- REPORT BY:PREM SHARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ। लखनऊ स्मार्ट सिटी परियोजना एवं लखनऊ नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं नगर आयुक्त श्री गौरव कुमार द्वारा रविवार को सी.जी. सिटी योजना के अंतर्गत विकसित किए जा रहे दिव्यांग पार्क के निर्माण कार्य का स्थलीय निरीक्षण किया गया। यह पार्क दिव्यांगजनों के लिए समर्पित एक अनूठी पहल है, जो न केवल शारीरिक रूप से सुविधाजनक होगा, बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी उन्हें सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
यह पार्क लगभग 3 एकड़ भूमि में विकसित किया जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत रु. 11.23 करोड़ है। निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त ने कार्य की गुणवत्ता, सुविधाओं की सुगमता एवं नियत समयसीमा में कार्य पूर्ण करने को लेकर विशेष निर्देश दिए।
पार्क के अंतर्गत दिव्यांगजनों के लिए प्रशासनिक भवन, स्पेशल एजुकेशन रूम, हाइड्रोथेरेपी रूम तथा एम्फीथिएटर का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें लगभग 250 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी। यह पार्क दिव्यांगजनों की शिक्षा, मानसिक विकास और मनोरंजन के लिए एक समग्र स्थान के रूप में कार्य करेगा।इसके अतिरिक्त, परिसर में विशिष्ट पाथवे, साइकिल ट्रैक, सेंसरी गार्डन, विशिष्ट खेल उपकरण (ईपीडीएम फ्लोरिंग सहित), गज़ीबो, और पर्याप्त पार्किंग सुविधा जैसी आवश्यक सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं। यह सभी सुविधाएं दिव्यांगजनों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार की जा रही हैं।निरीक्षण के समय मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कार्यदायी संस्था को यह निर्देश दिए कि निर्माण कार्य को हर हाल में 30 जून 2025 तक पूर्ण कर लिया जाए। उन्होंने समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर विशेष बल दिया।इस निरीक्षण के दौरान नगर निगम के अपर नगर आयुक्त ललित कुमार और पंकज श्रीवास्तव,अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी ,लखनऊ स्मार्ट सिटी के महाप्रबंधक श्री अजय कुमार सिंह, तथा कार्यदायी संस्था के प्रतिनिधिगण भी उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों ने परियोजना की प्रगति की समीक्षा की और आवश्यक सुधारों व संसाधनों की उपलब्धता पर चर्चा की। यह परियोजना लखनऊ शहर में दिव्यांगजनों के लिए एक समर्पित और समावेशी वातावरण सृजित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। इसके पूर्ण होने पर यह पार्क न केवल शहर में, बल्कि प्रदेश भर में एक मिसाल बनेगा।
चेयरमैन वार्ता में उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां वापस ले: संघर्ष समिति
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन के मध्य बहुप्रतीक्षित वार्ता 12 मई को होगी। वार्ता के पहले संघर्ष समिति ने कहा है कि वार्ता का समुचित वातावरण बनाने हेतु पॉवर कारपोरश्ेन प्रबन्धन को निजीकरण के विरोध में चल रहे आन्दोलन के कारण की गयी समस्त उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां वापस लेनी चाहिए।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अन्तर्गत आने वाले 42 जनपदों के निजीकरण के एकतरफा फैसले के विरोध में बिजली कर्मचारी, संविदाकर्मी और अभियन्ता विगत 05 माह से अधिक समय से आन्दोलनरत हैं। लोकतांत्रिक ढंग से शांतिपूर्वक आन्दोलन करने वाले बिजली कर्मियों पर पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने इस दौरान कई उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां की हैं।उन्होंने बताया कि बड़े पैमाने पर संविदा कर्मियों को नौकरी से हटाया गया है। निजीकरण के बाद निजी घरानों की मदद करने हेतु लगभग 45 प्रतिशत संविदा कर्मियों की छंटनी कर दी गयी है। इसी प्रकार 55 वर्ष की आयु के संविदा कर्मी हटा दिये गये हैं जबकि इनमें से अधिकांश संविदा कर्मी लाइन पर काम करते हुए अपंग हो चुके हैं। अत्यन्त अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मियों को निजी घरानों की मदद के लिए इस प्रकार हटाया जाना नितान्त अमानवीय और घोर उत्पीड़न है। उन्होंने बताया कि फेसियल अटेंडेंस के नाम पर लगभग 2000 बिजली कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है। संघर्ष समिति की मीटिंग में आने वाले बिजली कर्मचारियों की फोटोग्राफी कर उन्हें चिन्हित करके स्थानान्तरण आदि उत्पीड़न की कार्यवाहियां की जा रही है। संघर्ष समिति ने बताया कि 19 मार्च 2023 को ऊर्जा मंत्री द्वारा की गयी घोषणा के अनुसार मार्च, 2023 के आन्दोलन के दौरान की गयी सभी उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां वापस की जानी थीं जो आज तक वापस नहीं की गयी हैं। मार्च 2023 के आन्दोलन के कारण बिजली कर्मियों पर अनुशासन की कार्यवाही चल रही है, स्टेट विजीलेंस की जांच करायी जा रही है और तरह-तरह का उत्पीड़ना जारी है। ऊर्जा मंत्री की घोषणा के बाद भी उत्पीड़न की कार्यवाहियां वापस न लिये जाने से अविश्वास का वातावरण बना है जिसे समाप्त करने हेतु तत्काल सभी उत्पीडनात्मक कार्यवाहियां वापस ली जाये।
अगस्त में घोषित होगी नई बिजली दरे,सुनवाई में सरप्लस और कम दारों के लड़ेगा उपभोक्ता परिषद
काफी लंबे समय के बाद उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने सभी बिजली कंपनियां पूर्वांचल दक्षिणांचल मध्यांचल पक्षमांचल केस्को व नोएडा पावर कंपनी के वर्ष 2025- 26 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता(एआरआर) सहित ट्रू-अप 2023- 24 व एनुअल परफॉर्मेंस रिव्यू अपर वर्ष 2024 -25 को स्वीकार कर लिया है। विद्युत नियामक आयोग ने अपने आदेश में लिखा है मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 के तहत बिजली कंपनियों की तरफ से कोई भी बिजली दर का प्रस्ताव नहीं दाखिल किया गया हैै बिजली कंपनियों के अपने सभी डाटा को 3 दिन के अंदर समाचार पत्रों में निकलना होगा प्रदेश के उपभोक्ताओं को 21 दिन अपनी आपत्ति व सुझाव देने के लिए समय मिलेगा। इसके बाद विद्युत नियामक आयोग जून 2025 से आम जनता के बीच सुनवाई करेगा।
वार्षिक राजस्व आवश्यकता को स्वीकार किए जाने के बाद अब 31 मार्च 2026 तक निजीकरण करने का पावर कारपोरेशन का मंसूबा पूरी तरह फ्लॉप हो गया है। क्योंकि अब बिजली दरों की सुनवाई होगी दरो की सुनवाई के बीच निजीकरण के प्रस्ताव पर कोई भी सूचना आयोग को पावर कारपोरेशन द्वारा आज तक नहीं दी गई है इसलिए अब निजीकरण पर कोई भी कार्यवाही 31 मार्च तक नहीं हो सकती। उपभोक्ता परिषद प्रदेश के सभी बिजली कंपनियों में आम जनता की सुनवाई में पावर कारपोरेशन के निजीकरण के घोटाले की पोल खोलेगा। सभी बिजली कंपनियों में सभी सुनवाई में भाग लेकर आर पार की लड़ाई का ऐलान करेगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा प्रदेश की सभी बिजली कंपनियां पूर्वांचल दक्षिणांचल पश्चिमांचल मध्यांचल केस्को की कुल वार्षिक राजस्व आवश्यकता लगभग 1 लाख 13 923 करोड़ है। सभी बिजली कंपनियों में जो बिजली बेचेगीवह लगभग 133779 मिलियन यूनिट होगी। उसकी कुल लागत यदि पीजीसीआईएल चार्ज के साथ जोड़ी जाए तो लगभग 88755 करोड़ होगी।। बिजली कंपनिया द्वारा वार्षिक राजस्व आवश्यकता में मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के तहत लाइन हानियां व एटीण्डसी हानियां की कोई भी ट्रांजैक्ट्री अभी तक फाइल नहीं की गई है। वही कुल गैप लगभग 9 से 10 हज़ार करोड़ के बीच है। प्रदेश की बिजली कंपनियां जहां चोर दरवाजे बिजली दरों में बढ़ोतरी के लिए प्रयास करेंगे वहीं उपभोक्ता परिषद उन्हें मुंहतोड़ जवाब देगा।
श्री वर्मा ने कहा प्रदेश की बिजली कंपनियों को पता है प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33122 करोड़ सर प्लस निकल रहा है। इसी के डर से और उपभोक्ता परिषद की पेशबंदी के चलते बिजली दर का कोई भी प्रस्ताव नहीं दिया गया है। कानूनी बिजली दलों में घटोतरी का प्रस्ताव दाखिल करना था लेकिन बिजली कंपनियां बिजली दरो में घटौतरी करना नहीं चाहती। इसलिए उनके द्वारा कोई भी प्रस्ताव नहीं दाखिल किया गया अब बिना प्रस्ताव के एक बार फिर बिजली दरों की सुनवाई पूरे प्रदेश में सभी बिजली कंपनियों में होगी। उपभोक्ता परिषद ने ऐलान कर दिया है कि अब प्रदेश के उपभोक्ताओं के बीच में सभी मामलों पर चर्चा होगी। उपभोक्ता परिषद पुरी तैयारी के साथ बिजली कंपनियों की पोल खोलेगा। किसी भी हालत में बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं होने देगा। अब आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।
अवैध पार्किगों पर अब लगेगा जुर्माना
शहरों में नगर निगम अधिकारियों से सांठगांठ कर अवैध रूप से पार्किंग ठेका चलाने वालों को अब जुर्माना भरना होगा। इसके लिए नई पार्किंग नियमावली में व्यवस्था कर दी गई है। न्यूनतम 5000 रुपये जुर्माना लगाने की व्यवस्था की गई है। नगर विकास विभाग ने नगर निगमों के लिए नई पार्किंग नियमावली जारी की है। इसमें जहां लोगों को बेहतर पार्किंग की सुविधा देने की बात कही गई है, वहीं पर अवैध रूप से पार्किंग चलाकर लोगों का शोषण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है। उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम में दी गई व्यवस्था के आधार पर 5000 रुपये न्यूनतम जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
अवैध पार्किंग के खिलाफ कार्रवाई के लिए नगर आयुक्त को अधिकृत किया गया है। अवैध पार्किंग के लिए यातायात नियमों के आधार पर कार्रवाई करते हुए जुर्माना लगाया जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि अवैध पार्किंग उक्त स्थल पर कितने दिनों से चल रही है। उसको अवैध पार्किंग से कितनी कमाई हुई होगी, इसके आधार पर तय करते हुए जुर्माना वसूला जाएगा। जरूरत के आधार पर अवैध पार्किंग चलाने वाले के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाएगी।
इसके साथ ही लाइसेंस लेकर पार्किंग स्थल चलाने वाला यदि नियमों का उल्लंघन करता है और तय मानकों का पालन नहीं करने पर उसका भी लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। नगर आयुक्त की अध्यक्षता में बनी समिति का यह काम होगा कि एक टीम बनाकर शहर में बने पार्किंग स्थलों का भ्रमण कराए। इस दौरान आम लोगों से फीड बैक भी लिया जाएगा। पार्किंग स्थल पर नियमों का उल्लंघन होने या फिर नियमानुसार पार्किंग का संचालन न करने पर उसका लाइसेंस निरस्त करने से लेकर जुर्माना तक वसूला जाएगा।
नाले-नालियों की सफाई अब कैमरे की निगरानी में होगी
प्रदेश भर में बारिश से पूर्व नाले और नालियों की सिल्ट सफाई अब कैमरे की निगरानी में होगी। लखनऊ सहित प्रदेश के अन्य जिलों में नाले-नालियों की सफाई में होने वाले भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए ड्रोन कैमरों की मदद ली जाएगी। स्वच्छ भारत मिशन के निदेशक तथा शासन ने 5 मई को क आदेश जारी कर निर्देश दिए हैं कि नालों की सफाई, सर्वे और मैपिंग अब ड्रोन कैमरों की निगरानी में की जाएगी। इससे न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि बरसात के मौसम में जलभराव से भी बेहतर तरीके से निपटा जा सकेगा। प्रदेश के सभी जिलों में ड्रोन कैमरों के जरिए नालों का सर्वे कराया जाएगा। सफाईके बाद उनकी मैपिंग की जाएगी। इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में जलभराव की समस्या अधिक रहती है, उन्हें चिन्हित कर जल निकासी की समुचित व्यवस्था भी कराई जाएगी।
सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार शासन ने ऐसे क्षेत्रों में एंटी लार्वा स्प्रे कराने और खुले नालों को ढकने की भी व्यवस्था सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है। सफाई के दौरान निकली सिल्ट को समय पर हटाने और उसका वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने की भी जिम्मेदारी तय की गई है। निगरानी के लिए 8 वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती की गई शासन ने इस कार्य के लिए 8 वरिष्ठ अधिकारियों की टीम गठित की है। अलग-अलग मंडलों में इन अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। अपर निदेशक ऋतु सुहास को आगरा और झांसी मंडल, मोहम्मद असलम अंसारी को मिर्जापुर, वाराणसी और अलीगढ़, उपनिदेशक विजेता को सहारनपुर और आजमगढ़ की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, सहायक निदेशक गिरीश द्विवेदी को कानपुर और प्रयागराज, सविता शुक्ला को गोरखपुर, चित्रकूट और मुरादाबाद, अजय कुमार त्रिपाठी को अयोध्या और बस्ती, रश्मि सिंह को लखनऊ और देवीपाटन तथा मुख्य अभियंता कमलजीत सिंह को मेरठ और बरेली मंडल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बेहतर होगी नालों की सफाई राज्य मिशन निदेशक अनुज कुमार झा ने आदेश में कहा है कि यह सभी अधिकारी संबंधित जिलों का निरीक्षण कर नालों की सफाई की निगरानी करेंगे। वर्षा ऋतु से पहले सभी तैयारियां सुनिश्चित कराएंगे, ताकि जलभराव की समस्या से राहत मिल सके। ड्रोन से निगरानी की वजह से नालों की बेहतर सफाई होगी। काम में पारदर्शिता भी रहेगी।
शहर में बढ़ता ही जा रहा जाम का झाम
लखनऊ में जाम खत्म करने के सारे प्रयास लगभग विफल साबित हो रहे है। बिना पार्किग के हजारों प्रतिष्ठान इस जाम के लिए कोढ़ का काम कर रहे है। अतिक्रमण की समस्या लगातार विकराल होती जा रही है। सड़कें सिकुड़ती जा रही हैं, ट्रैफिक जाम आम हो गया है। सार्वजनिक स्थल निजी कब्जे में तब्दील होते जा रहे हैं। स्थिति यह है कि अब आम जनता ही नहीं, विधायक और विधान परिषद सदस्य भी इससे परेशान हैं। उनकी शिकायतों पर भी सुनवाई नहीं हो रही है। विधानसभा और विधान परिषद में अतिक्रमण को लेकर कई बार सवाल उठाए जा चुके हैं, लेकिन नगर निगम सिर्फ अतिक्रमण हटाकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। स्थिति यह है आज नगर निगम अतिक्रमण हटाता है उसके 24 से 48 घन्टे में पुनः जाम लग जाता है।
लखनऊ के कई इलाकों में अतिक्रमण की विधायक तक शिकायत करते रहते है। अतिक्रमण के कारण यातायात व्यवस्था चरमराई हुई है और जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।शहर के प्रमुख मार्गों पर दुकानों और ठेलों ने कब्जा कर लिया है, जिससे यातायात व्यवस्था बिगड़ रही है। शहर का हृदय स्थाल नामी गिरामी स्कूलों में आने वाले वाहनों वाले काफिलोें से परेशान है। स्कुल खुलने से लेकर स्कूल बंद होने तक दो बार तथा वाीआईपी मूमेन्ट, किसी आन्दोलन की दौरान हजरतगंज क्षेत्र में रेंगना पड़ता है। अतिक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके लखनऊ के आशियाना, बंग्ला बाजार, जोनल पार्क, खजाना चौराहा, स्काई हिल्टन, अलीगंज, इंदिरा नगर, गोमती नगर, लालबाग, केसरबाग, आलमबाग, तेलीबाग, चारबाग, कैसरबाग और अमीनाबाद, नाका, राजाजीपुरम जैसे क्षेत्र अतिक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। शाम के समय इन इलाकों में पैदल चलना तक मुश्किल हो जाता है। नगर निगम पर आरोप है कि वह अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभा रहा है। सुबह कार्रवाई कर अतिक्रमण हटाया जाता है, लेकिन कुछ ही देर में दोबारा कब्जा हो जाता है।
निजी वाहनों की सड़को पर पार्किग, जुर्माने पर करे विचार
यही नही बैंकों द्वारा कर्ज पर चार पाहिया वाहन मिल जाने से आम आदमी भी अब चार पाहिया वाहन का मालिक है। तीन चार सौ वर्ग फिट के मकान में रहने वाले आदमी ने भी चार पाहिया खरीद ली है। शहर में लगभग हर मोहल्ले में ऐसे लोगों ने सड़क पर वाहन पार्किग कर रास्तों का सकरा कर दिया है। कही कही तो स्थिति यह है कि अगर आमने सामने वालों ने अपने मकान के सामने अपने चार पाहिया वाहन पार्क रखे है तो तीसरे चार पाहिया को वहा से निकालना मुश्किल हो रहा है। इस तरह के वाहनों ने भी सड़कों पर जाम को आम बना दिया है। ऐसे में नगर निगम प्रशासन को ऐसे वाहन जो प्रतिदिन दिन या रात में सर्वाजिक सड़को पार्क होते है उससे जुर्माना वसूलना चाहिए। प्लाईओंवर ब्रिज के नीचे खुली दुकानों, रिपेरिंग, पुराने वाहनों के बिक्री स्थलों को हमेशा के लिए हटाना चाहिए। बड़े बड़े प्रतिष्ठानों जिसके पास पार्किग तो नही लेकिन दिन भर उनके प्रतिष्ठान में आने वाले खरीददारों के दर्जनों वाहनों के पार्क रहने के कारण यातायात प्रभावित करने पर उन पर भी मोटा जुर्माना लगाना चाहिए।