- REPORT BY:A.K.SINGH
- EDITED BY:AAJNATIONAL NEW
लखनऊ।जानवरों के विवाद में एक देवर ने अपने बड़े भाई और भाभी के साथ मार-पीट की जिससे उन लोगों के शरीर पर काफी चोटें आई हैं। सुमन पत्नी पृथ्वी पाल ग्राम सभा रामचौरा थाना बंथरा ने थाने पर मुकदमा दर्ज कराया है कि बीती 12 अगस्त की रात लगभग 9 बजे मैं अपने पति पृथ्वी पाल के साथ गांव में स्थित खेत में जानवर भगाने के लिए गई थी। तभी मेरे खेत में मेरे देवर सज्जन लाल पुत्र छेदीलाल की गाय व बकरी आ गई। जिसकी शिकायत मैंने अपने देवर सज्जन लाल से की तो मुझे गाली गलौज करने लगें।गाली देने का मेरे पति ने विरोध किया तो मेरे पति को लाठी डंडे से मरने लगें। मैं अपने पति को बचाने गई तो मुझे भी लाठी डंडों से मारा-पीटा जिससे मेरी उंगली में चोट आ गई तथा मेरा सिर फट गया एवं शरीर के अन्य अंगों में अधिक चोटें आई हैं। मुझे जान से मार देने की धमकी देते हुए मौके से मेरा देवर भाग गया। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। बंथरा में बदमाशों ने किसान को उतारा मौत के घाट
चोरी की शिकायत करने बाद अपराधियों ने दी जान से मारने की धमकी
बंथरा थना क्षेत्र में दो दिन पहले एक किसान के घर बदमाशों ने चोरी की घटना को अंजाम देने के बाद उसकी मंगलवार की रात को हत्या करके शव को सड़क के किनारे गांव के बाहर फेंक दिया गया। आक्रोशित लोगों ने शव को बनी मोहान मार्ग पर रखकर लगभग तीन घंटे प्रदर्शन किया और जाम लगा रखा। सूचना मिलने के बाद मौके पर एसीपी कृष्णा नगर कई थानों की फोर्स के साथ पहुंचे और लोगों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया और सड़क से शव को हटवा कर अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। थाना क्षेत्र की ग्राम सभा नानामऊ मखोले पुत्र दुर्गादास उम्र लगभग 80 वर्ष की मंगलवार की रात अपराधियों ने हत्या कर दी। मृतक के माथे और बायं पैर के अंगूठे में चोट दिखाई दे रही थी। गला दबाकर हत्या करने की आशंका लोग जाहिर कर रहे थे।परिजनों ने पुलिस के प्रति आक्रोश जाहिर करते हुए बुधवार सुबह करीब 7 बजे बनी मोहान मार्ग पर शव रखकर जाम लगा दिया। सैकड़ो की तादाद में उपस्थित लोगों ने पुलिस-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की। लोगों का आरोप था कि दो दिन पूर्व गांव में एक लूट और दो चोरी की घटना घटित हुई उसके बाद भी पुलिस की गश्त नहीं हो रही थी। बगल के गांव कन्नी खेड़ा में एक चोरी की घटना और नानामऊ गांव में एक लूट और दो चोरी की वारदातें बीती रविवार की रात हुई थी इसके बाद भी पुलिस सुस्त रही। मृतक के बेटे पप्पू ने थाने पर मुकदमा दर्ज करने के लिए दी गई तहरीर में लिखा है कि बीती 12 अगस्त की रात मेरे घर चोरी हुई थी जिसमें थाने की पुलिस ने गांव के संजय पुत्र मोतीलाल, जितेंद्र पुत्र जगन्नाथ उर्फ नन्हा आदि लोगों को पकड़ कर ले गई थी। इन लोगों ने थाने से निकलते ही धमकी दी थी कि अगर तुम नामजद प्रार्थना पत्र दोगे तो तुम्हारे घर में मर्डर हो जाएगा। मंगलवार की रात मेरे पिता मखोले तीर्थयात्रा पर गए थे। साथ में वहां से वापस सुनील के साथ घर आ रहे थे। तभी रास्ते में सुनील ने उनकी हत्या कर दी। इसमें मृतक के बेटे ने पुलिस चौकी के सिपाही रामानंद को भी हत्या आरोपियों से मिली भगत होने की बात दर्शाते हुए नामजद किया है। पुलिस ने नामजद हत्या आरोपी सुनील को गिरफ्तार कर लिया है। मृतक के बेटे पप्पू ने बताया कि सुनील रात में हत्या करने के बाद लगभग 2 बजे मेरे घर पहुंचा और बताया मखोले चमार मरा हुआ सड़क के किनारे पड़ा है। जब हम लोगों ने देखा तो गांव के बाहर सड़क के किनारे मेरे पिता मृत्यु अवस्था में पड़े हुए थे। नानामऊ और कंजा खेड़ा के बीच स्थित तालाब के पास सड़क के किनारे शव पड़ा हुआ था। इतना ही नहीं सुनील ने हरौनी पुलिस चौकी पर भी सूचना दी और पुलिस को साथ में लेकर भी आया था। जिससे किसी को उसके ऊपर हत्या करने की शंका न हो।