-केन्द्रीय बजट को कर्मचारी और शिक्षक समाज ने बताया निराशाजनक,कहा बजट में कुछ भी नहीं
लखनऊ। केन्द्र सरकार के बजट को लेकर कर्मचारी और शिक्षक समाज ने प्रतिक्रिया देते हुए निराशाजनक बताया है। टैक्स और बिजली क्षेत्र में भी बजट में कुछ नही किया गया।केंद्रीय बजट 2024-25 पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है,राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी एवं महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने आज पेश हुए केंद्रीय बजट पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि कर्मचारियों की अपेक्षाओं को दरकिनार करते हुए इस बजट में 8वें वेतन आयोग का गठन नही किया गया।परिषद के लम्बे संघर्ष एवं वित्त सचिव स्तर की कई बार बातचीत के बाद भी पुरानी पेंशन बहाली के संबंध में कोई निर्णय सरकार द्वारा नही लिया गया।भारतीय रेल में वरिष्ठजनों को मिलने वाले कन्सेशन को भी बहाल नही किया गया।कोविड काल में फ्रीज हुआ दैनिक भत्ता भी बहाल नही हुआ।खाली पड़े पदों पर भर्ती के लिए कोई विशेष योजना नही बनाई गई।कर्मचारियों के उम्मीद को दरकिनार करते हुए आयकर की सीमा को बढ़ाया नही गया।मानद कटौती में भी अपेक्षा के अनुरूप इजाफा नही किया गया।बचत पर आधारित पुरानी टैक्स रिजीम को खत्म करने का प्रयास सरकार द्वारा किया गया।पुराने टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया। टैक्स लिमिट में भी कोई छूट नही मिली।
नौकरी पेशा कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए बेहद निराशाजनक-शैलेंद्र दुबे
आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बजट को नौकरी पेशा कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए बेहद निराशाजनक बताया है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र खासकर ट्रांसमिशन सेक्टर और राज्यों की विद्युत वितरण कंपनियों के लिए बजट में कुछ भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों और शिक्षकों को बहुत उम्मीद थी कि बजट में पुरानी पेंशन बहाली की बात होगी, 8वें वेतन आयोग की बात होगी, कोरोना काल में जब्त किए गए 18 महीनों के मंहगाई भत्ते की बात होगी, केन्द्र सरकार में लाखों रिक्त पड़े पदों को भरने की बात होगी, आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने की बात होगी, 50 प्रतिशत महंगाई भत्ते को मूल वेतन में जोड़ने की बात होगी किन्तु बजट में इन बातों का उल्लेख भी न होना कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए बेहद निराशाजनक है। इनकम टैक्स में पुरानी व्यवस्था में कोई राहत नहीं दी गई है और पुरानी व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिडकसन भी नहीं बढ़ाया गया है। नई व्यवस्था में मात्र 17500 रु प्रति वर्ष का लाभ है जो अत्यधिक कम है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र के लिए भी बजट में कुछ भी उत्साहवर्धक नहीं है। सबको बिजली और सस्ती बिजली देने हेतु सरकारी नीतियों के कारण भारी घाटा उठा रही राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों को घाटे से उबारने की कोई योजना बजट में नहीं है। ट्रांसमिशन सेक्टर को सुदृढ़ करने की भी बजट में कोई चर्चा नहीं है जो पावर सिस्टम के लिए अत्यन्त आवश्यक है। सबसे सस्ती बिजली देने वाले राज्यों की बिजली उत्पादन कंपनियों के लिए भी कुछ नहीं है इनका बजट में उल्लेख तक नहीं है।
बिजली के क्षेत्र में निराशाजक:अवधेश वर्मा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से वर्ष 2024-25 का अंतिम बजट पेश किया गया जिसमें प्रधानमंत्री सूर्याेदय योजना के तहत रूफटॉप सोलर पैनल उनके घरों में लगाकर उन्हें 300 यूनिट मुक्त बिजली मिलेगी सबसे बडा सवाल या उठता है कि देश में आज भी करोडों लोग ऐसे है जिनकी अपनी छत ही नहीं तो वह सोलर पैनल का लाभ कहां से ले लेंगे वास्तव में जो विद्युत उपभोक्ता लाइफलाइन फ्री में बिजली कनेक्शन लेने के लिए लाइन लगता है वह इस योजना का लाभ नहीं ले पाएगा। पूरे देश में सौभाग्या योजना के तहत करोडो विद्युत उपभोक्ता देश के इस इंतजार में थे कि इस अंतिम बजट में सरकार कोई बडा ऐलान करेगी जिससे उनके लिए बिजली सस्ती हो जाएगी लेकिन उन्हें निराशा मिली।उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा इसके पहले जब किसानों के लिए पीएम कुसुम योजना लाई गई थी तो केंद्र की तरफ से जो निधियां जारी की गई थी वह बहुत कम थी जहां पूरे देश में वर्ष 2020-21 के लिए लगभग 156 करोड वहीं वर्ष 2021-22 के लिए लगभग 406 करोड और वहीं वर्ष 2022-23 के लिए लगभग 801 करोड निधि जारी की गई थी वहीं वर्ष 2023- 24 में यह घटकर केवल 131 करोड ही रह गई इसमें बात करें उत्तर प्रदेश की तो वर्ष 2022-23 के लिए उत्तर प्रदेश में कोई भी निधि आवंटित नहीं की गई वहीं वर्ष 2020-21 में लगभग 15 करोड वर्ष 2021-22 में लगभग 13 करोड और वर्ष 2022-23 में लगभग 82 करोड निधि जारी की गई थी इसलिए यह कहना उचित होगा कि यह योजना भी आने वाले समय में केंद्र सरकार द्वारा आवंटित सब्सिडी पर ही निर्भर करेगा सब मिलाकर ऊर्जा क्षेत्र के लिए अंतिम बजट में कोई क्रांतिकारी निर्णय सामने नहीं आया है और यह कहना उचित होगा कि ऊर्जा क्षेत्र को बजट में निराशा लगी है ।
बजट में सिर्फ निराशा मिली: पाण्डेय
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सतीश कुमार पाण्डेय ने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि सरकार ने बजट में न तो पुरानी पेंशन व्यवस्था पर कोई व्यवस्था करी ना ही आउट सोर्सिंग कर्मचारियों के लिए कुछ किया।आयकर में बहुत मामूली सा परिवर्तन करके आयकर दाताओं के साथ छल किया गया है जिसे कर्मचारी समाज क्षमा नहीं करेगा और निकट भविष्य में पूरे देश का कर्मचारी लामबंद होकर आंदोलन करेगा।
पुरानी पेंशन की बहाली में कर्मचारियों व शिक्षकों को निराशा: बन्धु
एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने मोदी सरकार के तीसरे बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बजट अत्यंत ही निराशाजनक है। इस बजट से कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल होने की उम्मीद थी किंतु बजट आशानुरूप नही रहा। बल्कि शेयर मार्केट में अभी तक कर्मचारियों के 10 प्रतिशत जाते थे अब 14प्रतिशत डुबाने का रास्ता बना दिया गया । देने के बजाये वेतन का 4 प्रतिशत ले लिया गया। प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि भविष्य में कई राज्यो में होने वाले चुनावों को देखते हुए शिक्षक व कर्मचारी को उम्मीद थी इस बार पेंशन बहाली पर सरकार सकारात्मक निर्णय करेगी पर सरकार ने कोई निर्णय न लेकर कर्मचारियों को नाउम्मीद कर दिया। प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ0 राजेश कुमार ने कहा कि इस बजट से सरकारी शिक्षकों व कर्मचारियों की बुढ़ापे की लाठी पुरानी पेंशन बहाल होने की पूरी आशा थी परंतु आज लोकसभा में पेश हुए बजट में पेंशन बहाली की घोषणा न होने से कर्मचारी मायूस हो गए हैं।
इप्सेफ ने जताया आक्रोश एवं नाराजगी
इप्सेफ पब्लिक सर्विस इम्प्लाईज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचन्द्र ने वित्तमंत्री जी के बजट भाषण पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि प्रधानमंत्री एवं वित्तमंत्री को पत्र भेजकर कई बार मांग की थी कि पुरानी पेंशन बहाली, राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन एवं आउटसोर्सिग,संविदा,आंगनबाड़ी कार्यकत्री की सेवा सुरक्षा, न्यूनतम वेतन एवं विनियमतीकरण व आयकर सीमा बढ़ाने पर निर्णय नहीं किया गया। 2 अक्टूबर को देश भर के कर्मचारी इप्सेफ के आवाहन पर पूज्य बापूजी की नीतियों में अनशन सत्याग्रह करेंगे। इसके लिए आन्दोलन भी किया गया, परन्तु भारत सरकार ने कर्मचारियों की पीड़ा को नहीं सुना, इसलिए दो अक्टूबर को गांधी की जयन्ती पर उनके आदर्शों पर सभा करके नाराजगी व्यक्त की जायेंगी और आगे भी सत्याग्रह जारी रहेगा। राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्र ने कहा है कि भीषण महंगाई से कर्मचारी 2 जून की रोटी, बच्चों की शिक्षा-दीक्षा एवं दैनिक खर्चे की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। वही दूसरी तरफ़ कॉर्पाेरेट जगत को लाभ प्रदान किया गया है। इसलिए आन्दोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखता है।