LUCKNOW:फर्जी हाजिरी मिली तो होगी कड़ी कार्रवाई – नगर आयुक्त,क्लिक करें और भी खबरें

  • REPORT BY:PREM SHARMA   || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK 

लखनऊ।नगर निगम लखनऊ के नवीन समिति कक्ष में शनिवार को नगर आयुक्त श्री गौरव कुमार ने सफाई व्यवस्था को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक में समस्त जोनल सेनेटरी ऑफिसर और सेनेटरी सीनियर फील्ड इंस्पेक्टर शामिल हुए। बैठक में नगर निगम के अपर नगर आयुक्त  ललित कुमार, अरुण गुप्ता और डॉ. अरविंद कुमार राव भी विशेष रूप से मौजूद रहे। बैठक का मुख्य उद्देश्य नगर की सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाना और कर्मचारियों की जिम्मेदारियों को लेकर कड़े निर्देश जारी करना था।

नगर आयुक्त ने बैठक में निर्देश दिया कि सभी जोनल सेनेटरी ऑफिसर अपने-अपने क्षेत्रों में बनी नालियों का तत्काल सर्वे कराएं और दो दिन के भीतर पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि नालियों की स्थिति का सटीक आंकलन कर उनके नियमित रखरखाव और सफाई की व्यवस्था की जाए। किसी भी प्रकार की लापरवाही पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। नगर आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में किसी प्रकार की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

बैठक में नगर आयुक्त ने कहा कि सभी जोनल अधिकारी औार जेडएसओ हर दिन सुबह सफाई कार्यों का स्वयं निरीक्षण करें और समीक्षा करें। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसी भी कर्मचारी की बोगस (फर्जी) अटेंडेंस पकड़ी गई तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की उपस्थिति की वास्तविकता सुनिश्चित करना अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी होगी। नगर आयुक्त ने नाली सफाई को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए कि सफाई कार्य तभी कराया जाए जब उसी दिन सिल्ट (गंदगी या कीचड़) उठाने की पूरी व्यवस्था हो। यदि उस दिन सिल्ट उठाने के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं हैं, तो नाली सफाई का कार्य स्थगित कर अगले दिन किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि सफाई के बाद सिल्ट सड़क पर पड़ा रहता है, तो उससे गंदगी और शिकायतें बढ़ती हैं, जिससे नगर निगम की छवि प्रभावित होती है।बैठक में नगर आयुक्त ने कहा कि नगर निगम क्षेत्र में हाल ही में जुड़े विस्तारित क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन नए क्षेत्रों में विकास कार्यों को प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि पुराने और नए क्षेत्र में विकास कार्यों के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए, ताकि सभी नागरिकों को समान स्तर की सुविधाएं मिल सकें।

गंदगी मिलने पर अधिकारियों की जिम्मेदारी

नगर आयुक्त ने साफ शब्दों में कहा कि अगर किसी भी जोन में गंदगी पाई जाती है, तो उसकी जिम्मेदारी संबंधित जोनल अधिकारी और जेडएसओ पर तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह देखा जाएगा कि किस कर्मचारी या अधिकारी की लापरवाही के कारण कूड़ा-कचरा नहीं उठ पाया। जिम्मेदारी तय कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने।अंत में नगर आयुक्त ने कहा कि नगर निगम एक इमरजेंसी सेवा प्रदाता संस्था है, इसलिए नागरिकों की शिकायतों का निस्तारण अत्यंत शीघ्रता से किया जाना चाहिए। उन्होंने सभी अधिकारियों से कहा कि हमें अपने रिस्पॉन्स टाइम को और कम करना है, ताकि नागरिकों को समय पर सेवाएं मिल सकें। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिकायतों के निस्तारण में किसी भी प्रकार की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और इसके लिए हर स्तर पर उत्तरदायित्व तय किया जाएगा।

