-घाटा एक लाख दस हजार करोड़, उपभोक्ता पर बकाया एक लाख पन्द्रह हजार करोड़ से ज्यादा
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REPORT BY: PREM SHARMA || AAJNATIONAL NEWS DEASK
लखनऊ। लगातार घाटा घाटा कह कर बिजली कम्पनियों को पूंजीपतियों के हवाले करने का ढ़िढोरे की पोल उपभोक्ता परिषद ने खोल है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा के अनुसार पावर कारपोरेशन का कुल घाटा 1 लाख 10000 करोड के सापेक्षं उपभोक्ताओं से वर्ष 2023- 24 तक बिजली बिल के रूप में 1 लाख 15825 करोड वसूली हेतु बकाया है। अगर बकाया वसूल ले तो 5825 करोड के फायदे में हो जएगा फिर निजीकरण की जरूरत ही नहीं।
पावर कारपोरेशन का कहना है कि प्रदेश की बिजली कंपनियां लगभग 1 लाख 10000 करोड के घाटे में है। दूसरी और पावर कॉरपोरेशन यह भी मान रहा है कि प्रदेश के ऐसे विद्युत उपभोक्ता जिन पर बिजली बिल का भुगतान लेना है वह लगभग 1 लाख 15825 करोड के करीब है। यानी कि यदि पावर कॉरपोरेशन वह इस बिल की वसूली कर ले तो घाटे का रोना नहीं रोना पडेगा और ना ही पावर कारपोरेशन को ट्रिपल पी जैसे मॉडल की तलाश करना पडेगा। इसलिए पावर कारपोरेशन के पास अभी भी समय है वह विद्युत उपभोक्ताओं से भुगतान ले और उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता की सेवा दें, निजीकरण की जरूरत ही नहीं है।उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा पावर कॉरपोरेशन बिना मतलब के निजीकरण की राग अलाप कर पूरे प्रदेश में औद्योगिक अशांति पैदा कर रहा है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा अभी भी पावर कॉरपोरेशन व उत्तर प्रदेश सरकार के पास पर्याप्त समय है वह बिजली निगमो में कहां से पैसे की वसूली हो सकती है कहां से नों टेरिफ इनकम की जा सकती है उसे पर ध्यान देते हुए बिजली निगम को आत्मनिर्भर बना सकता है। उपभोक्ता परिषद लगातार इसके लिए लडाई लड रहा ह।ै लेकिन बिजली कंपनियां इस पर ध्यान देगी तभी बिजली कंपनियां आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढेगी।
निजीकरण 68 पदो की समाप्ति लगभग तय: संघर्ष समिति
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने निजीकरण को लेकर पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया है। संघर्ष समिति ने कर्मचारियों की सेवा शर्तों को लेकर भी पावर कारपोरेशन पर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए आंकड़े देकर बताया कि वाराणसी और आगरा विद्युत वितरण कम्पनियों के निजीकरण से कर्मचारियों के लगभग 68000 पद समाप्त हो जायेंगे और इन कर्मचारियों की छटनी होगी। संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, शशिकांत श्रीवास्तव, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह ने कहा कि अरबों-खरबों रूपये की विद्युत वितरण कम्पनियों की परिसम्पत्तियाँ कौड़ियों के मोल बेची जा रही हैं और पावर कारपोरेशन कह रहा है कि निजीकरण नहीं हो रहा है, मात्र निजी क्षेत्र की भागेदारी हो रही है।
उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन कह रहे हैं कि निजीकरण नहीं होगा, निजी भागेदारी होगी जिसमें 51 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी कम्पनी की होगी। निजी कम्पनी का प्रबन्ध निदेशक होगा और चेयरमैन सरकार का कोई अधिकारी होगा। संघर्ष समिति ने सवाल किया कि नोएडा पावर कम्पनी, दिल्ली और उड़ीसा की सभी विद्युत वितरण कम्पनियों में भी निजी क्षेत्र की 51 प्रतिशत और सरकार की 49 प्रतिशत भागेदारी है। नोएडा पावर कम्पनी में भी प्रबन्धन निदेशक निजी कम्पनी का है और चेयरमैन सरकार का अधिकारी होता है। पावर कारपोरेशन प्रबन्धन यह बताये कि नोएडा पावर कम्पनी निजी कम्पनी नहीं है तो और क्या है? संघर्ष समिति ने कहा कि ऐसा लगता है कि पावर कारपोरेशन प्रबन्धन उन निजी घरानों के