-काशी में 51 शक्तिपीठों व द्वादश ज्योतिर्लिंग का समागम शक्तिपीठों के माध्यम से सनातन एकता पर होगा दो दिवसीय विमर्श,संतों की कृपा से भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा
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REPORT BY: MUKESH JAISWAL||AAJNATIONAL NEWS DEASK
वाराणसी। काशी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में शनिवार से सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों व 51 शक्तिपीठों का समागम आरंभ हुआ। इसके उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि यह समागम अपनी तरह का अद्भुत व अनूठा है। संभवत यह अपनी तरह का पहला आयोजन है, जिसमें सभी शक्तिपीठों व द्वादश ज्योतिर्लिंगों का एकीकरण हुआ है। यह सनातन को अपार ऊर्जा देने वाला आयोजन है। उन्होंने कहा कि 14 जनवरी से प्रयागराज में त्रिवेणी तट पर आरंभ होने वाला विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला महाकुंभ आरंभ होगा। आप सभी लोग उसमें सादर आमंत्रित हैं। यह महाकुंभ पूरे विश्व में भारत की संस्कृति, सनातन परंपरा का वाहक बनेगा। सभी सनातन धर्मावलंबियों की एकजुटता का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हम सबको एक हो जाना चाहिए। एकता में ही मजबूती है। आज भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है तो यह संतों की कृपा है। यदि हम सभी लोग एकजुट हो जाएं तो हमारे देश को विश्व गुरु बनने से कोई रोक नहीं सकता। जो लोग हमारे बीच जाति भेद की बात कर रहे हैं, वह सिर्फ फूट डालकर वोट लेना चाहते हैं और सत्ता हासिल करना चाहते है । उनको देश के विकास, लोगों के उत्थान से कोई मतलब नहीं है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जो लोग स्वयं को “लोहिया के लोग” कहते हैं तो अब लोहिया के लोग यहां नहीं रहे, केवल सैफई के लोग बचे हैं। लोकसभा के चुनाव में टिकट तो सैफई के लोग ले गए दूसरे यादव भी नहीं थे। आज जो लोग संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं खुद उन्होंने संविधान की हत्या करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सपा की सरकार में न्यायपालिका पर भी हमला हुआ था और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ दैनिक जागरण पर भी सपा के लोगों ने हल्ला बोल अभियान चलाया था। उन्होंने कहा कि सनातन में हजारों वर्षों से वसुधैव कुटुंबम का उद्घोष किया है जो पूरी दुनिया को अपना परिवार मानता है। एक तरफ हम लोग हैं जो पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं। हमारे यहां बच्चा जब चलना सीखता है तो उसे सीख दी जाती है कि यदि पैर के नीचे चींटी आ जाए तो राम-राम बोलो, दूसरी तरफ ऐसी विचारधारा के लोग हैं जिनका बच्चा तीन से छह महीने का होते ही खून खच्चर शुरू हो जाता है, अंतर बिल्कुल साफ है। प्रखर आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर प्रखर जी महाराज ने दावा किया कि वाराही शक्तिपीठ को लेकर जो अनिर्णीत विवाद है, उसका समाधान यही है कि वह शक्तिपीठ और कहीं नहीं अपितु काशी में ही है। इस प्रकार काशी में दो शक्तिपीठ हैं एक मां विशालाक्षी देवी की और दूसरी वाराही देवी की।
शास्त्रों में वर्णन है कि वाराही देवी पंचसागर में अवस्थित हैं, जिस प्रकार का वर्णन है और जो मान्यता उनके महाराष्ट्र में होने की है वहां जाने पर ऐसा कुछ दिखता नहीं लेकिन काशी में पंचगंगा घाट पर पांच नदियों के संगम की जो बात है और उसके ऊपर अवस्थित मंदिर भी है इससे यह सिद्ध होता है कि वाराही देवी की शक्ति पीठ काशी में ही अवस्थित है।