नगर आयुक्त ने लिया स्मार्ट सिटी वॉर रूम का जायजा

नगर आयुक्त गौरव कुमार ने शनिवार को स्मार्ट सिटी स्थित वॉर रूम का निरीक्षण कर उसकी कार्यप्रणाली और संचालन का गहन अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए, जिससे नगर निगम की सेवाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिए कि वॉर रूम में प्राप्त होने वाली प्रत्येक शिकायत को संबंधित अधिकारी तक समयबद्ध ढंग से प्रेषित किया जाए और उसका गुणवत्तापूर्ण निस्तारण सुनिश्चित हो। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक शिकायतकर्ता से फीडबैक लेना अनिवार्य होगा, ताकि शिकायत समाधान की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जा सके। नगर आयुक्त ने विशेष तौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से प्राप्त शिकायतों के शीघ्र समाधान और ‘311 ऐप’ पर दर्ज शिकायतों के निस्तारण के दौरान फोटोग्राफ और जीपीएस लोकेशन अपडेट करने के निर्देश दिए।गौरव कुमार ने कहा कि नगर निगम का उद्देश्य आम नागरिकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है और इसके लिए शिकायत निवारण प्रणाली को चुस्त-दुरुस्त बनाना अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने वॉर रूम टीम को सेवा भावना और जवाबदेही के साथ कार्य करने का संदेश दिया। निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त के साथ अपर नगर आयुक्त ललित कुमार, वॉर रूम प्रभारी अधिकारी दिव्यांशु पांडे, सह प्रभारी अभिनव वर्मा, टीम लीडर सुबोध सिंह, लिपिक निखलेश खरे तथा वॉर रूम के अन्य कर्मचारी मौजूद रहे। सभी अधिकारियों ने नगर आयुक्त को वॉर रूम की मौजूदा व्यवस्था और प्रगति के बारे में विस्तार से जानकारी दी।इसी क्रम में नगर आयुक्त ने श्सेफ सिटी प्रोजेक्टश् का भी निरीक्षण किया। उन्होंने सेफ सिटी प्रोजेक्ट के डायल 112 के साथ शीघ्र इंटीग्रेशन के निर्देश दिए। नगर आयुक्त ने संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया कि सेफ सिटी प्रोजेक्ट के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर को तुरंत अंतिम रूप दिया जाए और उसके बाद इसे पुलिस विभाग को हैंडओवर करने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए।सेफ सिटी निरीक्षण के दौरान परियोजना की नोडल अधिकारी एसीपी सौम्या भी उपस्थित रहीं। उन्होंने नगर आयुक्त को परियोजना की वर्तमान स्थिति और भविष्य की कार्ययोजना से अवगत कराया। नगर आयुक्त ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस महत्वपूर्ण परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण करें, ताकि शहरवासियों की सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाया जा सके।

नगर निगम टीम ने 12 करोड़ की जमीन को कब्जा मुक्त कराया

लखनऊ मंडल की मंडलायुक्त और नगर निगम लखनऊ के नगर आयुक्त श्री गौरव कुमार के निर्देश पर सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के अभियान के तहत बड़ी कार्रवाई की गई। अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव द्वारा बनाई गई टीम ने ग्राम कल्ली पश्चिम (तहसील सरोजनी नगर) में सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाया। यहां गाटा संख्या 1310, 1532 और 697 की जमीन (कुल लगभग 1 हेक्टेयर) पर कुछ स्थानीय लोगों और प्रॉपर्टी डीलरों ने अवैध प्लॉटिंग, रास्ते और बाउंड्री बनाकर कब्जा कर लिया था। इससे सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा था।

नगर निगम की टीम पहले भी एक हिस्से (गाटा संख्या 1310) से अतिक्रमण हटवा चुकी थी और कब्जेदारों के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी। इस बार मौके पर जेसीबी मशीन की मदद से पूरी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया। यह कार्रवाई नगर निगम और तहसील प्रशासन की संयुक्त टीम ने मिलकर की। टीम का नेतृत्व नगर निगम के राजस्व निरीक्षक अविनाश चन्द्र तिवारी ने किया। प्रभारी अधिकारी संजय यादव के निर्देशन में तहसीलदार अरविंद पांडेय और नायब तहसीलदार रत्नेश कुमार की टीम भी मौजूद रही। साथ में नगर निगम के लेखपाल श्री मृदुल मिश्रा, क्षेत्रीय लेखपाल दीपक वर्मा, थाना पीजीआई की पुलिस और नगर निगम की ईटीएफ टीम भी सहयोग में रही। कार्रवाई के दौरान अतिक्रमण करने वालों ने वकीलों को बुलाकर विरोध करने की कोशिश की और शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस और ईटीएफ बल की मदद से शांतिपूर्वक कार्रवाई पूरी कर ली गई।

संवाद में उठा कोआपरेटिव बैंक एकीकरण का मुद्दा

कोआपरेटिव बैंक वर्कर्स यूनियन उ.प्र. की प्रथम ‘कर्मचारी सवांद,परिचर्चा’ बैठक,लखनऊ में सम्पन्न हुई। इस परिचर्चा में केन्द्र सरकार की दूरगामी नीति की तर्ज पर प्रदेश के सभी सहकारी बैंकों के एकीकरण और सहकारी बैंक कार्मिकों की ज्वलंत समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई। परिचर्चा में संगठन के मण्डलीय एवं जनपदीय विस्तार का निर्णय लिया गया। विभिन्न प्रकार की समस्याओ से पीड़ित उ.प्र. मे कार्यरत सहकारी बैंको के कर्मचारियों की एक संवाद,परिचर्चा बैठक डिप्लोमा इंजीनियर “संघ भवन” के सभागार मे संवाद बैठक की अध्यक्षता संगठन अध्यक्ष विशाल त्रिवेदी द्वारा की गयी। इस अवसर पर मुख्य अतिथ् िकेे रूप में पूर्व वरिष्ठ सहकारी कर्मचारी नेता पूर्व वरिष्ठ सहकारी कर्मचारी नेता एस.एन. मिश्रा की गरिमामयी उपस्थिति रही। संवाद कार्यक्रम में प्रदेश महामंत्री शिशिर शर्मा, प्रदेश उपमहामंत्री रौनिक भारद्वाज, दीवान सिंह कुंतल ने विस्तार से समस्याओं और उनके निदान पर अपने विचार रखे। मंच का संचालन प्रदेश संगठन मंत्री नरेश द्विवेदी द्वारा किया गया।
संवाद कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न जनपदो से भारी संख्या मे कर्मचारीयो ने अपने विचार रखते हुए बताया कि प्रदेश की कई जिला सहकारी बैंको मे कर्मचारियों की भविष्य निधि बैंक मे गठित भविष्य निधि ट्रस्ट मे जमा होती है जबकि कई जिला सहकारी बैंको मे कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य निधि की धनराशि भविष्य निधि संगठन मे जमा हो रही है। बैठक मे यह निर्णय लिया गया कि सभी बैंको के कर्मचारियों की भविष्य निधि की धनराशि भविष्य निधि संगठन मे जमा होनी चाहिए जिससे कर्मचारी अधिक ब्याज,पेंशन एवं ईपीएफओ की तरफ से मिलने वाले बीमा का लाभ ले सके। प्रदेश की सभी जिला सहकारी बैंको मे कर्मचारियों की भारी कमी है। विगत कई वर्षाे से जिला सहकारी बैंको मे कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है। आने वाले वर्षाे मे कई कर्मचारीयों की सेवानिवृती.को द्रष्टिगत रखते हुए प्राथमिक सहकारी समितियों की तर्ज पर समस्त केंद्रीय सहकारी बैंको मे कार्मिको की सेवानिवृती आयु 60 वर्ष के स्थान पर 62 वर्ष किया जाए। उ.प्र. सहकारी समिति कर्मचारी सेवा विनियमावली 1975 के विनिमय संख्या-24 मे संशोधन एवं अतिशीघ्र जिला सहकारी बैंको मे रिक्त पदो के सापेक्ष भर्ती कराई जाए। सभी जिला सहकारी बैंक के कार्मिको को ‘‘ एक काम एक दाम’’ के अनुसार एक समान वेतन निर्धारण के संबंध मे विस्तृत चर्चा हुई। इसके साथ दुर्बल 16 जिला सहकारी बैंको सहित प्रदेश कि अन्य जिला सहकारी बैंको के कार्मिको को समान वेतन का लाभ दिया जाए। जिला सहकारी बैंको मे सहकारिता से जुड़े समस्त विभागो के विभागीय खातो के साथ-साथ अन्य सरकारी विभागो के खाते खुलवाने हेतु शासन स्तर पर कई बार मांग की गयी है किन्तु आज तक जमीनी स्तर पर इसका क्रियान्वयन नहीं हुआ है। बैठक मे ये निर्णय लिया गया कि इस लंबित मांग को सख्ती से लागू कराया जाये जिससे सहकारी बैंक आर्थिक रूप से मजबूत हो सके। प्रदेश के अधिकांश जिला सहकारी बैंको मे कर्मचारियों को मेडिकल क्लैम का लाभ प्राप्त नही हो रहा है। लंबित मेडिकल क्लेम का अविलंब उनके भुगतान कराये जाए।