प्रवक्ता की तरह काम कर रहा है जिन्हें पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण कम्पनियाँ सौंपने की बात है। कर्मिकों की सेवा शर्तों के बारे में गुमराह करने का आरोप लगाते हुए संघर्ष समिति ने बताया कि वाराणसी विद्युत वितरण निगम में 17330 और आगरा विद्युत वितरण निगम में 10411 नियमित कर्मचारी एवं उक्त दोनों निगमों में 50000 संविदा कर्मी कार्य कर रहे हैं। नियमित कर्मचारी निजी कम्पनी की नौकरी में जाना स्वाकार नहीं करेंगे और संविदा कर्मियों को निजी कम्पनी लेगी नहीं तो इन 68000 कर्मचारियों के सामने नौकरी जाने का संकट है कि नहीं ? पावर कारपोरेशन प्रबन्धन का यह कहना है कि कर्मचारियों की पदोन्नति प्रभावित नहीं होगी यह कहना सरासर झूठ है। संघर्ष समिति ने बताया कि दोनों वितरण निगमों में 07 मुख्य अभियन्ता स्तर-1, 33 मुख्य अभियन्ता स्तर-2, 144 अधीक्षण अभियन्ता, 507 अधिशासी अभियन्ता, 1523 सहायक अभियन्ता और 3677 अवर अभियन्ता एवं लगभग 12000 नियमित कर्मचारी और 50000 संविदा कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि जब निजीकरण के बाद मुख्य अभियन्ता से अवर अभियन्ता एवं विभिन्न स्तर के कर्मचारी एवं संविदा कर्मियों के इतने पद समाप्त हो जायेंगे तो पदावनति और छटनी के अलावा क्या रास्ता रह जायेगा।संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकर नहीं करेंगे।
निजीकरण के खिलाफ दलित व पिछड़े वर्ग सदस्यों को एसोसिएशन का रेड अलर्ट
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन की आज कोर कमेटी की फिर एक आपात बैठक संपन्न हुई जिसमें प्रदेश के सभी पदाधिकारी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा करने के बाद सभी को निर्देश जारी किए गए हैं कि सभी पदाधिकारी व सदस्य आर पार की लडाई लडने के लिए तैयार रहे। किसी भी हालत में निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा। निजीकरण के फल स्वरुप निजी घराने जहां दलित वर्ग पिछडे वर्ग आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को जो भी आरक्षण प्राप्त हो रहा है उनको छीन लेगी। यानि की संविधान में प्रदत्त आरक्षण पर तत्काल कुठाराघात शुरू हो जाएगा। ऐसे में आरक्षण पर कुठाराघात को रोकने के लिए करो मरो की तर्ज पर लडाई लडने के लिए तैयार रहना पडेगा। पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने अपने सदस्यों और पदाधिकारी को लिए रेड अलर्ट जारी करते हुए कहा किसी भी समय पर तत्काल संवैधानिक लडाई के लिए मैदान में कूद पड़ना है।
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपीकेन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद ,सुशील कुमार वर्मा, अजय कुमार ने कहा आरक्षण हमारा संवैधानिक अधिकार है उसके साथ कोई भी खिलवाड नहीं होने दिया जाएगा। पूरे प्रदेश में जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करने के लिए भी सभी पदाधिकारी को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि वह उत्तर प्रदेश की कुल लगभग 403 विधानसभा में अपने जनप्रतिनिधियों को मिलकर उन्हें या अवगत करा दे कि उनके संवैधानिक अधिकार आरक्षण पर कुठाराघात होने वाला है इसलिए वह उनके साथ खडे हो। आज दलित व पिछला वर्ग के कार्मिक संकट में ह। यदि जनप्रतिनिधि उनके साथ नहीं देंगे तो या माना जाएगा कि उन्हें बाबा साहब द्वारा बनाई गई संवैधानिक व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं हैं।
विद्युत निगमों के निजीकरण के विरूद्ध सत्याग्रह
