LUCKNOW:’गोबरनामा’ : भाजपा सरकार का नया ‘कारनामा’,क्लिक करें और भी खबरें

-सरकारी भवनों पर गोबर वाले पेंट के फैसले पर अखिलेश ने कसा तंज

  • REPORT BY:K.K.VARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ । योगी आदित्यनाथ सरकार ने सरकारी भवनों पर गोबर से बने पेंट के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर जोर दिया है, जिस पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तंज कसा है। सपा अध्यक्ष ने सीएम योगी पर निशाना साधते हुए उनके इस बयान को ‘गोबरनामा’ करार दिया और कहा कि ये बीजेपी सरकार का नया कारनामा है। सीएम योगी ने जब सरकारी भवनों पर गोबर से बने पेंट को बढ़ावा देने की बात की तो अखिलेश यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी और उनकी सलाह को ‘गोबरनामा’ कह डाला।सपा अध्यक्ष ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर सीएम योगी के निर्देशों पर तंज कसते हुए लिखा- ‘गोबरनामा : भाजपा सरकार का नया कारनामा’।

रविवार को सीएम योगी ने लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर बैठक में पशुपालन विभाग और दुग्ध विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए और गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट का प्रयोग सरकारी भवनों में भी करने तथा पेंट प्लांट्स की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया।मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन और दुग्ध विकास ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार है। यह क्षेत्र दुग्ध उत्पादन तक सीमित नहीं बल्कि इसमें आजीविका, पोषण सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण की व्यापक सम्भावनाएं हैं। उन्होंने गो आश्रय स्थलों में केयर टेकरों की तैनाती से लेकर उनके मानदेय का समय से भुगतान, भूसा बैंक बनाने, पानी, हरे चारे और चोकर की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर भी जोर दिया। सीएम योगी लगातार गोवंश की सुरक्षा और स्थिति बेहतर करने पर काम कर रहे हैं।

सभासद के एक पद पर निर्दल, दूसरे पर सपा का कब्जा,दोनों सीटों पर हार गई बीजेपी

नगर पंचायत बीकापुर और खिरौनी सुचितागंज में सभासद पद के उपचुनाव में निर्दल और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। दोनों सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। आज सोमवार को मतगणना के बाद चुनाव परिणाम घोषित किए गए। नगर पंचायत बीकापुर में सभासद पद के लिए नगर निकाय उपचुनाव में वार्ड संख्या तीन में निर्दल उम्मीदवार अंकिता कनौजिया ने भाजपा उम्मीदवार को रिकॉर्ड मतों से हराकर जीत दर्ज करके सभी को चौंका दिया। सोमवार सुबह तहसील सभागार में शुरू हुई मतगणना के बाद निर्दल उम्मीदवार अंकिता को 399 मत प्राप्त हुए। जबकि भाजपा उम्मीदवार गायत्री देवी को 290 मतों पर ही संतोष करना पड़ा।अंकिता कनौजिया 109 मतों से विजई घोषित की गईं।

निर्वाचन अधिकारी खंड विकास अधिकारी हरिश्चंद्र सिंह ने अंकिता को जीत का प्रमाण पत्र सौंपा। अनुसूचित महिला जाति के लिए आरक्षित वार्ड संख्या तीन तेंदुआमाफी की सभासद रहीं राधा कनौजिया का कुछ माह पहले बीमारी के चलते निधन हो गया था। उनके निधन के बाद उपचुनाव कराया गया। उप चुनाव में विजेता उम्मीदवार अंकिता दिवंगत सभासद राधा कनौजिया की बहू हैं। सोहावल की नगर पंचायत खिरौनी सुचितागंज में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वार्ड संख्या एक विसुहिया में सभासद पद पर हुए चुनाव की मतगणना में पहले राउंड में ही भाजपा प्रत्याशी बिंदु रावत से सपा प्रत्याशी पार्वती देवी ने बढ़त बना ली। पार्वती देवी पहले राउंड में 228 मत पाकर भाजपा की प्रत्याशी से 107 मतों से बढ़त बना चुकी थीं।पहले राउंड की मतगणना में सपा 228, भाजपा 101 और निर्दल लक्ष्मी को सात मत प्राप्त हुआ। दूसरे राउंड की गिनती में सपा 177, भाजपा 248 और निर्दल प्रत्याशी को तीन मत मिले। इस तरह सपा की पार्वती देवी भाजपा की बिंदु रावत से 36 मतों से विजयी हुईं। दोनों राउंड की मतगणना समाप्ति के बाद अंतिम परिणाम घोषित किया गया। इसमें भाजपा की बिंदु रावत को 369 व सपा प्रत्याशी पार्वती देवी को 405 मत मिले। एक वोट नोटा पर भी गया है। नगर पंचायत खिरौनी के उप चुनाव में भी यह सीट सपा के खाते में चली गई। यह सीट पहले भी सपा के  खाते में थी। सपा सभासद तारा देवी के निधन के बाद यह सीट रिक्त हुई थी।