कमर्शियल बैंको कि तर्ज पर उत्तर प्रदेश कि 50 जिला सहकारी बैंको को उ.प्र. कोआपरेटिव बैंकों का केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय स्तर पर संगठन द्वारा ठोस पहल करते हुए विलयनीकरण कराया जाए।वर्ष 2012 से 2017 के मध्य नियुक्त कर्मचारियों को कई जिला सहकारी बैंकों में पूर्ण सेवाशर्तों जिसमें सीसीलिमिट,ऋण की सुविधा,वार्षिक वेतनवृद्धि,पदोन्नति इत्यादि का लाभ प्रदान नहीं हो पा रहा है। जिससे इस वर्ग में घोर निराशा है। बैठक मे निर्णय लिया गया कि वर्ष 2012 से 2017 के मध्य नियुक्त कर्मचारियों जिन्हे पूर्ण सेवाशर्तों का लाभ नहीं मिल रहा उनके लिए संगठन द्वारा ठोस कदम उठाये जाएगे। समिति स्तर से बैंक शाखाओ मे आने वाले केसीसी ऋण आवेदन पत्रो के साथ-साथ अन्य अभिलेखो पर ब्लॉक स्तरीय अथवा तहसील स्तरीय सहकारी अधिकारी द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होने के उपरांत ही अभिलेखो का बैंक शाखाओ मे प्रेषण सुनिश्चित कराने और प्रदेश मे समस्त सहकारिता विभाग जो जिला सहकारी बैंको के बकायेदार है उनसे वसूली हेतु प्रभावी कार्यवाही पर जोर दिया गया। संवाद बैठक में निर्णय लिया गया कि सहकाारी बैंको की 11 ज्वलंत समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन तैयार कर अतिशीघ्र मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव सहकारिता को देने के 15 दिनों के उपरान्त एक प्रान्तीय बैठक कर आन्दोलन का निर्णय लिया जाएगा। बैठक के उपरांत पहलगाँव हमले मे शहीद हुए निर्दाेष नागरिकों एवं आगरा यूनिट के अध्यक्ष स्व. विनोद सागर की आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।

बैठक मे ओमचंद शुक्ला, मोहम्मद जुहेब, प्रशांत बाल्यान, अनिल कुमार, विनोद कुमार गौतम, मनीष शर्मा, सर्वेश कुमार, रामदेव बिन्द, राजकुमार, विकास गुप्ता, नेत्रपाल सिंह, शेलेन्द्र मिश्रा, रवींद्र सिंह, आशु द्विवेदी, राहुल यादव, महेश शर्मा, रमेश चंद, श्रीमति माधुरी सिंह ने अपने विचार रखें।

निजीकरण के विरोध में ज्ञापन अभियान जारी, बड़े आंदोलन की तैयारी

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति और टकराव का वातावरण बनाने का आरोप लगाया है। निजीकरण के विरोध में पूरे प्रदेश में जन प्रतिनिधियों को ज्ञापन दो अभियान के अंतर्गत कई विधायकों को दिए गए ज्ञापन। संघर्ष समिति ने आज प्रदेश भर में सभाएं कर मई के महीने में बड़े आंदोलन की तैयारी का ऐलान किया।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण के विरोध में शांतिपूर्वक ध्यान आकर्षण सभाएं और प्रदर्शन करते हुए आज 150 दिन हो गए हैं और पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन ने संघर्ष समिति से इस मामले में एक बार वार्ता तक करना जरूरी नहींसमझा। प्रबंधन उल्टे बिजली कर्मचारियों ,संविदा कर्मियों और अभियंताओं का उत्पीड़न करने पर उतारू है। प्रबंधन के उत्पीड़न से परेशान होकर आज मथुरा के सभी संविदा कर्मियों ने सामूहिक त्यागपत्र दे दिया है। संघर्ष समिति ने कहा कि प्रबंधन की अवैध ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट के साथ मिली भगत है। इसी कारण कंसल्टेंट का झूठा शपथ पत्र और सभी फर्जी दस्तावेज सामने आने के बावजूद प्रबंधन कंसल्टेंट की नियुक्ति को रद्द करना तो दूर रहा इसी कंसल्टेंट के साथ मिलकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट तैयार करा रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि मध्यांचल के प्रबंध निदेशक ने बिजली अभियंताओं को धमकी दी है कि वे 28 अप्रैल तक अपने घरों पर स्मार्ट मीटर लगवा लें। इसी प्रकार का दबाव अन्य स्थानों पर भी बनाया जा रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि यह इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का उल्लंघन है। बिजली कर्मियों को रियायती बिजली की सुविधा एक्ट के जरिए मिल रही है और रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने के लिए स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं जिसका बिजली कर्मी पुरजोर विरोध करेंगे। इसी प्रकार 24 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए जिम्मेदार बिजली कर्मचारियों पर फेशियल अटेंडेंस थोपा जा रहा है। अत्यंत अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मियों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं होता। ऐसे में एंड्रॉयड फोन के जरिए फेशियल अटेंडेंस सीधे-सीधे उत्पीड़न है। संघर्ष समिति ने कहा कि यह सब कार्यवाही निजीकरण के विरोध में चल रहे सफल आंदोलन से बौखला कर पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन कर रहा है। ज्ञापन दो अभियान के अंतर्गत लखनऊ में विधायक अरमान खां,कानपुर में विधायक नीलिमा कटियार, घोसी में विधायक सुधाकर सिंह, औराई में विधायक दीनानाथ भास्कर और अन्य स्थानों पर कई विधायकों और जनप्रतिनिधियों को आज ज्ञापन दिए गए।आज बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर सभाएं कर 01 मई को होने वाली बाइक रैली और मई महीने में होने वाले आंदोलन की तैयारी की। पहलगाम की आतंकी घटना के बाद स्थगित किया गया विरोध सभाओं का क्रम 28 अप्रैल से पुनः शुरू होगा।