आक्रोशित लगों ने हरौनी पुलिस चौकी के पुलिस कर्मियों से हथापाई कर दी जिससे वो खड़े हुए।गांव के लोगों का आरोप है यह आरोपी अपराधी किस्म के हैं और गांव के अंदर खुलेआम अवैध असलहे लेकर घूमते रहते हैं लोगों को धमकियां भी देते हैं पुलिस से शिकायत की जाती तो पुलिस कुछ करती नहीं है।
विधायक का पीड़ित परिवार को एक लाख रुपए देने की घोषणा
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य राजेश सिंह ने घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे और परिजनों को हर संभव मदद का भरोसा दिया आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी किसी भी अपराधी को छोड़ नहीं जाएगा। इसी दौरान राजेश सिंह ने मोबाइल पर सरोजनीनगर के विधायक राजेश्वर सिंह से मृतक के बेटे पप्पू से बात करवाई। विधायक ने पूरा आश्वासन दिया कि किसी भी अपराधी को बक्सा नहीं जाएगा और एक लाख रुपए आर्थिक मदद देने की बात कही।
ग्राम प्रधान को दी धमकी
बीती 12 अगस्त नानामऊ में घटित ल और चोरी की घटना की खबर अखबारों में खबर छपने के बाद दो बाइक सवार अज्ञात लोग गांव में आकर ग्राम प्रधान को जान से मार देने की धमकी दी। ग्राम प्रधान नीरज सिंह ने बताया दो अज्ञात व्यक्ति मोटरसाइकिल से मंगलवार को आए थे और कहा आपने इस चोरी कीक्षघटना की खबर छपवाने के लिए किससे कहां था प्रधान ने एक पत्रकार का नाम भी बताया बाइक सवार धमकी देकर निकल गए।
पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश की तरह अराजक राज्य न बनाने दें – डॉ. राजेश्वर सिंह
-पश्चिम बंगाल में आजादी के बाद करीब 8% घंटे हिंदू, बढ़ा अवैध अप्रवासन
सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने पश्चिम की चर्चित महिला डॉक्टर की बलात्कार और हत्या की घटना को बांग्लादेश में हो रहे महिलाओं पर अत्याचार से जोड़ते हुए ममता बनर्जी सरकार पर तीखा हमला बोला।डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने आधिकारिक एक्स(ट्विटर) पर पोस्ट कर लिखा, “बंगाल को बांग्लादेश की तरह अराजक राज्य न बनने दें। विधायक ने आगे जोड़ा हाल ही में पश्चिम बंगाल में एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या बांग्लादेश में व्याप्त हिंसा की भयावह प्रतिध्वनि है। दोनों क्षेत्र महिला सुरक्षा और सम्मान के गंभीर संकट से जूझ रहे हैं।डॉ. सिंह ने पश्चिम बंगाल में हो रहे जनसांख्यिकी बदलाव की ओर इंगित करते हुए आगे लिखा पश्चिम बंगाल अराजकता की ओर बढ़ रहा है, जो बांग्लादेश की उथल-पुथल को दर्शाता है। हम हिंसा में चिंताजनक वृद्धि और जनसांख्यिकी में महत्वपूर्ण बदलाव देख रहे हैं; 1951 में पश्चिम बंगाल की 78.45% आबादी हिंदू थी। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की 70.54% आबादी हिंदू है। छह दशकों में हिंदू आबादी में 7.91% की भारी गिरावट आई है, साथ ही अवैध अप्रवासन में वृद्धि हुई है जो अपराध और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देता है। अपने नागरिकों की रक्षा करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में राज्य की अक्षमता बेहद चिंताजनक है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर तीखा हमला बोलते हुए सरोजनीनगर विधायक ने आगे जोड़ा ममता बनर्जी के प्रशासन ने अपनी नरम नीतियों और विशेष रूप से कुछ समूहों के प्रति उदारता से अपने लोगों को विफल कर दिया है। यह विफलता सड़कों और अस्पतालों में दिखाई देती है, जहां न्याय पहुंच से बाहर रहता है और अपराधी बेखौफ होकर काम करते हैं। अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा मामले को हाल ही में जिस तरह से अपमानजनक ढंग से संभाला गया, वह प्रणालीगत प्रशासनिक विफलताओं को रेखांकित करता है।डॉ. राजेश्वर सिंह ने आगे लिखा, इस कठिन समय में हम पीड़ित और उनके परिवार के साथ खड़े हैं। टीएमसी के शासन में बढ़ता अविश्वास डॉक्टरों की देशव्यापी रैलियों से स्पष्ट है। यह सुरक्षा बहाल करने, कानून और व्यवस्था बनाए रखने और प्रत्येक नागरिक, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए मजबूत, निर्णायक कार्रवाई का समय है।
बच्चों को भीख मांगने से रोकने के लिए शुरू किया ट्रस्ट, सैनिकों की कलाई पर सज रही हैं राखियां- अंकित शुक्ला
-गोबर से बनी राखियां रहेंगी आकर्षण का केंद्र, होने वाली आय से गाय की रक्षा के होंगे प्रयास
राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद के नाम ट्रस्ट बनाया साल 2019 में इस को स्टार्ट किया था. उनका उद्देश्य था कि बच्चों को आजीविका से जोड़ सकें और वे भीग मांगने का काम न करें लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए करने के बाद उन्होंने इसकी शुरुआत लखनऊ ही की थी आज रक्षाबंधन का त्यौहार है और पूरे देश में इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर अपना प्यार और अपनापन जता रही हैं. हालांकि, हमारे देश की सीमाओं पर तैनात कई जवानों की कलाई अक्सर सूनी रह जाती है. लेकिन एक संस्था ऐसा भी है, जो न केवल जवानों की कलाई तक राखियां पहुंचा रहा है बल्कि गरीब, बेसहारा बच्चों के जीवन को संवार भी रहा है.यह संस्था है उत्तर प्रदेश के जनपद लखनऊ पिछले कई सालों से बच्चों द्वारा बनाई जाने वाली राखियों को देश की सेवा में तैनात जवानों को भिजवाता है. अंकित शुक्ला ने कहा कि बहुत सारे बच्चे आजीविका के लिए पढ़ाई छोड़ देते थे. इसे देखने के बाद हमने तय किया कि हम कुछ ऐसा करेंगे जिससे बच्चे अपनी आजीविका के साथ पढ़ाई भी कर सकें और कोई स्किल भी सीख सकें.कई सालों से हमने कई ऐसी बच्चियों के साथ काम शुरू किया जो किसी तरह अपना गुजारा करती थीं. हमने उन्हें आत्मनिर्भर बनाना शुरू किया. पढ़ाई-लिखाई भी कराई. साल 2019 से हम स्किल डेवलपमेंट एक्टिविटी भी कराने लगे. इसमें हम बच्चों से राखी, दिया, एपण, कलर्स आदि बनवाते हैं.
संस्था की वालंटियर प्रेमा और पूजा बच्चियों के विकास और उनकी शिक्षा को देखती हैं. वे पिछले सालों से राखी बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. लक्ष्मी, प्रेमा, मुस्कान, मीनाक्षी, मंजू, सपना पिछले 6 सालों से लगातार संस्था के साथ काम कर रही हैं. सैनिकों को भेजनी शुरू की राखी बताते हैं कि राखी हमारा सबसे इम्पॉर्टेंट, यूनीक और पहला प्रोडक्ट है. हम करीब एक लाख राखियां बनाते हैं, जिसमें से करीब 45-50 हजार राखियां हम देश की सीमाओं के साथ अन्य चुनौतीपूर्ण जगहों पर तैनात सैनिकों को बिना किसी कीमत के भेजते हैं.
