Breaking News

नई दिल्ली:इंदिरा गांधी ने कठोर आपातकाल की घोषणा के साथ महान राष्ट्र को किया लहूलुहान- जगदीप धनखड़

  • REPORT BY:ATUL TIWARI/PIB
  • EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS

नई दिल्ली:आपातकाल लगाना धर्म को अपवित्र करना है जिसे न तो अनदेखा किया जा सकता है और न ही भुलाया जा सकता है।यह उद्गार आज गुजरात विश्वविद्यालय में आठवें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में ब्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस महान राष्ट्र को 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा कठोर आपातकाल की घोषणा के साथ लहूलुहान किया गया था।उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जिन्होंने धर्म की घोर और अपमानजनक अवहेलना करते हुए सत्ता और स्वार्थ से चिपके रहने वाले तानाशाही रूप से काम किया था।यह धर्म का अपवित्रीकरण था।यह अधर्म था जिसे न तो स्वीकार किया जा सकता है और न ही माफ किया जा सकता है। वह अधर्म था जिसे अनदेखा या भुलाया नहीं जा सकता। एक लाख से ज्यादा लोगों को कैद कर लिया गया। उनमें से कुछ प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति,उपाध्यक्ष बन गए और सार्वजनिक सेवा के लिए काम किया और यह सब एक की सनक को संतुष्ट करने के लिए किया गया था।

26 नवंबर को संविधान दिवस और 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाना आवश्यक

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि धर्म को श्रद्धांजलि के रूप में,धर्म के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में,धर्म की सेवा के रूप में, धर्म में विश्वास के रूप में, 26 नवंबर को संविधान दिवस और 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाना आवश्यक है। धर्म के उल्लंघन की गंभीर याद दिलाते हैं और संवैधानिक धर्म के उत्साही पालन का आह्वान करते हैं। इन दिनों का पालन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकतंत्र के सबसे बुरे अभिशाप के दौरान सभी तरह की जांच,संतुलन और संस्थान ध्वस्त हो गए, जिसमें उच्चतम न्यायालय भी शामिल था।

धर्म का पोषण करना आवश्यक

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि धर्म का पोषण करना आवश्यक है,धर्म को बनाए रखने के लिए हमें पर्याप्त रूप से जानकारी प्राप्त है। हमारे युवाओं,नई पीढ़ियों को इसके बारे में और अधिक स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए ताकि हम धर्म के पालन में मजबूत हो सकें और उस खतरे को बेअसर कर सकें जिसका हमने एक बार सामना किया था।लोगों की सेवा के लिए सौंपे गए राजनीतिक प्रतिनिधियों के बीच धर्म से बढ़ते अलगाव पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सत्ता के वरिष्ठ पदों पर बैठे लोग ईमानदारी,पारदर्शिता और न्याय के अपने पवित्र कर्तव्य से भटक रहे हैं,धर्म के मूल तत्व के विपरीत कार्यों में संलग्न हैं। उन्होंने कहा कि परेशान करने वाली प्रवृत्ति उन नागरिकों के विश्वास को कम करती है जिन्होंने इन नेताओं में अपना विश्वास व्यक्त किया है।उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने वर्तमान राजनीतिक माहौल पर चिंता व्यक्त की, जो व्यवधानों और गड़बड़ियों से चिह्नित है, जो जन प्रतिनिधियों के संवैधानिक जनादेश से समझौता करते हैं,कर्तव्य की ऐसी विफलताओं को इसके चरम पर प्रतिबिंब करते हैं।

 

http://Copyright © 2023 aajnational.com All Right Reserved

https://aajnational.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *