बरेली माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ के साले सद्दाम और लल्ला गद्दी समेत 11 बदमाशों पर बिथरी चैनपुर पुलिस ने गैंगस्टर लगाई है। गैंग का लीडर सद्दाम की जेल वार्डन मदद कर रहे थे। उनके खिलाफ भी यह कार्रवाई की गई है।
बरेली सेंट्रल जेल में बंद के दौरान अशरफ से शूटरों की अवैध मुलाकात कराए जाने पर पुलिस ने सद्दाम के खिलाफ 25 हजार इनाम की घोषणा की थी। उमेश पाल हत्याकांड की पटकथा बरेली जेल में तैयार किया गया। सात मार्च 2023 को मुकदमा दर्ज किया गया था। प्रयागराज का अब्दुल समद उर्फ सद्दाम अपने गैंग के सदस्य मो रजा उर्फ लल्ला गद्दी, जेल वार्डन मनोज कुमार गौंड, जेल वार्डन शिव हरी अवस्थी, दयाराम उर्फ नन्हे, मो फरहद खां उर्फ गुड्डू, मो सरफुद्दीन, फुरकान नवी खान, राशिद अली, मोहम्मद आरिफ और आतिन जफर के साथ गैर कानूनी कार्य में लिप्त था। इनके खिलाफ विवेचना में प्रकाश में आया कि इनके खिलाफ अन्य थानों में मुकदमे दर्ज है। सद्दाम गैंग का लीडर है। जेल वार्डन मनोज कुमार गौड़, शिव हरी अवस्थी और अन्य आरोपी सक्रिय सदस्य है। कोई भी इनके खिलाफ गवाही देने को तैयार नहीं है। गैंग का जनता में भयंकर डर है। उनके खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की गई है।
गिरफ्तारी से बचने को ठिकाने बदल रहा सद्दाम
पुलिस ने जांच में उमेश पाल की हत्या के तार बरेली जेल से जुड़े पाए गए। अतीक अहमद के भाई अशरफ के साले सद्दाम को एसटीएफ ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था। प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड में वांछित सद्दाम लंबे समय से फरार चल रहा था। एक लाख के इनामी सद्दाम को एसटीएफ ने मालवीय नगर इलाके से धर दबोचा था। गिरफ्तारी से बचने के लिए अशरफ का साले लगातार ठिकाने बदल रहा था। सद्दाम की तस्वीरें दुबई से सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यूपी पुलिस तलाश में लग गई थी। अतीक अहमद के विदेशों में फैले कारोबार को अशरफ का साले सद्दाम संभालता था। दुबई में रहते हुए सद्दाम अतीक अहमद गैंग के सदस्यों से संपर्क भी करता था।
उमेशपाल हत्याकांड के षडयंत्र में शामिल थे आरोपित
बीते साल प्रयागराज में अधिवक्ता उमेशपाल की हत्या हुई जिसमें माफिया अतीक व अशरफ का नाम सामने आया। उसके बेटे व गुर्गे घटनास्थल की प्रसारित सीसीटीवी फुटेज में कैद दिखे। इसी के आधार पर पुलिस ने जब जांच शुरू की तब पता चला कि हत्याकांड से पूर्व सभी आरोपित बरेली जिला जेल पहुंचे थे। जेल में ही माफिया अशरफ की तय योजना अनुसार उमेशपाल की हत्या का षडयंत्र रचा गया। स्थानीय स्तर पर सद्दाम व लल्ला गद्दी ने जेल के पूरे नेटवर्क का इस्तेमाल करता था
दोनों के ही इशारे पर जेल वार्डेन से लेकर कैंटीन संचालक तक ने जेल में मिलाई के दौरान आरोपितों का साथ दिया। पता चला कि सद्दाम व लल्लागद्दी इसके बदले जेल कर्मियों को बड़े-बड़े उपहार व नकदी देता था। इसी दौरान यह भी पता चला कि पीलीभीत बाईपास रोड स्थित खुशबू एन्क्लेब कालोनी में सद्दाम ने फर्जी पते से किराये पर कमरा ले रखा था। घटना के बाद वह भाग खड़ा हुआ। मामले में आरोपित के विरुद्ध बारादरी थााने में दूसरी प्राथमिकी हुई थी।
आरोपितों का आपराधिक इतिहास भी सामने आया। इसी मामले में गिरोह के सभी आरोपित जेल भेजे गए जिसमें सद्दाम व आतिन को छोड़कर सभी की जमानत हो गई। प्राथमिकी लिखते ही पुलिस ने दयाराम उर्फ नन्हें की तलाश में दबिश दी और उसके गिरफ्तार कर जेल भेज दिया