-एक सीट रालोद और एक निषाद पार्टी को मिलने के आसार
- REPORT BY: K.K.VARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ 21 सितम्बर।उत्तर प्रदेश की दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का अभी एलान नहीं हुआ लेकिन तैयारी शुरू है।एनडीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर मंथन चल रहा है। बीजेपी अपने सहयोगी दलों को केवल दो सीटें ही देने का मन बना चुकी हैं। इनमें एक सीट जयंत चौधरी की रालोद और दूसरी सीट निषाद पार्टी को दी जा सकती है, बाकी आठ सीटों बीजेपी ही चुनाव लड़ेगी।यूपी की करहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, और कटेहरी पांच सीटों पर सपा का कब्जा था जबकि गाजियाबाद, फूलपुर और खैर तीन सीटें बीजेपी के पास, मीरापुर सीट से रालोद और मझवां सीट पर निषाद पार्टी का कब्जा था। बीजेपी इस गणित के हिसाब से सीटों का बंटवारा करना चाहती है। अभी फाइनल मुहर नहीं लग सकी है।केंद्रीय नेतृत्व की सहमति के बाद आगे फैसला हो सकेगा।2022 के विधानसभा चुनाव जयंत चौधरी का अखिलेश यादव के साथ गठबंधन था। इस चुनाव में रालोद ने मीरापुर व खैर दोनों सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन मीरापुर सीट पर आरएलडी की जीत हुई जबकि खैर सीट बीजेपी के खाते में चली गई। जयंत मीरापुर और खैर दोनों सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते है,लेकिन बीजेपी रालोद को एक ही सीट देने के मूड में हैं। रालोद खैर सीट की मांग कर सकती है। बीजेपी खैर सीट देने के मूड में नहीं है क्योंकि 2022 में सपा से आरएलडी का गठबंधन के बावजूद भाजपा यहां क़रीब एक लाख वोटों से जीती थी। निषाद पार्टी को मझवां सीट दी जा सकती है क्योंकि इस सीट विधायक विनोद कुमार बिंद भदोही से बीजेपी के सांसद बन गए हैं। ये सीट निषाद पार्टी के कोटे में चली गई।संजय निषाद भी इस उपचुनाव में दो सीटों की उम्मीद लगा रहे थे।पिछली बार उन्होंने मझवां और कटेहरी दोनों सीटों से चुनाव लड़ा था, लेकिन कटेहरी में हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी कटेहरी सीट पर चांस लेने के मूड में नहीं है, इसलिए वो ये सीट अपने पास ही रख सकती है।
कांग्रेस ने आरक्षण और संविधान के नाम पर बरगलाया,नेहरू ने 1961 में कहा था, कांग्रेस आरक्षण के पक्ष में नहीं-आर्य
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय पर भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने आज शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने आरक्षण और संविधान के नाम पर लोगों को बरगलाने का काम किया। अब चुनाव के बाद कांग्रेस का चाल चरित्र और चेहरा जनता के सामने है। लाल सिंह आर्य ने कहा कि इनका दलित-पिछड़ा और आदिवासी प्रेम दिखावा था। अब कांग्रेस ही दलितों, पिछड़ों एवं आदिवासियों का आरक्षण खत्म करने की बात कह रही है। अमेरिका में राहुल गांधी ने एक सप्ताह पूर्व आरक्षण खत्म करने की बात की है। राहुल गांधी झूठ की मशीन साबित हो रहे हैं। उनकी कथनी और करनी में फर्क है। यह केवल राहुल गांधी का ही नहीं बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी का चरित्र है। कांग्रेस पार्टी के मूल में ही झूठ बोलना है। अनुसूचित जाति मोर्चा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने कहा कि कांग्रेस के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1961 में मुख्यमंत्रियों के पत्र लिखकर कहा था कि कांग्रेस पार्टी आरक्षण के पक्ष में नही है। नेहरू का कहना था कि आरक्षण से अक्षम्यता और दोयम दर्जे के लोग पैदा होते है। काका कालेलकर कमीशन की रिपार्ट को खारिज करने वाले नेहरू थे। इंदिरा गांधी ने भी मंडल आयोग के रिपोर्ट को खारिज कर दिया। 1985 में राजीव गांधी ने एक बयान में कहा कि आरक्षण से बुद्धू पैदा होते हैं और लोकसभा में तो उन्होंने कहा कि पिछडें वर्ग को आरक्षण ही नही मिलना चाहिए। आरक्षण का लाभ तो अल्पसंख्यकों को मिलना चाहिए। इन सब बातों से सिद्ध होता है कि पूरी कांग्रेस पार्टी ही आरक्षण की विरोधी है। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस और इंडी गठबंधन के नेता संविधान खत्म करने की बात कहते है। जम्मू एवं काश्मीर में बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के मना करने के बाद भी धारा 370 और 35ए लगाने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया था और उसका परिणाम यह हुआ कि एक देश में एक संविधान के बजाय दूसरे राज्य में दूसरी व्यवस्थायें लागू होने लगी। जम्मू कश्मीर में आदिवासियों को विधानसभा में आरक्षित सीटे नही थी। अनुच्छेद 370 नरेन्द्र मोदी ने खत्म किया और उसका परिणाम यह हुआ कि यह पहला चुनाव हो रहा है जिसमें 7 सीटें दलितों के लिए और 9 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित की गई है। जम्मू एवं काश्मीर के सफाई कर्मियों को सफाई का अधिकार तो कांग्रेस ने दिया था, लेकिन उनको स्थायी नौकरी नही दी, हमारे वाल्मीकि समाज के साथ भी कांग्रेस ने बड़ा धोखा किया। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने राहुल गांधी के बयान का समर्थन किया है।उन्होंने कहा कि संवैधानिक ढांचे को कुचलने का काम कांग्रेस पार्टी ने 02 बार किया है पहला धारा 370 लगाकर और दूसरा आपातकाल लगाकर। कांग्रेस ने संविधान को अपनाने के बाद 90 मौकों पर निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त करने के लिए अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग किया, जिससे संविधान का मजाक उड़ाया गया।उन्होंने कहा कि 1966 से 1977 तक, संविधान में 25 बार संशोधन हुआ। 42वें संशोधन में 41 अनुच्छेदों में संशोधन और 11 नए अनुच्छेद जोड़े गए। 2014 के बाद मोद के कार्यकाल में संविधान में केवल आठ बार संशोधन हुआ था, यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया था। लाल सिंह आर्य ने कहा 2017 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिया गया। 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण की शुरुआत। 2019 में वित्त आयोग और संविधान की छठी अनुसूची से संबंधित प्रावधानों में संशोधन। 2019 में लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एससी-एसटी का 10 वर्षों के लिए विस्तार किया गया। 2021 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी ओबीसी सूची में परिवर्तन करने का अधिकार प्रदान किया गया।उन्होंने कहा कि जामिया मिलिया 2011)) और एएमयू 1981 जैसे सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थानों के रूप में वर्गीकृत किया गया, जिससे अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ों को आरक्षण देने से इनकार कर दिया गया। 93वें संवैधानिक संशोधन 2005 के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को आरक्षण प्रदान करने से छूट दी गई। इस एक कदम से सैकड़ों संस्थानों से पिछड़े समुदायों के अधिकार छीन लिए गए।उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के जीवन से जुड़े सभी ऐतिहासिक स्थलों को केवल भूमि व स्थल न मानकर अपितु उनको तीर्थस्थल का सम्मान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने दिया। बाबासाहेब के जीवन से जुड़ी पाँच महत्वपूर्ण स्थानों को भाजपा सरकारों ने विकसित किया। पंचतीर्थ में महू में डॉक्टर अंबेडकर की जन्मभूमि, लंदन में शिक्षा भूमि, नागपुर में दीक्षाभूमि, दिल्ली का महापरिनिर्वाण स्थल और मुंबई में चौत्य भूमि शामिल है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के प्रयास से 1990 में बाबासाहब डॉ अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। डॉ. अम्बेडकर और संविधान सभा ने संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण को मान्यता नहीं दी थी, फिर भी ओबीसी कोटा से आंध्र प्रदेश में 4 प्रतिशत, केरल में 8 प्रतिशत और तमिल नाडु में 3.5 प्रतिशत आरक्षण मुस्लिम समुदाय को देकर संविधान का उल्लंघन किया। कांग्रेस ने 57 वर्षों तक देश पर शासन किया है लेकिन नागरिकों को बिजली, पानी, बैंक खाते, शौचालय, घर आदि जैसी बुनियादी सेवाएं प्रदान नहीं की गईं। हमारी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में बाबासाहेब के सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र के दृष्टिकोण को पूरा करने का प्रयास किया है। कांग्रेस के दुष्चक्र में देश के सर्वसमाज के लोग अब नही फंसने वाले है। उन्हें राहुल गांधी एण्ड कम्पनी की असलियत का पता चल चुका है। देश के सभी वर्गो के लोगों का विश्वास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कायम है।