LUCKNOW:रास्ते को दबंगो ने खोद कर किया क्षतिग्रस्त, नहीं हुई कार्रवाई,क्लिक करें और भी खबरें

-मंडलायुक्त के आदेश पर ग्राम पंचायत अधिकारी ने दर्ज कराया मुकदमा,फिर भी नहीं हुई कार्रवाई 

-पीड़ित ने बताया कि रास्ते की पैमाइश न कराकर धारा 24 कराने का बनाया जा रहा  दबाव,सरकारी रुपये से बना था कच्चा रास्ता

  • REPORT BY: AAJNATIONAL NEWS || AAJNATIONAL NEWS DEASK

लखनऊ।सरकारी धन 58,856 रुपये की लागत से बनाये गए रास्ते को दबंगो ने छतिग्रस्त कर दिया। जिस पर गांव के लोगो ने आपत्ति लगाई। लेकिन अधिकारियों के कान में जू नही रेंगा। पीड़ित अधिकारियों की चौखट के चक्कर लगाता रहा लेकिन कोई कार्यवाईं नही हुई। मामला जब मंडलायुक्त तक पहुंचा तो ग्राम पंचायत अधिकारी ने रास्ता छतिग्रस्त करने वाले 9 लोगो के विरुद्ध गोसाईंगंज थाने पर मुकदमा दर्ज कराया गया। लेकिन उसके बाद आज तक कोई कार्यवाईं नहीं हुई।
मामला विकास खंड गोसाईंगंज के बस्तियां गांव का है। जहां अप्रैल 2023 में 58,856 सरकारी रुपए की लागत से प्रेम प्रकाश के घर से राजाराम के घर तक 200 मीटर कच्चे रास्ते का निर्माण कराया गया। लेकिन दो महीने के अंदर जून 2023 में गांव में रहने वाले काशी प्रसाद, कमल गुलाब , ब्रिजेश, राहुल , अमित, हरिप्रसाद सहित 9 लोगो ने करीब 70 मीटर रास्ते को छतिग्रस्त कर दिया। जिसके बाद गांव में रहने वाले लालता प्रसाद वर्मा ने गांव में बनाये गए रास्ते को छतिग्रस्त किये जाने की शिकायत खंड विकास अधिकारी गोसाईंगंज से की । इस सम्बन्ध में गांव के रहने वाले लालता प्रसाद वर्मा ने एसडीएम मोहनलालगंज, के साथ सीडीओ लखनऊ, के साथ मुख्यमंत्री के शिकायत पोर्टल पर की। लेकिन कोई कार्यवाईं नही की गई।

पीड़ित ने बताया कि जब मामले की शिकायत मंडलायुक्त लखनऊ से की 15 महीने बाद सितंबर 2024 में ग्राम पंचायत अधिकारी बस्तियां गोसाईंगंज कृष्ण कुमार द्वारा उपरोक्त लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुए तीन माह बीत गए। उसके बावजूद कोई कार्यवाईं नही हुई। मामला जब उपजिलाधिकारी मोहनलालगंज के पास गया तो उन्होने पैमाइश का आदेश देने से पहले पीड़ित से धारा 24 कराने को कहा। पीड़ित ने बताया कि सरकारी रास्ते को छतिग्रस्त करने वालो के खिलाफ कार्यवाईं करने के बजाय मुझे ज्ञान दिया जा रहा है। पुलिस एफआईआर दर्ज कर पहले पैमाइश कराने को कह रही है लेकिन एसडीएम साहब पहले धारा 24 कराने का दबाव बना रहे है उनका कहना है कि पहले धारा 24 कराओ तब पैमाइश कराई जाएगी। जबकि सारा मामला सरकारी विभागों से जुड़ा होने के बाद भी अधिकारी उसे सीरियस न लेकर हल्के में ले रहे है। जिसके कारण आज तक रास्ता छतिग्रस्त करने वालो पर कोई कार्यवाईं नही हुई। मंडलायुक्त के आदेश के बावजूद नही हुई पैमाइश मंडलायुक्त लखनऊ मंडल लखनऊ रोशन जैकब ने इस मामले में पैमाइश का आदेश दिया लेकिन कोई अधिकारियों ने कोई संज्ञान नही लिया। जिसके कारण आज तक पैमाइश नही हो पाई।

जाने क्या बोले जिम्मेदार

एसडीएम मोहनलालगंज बृजेश कुमार वर्मा ने बताया कि मामले की जांच कराई गई है। रास्ता आबादी में बना होने पर पैमाईश का कोई औचित्य नही है। मामले मे एफआईआर कराई गई है। अब पुलिस का काम है कि उस मामले में चार्जशीट भेजे।

सुशान्त गोल्फ सिटी इलाके में मजदूर की पीट पीट कर हत्या

सुशान्त गोल्फ सिटी इलाके के सेक्टर सी स्थित एक निर्माणाधीन मकान में बीते शनिवार की रात एक मजदूर की पीट पीट कर हत्या कर दी गई। सुबह जब साथी मजदूर काम करने पहुंचे तो वहां पर शव देख पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच पड़ताल के बाद मृतक के परिजनों को सूचना देने के बाद पोस्टमार्टम को भेज दिया।जानकारी के मुताबिक सुशांत गोल्फ सिटी के सेक्टर सी में रायबरेली जिले में पोस्ट एक डॉक्टर घर बनवा रहे है। मकान की देखरेख के लिए ग्राम धौरहरा जिला लखीमपुर खीरी के रहने वाले रमेश कुमार (40) को रात्रि के वक्त बिल्डिंग मटेरियल के रखराखव के लिए रख लिया। वह दिन में अन्य मजदूरों ने साथ लेबर का काम करता था। तथा रात्रि में समान की रखवाली करने के लिए वही पर रहता था। जिसे रात्रि के वक्त किसी ने उसकी पीट पीट कर हत्या कर दी। सुबह जब अन्य मजदूर काम करने पहुंचे तो रमेश का शाम निर्माणाधीन मकान में अंदर खून से लतपत पड़ा था। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने छानबीन के बाद शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेज कर शव के पास पड़े मृतक के मोबाइल से नम्बर निकालकर परिजनों को घटना से अवगत कराया। साथी मजदूरों का आरोप है कि रमेश की हत्या साथी मजदूर ने ही की है।

पहले काम करने वाले मजदूर पर शक

काम करने वाले साथी मजदूरों ने बताया कि शुक्रवार की शाम रजय यादव निवासी मवई आजमगढ़ काम के सिलसिले में निर्माणाधीन मकान पर आया था जिससे किसी बात को लेकर झगड़ा भी हुआ था। लोगो को शक है कि रजय यादव द्वारा हत्या की गई होगी। आरोपी राजय यादव पहले भी काम करता था। लेकिन बाद में वह गांव चला गया जिसके बाद रमेश को काम पर रखा गया। वह फिर काम करना चाहता था।

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