निरीह संविदा कार्मिको पर प्रहार, ग्रांट थ्रोनटन से प्यार
-उपभोक्ता परिषद का ऊर्जा मंत्री से सीधा सवाल

उत्तर प्रदेश में बात बात पर पावर कॉरपोरेशन व ऊर्जा मंत्री जी गरीब संविदा कर्मियों को बर्खास्त करने की बात करते हैं पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन भ्रष्टाचार पर बड़ी-बड़ी बातें करता है। लेकिन झूठा शपथ पत्र देकर भ्रष्टाचार में लिप्त 42 जनपदों के निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली ग्रांट थ्रोनटन कंपनी पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री जी बताएं की कार्यवाही कब होगी। प्रदेश के 3 करोड़ 45 लाख विद्युत उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार है की भ्रष्टाचार पर गरीब संविदा कर्मियों पर तो कार्यवाही बहुत जल्दी होती है। लेकिन उद्योगपतियों के लिए मसौदा तैयार करने वाले कंसलटेंट कंपनी पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। उपभोक्ता परिषद को भी पता है कि देश का एक बड़ा निजी घराना इस कंसलटेंट कंपनी को बचाने के लिए लगा है क्योंकि उसका पूरा मसौदा इसी कंसलटेंट कंपनी द्वारा दरवाजे के पीछे से तैयार किया गया है।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा गर्मी के महीने में जब बड़े पैमाने पर ब्रेकडाउन हो रहे हैं। आने वाले समय में विद्युत आपूर्ति को सुचारू रास्ते पर रखना बड़ी चुनौती होगी। सभी को पता है इसमें सबसे अहम भूमिका संविदा कार्मिकों की होती है उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024 के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल स्थाई कर्मचारियों की संख्या 31738 है। टोटल आउटसोर्स कार्मिक यानि संविदा कार्मिकों की संख्या लगभग 85098 थी। प्रदेश के जो कुल विद्युत उपभोक्ता है 3 करोड़ 45 लाख उनके अनुपात में यह संख्या कम है। लेकिन वर्तमान में हजारों की संख्या में संविदा कार्मिकों की छटनी की जा रही है। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार संविदा कार्मिकों के लिए सुविधाओं की ऐलान कर रहे हैं। उनके वेतन को अच्छा बनाने की रणनीति बना रहे। लेकिन उत्तर प्रदेश का पावर सेक्टर उन्हें बेरोजगार कर रहा है।ज्ञात हो कि ये वही संविदा कार्मिक जो कोराना काल में अपनी जान की बाजी लगाकर जनता को विद्युत आपूर्ति में अपना योगदान दे रहे थे। ं दूसरी ओर उद्योगपतियों के लिए उनके मन मुताबिक मसौदा तैयार करने वाली ग्रांट थ्रोनटन कंपनी जिस पर झूठा शपथ पत्र देने के आरोप सिद्ध हो गए हैं। लेकिन आज तक पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन और ऊर्जा मंत्री उसे पर कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। जब उपभोक्ता परिषद ने तह में जाकर पता किया तो पता चला देश का एक बड़ा निजी घराना उसे बचाने में लगा है। क्योंकि वह बड़ा घराना ऊर्जा क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए नई बनने वाली बिजली कंपनियों को खरीदने का इच्छुक है। वर्तमान में असंवैधानिक तरीके से झूठा शपथ पत्र देकर निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाला कंसल्टेंट कंपनी उससे जुड़ा हुआ है।

Aaj National

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