LUCKNOW:प्रेसनोट में फर्जी आंकड़े दिखा रहा पावर कारपोरेश प्रबंधन: समिति,क्लिक करें और भी खबरें

  • REPORT BY:PREM SHARMA  || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK 

लखनऊ। फर्जीवाड़ा करके झूठे आंकड़े देकर बढ़ा चढ़ा कर घाटा बताए जाने के संघर्ष समिति के आरोप पर पावर कॉरपोरेशन द्वारा जारी प्रेस नोट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने कहा है कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा जारी प्रेस नोट में संघर्ष समिति द्वारा पूछे गए किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया गया है। उदाहरण के तौर पर संघर्ष समिति का सबसे ज्वलंत प्रश्न यह है कि कुछ दिन पूर्व पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन द्वारा विद्युत नियामक आयोग को दिए गए ए आर आर में 9206 करोड रुपए का घाटा बताया गया था। कुछ ही दिनों में पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन ने ए आर आर को पुनरीक्षित कर 19000 करोड रुपए का घाट किस आधार पर बताया। इस घाटे में बहुत महंगी दर पर किए गए बिजली क्रय करारों की भूमिका क्या है ? ऐसे करारों को पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन किस निहित स्वार्थ में निरस्त करने को तैयार नहीं हैं।
संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि बैलेंस शीट में ए टी एंड सी हानियां 16.5 प्रतिशत दर्शाई गई है। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने भी कई बार ट्वीट करके यह बताया है कि ए टी एंड सी हानियां 41 प्रतिशत से घटकर 16.5 प्रतिशत रह गई है। अब किस आधार पर पावर कारपोरेशन के चेयरमैन ऊर्जा मंत्री के बयान के विपरीत ए टी एंड सी हानियों को बढ़ा हुआ बता रहे हैं और आम जनता पर 30ः टैरिफ वृद्धि का भार थोपना चाहते हैं। यह फर्जीवाड़ा नहीं है तो और क्या है ?
पावर कारपोरेशन के चेयरमैन द्वारा आज रेवेन्यू अफेयर्स यूनिट के मुख्य अभियंता इंजीनियर डीसी वर्मा और मुख्य महाप्रबंधक वित्त सचिन गोयल द्वारा बयान जारी कराया गया है। संघर्ष समिति ने कहा कि इंजीनियर डी सी वर्मा द्वारा इंजीनियर ऑफ द कॉन्ट्रैक्ट की हैसियत से ग्रांट थॉर्टन द्वारा झूठा शपथ पत्र दिए जाने के बाद ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट के रूप में ग्रांट थॉर्टन की नियुक्ति निरस्त करने की सिफारिश की गई है। पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन डॉक्टर आशीष गोयल इंजीनियर डीसी वर्मा की इस सिफारिश को क्यों नहीं स्वीकार कर रहे हैं और क्यों एक महीने से अधिक समय से ग्रांट थॉर्टन की फाइल दबाए बैठे हैं ? जहां तक मुख्य महाप्रबंधक वित्त सचिन गोयल का प्रश्न है। यह सज्जन पूरी तरह गैर कानूनी ढंग से उच्च पद पर सीधे नियुक्त किए गए है । अतः उनके बयान का कोई अर्थ नहीं है।

निजीकरण के विरोध में 29 मई से कार्य बहिष्कार,प्रबंधन ने बंद करवाया गेट तो भड़के आन्दोलनकारी

