- REPORT BY:PREM SHARMA
EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS
लखनऊ।उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के बैनर तले आज पूरे उत्तर प्रदेश में सभी बिजली कंपनियों में दक्षिणांचल व पूर्वांचल को पीपीपी मॉडल के तहत इसका निजीकरण किए जाने के विरोध में दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता कार्मिकों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया। एसोसिएशन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग उठाई की पावर कॉरपोरेशन असमवैधानिक तरीके से प्रस्ताव पास कर एनर्जी टास्क फोर्स में अनुमोदित कराकर उसे कैबिनेट की मंजूरी लेना चाहता है जो पूरी तरह गलत होगा। ऐसे में मुख्यमंत्री इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए उच्च स्तरीय जांच कराए । इसके अलावा इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि इतनी जल्दबाजी में चलते हुए बिजली निगम को पीपीपी मॉडल में देने की क्या आवश्यकता पड गई।
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, राम बुझारत, प्रभाकर सिंह, एसके विमल, अरुण कुमार भारती, सुशील कुमार वर्मा, अजय कुमार, विनय कुमार ने अपने बयान में कहा कि आज पूरे उत्तर प्रदेश में दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता कार्मिकों ने सुबह 10 बजे कार्यालय पहुंचते ही काली पट्टी बांधकर अपना नियमित काम किया। शाम 5 बजे बाबा साहब के फोटो के सामने करो मरो की तर्ज पर संवैधानिक तरीके से अपने आंदोलन को चलाने का संकल्प लेते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री से पूरे मामले पर पुनर्विचार की मांग उठाई। पावर ऑफिसर एसोसिएशन के पदाधिकारी ने कहा की आज जो कैबिनेट में प्रस्ताव को अनुमोदित करने का मामला था। आज उत्तर प्रदेश की कैबिनेट नहीं हुई है। ऐसे में पावर कॉरपोरेशन जो जल्दबाजी में प्रस्ताव पास करना चाहता था उसे पर अभी विराम लगा है। इसलिए कल जो संगठन की तरफ से ऐलान किया गया था कि कैबिनेट में पास होने के बाद दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता एक दिन का उपवास रखेंगे। फिलहाल उसे स्थगित किया जाता है और पावर ऑफिसर एसोसिएशन संवैधानिक तरीके से अपनी लडाई को आगे बढाता रहेगा।
निजीकरण के विरुद्ध जूनियर इंजीनियर का हर स्तर के संघर्ष का संकल्प
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन , उत्तर प्रदेश के केंद्रीय अध्यक्ष इं0 गोपाल बल्लभ पटेल ने बताया कि प्रदेश के सभी जनपदों वितरण, पारेषण एवं विद्युत उत्पादन की परियोजनाओं पर संगठन की आज निर्धारित मासिक बैठक को संकल्प सभा के रूप में संपन्न किया गया। उक्त बैठकों में सभी सदस्यों ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन द्वारा पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रस्तावित निजीकरण पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए विभाग एवं परिवार के भविष्य को बचाने के लिए हर स्तर के संघर्ष का संकल्प लिया गया।
केंद्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जिन आंकड़ों के आधार पर कॉरपोरेशन पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल डिस्कॉम का निजीकरण किया जा रहा है है उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध है। अभी माह जुलाई 2024 में कॉरपोरेशन द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को प्रस्तुत आंकड़ों में राजस्व वसूली से लेकर लाइन हानियां रोकने, बेहतर विद्युत आपूर्ति तथा बिलिंग दक्षता आदि सभी पैरामीटर में उल्लेखनीय प्रगति की बात कही गई थी, अब तीन चार माह में ही विपरीत आंकड़े प्रस्तुत कर विभाग को ऋण जाल में फंसे होने की बात कहा जाना सच्चाई से परे, मात्र आंकड़ों की बाजीगरी के सिवा कुछ नहीं है। जिन प्रदेशों में निजीकरण किया गया वहां विद्युत कर्मियों का भविष्य अंधकारमय हुआ और विद्युत दरों में बेतहाशा वृद्धि हुई।ई. पटेल ने आगे कहा कि कॉर्पाेरेशन में इस बात के पुख्ता प्रमाण मौजूद हैं की निजी क्षेत्र में दिए गए कार्य उपभोक्ता एवं विभाग हित में कदापि नहीं है, इनकी गड़बड़ियों को दूर करने के लिए निगम के ही कार्मिकों को जिम्मेदारी देनी पड़ी। संगठन की तरफ से बताया गया कि कॉर्पाेरेशन में मीटर रीडिंग एवं बिलिंग का काम लगभग पूर्णतया आउट सोर्स एजेंसियों के हवाले है जिसके कारण लाख प्रयास के बाद भी सही बिल सही समय पर उपभोक्ताओं को नहीं पहुंच पा रहे थे। इसे ठीक करने के लिए कारपोरेशन को असिस्टेंट बिलिंग जैसा महत्वपूर्ण अभियान चलना गया जिसके अंतर्गत एजेंसी के साथ नियमित कर्मचारी को तैनात मीटर रीडिंग कराई गई और इसके बहुत ही सकारात्मक परिणाम आए।