अंकित शुक्ला ने कहा कि अभी हम जम्मू कश्मीर के पीओके बॉर्डर पर तैनात 1 से लेकर सभी 70 राष्ट्रीय राइफल के जवानों के लिए राखियां भेजते हैं. इस बार हम असम बाढ़ में काम करने वाले असम राइफल्स के जवानों, राजस्थान बॉर्डर पर तैनात जवानों के साथ-साथ उत्तराखंड और जम्मू में तैनात आईटीबीपी के जवानों के लिए भी राखी भेज रहे हैं. हम चीन बॉर्डर पर तैनात जवानों और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के लिए भी राखी भेज रहे हैं. अंकित शुक्ला कहते हैं कि, यही नहीं, हम अन्य सेक्टर्स में भी काम करने वाले अच्छे लोगों को बच्चों द्वारा बनाई गई राखियां भेजते हैं. मार्केट में भी जाती हैं बच्चों की बनाई राखी अंकित शुक्ला कहते हैं कि सैनिकों को भेजने के बाद भी हमारी 50-55 हजार राखियां बच जाती हैं. हम उन्हें मार्केट में उचित कीमत पर बेचने की कोशिश करते हैं. हम इन राखियों की कीमत 3 से 5 रुपये तक रखते हैं. पिछले सालों में हम लोग 5 लाख राखियां बना चुके हैं. स्किल डेवलपमेंट के साथ आजीविका का साधन उपलब्ध कराना उद्देश्य कहते हैं की ये सभी बच्चे बेहद गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं और हम इनसे कोई पैसे नहीं लेते हैं. लेकिन बच्चे जो भी एक्टिविटी करते हैं उसी से हम फंड जनरेट करते हैं और एनजीओ को चलाते हैं.वह बताते हैं कि हम जो क्लासेज चलाते हैं, उसमें से 3 दिन इनके स्किल डेवलपमेंट की क्लास होती है. उसके लिए हम अगर दो लाख का सामान खरीदकर बच्चों को एक्टिविटी के लिए देते हैं तो उन्हें मार्केट में बेचकर उस कॉस्ट को निकालते हैं. बाकी के पैसे बच्चों के राशन-पानी, पढ़ाई-लिखाई पर इस्तेमाल करते हैं. हमारा यही उद्देश्य है कि ऐसे स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाकर हम देशभर में बच्चों को भीख मांगने से रोक सकें. यह बिल्कुल उसी तरह से है जैसे सामान्य स्कूलों में ड्रॉइंग है.संस्था के साथ 17 हजार बच्चे कर चुके हैं काम बताते हैं कि, हमारे यहां 5 साल से लेकर 16 साल तक के बच्चे हैं. अभी तक पिछले कई साल में हम 17 हजार बच्चों के साथ काम कर चुके हैं. इनमें ऐसे बच्चे शामिल हैं जो हमारे यहां रहते हैं, अपने घर पर रहते हैं लेकिन हम उन्हें सपोर्ट करते हैं, या हमारे साथ काम करते हैं आदि. और बच्चे अपने घर रहते हैं. राखी बनाने वाले बच्चे कुल 30 हैं. कई मंत्रीमंडल विधायक से मिल चुकी है तारीफ ने कहा कि हमारे पास आर्मी की यूनिट्स प्रशंसा पत्र भेजती रहती हैं. हमारे पास मंत्री का एक बार लेटर आया है. सभी बटालियनों के तो नहीं लेकिन बहुत से बटालियन के पत्र आते हैं.बच्चे सीख भी रहे और अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवा रहे ने कहा कि हम जब ये सामान सेल करने जाते हैं तो बच्चों को भी लेकर जाते हैं. इससे उनको पता चलता है कि मार्केटिंग कैसे की जाती है. अगर कोई बच्चा आगे जाकर बीबीए या एमबीए करेगा तो उसे इससे मदद मिलेगी उन्होंने कहा कि हम बच्चों को एजुकेशनल ट्रिप पर भी ले जाते हैं.