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ऐ मेरे #LUCKNOW, तुझे किसकी लग गई नजर !

-कहां खो गई तहजीब और अदब,शोहदों की हरकत पर सीएम खफ़ा, कई अफसर और पुलिस कर्मियों  पर एक्शन

लखनऊ।यूपी की राजधानी बनने से पहले ये जीवंत शहर इतिहास में ‘अवध’ की राजधानी हुआ करता था।लखनऊ को एक बार भी पूरी तबीयत से घूम चुके लोग,
इसकी मेहमाननवाजी को भूल नहीं सकते।यहां की हिंदी, हिंदुस्तानी भाषा की सबसे मधुर शैली है फिर भी यहां की ‘लखनवी तहजीब’ को न जाने किसकी गंदी नजर लग गई कि राजधानी से आईं कुछ तस्वीरें पूरे शहर को चुल्लूभर पानी में डुबो गईं ? यूं तो दो लखनवी कहीं  अचानक टकरा जाते हैं तो उनकी ज़बान और अंदाज़े-बयां से पूरा लखनऊ शहर फौरन वहीं हाज़िर हो जाता है।
बातें चल निकलती हैं तो गुफ़्तगू के दौरान तहजीब के रस में पगा उनका ‘संवाद’ जिधर भी बढ़ता है, वो सीधे लोगों का दिल छूकर मन मोह लेता है।उसी लखनऊ में कुछ घंटे पहले जो हुआ वो न सिर्फ पूरे शहर बल्कि कभी यहां पर राज करने वाले अवध के नवाब की रूहों को भी दुखी कर गया होगा। तफरीह मन बहलाने के लिए घूमने की भी तहजीब और कुछ कायदे होते हैं लेकिन जिस तरह कुछ ‘छिछोरों’ ने अपने मसखरेपन, लफंगई और हुड़दंगी करतूतों से तमाम मर्यादाएं लांघते हुए पानी से भरी सड़क से गुजर रहे राहगीरों, महिलाओं और बुजुर्गों पर पानी उछाला समझो उसी पानी में उसी समय लखनऊ का नाम डूब गया।इन लंफंगों की हरकतों का शिकार लोग खुद लजा गए, लेकिन मना करने के बावजूद इन्हें मरदूदों को जरा भी लाज नहीं आई।
वो ये भूल गए कि उनकी करतूत से किसी की जान जा सकती है, किसी का मन दुखी हो सकता है. इन बातों की परवाह किए बगैर लंफेगे शरारतों में डूबे रहे और शहर को शर्मसार करते रहे. भले ही शहर में जलजमाव के लिए सिस्टम दोषी हो लेकिन थोड़ी देर की बारिश ने इस शहर की फिजा को बदरंग करने वाले हुड़दंगियों और लफंगों के स्याह चेहरे सबके सामने ला दिए।कुछ लफंगों ने राहगीरों से अभद्रता करनी शुरू कर दी। दोपहिया वाहनों पर बैठी महिलाओं से दुर्व्यवहार किया। उन्हें घसीटा और सड़क पर भरे पानी में गिरा दिया।
कारों को रोककर जबरन उनके दरवाजे खुलवाए और अंदर पानी फेंका वाइपर तोड़ डाले,विरोध करने वालों से मारपीट की। ये पूरा नजारा था आंबेडकर स्मारक के पास का जहां कुछ लोग ऐसे भी थे जो पानी से परेशान लोगों की मदद कर रहे थे लेकिन 2 दर्जन के करीब इन लड़कों ने हुड़दंग किया तो वीडियो वायरल होने पर एफआईआर हुई। उस एफआईआर में छेड़खानी का जिक्र तक नहीं था, जबकि ये खुलेआम गुंडागर्दी कर रहे लोग गाड़ियां खोलकर पानी डाल रहे थे। एक बाइक पर पीछे की सीट पर लड़की बैठी है वो जिस तरह गिरती है वो किसी का भी खून खौलाने के लिए काफी है।
बात मुख्यमंत्री तक पहुंची तो पुलिस ने महिलाओं और आम लोगों से बदतमीजी करने वाले छपरियों को थोड़ी देर में ढूंढ निकाला।जिस थाना क्षेत्र का मामला था वहां के सभी जिम्मेदार अफसरों को नाप दिया गया।लखनऊ हुड़दंग मामले में सीएम योगी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इलाके के डीसीपी, एडीसीपी, एसीपी को हटा दिया। एसएचओ , चौकी इंचार्ज और चौकी पर मौजूद सभी पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया।
उत्पातियों पर हो रही पुलिस कार्रवाई के बाद भले ही ये सुधरें या न सुधरें लेकिन इन्होंने पूरे शहर की आबरू को चुल्लूभर पानी में डूबाकर मार दिया।ऐसे न जाने कितने वीडियो वायरल हुए।पुलिसिया एक्शन भी हुआ। सड़कछाप हरकतें करने वाले कुछ रोडरोमियों और शोहदों को दबोच लिया गया इसके बावजूद ये सवाल अपनी जगह कायम है कि जो लड़की बाइक पर अपने परिजन के साथ जा रही थी उसे जिस शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा क्या वो कभी इस शर्मानक वाकये को भुला पाएगी।इन लफंगों की हरकतों को  जेहन से निकालना उस बहन के लिए बड़ा मुश्किल होगा।
ऐसे में पुलिस को ऐसी सख्त कार्रवाई करते हुए इन लफंगों के मां-बाप को भी बुलाकर समझाना चाहिए कि अगर उन्होंने अपने बच्चों को सही सीख दी होती तो शायद लखनऊ के दामन में ये दाग नहीं लगा होता।ये जो चंद लोगों की वजह से शहर का नाम और मान दोनों खराब हुआ उसके कुछ हद तक जिम्मेदार आवारागिरी करने वाले लफंगों के परिजन भी हैं जो अपने बच्चों को ये न सिखा पाए कि दूसरे की बहन-बेटियों की भी अपनी बहन की तरह इज्जत करनी चाहिए। आपकी ताकत रुतबा-अधिकार सब कुछ वहीं खत्म हो जाता है, जहां से दूसरे की नाक शुरू होती है।

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