-आयोग पहुंचा उपभोक्ता परिषद
- REPORT BY:PREM SHARMA ||AAJNATIONAL NEWS
लखनऊ।दक्षिणांचल व पूर्वांचल में निजीकरण के मसले पर बोर्ड आफ डायरेक्टर की बर्खास्तगी की मांग को लेकर उपभोक्ता परिषद आयोग पहुच गया है। दक्षिणांचल व पूर्वांचल बिजली कंपनियों को पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण किए जाने के मामले में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में एक लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल करते हुए विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 19 व 20 के तहत तत्काल दक्षिणांचल व पूर्वाचल के बोर्ड आफ डायरेक्टर को बर्खास्त कर प्रशासक नियुक्त करने की मांग उठाई। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा वर्तमान में पावर कॉरपोरेशन लाइसेंसी नहीं है और ना ही उसकी कोई लीगल आइडेंटी है ? उसके द्वारा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम जिसे लाइसेंस विद्युत नियामक आयोग द्वारा दिया गया है। उसका पीपीपी मॉडल में दिए जाने का निर्णय असंवैधानिक है। अभी तक दोनों बिजली कंपनियों के एजीएम द्वारा पारित बोर्ड आफ डायरेक्टर का कोई प्रस्ताव भी नहीं सामने आया है। इसका मतलब की लाइसेंस प्राप्त कंपनी उद्योगपतियों के इशारे पर किसी के सारे पर काम कर रही है। जो प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के साथ एक धोखा है। जो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का उल्लंघन है।
उपभोक्ता परिषद ने अनेकों विधिक सवाल उठाते हुए आयोग के सामने यह मुद्दा उठाया कि चाहे आरडीएसएस में 44094 करोड खर्च, उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे 33122 करोड, दक्षिणांचल व पूर्वांचलें बिजली कंपनियों का हिस्सा लगभग 16000 करोड सर प्लस, स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना को आत्मनिर्भर बनाने का मामला हो या फिर चाहे वह बिजली कंपनियों के 1 लाख10000 करोड के घाटे के सापेक्ष उपभोक्ताओं से 1 करोड 15 लाख बिजली बिल वसूल कर लगभग 5800 करोड के फायदे में पहुंचने के मामले को आधार बनाते कर बिजली कंपनियों को बेचने के लिए एक तथाकथित माहौल बनाया जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि अब इसमें सुधार नहीं हो सकता। जबकि एक तरफ पावर कारपोरेशन ने कल या ऐलान किया कि प्रदेश का ट्रांसमिशन निगम व उत्पादन निगम फायदे में है। अब सवाल यह कि बिजली विभाग के यही इंजीनियर दो निगम को फायदे में पहुंचा सकते हैं तो बिजली विभाग के यह इंजीनियर वितरण निगम को फायदे में क्यों नहीं पहुंचा सकते। इसके पीछे कहीं-कहीं अभियंताओं को हतोत्साहित करके इसलिए रिजल्ट ना प्राप्त करना पडे मुख्य कारण है उन्हें यदि काम करने का मौका दिया जाए तो निश्चित तौर पर सुधार हो सकता है। जो अभियंता या कार्मिक गलत कार्य करें उन्हें सीधे बर्खास्त करे स्वतः सुधार हो जाएगा। लेकिन ऐसा ना करके बिजली कंपनियों का आसानी से निजीकरण हो सके इस योजना चलाई जा रही। ऐसे में बिजली कंपनिया की आइडेंटिटी बनी रहे और न्यायिक प्रक्रिया के तहत वह सुधार योजना को आगे बढा सके। वर्तमान में जो दोनों बिजली निगम का प्रबंधन है वह पावर कॉरपोरेशन जिसको लाइसेंस प्राप्त नहीं है। उसके दबाव में पीपीपी मॉडल की तरफ एक तरफा निर्णय ले रहा है।इसलिए उसे बर्खास्त किया जाना जरूरी है। विद्युत नियामक आयोग विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 19 व 20 के तहत प्रशासक नियुक्त करके अपने देखरेख में उसे चलाएं। आगे यह व्यवस्था करें कि बिजली निगमन में स्वतंत्र रूप से प्रबंध निदेशक और निर्देशकों का चयन हो जिसमें तकनीकी दक्ष प्राप्त लोगों को रखकर उपभोक्ता सेवा को आगे बढाया जा सके।