ग्रामीण विद्युतीकरण हेतु प्रदेश सरकार द्वारा चलाई गई महत्वाकांक्षी योजना “सौभाग्य” के अंतर्गत नए कनेक्शन देने का कार्य ज्यादातर निजी एजेंसियों द्वारा कराए गए। लगातार सुपरविजन के बाद भी निजी एजेंसी घोर अनियमितता की गई एवं बड़ी संख्या में अनाधिकृत संयोजन निर्गत कर आम जनता के गाढ़ी कमाई के पैसो की लूट की गयी। जिसे बाद में विभाग के कर्मचारियों द्वारा डाटा क्लीनिंग अभियान चलाकर लेजराइज कराया गया तथा जिसके कारण विद्युत उपभोक्ताओं एवं कॉरपोरेशन भारी कठिनाई हुई।केंद्रीय अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि उपरोक्त दोनों डिस्कॉमो के निजीकरण की एकतरफा कार्यवाही को देखते हुए संगठन शीघ्र ही आगे की रणनीति बनाएगा। ई. गोपाल वल्लभ पटेल ने मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री से मार्मिक अपील की है कि वे प्रभावी हस्तक्षेप करते हुए कॉरपोरेशन द्वारा लिए गए निजीकरण के फैसले को आम जनमानस विद्युत उपभोक्ताओं एवं विद्युत कर्मियों के हित में तत्काल निरस्त करने की मांग की है।
बिजली के निजीकरण के विरोध में लखनऊ में तय होगी राष्ट्रव्यापी रणनीति
उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आवाहन पर आज प्रदेश के सभी जनपदों परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज किया। संघर्ष समिति के निर्णय के अनुसार बिजली कर्मियों ने कार्य नहीं प्रभावित होने दिया किंतु काली पट्टी बांधकर अपनी फौलादी एकता का परिचय दिया और निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष का संकल्प लिया। मुख्य अभियंताओं ने भी बांधी काली पट्टी बाधकर विरोध दर्ज कराया।
समिति के अनुसार 11 दिसंबर को लखनऊ में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स(एन सी सी ओ ई ई ई)की मीटिंग हो रही है जिसमें उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में किए जा रहे बिजली के निजीकरण के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। एन सी सी ओ ई ई ई बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति है जिसमें देश के सभी प्रमुख बिजली कर्मचारी फेडरेशन तथा पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन और आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन सम्मिलित हैं। लखनऊ में हो रही मीटिंग में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमेन शैलेंद्र दुबे सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आर के त्रिवेदी, सेक्रेटरी जनरल अभिमन्यु धनकड़ ,इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, नेशनल कनफेडरेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन के के अशोक राव और ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज के सेक्रेटरी जनरल मोहन शर्मा सम्मिलित होंगे। एनसीसीओईईई बिजली कर्मचारियों, डिप्लोमा इंजीनियरों और इंजीनियरों के फेडरेशन की एपेक्स बॉडी है। उत्तर प्रदेश में एक तरफा ढंग से किए जा रहे बिजली के निजीकरण को लेकर देश भर में बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त है इसीलिए कोऑर्डिनेशन कमिटी की मीटिंग लखनऊ में हो रही है जिसमें राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के समर्थन में आज महाराष्ट्र और पंजाब के बिजली कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किए और उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि कर्मचारी और उपभोक्ता विरोधी निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल वापस लिया जाये।उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ सहित प्रत्येक जिले में बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर निजीकरण के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त किया। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से मुख्य अभियन्ता स्तर तक के अधिकारियों ने काली पट्टी बांधकर एकजुटता दिखाई। भोजन अवकाश में और कार्यालय समय के बाद बिजली कर्मचारियों ने कार्यालय के प्रांगण में निजीकरण के विरोध में जोरदार नारेबाजी की।
पीपीपी मॉडल की सीबीआई जांच जरूरी: उपभोक्ता परिषद
