-नर पिशाच राजा कोलंदर इंसानों के सिर को उबाल कर पीता था सूप,एडीजे कोर्ट ने सुनाई सज़ा, ढाई-ढाई लाख जुर्माना भी लगाया
- REPORT BY:AAJ NATIONAL NEWS || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ।इंसानों की हत्या कर उनके भेजे का सूप पीने वाले और उनकी खोपड़ियों का संग्रह करने वाले सीरियल किलर को आखिर उसकी हैवानियत की सजा मिल ही गई।लखनऊ की एडीजे कोर्ट ने राजा कोलंदर को उम्र कैद की सजा सुनाई है। साथ ही ढाई-ढाई लाख का जुर्माना भी लगाया। नरपिशाच राजा कोलंदर अब बाकी उम्र जेल में ही रहेगा।राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन व उसके साथी बच्छराज कोल को वर्ष 2000 में पत्रकार मनोज कुमार सिंह और उसके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव के अपहरण और हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया है।
राजा कोलंदर के फार्म हाउस से पुलिस को 14 मानव खोपड़ियां बरामद हुई थीं। जो उसकी क्रूरता और सनक का जीता जागता उदाहरण थी।राजा कोलंदर और उसके साले पर 25 साल पहले वर्ष 2000 में दोहरे हत्याकांड का मामला दर्ज किया गया था।वर्ष 2000 के डबल मर्डर केस में पुलिस ने 21 मार्च 2001 को चार्जशीट दाखिल की।लेकिन कानूनी दांवपेंच की वजह से मुकदमे की सुनवाई मई 2013 में शुरू हुई। मनोज कुमार सिंह और उनका ड्राइवर रवि श्रीवास्तव 24 जनवरी 2000 को लखनऊ से रीवा के लिए निकले थे।मनोज और रवि ने चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से छह यात्रियों को बिठाया।जिनमें एक महिला भी थी। आखिरी बार उनकी लोकेशन रायबरेली के हरचंदपुर में चाय की दुकान पर मिली थी।वहां से वो लापता हो गये।तीन दिन तक जब उनका कोई पता नहीं चला तो नाका थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। मनोज और रवि की पुलिस ने खोज शुरू की तो दोनों का कहीं पता नहीं लग सका।बाद में दोनों के क्षत-विक्षत शव प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों से बरामद किए गए थे।लेकिन उनके सिर नहीं मिले।
बताते चलें कि राजा कोलंदर प्रयागराज के शंकरगढ़ का निवासी है।उसका असली नाम राम निरंजन कोल है।वह नैनी स्थित केंद्रीय आयुध भंडार सीओडी छिवकी में कर्मी था।राम निरंजन ब्याज पर रुपये देने के साथ ही राजनीति के मैदान में भी सक्रिय था। पत्नी जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थी।उसने अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर बना ली।इस कारण लोग उसे राजा कहने लगे। मनोज और रवि की हत्या के बाद भी राजा कोलंदर पर केस दर्ज नहीं हुआ था।उसकी पहचान सामने नहीं आई थी।
राजा कोलंदर का भयावह चेहरा एक पत्रकार की हत्याकांड के बाद सामने आया था और 14 दिसंबर 2000 में पत्रकार धीरेंद्र सिंह के गायब होने के बाद राजा कोलंदर के अपराध से पर्दा हटना शुरू हुआ। बताते चलें कि 18 दिसंबर को यूपी-एमपी बॉर्डर पर रीवा के पास एक सिरकटी लाश बरामद की गई। उसकी पहचान पत्रकार धीरेंद्र के रूप में हुई।पूरे जंगल में छानने पर भी धीरेंद्र का सिर नहीं मिला।इसके बाद जांच में सामने आया कि 14 दिसंबर की शाम धीरेंद्र के साथ राजा को बाइक पर देखा गया था।राजा कोलंदर के धीरेंद्र के साथ देखे जाने की जानकारी पर प्रयागराज पुलिस ने उसे थाने बुलाकर पूछताछ शुरू की।काफी देर इधर-उधर की बात करने के बाद धीरेंद्र सिंह की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया। हालांकि सिर के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।राजनीतिक ताकत को देखते हुये उससे अधिक पूछताछ नहीं हुई।हत्या के मामले में उसे जेल भेज दिया गया। धीरेंद्र का सिर आखिर कहां गया। यह सवाल उठ रहा था।वहीं मनोज और रवि के सिर भी गायब मिले थे।
पुलिस ने बढ़ते दबाव को लेकर राजा कोलंदर को रिमांड पर लिया। सख्ती से पूछताछ में उसने सभी राज खोल दिये।वह पुलिस को लेकर पिपरी स्थित अपने फॉर्म पर ले गया। वहां वह सुअर पालन करता था। अधिकारियों की मौजूदगी में पुलिस ने फॉर्म हाउस में दफन दो लाशें बरामद कीं और दर्जनभर नरमुंड भी मिले।नरमुंडों पर मार्कर से नाम लिखे गये थे। राजा ने बताया कि यह उन्हीं के नाम हैं, जिनके नरमुंड हैं। पूछताछ में उसने बताया कि हत्या के बाद सिर फॉर्म हाउस पर लाता था। उसे खौलते पानी में उबाल कर साफ करता था। फिर नाम लिख कर जमीन में दबा देता था। बरामद नरमुंडों में धीरेंद्र सिंह का नाम भी लिखा था।कहा जाता है कि वह पानी में नरमुंडों को उबालता फिर उनका सूप बनाकर पीता था।