सिंचाई चालक संघ का 17 से प्रान्तीय प्रदर्शन
राजकीय वाहन चालक संघ सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश ने प्रान्तीय धरना प्रदर्शन का निर्णय लिया है। प्रान्तीय पदाधिकारियों की बैठक में 17 दिसम्बर को कार्यालय प्रमुख अभियंता विभागाध्यक्ष सिंचाई एवं जल संसाधन कार्यालय के समक्ष गेट नम्बर दो पर प्रान्तीय धरना दिया जाएगा। संघ की प्रान्तीय कार्यकारिणी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष शकील अहमद और संचालन प्रान्तीय मंत्री ओरीलाल ने किया।
बैठक के बाद जानकरी देते हुए संगठन मंत्री कैलाश साहू ने बताया कि कई मांगो पर पूर्व में हुए समझौते के बाद भी आदेश जारी न होने से चालक संवर्ग में रोष व्याप्त है। ऐसी स्थिति में संघ द्वारा आन्दोलन का निर्णय लिया गया। इस सम्बंध में आन्देालन का नोटिस विभागाध्यक्ष को प्रेषित किया गया है। संघ की मुख्य मांगों में वाहन चालकों के रिक्त 70 प्रतिशत पदो पर तत्कल भर्ती, सहमति के अनुसार पुराने वाहनों की जगह नए वाहनों की खरीद, टैक्सी प्रथा समाप्त कर, विभागीय कार्मिकों के रिश्तेदारों के वाहनों पर प्रतिबंध, आउटसोर्सिग चालकों को नियमानुसार सुविधाए प्रदान की जाए। बैठक में दिलीप चन्द्र रावत, सुनील कुमार, संतोष कुमार पाण्डेय, रामप्रताप, अनिल कुमार मिश्रा, नीरज विमल और मेघपाल सिंह आदि पदाधिकारी उपस्थित थे।
गुपचुप तरीके से दाखिल की वार्षिक राजस्व आवश्यकता,चोर दरवाजे बिजली दरों में 15 से 20 प्रतिशत बढोतरीे की तैयारी
प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की तरफ से गुपचुप तरीके से 30 नवंबर को देर रात्रि वर्ष 2023 -24 का ट्रू-अप व वर्ष 2025-26 की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) यानी बिजली दर का मसौदा विद्युत नियामक आयोग में सौंप दिया गया है। जहां प्रदेश की बिजली कंपनियों की तरफ से लगभग 1 लाख 16 हजार करोड की वार्षिक राजस्व आवश्यकता दाखिल की गई है। वर्ष 2025 -26 के लिए बिजली कंपनियों लगभग 1 लाख 60 हजार मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता बताई गई है। कुल बिजली खरीद की लागत लगभग 92 हजार से लेकर 95 हजार करोड के बीच है। बिजली कंपनियों की तरफ से आरडीएसएस की वितरण हानियां 13.25 प्रतिशत को ही आधार माना गया। सभी बिजली कंपनियों का जो गैप यानी कुल घाटा वर्ष 2025 -26 लगभग 12800 से 13000 करोड के बीच है। पावर कारपोरेशन ने बडी चालाकी से बिजली दर का प्रस्ताव तो नहीं दिया लेकिन घाटे की भरपाई विद्युत नियामक आयोग पर छोड दिया है। यदि घाटे के एवज में विद्युत नियामक आयोग फैसला लेगा तो लगभग 15 से 20 प्रतिशत दरों में बढोतरी होगी। उपभोक्ता परिषद के अनुसार अगर पावर कॉरपोरेशन की मंशा यदि साफ थी तो उसे वार्षिक राजस्व आवश्यकता में नो टेरिफ होईक लिखना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया क्योंकि वह चोर दरवाजे दरों में बढोतरी चाहता है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा बिजली कंपनियों व पावर कारपोरेशन ने बहुत चालाकी से वर्ष 2025-26 की वार्षिक राजस्व आवश्यकता में प्रदेश के उपभोक्ताओं का जो बिजली कंपनियों पर लगभग 33122 करोड सर प्लस निकल रहा था उसके। ,एवज में बिजली दरों में कमी का कोई भी प्रस्ताव नहीं दिया। बल्कि सबसे बडा चौंकाने वाला मामला यह है कि प्रदेश के 42 जनपद वाले दक्षिणांचल व पूर्वांचल का जो निजीकरण रूपी पीपीपी मॉडल का फैसला लिया गया है उसके बारे में भी वार्षिक राजस्व आवश्यकता एआरआर में कोई भी जिक्र नहीं किया गया है। जो यह सिद्ध करता है कि प्रदेश की बिजली कंपनियां नियामक आयोग को अंधेरे में रखकर तीर चला रही है। बिजली दरों में व्यापक बढोतरी का रास्ता साफ करके निजी घरानों को प्लेट सजाकर आमंत्रित कर रही है। उपभोक्ता परिषद यह अभियान सफल नहीं होने देंगा। उपभोक्ता परिषद कल ही विद्युत नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता के खिलाफ विरोध प्रस्ताव दाखिल कर आर पार की लडाई का ऐलान कर देगा।।
बिजली निजीकरण के पीछे भारी घोटाले की आशंका
–भय और झूठ के सहारे ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण करने का प्रयास
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि प्रबंधन कर्मचारियों के बीच में बर्खास्तगी और दमन का भय पैदाकर संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण करना चाहता है। पहले कदम में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के नाम का खुलासा कर दिया गया है किंतु उद्देश्य संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण का है। संघर्ष समिति ने कहा की प्रबंधन का झूठ बेनकाब हो चुका है, इसीलिए प्रबंधन बर्खास्तगी की धमकी देकर डर का वातावरण बना रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऐसा भी पता चला है कि निजीकरण के पीछे भारी घोटाला है। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों के निजीकरण के विरुद्ध चल रहे संघर्ष को पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर के विद्युत अभियंता संघों ने समर्थन दिया है।
संघर्ष समिति ने आज यहां जारी बयान में कहा कि प्रबंधन को यह बताना चाहिए कि आगरा में फ्रेंचाइजी के साढे 14 साल के प्रयोग का क्या परिणाम निकला है। यह भी बताना चाहिए कि 31 मार्च 2010 तक का लगभग 2200 करोड रुपए का बकाया टोरेंट पावर कंपनी ने आज 14 साल से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद पावर कारपोरेशन को क्यों नहीं दिया। प्रबंधन यह भी बताएं की टोरेंट पावर कंपनी और ग्रेटर नोएडा पावर कंपनी ने राज्य विद्युत परिषद के कितने कर्मचारियों को अपने यहां नौकरी में रखा। प्रबंधन द्वारा यह कहा जा रहा है की टांडा और ऊंचाहार बिजली घर एनटीपीसी को पूरी तरह बेच दिए गए थे जबकि ज्वाइंट वेंचर में एनटीपीसी में 50 प्रतिशत कर्मचारी रखे जाएंगे तो प्रबंधन यह भी बताएं की ज्वाइंट वेंचर कंपनी मेजा में भी है, ज्वाइंट वेंचर कंपनी घाटमपुर में भी है, ज्वाइंट वेंचर कंपनी बिल्हौर में भी है। इन कंपनियों में उत्पादन निगम के एक भी कर्मचारी को क्यों नहीं रखा गया है। प्रबंधन यह भी बताएं कि जब इन्ही कर्मचारियों ने उत्पादन निगम और ट्रांसमिशन निगम को मुनाफे में ला दिया है तो यही कर्मचारी रहते हुए विद्युत वितरण निगम मुनाफे में क्यों नहीं लाया जा सकते। विद्युत वितरण