बस्ती लोकसभा क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का सातवां सबसे बड़ा जिला है। दलित, ब्राह्मण, क्षत्रिय, कुर्मी और मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता निर्णायक माने जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक क्षेत्र में करीब 5.98 लाख सवर्ण, 6.20 लाख ओबीसी, 4.30 लाख अनुसूचित जाति और 1.83 लाख मुस्लिम हैं। 2019 में कुल मतदाता 18,31,666 रहे इनमें 990184 पुरुष, 841345 महिला और 137 थर्ड जे के मतदाता थे। 2011 की जनगणना के मुताबिक बस्ती की आबादी 24,64,464 है।
बस्ती लोकसभा 61 के भावी प्रत्याशी
1. हरीश द्विवेदी, बीजेपी प्रत्याशी
2. राम प्रसाद चौधरी, सपा प्रत्याशी
3. लवकुश पटेल, बसपा प्रत्याशी
बस्ती लोकसभा सीट से 9 प्रत्याशी मैदान में हैं, सभी प्रत्याशी पुरुष हैं।
कुल मतदाता, 1902898
पुरुष मतदाता, 1011878
महिला मतदाता, 890923
जातीय समीकरण
ब्राह्मण 3.5 लाख
चौधरी 3.5 लाख
दलित 1.75 लाख
मुस्लिम 1.75 लाख
यादव 1.10 लाख
ठाकुर 1 लाख
अतिपिछड़ा 6.3 लाख
अन्य 12898
टोटल पोलिंग सेंटर 2151
संवेदनशील बूथ 182
अतिसंवेदनशील बूथ 254
सुरक्षा व्यवस्था
1090 इंस्पेक्टर और एसआई, 14164 हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल,सशस्त्र बल 10406 अन आर्म्ड 3758
जिले के अहम मुख्य मुद्दे
वाल्टरगंज और बस्ती सुगर मिल जो पिछले एक दशक से बंद पड़ी है, किसानों और मिल कर्मियों का करोड़ो रुपया बकाया है, काफी समय तक मिल को चालू करने के लिए धरना प्रदर्शन चला, लेकिन आज तक सुगर मिल नहीं चल सकी, मिल बंद होने से गन्ना किसानों का बहुत बड़ा नुकसान हुआ जिसकी वजह से यहां से हजारों किसानों ने गन्ने की फसल बोना कम कर दिया है।
शहर की प्रमुख सड़क बदहाल है, रेलवे स्टेशन रोड और मालवीय रोड सालों से नहीं बनी है, जगह जगह गड्ढे हैं लोगों का सड़क पर चलना दूभर है, कई बार ऑटो रिक्शा पलटने से कई राहगीरों को चोट भी लग चुकी है, काफी समय से दोनों सड़कों को बनाने की पब्लिक मांग कर रही है।
औद्योगिक क्षेत्र प्लास्टिक कॉम्प्लेक्स बदहाली का शिकार है, मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, अगर मूलभूत सुविधाओं की कमी को दूर किया जाए तो कई नए उद्योग लग सकते हैं, बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल सकता है।
जिले का महत्वपूर्ण परिचय-आप को बता दे बस्ती जनपद की पहचान वशिष्ठ ऋषि से जानी जाती है. जनपद में भगवान राम से जुड़ी बहुत से स्थल होने के कारण इस जनपद का अपना एक अलग महत्व जाना है। बस्ती जिले के पावन भूमि पर राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठ यज्ञ किया था और वशिष्ठ आश्रम और श्रृंगीऋषि का आश्रम आज भी कायम है मखौड़ा धाम से ही 84 कोसी परिक्रमा की शुरुआत होती है। यह परिक्रमा पहली बार राजा दशरथ व ऋषि मुनियों ने शुरू किया था, बस्ती संसदीय सीट 1951 से अस्तित्व में आई थी। अब तक 14 सांसद इस सीट पर निर्वाचित हो चुके हैं, वहीं पहली बार राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से सांसद उदय शंकर दूबे प्रथम निर्वाचित हुये थे। उसके बाद इस सीट पर वर्ष 1984 तक लगातार कांग्रेस पार्टी का कब्जा रहा और 1977 में शेरो नारायण जनता दल से सांसद चुने गए। 1980 में फिर कांग्रेस के कल्पनाथ सोनकर सांसद चुने गए और 1984 में राम अवध प्रसाद कांग्रेस से सांसद चुने गए 1989 में पुनः कल्पनाथ सोनकर जनता दल से सांसद दूसरी बार निर्वाचित हुये थे। सन् 1991 में भाजपा के टिकट पर श्याम लाल कमल के बाद 1991 से 1999 तक श्री राम चौहान लगातार भाजपा के टिकट पर सांसद होते रहे। वर्ष 2004 में लालमणि प्रसाद बसपा के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए उसके बाद में 2009 में अरविन्द कुमार चौधरी बसपा से सांसद रहे, वहीं वर्ष 2014 से अब तक भाजपा के टिकट पर हरीश द्विवेदी दूसरी बार सांसद हैं। जबकि बस्ती लोकसभा सीट पर 56.56 प्रतिशत मतदाता साक्षर है। जनपद में इस बार कुल 2151 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं।
वर्ष 2019 में भाजपा के हरीश द्विवेदी को 4,71,162 मत मिले थे और बसपा के राम प्रसाद चौधरी को 4,40,808 मत मिले थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी राज किशोर सिंह को 86920 मत मिले थे, इस तरह से हरीश द्विवेदी को 45-12% मत मिले थे और राम प्रसाद चौधरी को 42-21% मत प्राप्त हुए जबकि वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा के हरीश द्विवेदी को 357680 मत मिले थे। जबकि पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह के भाई सपा प्रत्याशी बृज किशोर सिंह को 3,24118 मत मिले थे, जबकि बसपा प्रत्याशी राम प्रसाद चौधरी को 2,83,747 मत मिले थे, वहीं कांग्रेस से पूर्व विधायक अंबिका सिंह को 27637 मत ही प्राप्त हुए थे, बस्ती लोकसभा सीट का जातीय समीकरण पर नजर डाला जाए तो करीब 19 लाख मतदाताओं में चार लाख से अधिक दलित मतदाता है, जबकि पिछड़ी जाति के मतदाता करीब 7 लाख से अधिक है, जबकि सामान्य जाति के मतदाता की संख्या करीब साढे चार लाख है, जबकि अन्य मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख के आस-पास है, हालाकि बस्ती जिले में पांच विधान सभा आती हैं, जिसमें हरैया, कप्तानगंज, महादेवा, बस्ती सदर, रूधौली समेत कुल पांच विधान सभा आते हैं, जिसमें चार विधानसभाओं में समाजवादी पार्टी के विधायकों का कब्जा है और एक विधानसभा में केवल भाजपा का विधायक है।
रिपोर्ट अमृतलाल