- REPORT BY:K.K.VARMA
- EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS
-अभी मानसिक रोग के प्रति जागरूकता की कमी
लखनऊ 22 अगस्त । बदलते परिवेश में भागदौड़ करते आज के युवा की सबसे बड़ी कमजोरी कि वह बिना हाथ पैर मारे सारी सुविधाएं चाहता है ,चाहे परीक्षाफल हो अथवा जीवन के उद्देश्यो की प्राप्ति जिसकी वजह से वो तनावग्रस्त हो जाता है। असफलता छुपाने के लिए नशे की ओर बढ़ जाता है और मानसिक रोगी बन जाता है।मानसिक रोग पागलपन नही,बीमारी है, इलाज से बिल्कुल ठीक हो सकता है। यह बातें जिला अस्पताल बाराबंकी की मनोचिकित्सक डॉ आरती यादव ने कही। उन्होंने कहा, हमे अच्छा निरोगी जीवन जीने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। अगर हम अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखेंगे तो कभी भी तनाव मुक्त नहीं रह सकते। वर्तमान समय में शिक्षा एवं जाब को लेकर युवाओं पर काफी दबाव रहता जिसके कारण युवा तनावग्रस्त हो जाते हैं , इसके दोषी मां-बाप के साथ स्कूल, कॉलेज भी होते हैं जो युवाओं पर पढ़ाई के प्रति दबाव बनाते रहते हैं। युवा एवं युवतियो मे आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। पारिवारिक सामाजिक सांस्कृतिक मतभेद भी लोगों को मानसिक रोगी बना देते हैं जिस व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य उत्तम होगा वह दूसरे लोगों की तुलना में अधिक संघर्षशील व मेहनतकश इंसान होगा। वे कहती है कि घरों में दाई, एवं अनभिज्ञ चिकित्सकों द्वारा कराए गए प्रसव एवं ऑपरेशन व नॉर्मल डिलीवरी के समय ऑक्सीजन की कमी के कारण सीपी बच्चों का जन्म होता जो शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होते हैं।उन्होंने बताया कि ऐसे लोग जो हमेशा उदास रहते, जी घबराया करता है , उनके मन में नकारात्मक विचार आते हैं, उन्हें नींद नहीं आती परिवार के सदस्यो के साथ बैठना पसन्द नहीं करते, ऐसी घटनाओं के बारे में सोचते रहते जो कभी घटित ही नहीं होती। कुछ महिला और पुरुष ऐसे होते हैं कि अगर आपने उन्हें छू लिया या उनके बिस्तर पर बैठ गए तो वह पूरे बिस्तर को धूल देते तथा स्वयं स्नान कर लेते हैं ऐसे लोग भी मानसिक रोगी होते हैं। जिन लोगों में ऐसे लक्षण पाए जाते हैं उनसे परिवार एवं समाज समाज भी दूरी बनाकर उनका तिरस्कार करता है, सही नहीं है। मानसिक रोगी को परिवार एवं समाज से प्यार ,दुलार एवं सम्मान की आवश्यकता होती है। उसे तत्काल मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए। डॉ आरती का दावा है कि प्रतिदिन जिला अस्पताल 60 से 70 मानसिक रोगी आते हैं, जिनकी काउंसलिंग की जाती है तथा उनके परिवारजनों से बात करके उनका इलाज शुरू किया जाता है अधिकांश मरीजों में नींद न आना ,घबराहट होना, तनावग्रस्त रहना, किसी कार्य के मन न लगना महत्वपूर्ण लक्षण होते हैं। मानसिक रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है। किंतु जागरूकता के अभाव में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक रोगियों को भूतप्रेत का साया मानकर लोग बाबा मौलवियों के चक्कर में पड़े रहते हैं जबकि ऐसे लक्षण पाए जाने पर तत्काल अपने आसपास में मौजूद मनो चिकित्सक को तत्काल दिखाना चाहिए। मानसिक रोग ऐसा कोई रोग नहीं है, जो ठीक नहीं हो सकता है यह लोगों की गलत धारणा है की मानसिक रोगी की पूरे जीवन दवा चलती है। वर्तमान समय में लोग दिखावे एवं स्टेटस के चक्कर में अधिक तनाव ग्रस्त रहते हैं जिसके कारण उन्हें अच्छी नींद नहीं आती और वह मानसिक रोग के शिकार हो जाते हैं।जैसे स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन होना आवश्यक है, वैसे ही स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मानसिकता भी आवश्यक है।