LUCKNOW: निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों का व्यापक विरोध प्रदर्शन,क्लिक करें और भी खबरें

-ऊर्जा मंत्री पर भ्रामक आकड़े देने का बिजली कर्मचारियों का आरोप,बिजली चोरी को लेकर कर्मचारियों में भारी गुस्सा,बुलंद की पद छोड़ने की आवाज  

  • REPORT BY:PREM SHARMA ||AAJNATIONAL NEWS DEASK

लखनऊ:उ.प्र. एवं चंडीगढ़ में में बिजली के निजीकरण के निर्णय के विरोध में आज पूरे देश में 27 लाख बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतरे। बिजली कर्मचारियों ने मांग की कि उप्र में बिजली के निजीकरण का जनविरोधी निर्णय वापस लिया जाये। देशभर के बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उप्र में बिजली के निजीकरण की कोई भी एकतरफा कार्यवाही प्रारम्भ की गयी तो उसी समय बिना और कोई नोटिस दिये देश भर के बिजली कर्मचारी आन्दोलन शुरू करने हेतु बाध्य होंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी उप्र सरकार और उप्र पावर कारपोरेशन प्रबन्धन की होगी।
देश के बिजली कर्मचारियों के साथ आज उप्र के बिजली कर्मचारियों ने काकोरी क्रांति के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर ‘‘शहीदों के सपनों का भारत बनाओ – बिजली का निजीकरण हटाओ’’ नारे के साथ समस्त जनपदों एवं परियोजना मुख्यालयों पर सभायें की और निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त करने की मांग की। राजधानी लखनऊ सहित मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, अलीगढ़, सहारनपुर, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, कानपुर, झांसी, बांदा, बरेली, अयोध्या, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी, अनपरा, ओबरा, पनकी, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर में बिजली कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किये।
राजधानी लखनऊ में हाईडिल फील्ड हास्टल में इस अवसर पर एक नाट्य प्रस्तुति की गयी। नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि बिजली आम आदमी की जीवन रेखा है और इसे कारपोरेट घरानों को देने से आम जन का भविष्य चौपट हो जायेगा। राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने काकोरी क्रांति के अमर शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किये।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द ने ऊर्जा मंत्री द्वारा बिजली कर्मचारियों पर बिजली चोरी कराने के लगाये गये झूठे आरोप की कड़े शब्दों में निन्दा की। उन्होंने कहा कि एक ओर ऊर्जा मंत्री यह बताते हुए नहीं थकते कि उनके कार्यकाल में प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में युगान्तकारी कायाकल्प हुआ है दूसरी ओर वे यह कह रहे हैं कि बिजली व्यवस्था पटरी से उतर गयी है और बिजली कर्मचारी चोरी करा रहे हैं इसीलिए बिजली का निजीकरण करना जरूरी हो गया है। संघर्ष समिति ने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद ऊर्जा क्षेत्र में उत्तरोत्तर गुणात्मक सुधार बिजली कर्मचारियों ने ही किया है जिसका श्रेय ऊर्जा मंत्री खुद ले रहे हैं और बिजली कर्मियों पर गैर जिम्मेदाराना आरोप लगा रहे हैं। संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री द्वारा स्वीकार की गयी कथित विफलता के लिए पावर कारपोरेशन प्रबन्धन और ऊर्जा मंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यदि वे बिजली व्यवस्था नहीं संभाल पा रहे हैं तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए, बिजली कर्मी मा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश को बेहतर बिजली देने के लिए सक्षम हैं और कृतसंकल्प है। उप्र के ऊर्जा क्षेत्र में जब कोई बाहरी दखल नहीं था और प्रबन्धन अभियन्ताओं के हाथ था तब मात्र 77 करोड़ का घाटा था। खुद ऊर्जा मंत्री द्वारा बयान किये गये घाटे की सबसे अधिक जिम्मेदारी आईएएस प्रबन्धन की है जिसे बर्खास्त किया जाना चाहिए। विगत 22 वर्षों में प्रबन्धन के शीर्ष पद पर रहे आईएएस अधिकारियों के कार्यकाल के घाटे का श्वेतपत्र जारी किया जाये।
संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के इस वक्तव्य कि सभी श्रम संघों ने पीपीपी मॉडल के निजीकरण का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है को सरासर झूठ बताते हुए कहा कि ऊर्जा निगमों के एक भी श्रम संघ ने निजीकरण का पीपीपी मॉडल स्वीकार नहीं किया है। इसके विपरीत सभी श्रम संघ निजीकरण के विरोध में लगातार आवाज उठा रहे हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि भ्रामक आकड़ों और भय का वातावरण बनाकर श्रम संघों और कर्मचारियों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। संघर्ष समिति ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बिजली कर्मचारियों और अभियन्ताओं को धमकाने का काम पावर कारपोरेशन के चेयरमैन बन्द करें अन्यथा संघर्ष समिति को इस मामले में विधिक कार्यवाही करने को मजबूर होना पड़ेगा।
संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने मुक्त कण्ठ से आगरा में काम कर रही निजी क्षेत्र की टोरेंट कम्पनी की तारीफ की है। हकीकत यह है कि यह प्रयोग पूरी तरह से विफल है और इससे हजारों करोड़ रूपये की चपत आम जनता पर पड़ रही है। ध्यान रहे पावर कारपोरेशन मंहगी दर पर बिजली खरीद कर टोरेंट कम्पनी को सस्ते दाम में देती है जिससे पिछले 14 साल में पावर कारपोरेशन को 2434 करोड़ रूपये की चपत लग चुकी है। वर्ष 2023-24 में पावर कारपोरेशन ने 5.55 रूपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर टोरेंट कम्पनी को 4.36 रूपये प्रति यूनिट पर बेचा जिससे 1 साल में ही 275 करोड़ रूपये का घाटा हुआ। सवाल यह है कि यदि ऐसा ही निजीकरण प्रदेश की जनता पर थोपा जा रहा है तो एक साल में ही ऊर्जा क्षेत्र बदहाल हो जायेगा।
ऊर्जा मंत्री ने 24 घण्टे निर्बाध विद्युत आपूर्ति का गुजरात की बिजली कम्पनियों का उदाहरण देते हुए कहा कि उप्र में यदि गुजरात की तरह 24 घण्टे बिजली देना है तो निजीकरण जरूरी है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री इस मामले में प्रदेश को गुमराह कर रहे हैं। गुजरात में चारों विद्युत वितरण निगम सरकारी क्षेत्र में है। गुजरात में लाइन हानियाँ सबसे कम हैं और अबाध विद्युत आपूर्ति मिलती है। संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के सामने कई बार यह प्रस्ताव रखा है कि यदि गुजरात की तरह उप्र के ऊर्जा मंत्री द्वारा दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय दिया जाये और बिना किसी हस्तक्षेप के बिजली कर्मियों को काम करने दिया जाये तो प्रदेश की बिजली व्यवस्था देश में अव्वल होगी। अत्यन्त दुर्भाग्य की बात है कि संघर्ष समिति के बार-बार कहने पर सरकारी क्षेत्र के गुजरात मॉडल की जगह ऊर्जा मंत्री चंद कारपोरेट घरानों के हाथ अरबों-खरबों रूपये की परिसम्पत्तियां बिना मूल्यांकन किये कौड़ियों के मोल सौंपना चाहते हैं।
संघर्ष समिति ने एक बार फिर कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के सबसे खराब एक डिवीजन या एक जनपद की जिम्मेदारी संघर्ष समिति को दी जाये और प्रयोग के तौर पर 1 साल के लिए ऐसे ही एक डिवीजन या एक जनपद की जिम्मेदारी किसी निजी कम्पनी को दी जाये। एक वर्ष के बाद संघर्ष समिति निजी क्षेत्र से बेहतर परफॉरमेंस देकर दिखा देगी।