निगम में घाटा लगातार बढ़ रहा है। घाटे की जिम्मेदारी क्या प्रबंधन की नहीं है। संघर्ष समिति ने कहा कि घाटे का जिम्मेदार प्रबंधन हटा दिया जाए तो 1 साल में संघर्ष समिति वितरण निगमों को मुनाफे लाकर दिखा सकती है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में बिजली राजस्व का बकाया लगभग 66000 करोड रुपए है। निजी कंपनियों की इसी पर नजर लगी हुई है। देश के अन्य प्रांतों में जहां पर भी फ्रेंचाइजी या निजीकरण हुआ है निजी कंपनियों ने कहीं पर भी बिजली राजस्व के पुराने बकाया को पावर कारपोरेशन को वापस नहीं किया है। यह सब रिकॉर्ड पर है। उत्तर प्रदेश में भी टोरेंट पावर कंपनी ने 2200 करोड रुपए राजस्व बकाए का वापस नहीं किया। अब जो नई कंपनियां आएंगी इसी बिजली राजस्व के 66000 करोड रुपए के बकाए के बंदर बांट की लूट होने वाली है। यह भी पता चला है कि जुलाई के महीने में बिजली क्षेत्र की एक बड़ी निजी कंपनी ने पावर कारपोरेशन के सामने पी पी पी मॉडल का प्रेजेंटेशन किया था। अब निजीकरण की योजनाओं की प्रतिदिन जो घोषणा की जा रही है वह निजी कंपनी द्वारा दिए गए उसी प्रेजेंटेशन का हिस्सा है। इससे साफ हो जाता है कि प्रबंधन की निजी कंपनियों से सांठगांठ है और निजीकरण के बाद आने वाले मालिक पहले ही तय कर लिए गए हैं। संघर्ष समिति ने इस संबंध में उपभोक्ता परिषद द्वारा किए गए खुलासे का समर्थन करते हुए मांग की है कि निजीकरण पर उतारू प्रबंधन को तत्काल हटाया जाए। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि प्रबंधन अनावश्यक रूप से बिजली कर्मियों का दमन करने से बाज आए। उन्होंने कहा कि अभी कोई आंदोलन का नोटिस नहीं दिया गया है। निजीकरण के बारे में कर्मचारी और उपभोक्ताओं को जनसंपर्क कर अवगत कराया जा रहा है। लेकिन वाराणसी में संविदा कर्मियों की सेवा केवल मीटिंग में हिस्सा लेने के कारण बर्खास्त की गई है जो अत्यधिक निंदनीय है। आज पंजाब राज्य बिजली बोर्ड इंजीनियर्स एसोसिएशन, जम्मू कश्मीर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ग्रेजुएट एसोसिएशन और उत्तरांचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर निजीकरण के निर्णय को वापस लेने की मांग की है और निजीकरण के विरुद्ध संघर्ष में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी और अभियंताओं को पुरजोर समर्थन दिया है। आज लखनऊ स्थित विभिन्न कार्यालयों में जन जागरण किया गया और सभी कर्मचारियों ने एक स्वर में निजीकरण के विरोध में संघर्ष करने का संकल्प व्यक्त किया।
निजीकरण के विरोध में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को ज्ञापन
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन की तरफ से सभी राजनीतिक दलों से सहयोग मांगे जाने के क्रम में आरक्षण बचाओ विभाग बचाओ अभियान के तहत आज दूसरे दिन पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के नेतृत्व में 9 सदसीय प्रतिनिधमंडल ने आज प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से उनके आवाज पर मुलाकात की और एक ज्ञापन सौपा। उन्हें अवगत कराया कि वर्तमान में दक्षिणांचल व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को ट्रिपल पी मॉडल के तहत निजी क्षेत्र में दिए जाने की तैयारी है। जिससे प्रदेश में दलित व पिछड़े वर्गों सहित आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग का आरक्षण स्वतः समाप्त हो जाएगा।
