में चर्चा की मांग करता है और जरूरत पडने पर कानून में बदलाव करते हुए आरक्षण को संविधान की नवी सूची में डालने कि भी मांग करता है।

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REPORT BY:PREM SHARMA

EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS

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