विद्युत निगमों के निजीकरण का मामला अब तूल पकड़ चुका है। मीडिया प्रभारी विमल चन्द्र पांडेय ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत निगम वाराणसी एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम आगरा के बिनिवेश और नीजी कम्पनियों के साथ संयुक्त उद्यम बनाए जाने के परिणामस्वरूप निगमों मे कार्यरत संविदा कर्मियों की रोज़ी पर उत्पन्न ख़तरे को देखते हुए विद्युत संविदा मज़दूर संगठन उप्र द्वारा संयुक्त उद्यम बनाए जाने की कारवाई को रोकने की माँग को प्रमुखता से उठाते हुए 3 दिसम्बर 2024 को प्रदेश के हर ज़िले में सत्याग्रह किए जाने की नोटिस ऊर्जा निगमों के चेयरमैन डा आशीष गोयल आईएएस को दी गई है।
संगठन के संरक्षक एवं वरिष्ठ मज़दूर नेता आर एस राय ने बताया कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन से हुई वार्ता में संगठन द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है कि कार्यरत संविदा कर्मियों के वेतन में बढ़ोतरी और सेवा मे निरन्तरता की गारंटी के बग़ैर निगमों के स्वरूप में किसी भी प्रकार के परिवर्तन मे संगठन के सहयोग की अपेक्षा संभव नहीं है।संगठन के प्रान्तीय प्रभारी पुनीत राय ने बताया कि संगठन द्वारा संविदा में कार्यरत श्रमिकों को न्यूनतम 22000 एवं लाइनमैन और कम्प्यूटर आपरेटर को घ्25000 वेतन दिए जाने और सेवा अवधि की उप्र 58 वर्ष किए जाने सहित सात लम्बित मांगों का जल्द निपटारा किए जाने की मांग की गई है। विद्युत मज़दूर संगठन के प्रान्तीय अध्यक्ष विमल चन्द्र पांडेय ने बताया कि संविदा कर्मियों के हितों के लिए किए जाने वाले सत्याग्रह का समर्थन दिए जाने हेतु उन्होंने संगठन से जुड़े सदस्यों को निर्देश जारी कर दिया है।
बिजली का निजीकरण कल्याणकारी राज्य के विरुद्ध: एआईपीएफ
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का फैसला कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के खिलाफ है और आने वाले समय में इससे किसानों, मजदूरों, छोटे-मझोले व्यापारियों और आम नागरिकों को बेहद महंगी बिजली खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसलिए जन विरोधी इस फैसले को सरकार तत्काल वापस ले। यह मांग आज ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की प्रदेश कमेटी की तरफ से प्रेस को जारी बयान में उठाई गई।
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश संगठन महासचिव दिनकर कपूर ने कहा कि आजादी के बाद ग्रहण किए गए संविधान में राज्य की भूमिका कल्याणकारी राज्य के रूप में की गई थी। जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सड़क, बिजली, पानी जैसे बुनियादी क्षेत्र आम नागरिकों को उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी थी। अब सरकार इससे पीछे हट रही है। बिजली जैसे क्षेत्र को निजी क्षेत्र में सौंपना महंगाई की मार से पहले से ही पीड़ित आम जनता पर कहर ढ़ाहना है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कहना कि निजीकरण के कारण कर्मचारी हित प्रभावित नहीं होंगे पूर्णतया गलत है। साफ है कि निजीकरण के बाद बड़े पैमाने पर इंजीनियर से लेकर कर्मचारियों की छटंनी होगी और इस बात को जानते हुए ही सरकार ने वीआरएस जैसी बात की है। सबसे बड़ी मार तो इन वितरण निगमों में कार्यरत ठेका मजदूरों पर गिरेगी जिन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा और उनकी कोई भी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाएगी।
दो निगम तोड़कर पॉच बिजली कम्पनियॉ बनाई जाएगी
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को तोड़कर पांच नई कंपनियां बनाने पर सहमति जताई है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को तोड़कर तीन नई कंपनियां और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को तोड़कर दो नई कंपनियां बनाई जाएंगी। इन नई कंपनियों में प्रत्येक के पास करीब 30-35 लाख उपभोक्ता होंगे। ऐसा होने पर किसी एक निजी घराने (कंपनी) के एकाधिकार की आशंका समाप्त हो जाएगी।