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आज प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मचारियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया।संघर्ष समिति ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन पर यह आरोप लगाया है कि वह आंकड़ों का फर्जीवाड़ा कर बढ़ा चढ़ा कर घाटा दिखा रहे हैं और आम उपभोक्ताओं पर इसका बोझ डालना चाहते हैं, जबकि इसके पीछे मुख्य मकसद निजी घरानों की मदद करना है। संघर्ष समिति की आज हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि निजीकरण के विरोध में 21 मई से समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर अपराह्न 2ः00 बजे से सायं 5ः00 बजे तक व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। विरोध प्रदर्शन का यह कार्यक्रम 28 मई तक चलेगा। 29 मई से संघर्ष समिति ने निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की नोटिस दी है। संघर्ष समिति ने कहा कि 29 मई से होने वाले अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार के पहले 21 मई से संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों के प्रांत व्यापी दौरे प्रारंभ होंगे।
संघर्ष समिति ने कहा कि देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि जब किसी प्रांत में पावर कारपोरेशन ने अपने ए आर आर को चार दिन के अंदर पुनरीक्षित कर घाटा बढ़ा चढ़ा कर नई ए आर आर दाखिल की है। संघर्ष समिति ने कहा कि यह सब निजीकरण से पहले निजी घरानों की मदद करने के लिए किया जा रहा है। आगरा में भी निजीकरण के पहले ए टी एंड सी हानियां 54ः बताई गई थी जो वास्तव में 40ः के नीचे थी। इसका दुष्परिणाम यह है कि आज भी आगरा में पावर कॉरपोरेशन 5.55 रु प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर निजी कंपनी को 04. 36 रु प्रति यूनिट में दे रही है और 274 करोड रुपए का सालाना नुकसान उठा रही है। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को सार्वजनिक तौर पर यह बताना चाहिए कि महज चार दिन पहले नियामक आयोग को सौंप गए ए आर आर में 9206 करोड रुपए के घाटे की बात कही गई थी और कल अचानक ए आर आर को बदल कर 19600 करोड रुपए का घाटा दिखाया गया है। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन यह भी सार्वजनिक करें कि निजीकरण के बाद सरकार सब्सिडी देगी या नहीं देगी क्योंकि उनके द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में बार-बार सब्सिडी का उल्लेख किया गया है। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा कल जारी किए गए सारे आंकड़े भ्रामक हैं और जानबूझकर तोड़ मरोड़ कर रखे गए हैं। घाटा बढ़ाकर दिखाने का मकसद केवल निजी घरानों की मदद करना है। संघर्ष समिति इन आंकड़ों पर कल विस्तृत वक्तव्य देगी।आज विरोध प्रदर्शन के दौरान पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन की दमनकारी नीति के चलते शक्ति भवन पर अनावश्यक रूप से टकराव का वातावरण उत्पन्न हुआ। और कार्पाेरेशन प्रबंधन ने शक्ति भवन के सारे गेट बंद करवा दिए । न कोई बाहर आ सकता था और न कोई बाहर से अंदर जा सकता था । पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन की इस कार्यवाही से शक्ति भवन का कार्य प्रभावित हुआ जिसकी सारी जिम्मेदारी चेयरमैन की है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों द्वारा प्रबंधन के इस कृत्य का विरोध किए जाने के बाद शक्ति भवन के गेट खोले गए। आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, केस्को, गोरखपुर, प्रयागराज, आजमगढ़, मिर्जापुर, झांसी, बांदा, अलीगढ़, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, बरेली, अयोध्या, देवी पाटन ,सुल्तानपुर ,ओबरा, पिपरी, अनपरा, परीक्षा, हरदुआगंज, पनकी में व्यापक विरोध प्रदर्शन किए गए।

कही पावर कारपोरेशन को उल्टा न पड़ जाए खेल,उपभोक्ताओं के बकाए एवज पर 45 प्रतिशत दरों में कमी प्रस्ताव दाखिल