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन द्वारा दक्षिणांचल व पूर्वांचल को पीपीपी मॉडल में दिए जाने के लिए एनर्जी टास्कफोर्स से जो मसौदा को मंजूरी दिलाई गई वह पूरी तरह आने वाले समय में देश के उद्योगपतियों को ज्यादा फायदा देने वाला मसौदा है। भारत सरकार की स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन के अनुसार 15 प्रतिशत से अधिक एटी0एण्ड0सी हानियों के आधार पर पीपीपी मॉडल को दिया जाता है। लेकिन पावर कॉरपोरेशन की तरफ से दाखिल एनर्जी टास्क फोर्स में जो प्रस्ताव को मंजूरी दी गई वह रिजर्व प्राइस के आधार पर दी गयी है। सबसे बडा सवाल यह है कि उसी एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में जो प्रेजेंटेशन किया गया उसमें यह दिखाया गया की दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की गैर सरकारी हानियां जो है वह 39.42 और पूर्वांचल की 49.22 प्रतिशत है। यानी कि आने वाले समय में देश के निजी घराने टेंडर पाते ही हर साल बिना कुछ किया हजारों करोड कमाएंगे। क्योंकि वास्तव में यह एटीएण्डसी हानियां 18 प्रतिशत से 19 प्रतिशत के आसपास है।
उपभोक्ता परिषद के अनुसार दूसरी तरफ केंद्र सरकार की आरडीएसएस स्कीम में जो एटीएण्डसी लाइन हानियां भारत सरकार द्वारा अनुमोदित की गई वह वर्ष 2024-25 के लिए दक्षिणांचल की 18.97 प्रतिशत और पूर्वांचल की 18.49 प्रतिशत है। यानी कि कानून के तहत टेंडर आरडीएसएस द्वारा जो एटीएण्डसी अनुमोदित हानियां है उसके आधार पर आरएफपी की मंजूरी होनी चाहिए। सवाल उठना लाजिमी है कि उद्योगपतियों को फायदा देने के लिए ऐसा क्यों किया जा रहा है अब पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराया जाना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। उपभोक्ता परिषद का यह खुलासा सरकार की नींद उडाने वाला है लेकिन उपभोक्ता हित में उपभोक्ता परिषद संवैधानिक तरीके से अपनी बात को रखने में बिना डर के रखता है। यह हमेशा से उसकी कार्यप्रणाली का महत्वपूर्ण पारदर्शी हिस्सा रहा है। उत्तर प्रदेश राज विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उपभोक्ताओं और विभाग का कोई भी फायदा नहीं होने वाला है। भारत सरकार की स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन के विपरीत जाकर यह मसौदा अनुमोदित कराया गया कि एक रिजर्व प्राइस 5 अलग अलग बनने वाली नई कंपनी के लिए रखी गयी है और उसके आधार पर बिडिंग की प्रक्रिया को आगे बढाया जा रहा सबसे बडी बात यह है कि लगभग 70 से 80000 करोड की परसंपत्तियां दोनों बिजली निगमों की है। जिसमें आरडीएसस व नए सभी कार्य शामिल है और यहां रिजर्व प्राइस 2000 करोड की आकिलित करते हुए गोरखपुर कलेक्टर को लगभग मिनिमम बिड प्राइस 1010 करोड, काशी कलेक्टर को 1650 करोड, प्रयागराज कलेक्टर को लगभग 1630 करोड, आगरा मथुरा कलेक्टर को लगभग 1660 करोड, झांसी कानपुर कलेक्टर को लगभग 1600 करोड मिनिमम विड प्राइस आकली थे जो हर हाल में उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाली है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा भारत सरकार का रूल स्पष्ट करता है कि किसी भी कंपनी की जो कूल परसंपत्तियां होगी उसको लेने के लिए कंपनी की नेटवर्थ 30 प्रतिशत होनी चाहिए उसके आधार पर देखा जाए तो 80000 करोड वाली दोनों बिजली कंपनियों के लिए पांच बिजली कंपनियों के लिए कल नेटवर्क लगभग रुपया 24 000 होगी। अब यदि उनको अलग-अलग कुल नेटवर्थ पांच नई बिजली कंपनियों के लिए नेटवर्थ निकल जाए तो लगभग 4800 करोड से ज्यादा होगी और यहां जो रिजर्व बीद प्राइस रखी गई है वह केवल 2000 करोड है। जो अपने आप में वित्तीय सवाल पैदा करता है।
निजीकरण सत्ताधारी दल के लिए हानिकारक: इप्सेफ़
इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र एवं महासचिव प्रेमचंद ने कहा है कि सरकारी संस्थाओं का निजीकरण करने से हजारों की संख्या में कर्मचारियों की सेवाए समाप्त करके वी आर एस दे दिया गया है और आगे भी दिया जाएगा ।उदाहरणअर्थ रक्षा मंत्रालय ,नागरिक उड्डयन ,पावर रेलवे ,रोडवेज आदि।उन्होंने भारत सरकार और राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि आउटसोर्सिंग संविदा में भर्ती तत्काल बंद करके रिक्त पदों पर नियमित भर्तिया की जाए अब तक रखे गए आउटसोर्स कर्मचारी के लिए नीति बनाकर उन्हें रिक्त पदों पर भर्ती में वरीयता दी जाए पब्लिक सेक्टर व सरकारी सेक्टर में समानता रखी जाए जिससे मनमानी न की जा सके।राष्ट्रीय उप महासचिव अतुल मिश्रा ने उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बिजली का निजीकरण करने की जानकारी मिली है ।जिसके लिए आंदोलन हो रहे हैं ।इप्सेफ ने उन्हें नैतिक समर्थन दिया है और प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि हस्तक्षेप कर के बिजली कर्मचारियों की समस्या का समाधान करके सामान्य स्थिति बनाएं रखी जाए क्योंकि बिजली जनता के साथ जुड़ी हुई है। भीषण समस्याएं खड़ी हो जाएगी। इप्सेफ ने बढ़ती महंगाई पर भी रोक लगाने की मांग की है क्योंकि महंगाई से मध्यम वर्ग तक के लोग बुरी तरह प्रभावित हो गए हैं 2 जून की रोटी एवं परिवार के अन्य खर्च चलाना दूभर हो गया है।