पावर कारपोरेशन मुख्यालय शक्तिभवन में कारपोरेशन के चेयरमैन डा. आशीष कुमार गोयल की अध्यक्षता में उच्च प्रबंधन की दिन भर चली बैठक में उपरोक्त बातों पर सहमति बनी। सबसे कहा कि निजी क्षेत्र से साझेदारी के लिए पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को पांच हिस्सों में बांटना निजी क्षेत्र से साझेदारी के लिए पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को पांच हिस्सों में बाटना ही श्रेयस्कर रहेगा। पावर कारपोरेशन की तरफ से कहा गया है कि पांच कंपनियां बन जाने पर कई निजी निवेशक आगे आएंगे और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का माहौल बनेगा। नई कंपनियों की सीमाएं इनके मंडलों और जिलों में इस प्रकार व्यवस्थित की जाएंगी कि इनके प्रशासनिक नियंत्रण में सुविधा हो। प्रत्येक कंपनी में बड़े नगर के साथ ही नगरीय व ग्रामीण क्षेत्र रहेंगे। सूत्र बताते हैं कि संभव है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में वाराणसी, गोरखपुर और प्रयागराज को केंद्र में रखते हुए तीन कंपनी बनाई जाएं। इसी प्रकार दक्षिणांचल में आगरा और झांसी को केंद्र में रखते हुए दो कंपनियां बनाई जाएं। सेवा शर्तें, वेतन आदि के बारे में स्पष्ट प्राविधान रहेगा। बैठक में तय किया गया कि रिफार्म के संबंध में होने वाले एग्रीमेंट में अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवा शर्ते, वेतन, प्रोन्नति, टाईम स्केल आदि के बारे में स्पष्ट प्राविधान रहे कार्मिकों के हितों का नुकसान न हों और उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधाएं दी जाएं। चर्चा में यह भी बात आई कि कुछ लोगों द्वारा यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि नई कंपनियों के सृजन के बाद इनमें कार्यरत अधिकारी व कर्मचारी पावर कारपोरेशन में वापस आ जाते हैं तो उनकी पदोन्नतियां बाधित हो जाएंगी। स्पष्ट किया गया है कि रिफार्म के बाद जितने भी अधिकारी व कर्मचारी पावर कारपोरेशन में रहेंगे उनकी पदोन्नति के पद इसी अनुपात में बने रहेंगे। किसी भी स्तर पर पदोन्नति में अवसरों की कमी नहीं होगी। दावा ििकया जा रहा है कि अधिकारियों/कर्मचारियों का हित सुरक्षित रहेगा। सेवा शर्तें, सेवानिवृत्ति लाभ आदि में कोई कमी नहीं की जाएगी। अधिकारी कर्मचारियों को तीन विकल्प दिए जाएंगे (एक) उसी स्थान पर बने रहें। (दो) किसी अन्य कंपनी में चले जाएं (तीन) आकर्षक स्वैच्छित सेवानिवृत्ति का लाभ ले लें। इसी तरह के अन्य दावे किए गए है।
अब दो दिसम्बर को होगी नगर निगम सदन की बैठक
नगर निगम के सामान्य सदन की एक दिसंबर को प्रस्तावित बैठक स्थगित कर दी गई है। अब दो दिसंबर को कार्यकारिणी की बैठक होगी। यह निर्णय दिल्ली में संसद के शीतकालीन सत्र के चलते लिया गया है।कार्यकारिणी की बैठक में नगर के 33 वार्डों में सफाई व्यवस्था, विकास कार्यों और कई सड़कों पर चर्चा की जाएगी। नगर निकाय के सदनों की बैठक को लेकर बनाए गए नियमों के अनुसार किसी भी उच्च सदन के स्थगन के तीन दिन बाद ही नगर निगम या नगर पालिका के सदन की बैठक बुलाई जा सकती है। मौजूदा समय में दिल्ली में संसद सत्र चल रहा है। मेयर की ओर से एक दिसंबर को सामान्य सदन की बैठक बुला ली गई थी। इस संबंध में नगर निगम में संसदीय कार्य से जुड़े अधिकारियों ने मेयर को नियमों को लेकर जानकारी दी। उसके बाद मेयर ने सामान्य सदन की बैठक स्थगित करते हुए को कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है।
आईआईएम कोलकाता सहित कई टीम ने देखा स्मार्ट सिटी परियोजना का प्रस्तुतीकरण