संगठन ने कहा पहले पदोन्नतियों में आरक्षण छीना गया और अब नौकरियों में आरक्षण छीनने की तैयारी है। प्रदेश के 42 जनपदों यानी कि आधे उत्तर प्रदेश में आने वाले समय में उजाले के विभाग में आरक्षण खत्म हो जाएगा। जो अपने आप में चिंता का विषय है। ऐसे में उपमुख्यमंत्री आप अपने स्तर से हस्तक्षेप कर निजीकरण को रोकने का कष्ट करें और साथ ही आरक्षण पर हो रहे कुठाराघात को रोकने हेतु उचित कदम उठाएं।प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने संगठन की मांगों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया और कहा आरक्षण पर सरकार गंभीर है हम आगे बात करेंगे। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आर पी केन, अतिरिक्त महासचिव अजय कुमार, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, अजय कनौजिया, आनंद कनौजिया, ए के प्रभाकर ने उपमुख्यमंत्री से मिलने के बाद एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार सहित पावर कॉरपोरेशन से पुरजोर मांग उठाई कि निजीकरण का फैसला वापस लिया जाना चाहिए। निजीकरण से किसी भी हालत में देश प्रदेश का कोई भी विकास नहीं होने वाला है।
हर जोन में 100 वेण्डिग जोन बनाए जाने के निर्देश
फ्लाईओवर के नीचे व्याप्त अतिक्रमण पर असंतोष, तत्काल प्रभावी कार्यवाही के निर्देश
महापौर सुषमा खर्कवाल की अध्यक्षता में कार्यकारिणी (कामकाजी कार्यकारिणी) की बैठक नगर निगम मुख्यालय स्थित राजकुमार हॉल में नगर निगम कार्यकारिणी के सदस्यों एवं नगर निगम के अधिकारियों की मौजूदगी में सम्पन्न की गई।उक्त बैठक में नगर के विकास से संबंधित तमाम मुद्दों पर चर्चा व जनहित के लिए तमाम कार्यों को संपादित किये जाने के निर्देश दिए गए। बैठक में शहर के हर फ्लाई ओवर के नीचे अतिक्रमण पर भारी रोष जाहिर करते हुए महापौर ने तत्काल प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए।
बैठक में नगर में व्याप्त अवैध अतिक्रमण के विरुद्ध सघन अभियान चलाए जाने के निर्देश दिए गए। नगर के फ्लाईओवरों के नीचे व्याप्त अतिक्रमण पर असंतोष व्यक्त कर महापौर ने जिम्मेदारों से जवाब तलब किया। जिस पर नगर आयुक्त द्वारा प्रभावित क्षेत्रों के जोनल अधिकारी एवं एक्ससीएन को तत्काल प्रभाव से जगह चिन्हित कर कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिए गए। ऐसे प्रभावित क्षेत्रों के संबंध में जोनल अधिकारियों को 15 दिवस के भीतर कार्यवाही पूर्ण करने के उपरांत एक शपथ पत्र प्रेषित किये जाने के आदेश भी दिए गए। नगर में अवैध अतिक्रमण कर्ताओं के विरुद्ध चालान कोर्ट के माध्यम से किये जाने के निर्देश भी दिए गए।बैठक में सदस्यों एवं पार्षदों द्वारा अपने अपने वार्डों में पेय जल, सीवर लाइन एवं समर सेबल की मरम्मत जैसी समस्याओं से अवगत कराया गया ।इन समस्याओं के निस्तारण हेतु महापौर द्वारा संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया। कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले मेले में एक माह के विलंब होने पर जिम्मेदारों की फटकार लगाते हुए जवाबदेही तय किये जाने की बात कही गयी। बैठक में समस्त कर्मचारियों का वेतन महीने की 7 से 10 तारीख तक आने के मामले पर महापौर द्वारा इस प्रक्रिया को अमल में लाये जाने के निर्देश दिए गए।