पावर कारपोरेशन पूरी तरह से पूंजीपतियों के हाथों में खेल रहा है। लम्बे अरसे से विभिन्न संगठन आन्दोलन करने के साथ प्रबंधन पर लगातार गम्भीर आरोप लगाकर निजीकरण मामले की सीबीआई जॉच तक की मांग उठा रहा है लेकिन क्या मजाल की इस मामले में स्वंय ऊर्जा मंत्री या मुख्यमंत्री सामने आने, हस्तक्षेप करने या फिर कुछ बयान दे कर उपभोक्ताओं की जिज्ञासा को शात करे। ऐसे में जहॉ प्रबंधन पूजीपतियों के साथ प्रदेश में बिजली दरों की बढ़ोत्तरी के लिए लगातार पैतरेबाजी एवं खेल खेल रहा है। उसी के सापेक्ष आज उपभोक्त परिषद ने उ विद्युत नियामक आयोग द्वारा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में वर्ष 2017-18 तक निकाले गए उपभोक्ताओं के सरप्लस 13337 करोड़ में कैरिंग कास्ट जोड़कर कुल सरप्लस 33122 करोड़ के एवज में प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 40 से 45 प्रतिशत कमी के लिए आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर दिया है। अगर वैधानिक रूप से इस प्रस्ताव पर फैसला आ गया तो पावर कारपोरेशन को उसका दाव उल्टा साबित होगा।

प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों ने कल विद्युत नियामक आयोग मैं अपना संशोधित वार्षिक राजस्व आवश्यकता दाखिल करते हुए बिजली कंपनियों का कुल घाटा 19600 करोड़ बताते हुए 30 प्रतिशत बिजली दरों में बढ़ोतरी का आकलन जारी किया इसके विरोध में उपभोक्ता परिषद ने विधिक साक्ष के आधार पर आयोग द्वारा निकाले गए रेगुलेटरी सरप्लस ब्याज को जोड़ते हुए कुल लगभग 33122 करोड़ के आवाज में प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 40 से 45 प्रतिशत कमी करने के लिए एक लोक महत्व जनता प्रस्ताव दाखिल किया। पावर कारपोरेशन के संशोधित सभीमनगढ़ंत आंकडें वाले प्रस्ताव को खारिज करने की उठाई। उपभोक्ता परिषद ने बताया कि नोएडा पावर कंपनी का सर प्लस के आधार पर पिछले तीन वर्षों से 10 प्रतिशत बिजली दरों में कमी चल रही है। तो फिर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में क्यों नहीं ?उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आज विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर एक लोक महत्व जनता प्रस्ताव दाखिल किया उसके माध्यम से उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग के सामने यह गंभीर सवाल उठाया कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा ही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत 3 सितंबर 2019 को जब बिजली दर का आदेश जारी किया था उसमें यह कहा था कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर वर्ष 2017-18 के अंत तक 13337 करोड़ सर प्लस निकल रहा है। जब तक इसकी अदायगी प्रदेश के उपभोक्ताओं को नहीं होती इस पर कैरिंग कास्ट यानी ब्याज भी जुड़ता रहेगा आज 7 से 8 वर्ष बीतने को है लेकिन उपभोक्ताओं को लाभ नहीं मिला। ऐसे में 12 प्रतिशत ब्याज के हिसाब से इसका आकलन कर लिया जाए तो वह 33122 करोड़ से अधिक होगा। ऐसे में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 40 से 45 प्रतिशत कमी करने के लिए आयोग कार्यवाही शुरू करें।उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा पावर कॉरपोरेशन द्वारा दाखिल संशोधित प्रस्ताव तत्काल खारिज किया जाए पूरे देश में कहीं भी बिजली उपभोक्ताओं के ऊपर जो बकाया राशि है उसको घाटे में नहीं दर्ज किया जाता लेकिन बिजली कंपनियों ने कलेक्शन एफिशिएंसी के आधार पर लगभग जो 10000 करोड़ उपभोक्ताओं से वसूली नहीं हो पा रही है उसे घाटे में दर्ज कर दिया। जबकि सभी को पता है कि बकायदार उपभोक्ता जब तक बिजली बिल का भुगतान नहीं करता उसे पर ब्याज लगता है। बकाया वसूलने की जिम्मेदारी पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन की है।वह अभियान चलाकर करोड़ों रुपया खर्च करता है यदि वह यह कार्य नहीं कर पा रहा है तो उसे प्रबंधन से हट जाना चाहिए।