समाजवादी पार्टी ने शुरू की मिशन 2027 की तैयारी,अखिलेश यादव का ओबीसी पर खास फोकस

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अभी बहुत दूर हैं, मगर सियासी तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं।यूपी में बीजेपी नीत गठबंधन हुकूमत में है, वही प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी भी कुछ कम नही है। यह तो सभी की जुबां पर है कि 2027 में जबरदस्त सियासी जंग बीजेपी बनाम सपा होनी है।इंडिया गठबंधन मजबूत है, यह दावा बराबर सपा चीफ अखिलेश यादव करते हैं।
उत्तर  प्रदेश में डेढ़ साल के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन सियासी बिसात अभी से ही बिछाई जाने लगी है।2017 में जिस दांव से बीजेपी ने सपा को सत्ता से बेदखल कर हुकूमत में आईं, उसी तर्ज पर अब अखिलेश यादव योगी आदित्यनाथ सरकार को 2027 में हटाने का तानाबाना बुन रहे हैं। हर चुनाव में असली जजमेंट तो वोटर सुनाते हैं। दल अपनी ताकत बढाने की भरसक कोशिश करते है। अखिलेश का पूरा फोकस ओबीसी वोटों पर है, जिनके सहारे बीजेपी यूपी में अपनी सियासी जड़े जमाने में कामयाब रही है।सपा ओबीसी की जातियों को साधने में जुट गई है।
अखिलेश यादव ने इन्हें रिझाने के लिये वादा करने का प्लान बनाया है। सपा 2027 के चुनाव घोषणा पत्र में पीडीए को लुभाने वाली बातें शामिल करेगी।बीजेपी उत्तर प्रदेश में 2002 के बाद 2017 में सत्ता लौटी थी।2017 में अखिलेश सरकार पर यादववाद का नैरेटिव गढ़कर बीजेपी ने गैर-यादव ओबीसी, दलित और सवर्ण जातियों की सोशल इंजीनियरिंग बनाकर यूपी की सत्ता अपने नाम की थी, अब उसी तर्ज पर योगी सरकार के खिलाफ अखिलेश यादव सियासी बिसात बिछाने की कवायद में है।सपा 2024 में पीडीए पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वोटों के सहारे बीजेपी को मात देने में सफल रही। अब उसे और विस्तार देना है जिसके लिए अखिलेश ने शनिवार को नोनिया समाज के लोगों के साथ बैठक किया और तमाम वादों का ऐलान किया।नोनिया समाज के लोग अपने नामों के साथ चौहान लिखते हैं।राजभर और चौरसिया जैसी ओबीसी जातियों को भी साधने पर नजर है। शुक्रवार को राजभर समाज के लोगों के साथ बैठक की। सत्ता में आने पर लखनऊ की गोमती नदी के किनारे राजभर के महापुरुष माने जाने वाले राजा सुहेलदेव की प्रतिमा लगाने का भी ऐलान कर दिया। सुहेलदेव महाराज के हाथ में तलवार सोने के साथ मिश्रित ‘अष्टधातु’ से बनी होगी।
नवगठित सुहेलदेव सम्मान स्वाभिमान पार्टी के प्रमुख महेंद्र राजभर की इच्छा का सम्मान करते हुए  घोषणा की। पूर्वांचल में राजभर समुदाय के लिए काफी अहम हैं। 2022 के चुनाव में राजभर समाज का बड़ा तबका सपा के साथ रहा था। ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा के साथ उनका गठबंधन था। गठबंधन टूट गया है। ओम प्रकाश राजभर बीजेपी के साथ हैं। राजभरों का विश्वास बनाए रखने के लिए सुहेलदेव का सहारा ले रहे हैं। राजा सुहेलदेव की विरासत पर दावा करने की रणनीति मानी जा रही है।2016 में राजभर समाज के वोटों साधने के लिए अमित शाह ने सुहेलदेव के गौरव को बहाल करने का वादा किया था। पीएम मोदी ने सुहेलदेव के नाम पर डाक टिकट जारी किया, ट्रेन चलाई थी। अखिलेश यादव ने कांग्रेस के पूर्व सांसद शिवदयाल चौरसिया की जयंती पर ओबीसी और दलितों को राजनीतिक संकेत भी दिया था। शिवदयाल को चौरसिया समाज का बड़ा नेता माना जाता रहा है।उन्होंने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर और बसपा के संस्थापक कांशीराम जैसे लोगों के साथ काम किया था।अखिलेश ने 13 मार्च को उनकी जंयती के मौके पर ऐलान किया था कि हम जब सरकार में आएंगे तो शिवदयाल चौरसिया के सम्मान में गोमती नदी के किनारे उनके नाम का स्मारक बनवाएंगे।यूपी में चौरसिया समाज करीब 2 से 3 फीसदी है। किसी सीट पर चौरसिया समाज में अपने दम पर एक भी विधायक जिताने की ताकत नही लेकिन दूसरी जातियों के साथ मिलकर किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की कूबत है। चौरसिया वोटर फिलहाल बीजेपी को कोर वोटबैंक माना जाता है, लेकिन सपा अब शिवदयाल को सम्मान देकर चौरसिया वोटों को साधने की स्ट्रैटेजी बनाई है। इसके चलते सपा ने पार्टी संगठन में राम लखन चौरसिया को अहम रोल दे रखा है।
बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी की तमाम छोटी-छोटी जातियों को साधने की कवायद की थी। अमित शाह ने माइक्रो लेवल पर जाकर  जातियों को साधने के बीच बीजेपी की पैठ बनाने के लिए उनके महापुरुषों की याद में कार्यक्रम करने और त्योहारों में पार्टी नेताओं को शामिल होने के आदेश दिए थे।सपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पीडीए का नैरेटिव सेट किया था, जिसमें यादव के साथ कुर्मी, मौर्या, लोध जैसी ओबीसी की अहम जातियों को जोड़कर बीजेपी को मात दी थी। 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए सपा की नजर ओबीसी की तमाम अलग-अलग जातियों के वोटबैंक पर है। अखिलेश यादव नोनिया से लेकर राजभर और चौरसिया ही नहीं बल्कि प्रजापित, लोहार, बढ़ाई, जैसी तमाम ओबीसी जातियों को भी साधने की कवायद में है, जिसके लिए सपा ने अपना प्लान बना लिया है।
Aaj National

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