आईआईएम, कोलकाता, उदयपुर, फैकेल्टी ऑफ मैनेजमेन्ट स्टडीज, मास्टर यूनियन स्कूल ऑफ बिजनेस, आई.एम.टी. गाजियाबाद, एवं अन्य तकनीकी संस्थानों द्वारा लखनऊ स्मार्ट सिटी भवन में विजिट किया गया। जिसमें नगर आयुक्त,मुख्य कार्यकारी अधिकारी, लखनऊ नगर निगम,लखनऊ स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा केन्द्रपुरोनिधानित स्मार्ट सिटी मिशन की महत्वपूर्ण परियोजनाओं का विस्तृत विवरण कर प्रस्तुतीकरण किया गया।नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह ने बताया कि प्रस्तुतिकरण में नगर में बेहतर व सुगम यातायात व्यवस्था के दृष्टिगत स्थापित किये गए इन्टीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम के सम्बन्ध में व सर्विलांस कैमरों सहित आईसीसीसी कमाण्ड सेन्टर द्वारा किस प्रकार नगर की ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन व्यवस्था की मॉनिटरिंग के सम्बन्ध में छात्र-छात्राओं को प्रस्तुतीकरण किया गया। इसके अतिरिक्त निभर्याष्फण्ड द्वारा वित्तपोषित सेफ सिटी परियोजना जोकि महिलाओं एवं बाल सुरक्षा के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। नगर आयुक्त द्वारा शहर में किस प्रकार कैमरों द्वारा निरन्तर इन्टीग्रेटेड स्मार्ट कमाण्ड कन्ट्रोल सेन्टर से निगरानी की जा रही व डायल 112, अन्य आपदा सम्बन्धी दूरभाष नम्बरों से व क्राइम को किस प्रकार इस योजना से जोड़ा गया कीं जानकारी प्रदान की गई। प्रस्तुतीकरण उपरान्त छात्र-छात्राओं द्वारा लखनऊ स्मार्ट सिटी एवं नगर निगम द्वारा किये गये कार्यों में नवीन तकनीकियों, ए.आई. बेस्ड टैक्नोलॉजी एवं ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन सहित अन्य नावाचार प्रयोगों एवं उपलब्धियों के सम्बन्ध में जिज्ञासा व्यक्त की गई, जिस पर नगर आयुक्त द्वारा आवश्यक जानकारियां प्रदान की गई। तदोपरान्त छात्र-छात्राओं द्वारा भौतिक रूप से कमाण्ड सेन्टरों पर जा कर विभिन्न परियोजनाओं की कार्यप्रणाली से अवगत होते हुए स्मार्ट सिटी द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की गई। मौके पर महाप्रबन्धक परियोजना, लखनऊ स्मार्ट सिटी, टीम लीडर पीएमसी, व फर्मों के प्रतिनिथि उपस्थित रहे।
कैंप लगाकर तीन लाख गृहकर और अतिक्रमण के खिलाफ
जोनल अधिकारी जोन 2 शिल्पा कुमारी के नेतृत्व में वार्ड नेता जी सुभाष चंद्र बोस याहिया गंज अंतर्गत मोहल्ला आग़ा मीर ड्योढ़ी पर गृह कर वसूली का कैम्प लगाया गया।इस कैम्प में रुपया 301802 (तीन लाख एक हजार आठ सौ दो ) मात्र का सामान्य कर जमा कराया गया.।
नगर आयुक्त के निर्देशों के क्रम में जोनल अधिकारी सुश्री शिल्पा कुमारी के के नेतृत्व में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला । जोन-2 के अंतर्गत वार्ड ऐशबाग और वार्ड राजाबाजार में अस्थाई अवैध अतिक्रमण हटवाने की कार्यवाही की गई। वार्ड ऐशबाग में रामलीला मैदान से नादान महल रोड होते हुए वाटर वर्क्स रोड तक और वार्ड राजाबाजार में स्थित मे चरक चौराहे से मेडिकल कॉलेज, ट्रामा सेंटर होते हुए कन्वेंशन सेंटर तक दोनों पटरी तक किये गये अस्थाई अवैध अतिक्रमण हटवाने की गई कार्यवाही में 02 ठेला, 01 कुर्सी, 01 मेज जब्त किया गया। 1000 जुर्माना किया गया।
महापौर ने किया ज़ोन 02 कार्यालय व जलकल विभाग का निरीक्षण
महापौर सुषमा खर्कवाल के द्वारा ज़ोन 02 कार्यालय एवं जलकल विभाग का औचक निरीक्षण किया गया।कल नगर निगम मुख्यालय का औचक रूप से निरीक्षण कर कर्मचारियों व बाबुओं की बड़ी संख्या में अनुपस्थिति पाए जाने के पश्चात महापौर द्वारा आज पुनः जलकल विभाग और ज़ोन 02 कार्यालय का औचक निरीक्षण किया गया।ज़ोन 02 के ज़ोनल कार्यालय में एवं जलकल विभाग के निरीक्षण में मुख्य रूप से अधिकारी, बाबुओं और कर्मचारियों की हाजिरी का जायजा लिया गया। समय से न आने पर, कार्यालय आने के बाद अपनी हाज़िरी लगाने में हिला हवाली करने इत्यादि मामलों को लेकर रवैया सुधारने और जिम्मेदारियों का सही ढंग से निर्वहन किये जाने जैसे आवशयक निर्देश महापौर द्वारा दिये गए। डिस्पैच रजिस्टर चेक किये गए। महापौर के द्वारा शिकायत कर्ताओं को फोन कर फीड बैक लेकर संतुष्टि की गई कि शिकायत कर्ताओं की समस्याओं व शिकायतों का निस्तारण ससमय हो रहा है या नही। निरीक्षण के दौरान स्थितियां संतोषजनक पाई गईं।