जिस पर मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी ने कहा कि ई-वेतन को क्रियान्वित करने के लिए कार्यदायी संस्था को अपने कर्मचारियों का आधार कार्ड, फोटो, बैंक डिटेल वगैरा देना होगा और हम इसके माध्यम से डायरेक्ट कर्मचारी के खाते में वेतन भेज सकते हैं इससे हम यह भी देख सकते है कि वेतन पहुंचा या नहीं। उन्होंने कहा कि हम अगले महीने तक यह प्रक्रिया शत-प्रतिशत क्रियान्वित कर लेंगे।मृत/रिटायर्ड कर्मचारियों के कटआफ डिसाइड करने को आवश्यक बताते हुए सहमति जाहिर की गई इसका निर्णय जोनवार कमेटी बनाकर किया जाएगा। नगर निगम की भूमियों को कब्ज़ा मुक्त करवाने के पश्चात पुनः कब्ज़ा किये जाने की शिकायतों पर महापौर द्वारा अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव को एक माह के भीतर ऐसी भूमियों पर पुनः नगर निगम का बोर्ड एवं तारबाड़ लगाकर विस्तृत रिपोर्ट प्रेषित किये जाने के निर्देश दिए गए। नगर निगम के विद्यालयों में स्मार्ट स्क्रीन लगाए जाने के सवाल पर जानकारी दी गयी कि इस हेतु टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण हो गयी है जल्द ही स्क्रीन लगवा दी जाएगी।इसके लिए सदस्यों द्वारा महापौर को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।ही महापौर द्वारा सदन में पास किये जा चुके जेम पोर्टल से संबंधित निर्णय पर असंतोष व्यक्त किया और जेम पोर्टल से की जा रही खरीद फरोख्त का विवरण कार्यकारिणी के समक्ष रखे जाने के निर्देश दिए। वेंडिंग ज़ोन बनाये जाने की धीमी प्रगति पर महापौर द्वारा नाराजगी जाहिर की गई। नगर में सभी जोन के जोनल अधिकारीयों को अपने अपने ज़ोन में कम से कम 100 दुकाने वेण्डिंग जोन मे बनाने के निर्देश अधिशासी अभियंता पीके सिंह को दिए गए।वेंडिंग जोन सुव्यवस्थित हो जाए और शहर को अतिक्रमण मुक्त कर स्वच्छ और बनाया जा सके। सदस्य अनुराग मिश्रा द्वारा साहित्य सूर पद्मविभूषण पं. अमृताल नगर, चौक जोकि पर्यटकों व व्यापारियों का मुख्य स्थल भी है, उसके सुन्दरीकरण के प्रस्ताव पर इस कार्य को धन की उपलब्धता होते ही शीर्ष प्राथमिकता पर कराये जाने के निर्देश दिए गए।
सदस्यों द्वारा जल निगम द्वारा किये गए कार्य के दौरान काटी गई सड़कों पर नाराजगी जाहिर की गई और सड़क के कार्य को अधूरा छोड़े जाने पर आपत्ति जताई।साथ ही जो रोड काटी गई है उनको कितने दिन में बनाएंगे इसका जवाब मांगा। रोड कटिंग करते समय जो वायु प्रदूषण फैलता है उसे रोकने के लिए रोज पानी डलवाए जाने की बात कही जिससे प्रदूषण न फैलने पाए।. महापौर द्वारा नगर निगम के खाते निजी बैंको में होने पर आपत्ति जाहिर की गई और मुख्य कर एवं लेखाधिकारी से जवाब तलब किया गया। सभी खाते सरकारी बैंकों में खोले जाने निर्देश दिए जिससे कि फंड इत्यादि के मामलों में आने वाली समस्याओं को दूर किया जा सके।बैठक में कल्याण मण्डप का डीपीआर तैयार करने में हो रही देरी पर असंतोष व्यक्त कर जल्द से जल्द डीपीआर तैयार कर कार्यकारिणी के समक्ष प्रस्तुत किये जाने के निर्देश दिए गए।सदस्य अनुराग मिश्रा द्वारा कूड़ा घरों से पन्नी छटान के लिए रैमकी द्वारा बगैर वेतन के कर्मचारियों से कार्य कराया जा रहा है, जिस पर रैमकी के जिम्मेदारों ने इस बात से इनकार जताया और सभी कर्मचारी वेतन पर नियुक्त है ये पुष्टि की, जिस पर मा. कार्यकारिणी द्वारा इस मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रेषित करने के निर्देश जारी किए।