विद्युत निगमों के निजीकरण के विरोध में 17 जून कार्य बहिष्कार

विद्युत संविदा कर्मचारी महासंघ उप्र के घटक संगठनों की आज केन्द्रीय कार्यालय नरही लखनऊ मे हुई एक बैठक मे पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की कार्रवाई रोकने हेतु 17 जून 2025 से पूरे प्रदेश में कार्य बहिष्कार किए जाने का निर्णय लिया गया है ।
बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ मज़दूर नेता एवं महासंघ के प्रान्तीय अध्यक्ष आर एस राय ने किया ।बैठक मे पुनीत राय प्रभारी विद्युत संविदा मज़दूर संगठन उप्र,मो क़ासिफ अध्यक्ष विद्युत संविदा कर्मचारी संघ उप्र,दिनेश सिंह भोले महामंत्री केस्को संविदा कर्मचारी संगठन कानपुर ,विनोद कुमार प्रान्तीय अध्यक्ष निविदा संविदा कर्मचारी सेवा समिति और अमित खारी महामंत्री विद्युत निविदा संविदा कर्मचारी सेवासंघ उप्र सहित मुदस्सिर राजपूत,शाहरुख़ खान,सोनू जाटव,मलिक पांडेय,सुरेन्द्र शर्मा ,अनुराग श्रीवास्तव,बृजपाल शर्मा,विमलेश कुमार तथा परवेन्द्र आदि लोग शामिल हुए।बैठक में प्रान्तीय प्रभारी पुनीत राय द्वारा निजीकरण वापस लिए जाने सहित छटनी किए गए संविदा कर्मियों को वापस रखने,आयु सीमा बढ़ाकर 60 वर्ष किए जाने,श्रमिकों को 22 हज़ार एवं लाइन मैन,एस एस ओ,कम्प्यूटर आपरेटर को 25 हज़ार रुपये वेतन दिए जाने तथा सेवा काल में मृत्यु की दशा में आश्रित को बीस लाख रुपये की बीमा राशि प्रदान किए जाने की मॉग की गई। महासंघ के मिडिया प्रभारी विमल चन्द्र पांडेय ने बताया कि यदि आगामी एक माह के भीतर निजीकरण की कार्रवाई वापस नहीं ली गई तो पूरे प्रदेश के 58 हज़ार संविदा कर्मियों द्वारा 17 जून से 2025 से अनिश्चित क़ालीन कार्य बहिष्कार प्रारंभ किया जाएगा ।

कोठारी बन्धु चौराहा से बुद्धेश्वर मंदिर तक हटाए गए अतिक्रमण

नगर निगम लखनऊ की टीम ने जोन-6 के जोनल अधिकारी के नेतृत्व में कोठारी बन्धु चौराहा से बुद्धेश्वर मंदिर तक एवं पेट्रोल पम्प के आसपास किए गए अवैध अतिक्रमण को हटाने हेतु विशेष अभियान चलाया। यह कार्यवाही क्षेत्र में बढ़ते अतिक्रमण को नियंत्रित करने और यातायात व्यवस्था को सुचारु रूप से बनाए रखने के उद्देश्य से की गई।

इस अभियान के दौरान कुल 20 ठेले, 8 गुमटी, तथा 15 अस्थाई दुकानें हटवाई गईं। इसके अतिरिक्त, 3 ठेले, 1 काउंटर, 4 लोहे की बेंच, 3 स्टूल, 4 तराजू, 5 टायर, और 4 छाते जब्त किए गए। जब्त किए गए सामान को निगम के गोदाम में सुरक्षित रखा गया है।कार्यवाही के दौरान अतिक्रमणकर्ताओं को मौके पर ही सख्त चेतावनी दी गई कि भविष्य में दोबारा सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण न किया जाए। इस संबंध में घ्1900/- का जुर्माना भी वसूल किया गया। साथ ही, दोबारा अतिक्रमण न हो इसके लिए संबंधित क्षेत्रीय थानाध्यक्ष को पत्र भी प्रेषित किया गया है, ताकि आवश्यक निगरानी सुनिश्चित की जा सके।

Aaj National

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