नगर में मौजूद बड़ी बाजारों में साफ सफाई बरकरार रखने हेतु नाइट स्वीपिंग की व्यवस्था को लागू किये जाने की मांग की गई, जिस पर संबंधित अधिकारियों को इस पर कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिए गए।पूर्व की बैठक में साफ सफाई हेतु 20 रोबोट दिए जाने के निर्देश दिए गए थे जिस पर संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया गया और 20 रोबोट उपलब्ध करवाए जाने के निर्देश जिम्मेदारों को दिए गए। बैठक में गणेश गंज के अतिरिक्त स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी 08 डिस्पेंसरी नगर निगम को हस्तांरित किये जाने के आदेश भी जिम्मेदारों को दिए गए।नगर निगम की नई प्रस्तावित बिल्डिंग के स्थल की साफ सफाई करवाये जाने के निर्देश भी जिम्मेदार अधिकारियों को दिए गए।
निजीकरण से नौकरी जाना तय ,समायोजन की स्थिती भयावाह
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन (उत्तर प्रदेश) के केंद्रीय अध्यक्ष इं. गोपाल वल्लभ पटेल ने बताया कि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के पश्चात कॉर्पाेरेशन में कार्यरत जूनियर इंजीनियर एवं अन्य विद्युत कर्मियों की नौकरी जाना लगभग तय हैं। इस संबंध में यूपीपीसीएल प्रबंधन द्वारा समायोजन के लिए बताया जा रहा रोडमैप सरप्लस हो रहे कार्मिकों के सापेक्ष ना काफी है। उन्होने कहा कि ज्ञातव्य है कि उपरोक्त दोनों डिस्कॉम के निजीकरण से वहां कार्यरत 1016 अभियंता, 2154 जूनियर इंजीनियर एवं 23816 टेक्नीशियन लिपिक एवं अन्य कर्मचारी अन्यत्र समायोजन करना होगा जिनकी आधी संख्या भी यूपीपीसीएल के शेष डिस्कॉम मध्यांचल,पश्चिमांचल एवं केस्को में समायोजित नहीं हो पाएगी। कार्पाेरेशन प्रबंधन द्वारा उत्पादन निगम के एनटीपीसी तथा नवेली लिग्नाइट के साथ निर्मित संयुक्त उपक्रम की परियोजनाओं में जूनियर इंजीनियर,अभियंता एवं कार्मिकों को समायोजन की बात की जा रही है,जो कि उचित नहीं है।
संगठन द्वारा बताया गया की वर्तमान में एनटीपीसी के साथ संयुक्त उपक्रम में अनपरा ई 1600 मेगावाट, ओबरा डी 1600 मेगावाट, मेजा प्रयागराज 1320 मेगावाट, तथा नवेली लिग्नाइट के साथ संयुक्त उपक्रम में घाटमपुर परियोजना 1980 मेगावाट स्थापित अथवा निर्माणाधीन है। यानि कुल लगभग 6500 मेगावाट की परियोजनाएं संयुक्त उपक्रम में स्थापित हैं। संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष इं०गोपाल वल्लभ पटेल ने बताया की एनटीपीसी में (एग्जीक्यूटिव एवं नॉन एक्जीक्यूटिव) को मिलाकर 0.5 प्रति मेगावाट नियमित मैनपॉवर तैनाती का मानक है।उक्तानुसार संयुक्त उपक्रम में 6500 मेगावाट स्थापित क्षमता के सापेक्ष कुल लगभग 3250 कार्मिकों की आवश्यकता है जिसमें 50ः यानी 1600 कार्मिक एनटीपीसी के होंगे तथा अधिकतम 50ः यानी मात्र 1600 कार्मिक अन्य निगमो से प्रतिनयुक्ति पर मात्र तीन वर्ष की अवधि के लिए तैनात किए जा सकते हैं। अतः दोनों डिस्कामो के निजीकरण से सरप्लस हुए लगभग 25972 कार्मिकों के सापेक्ष संयुक्त उपक्रमों में उपलब्ध लगभग 1600 पदों पर मात्र तीन वर्षों की सेवा को विकल्प के तौर पर प्रस्तुत किया जाना समझ से परे है। इन परिस्थितियों में जूनियर इंजीनियर एवं प्रोन्नत अभियंताओं की छंटनी /नौकरी से निकाला जाना, पदावनती इत्यादि की कार्यवाही तय है, जिससे उनके तथा उनके परिवार के समक्ष बेरोजगारी एवं भुखमरी का संकट उत्पन्न होगा। इसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता। राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री से अपील किया है कि विद्युत उपभोक्ताओं,आम जनमानस तथा विद्युत कर्मियों के व्यापक हित में पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त किया जाए तथा ऊर्जा निगमो में सुधार के व्यापक कार्यक्रम तत्काल शुरू किये जाए। ऊर्जा निगम के प्रबंध द्वारा कॉर्पाेरेशन की व्यवस्था में लागू किए जाने वाले समस्त सुधार कार्यक्रमों में पूर्ण सहयोग के लिए संगठन का एक-एक सदस्य दृढ़ संकल्पित है।
मृतक आश्रितों नियुक्ति पत्र और 17 सेवानिवृत्त काम्रिकों को बिदाई
नगर निगम में जहां 05 मृतक आश्रितों ने नई जिम्मेदारी की शुरुआत के साथं 17 निष्ठावान कर्मचारियों ने अपनी सेवा समाप्त कर नगर निगम से विदाई दी गई। इस अवसर पर महापौर सुषमा खर्कवाल, उपसभापति गिरीश गुप्ता, पार्षद मुकेश कुमार मोंटी एवं नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह सहित अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव एवं ललित कुमार द्वारा आयोजन में मौजूद नवनियुक्त कर्मचारियों एवं सेवानिवृत्त होने वाले समस्त कर्मचारियों को शुभकामनाएं दी।
लखनऊ नगर निगम विभिन्न संवर्गाे में सेवारत कर्मचारियों की आकस्मिक रूप से देहान्त होने की दशा में मृतक आश्रित के जीवन यापन में सहायता हेतु सेवा में लिये जाने का प्राविधान है। उक्त प्राविधानो के अतंर्गत प्राप्त आवेदन एवं समस्त औपचारिकताएं व नियमो का पूर्ण अनुपालन करते हुए निम्नलिखित कर्मियों को सेवा में लिये जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी है।मुख्यालय स्थित राजकुमार हॉल में आयोजित कार्यक्रम में महापौर सुषमा खर्कवाल द्वारा मृतक आश्रितों उमर जुबैर पुत्र स्व. मो. जुबैर हारून, रवि सागर पुत्र स्वर्गीय दयाराम, गुलशन जहाँ पत्नी स्व. मो. शफीक, अंजली पत्नी स्व. गिन्नी लाल, कौशल कश्यप पुत्र स्व. देवी प्रसादको नियुक्ति पत्र का वितरण किया।उक्त आयोजन मेंमहापौर द्वारा मृतक आश्रितों को नियुक्ति पत्र वितरित कर उनके व उनके परिवार के प्रति संवेदना भी व्यक्त की गई। महापौर के हाथों से नियुक्ति पत्र पाकर सभी आश्रितों के चेहरे खुशी से खिल उठे और सभी ने महापौर का आभार भी व्यक्त किया।’ नगर निगम लखनऊ में विभिन्न पदों पर रह कर पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वालेसुरेश चंद्र सिंह, अधिशाषी अभियंता, अवधेश कुमार, कर अधीक्षक, ज्ञान चंद्र, कर अधीक्षक, राम शंकर मिश्रा, चौकीदार, उमेश चंद्र, प्रधान माली,दिनेश, सफाई कर्मी, राजेन्द्र कुमार, गैंग कुली, विमला, प्रेम, गुड्डी, अशोक, चंदन लाल, सफाई कर्मी राजा राम, मेसन, रूप लाल, बेलदार कमला, सुशीला, शीला, सफाई कर्मीें के सेवानिवृत्त होने के बाद उनकी विदाई भी बड़ी धूमधाम से की गयी। आयोजन में अशोक सिंह प्रभारी अधिकारी (अधिष्ठान) , डॉ पीके श्रीवास्तव नगर स्वास्थ्य अधिकारी के साथ-साथ तमाम वरिष्ठ अधिकारी एवं नरेश वाल्मीकि ,आनंद वर्मा, राजेश सिंह ,केसर रजा, सुनील धानुक, शशि मिश्रा व अन्य कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों सहित अन्य लोग मौजूद रहे।कार्यक्रम का समापन पंकज श्रीवास्तव अपर नगर आयुक्त अधिष्ठान द्वारा किया गया।