विफलता स्वीकार तो मंत्री पद छोड़े:संघर्ष समिति

उप्र एवं चंडीगढ़ में में बिजली के निजीकरण के निर्णय के विरोध में आज पूरे देश में 27 लाख बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतरे। बिजली कर्मचारियों ने मांग की कि उप्र में बिजली के निजीकरण का जनविरोधी निर्णय वापस लिया जाये। देशभर के बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उप्र में बिजली के निजीकरण की कोई भी एकतरफा कार्यवाही प्रारम्भ की गयी तो उसी समय बिना और कोई नोटिस दिये देश भर के बिजली कर्मचारी आन्दोलन शुरू करने हेतु बाध्य होंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी उप्र सरकार और उप्र पावर कारपोरेशन प्रबन्धन की होगी।
देश के बिजली कर्मचारियों के साथ आज उप्र के बिजली कर्मचारियों ने काकोरी क्रांति के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर ‘‘शहीदों के सपनों का भारत बनाओ – बिजली का निजीकरण हटाओ’’ नारे के साथ समस्त जनपदों एवं परियोजना मुख्यालयों पर सभायें की और निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त करने की मांग की। राजधानी लखनऊ सहित मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, अलीगढ़, सहारनपुर, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, कानपुर, झांसी, बांदा, बरेली, अयोध्या, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी, अनपरा, ओबरा, पनकी, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर में बिजली कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किये।राजधानी लखनऊ में हाईडिल फील्ड हास्टल में इस अवसर पर एक नाट्य प्रस्तुति की गयी। नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि बिजली आम आदमी की जीवन रेखा है और इसे कारपोरेट घरानों को देने से आम जन का भविष्य चौपट हो जायेगा। राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने काकोरी क्रांति के अमर शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किये।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, आदि ने ऊर्जा मंत्री द्वारा बिजली कर्मचारियों पर बिजली चोरी कराने के लगाये गये झूठे आरोप की कड़े शब्दों में निन्दा की। उन्होंने कहा कि एक ओर ऊर्जा मंत्री यह बताते हुए नहीं थकते कि उनके कार्यकाल में प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में युगान्तकारी कायाकल्प हुआ है दूसरी ओर वे यह कह रहे हैं कि बिजली व्यवस्था पटरी से उतर गयी है और बिजली कर्मचारी चोरी करा रहे हैं इसीलिए बिजली का निजीकरण करना जरूरी हो गया है। संघर्ष समिति ने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद ऊर्जा क्षेत्र में उत्तरोत्तर गुणात्मक सुधार बिजली कर्मचारियों ने ही किया है जिसका श्रेय ऊर्जा मंत्री खुद ले रहे हैं और बिजली कर्मियों पर गैर जिम्मेदाराना आरोप लगा रहे हैं।

संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री द्वारा स्वीकार की गयी कथित विफलता के लिए पावर कारपोरेशन प्रबन्धन और ऊर्जा मंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यदि वे बिजली व्यवस्था नहीं संभाल पा रहे हैं तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए, बिजली कर्मी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में प्रदेश को बेहतर बिजली देने के लिए सक्षम हैं और कृतसंकल्प है। उप्र के ऊर्जा क्षेत्र में जब कोई बाहरी दखल नहीं था और प्रबन्धन अभियन्ताओं के हाथ था तब मात्र 77 करोड़ का घाटा था। खुद ऊर्जा मंत्री द्वारा बयान किये गये घाटे की सबसे अधिक जिम्मेदारी आईएएस प्रबन्धन की है जिसे बर्खास्त किया जाना चाहिए। विगत 22 वर्षों में प्रबन्धन के शीर्ष पद पर रहे आईएएस अधिकारियों के कार्यकाल के घाटे का श्वेतपत्र जारी किया जाये।

संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के इस वक्तव्य कि सभी श्रम संघों ने पीपीपी मॉडल के निजीकरण का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है को सरासर झूठ बताते हुए कहा कि ऊर्जा निगमों के एक भी श्रम संघ ने निजीकरण का पीपीपी मॉडल स्वीकार नहीं किया है। इसके विपरीत सभी श्रम संघ निजीकरण के विरोध में लगातार आवाज उठा रहे हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि भ्रामक आकड़ों और भय का वातावरण बनाकर श्रम संघों और कर्मचारियों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता।

संघर्ष समिति ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बिजली कर्मचारियों और अभियन्ताओं को धमकाने का काम पावर कारपोरेशन के चेयरमैन बन्द करें अन्यथा संघर्ष समिति को इस मामले में विधिक कार्यवाही करने को मजबूर होना पड़ेगा। संघर्ष समिति ने एक बार फिर कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के सबसे खराब एक डिवीजन या एक जनपद की जिम्मेदारी संघर्ष समिति को दी जाये और प्रयोग के तौर पर 1 साल के लिए ऐसे ही एक डिवीजन या एक जनपद की जिम्मेदारी किसी निजी कम्पनी को दी जाये। एक वर्ष के बाद संघर्ष समिति निजी क्षेत्र से बेहतर परफॉरमेंस देकर दिखा देगी।संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के विरोध में लोकतांत्रिक ढंग से उनका अभियान जारी रहेगा।

पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने निजीकरण के खिलाफ बुलाई आपात बैठक

लखनऊ। पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने ऊर्जा मंत्री के द्वारा विधानसभा में दिए गए बयान पर रखा अपना पक्ष कहा सभी अधिकारी एक जैसे नहीं ऊर्जा मंत्री जो रोज ट्वीट कर कीर्तमांन की करते हैं बात वह उन्ही अधिकारियों की बदौलत सबको एक तराजू में तोलना उचित नहीं। इसी संदर्भ में पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने निजीकरण के खिलाफ बुलाई आपात बैठक बुलाई है।

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने आज सर्वसम्मत से निर्णय लिया है कि कल पूरे प्रदेश के सभी बिजली कंपनियों के दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं से ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अब तक के कार्यक्रम की समीक्षा की जाएगी। आगे कार्यक्रम की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जाएगा। पूरे प्रदेश में सभी दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं को अवगत करा दिया गया है। वह सभी ऑनलाइन संगठन के साथ जुडकर आंदोलन को आगे कैसे व्यापक बनाया जाय  अपनी राय दें।उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, अजय कुमार एक प्रभाकर ने कहा जिस प्रकार से दलित व  पिछड़े वर्ग के अभियंताओं के साथ उनका हक लगातार छीना जा रहा है और पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन चुपचाप तमाशा देख रहा है या उचित नहीं है।

संगठन ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की है कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री द्वारा विधानसभा में अनेकों तथ्य रखे गए। जिसमें बिजली कार्मिकों की अनेकों मामले चाहे बिजली चोरी हो या अन्य में संलिप्तता  रहती है का भी खुलासा किया गया। संगठन जनता एवं सरकार को केवल इतना ही बताना चाहता है कि ऊर्जा मंत्री अपने कार्यकाल में सबसे ज्यादा प्रदेश में ऐतिहासिक कार्य हुआ का वर्णन करते रहते हैं। उनका ट्विटर हैंडल स्वतः इसका सबसे बडा प्रमाण है ऐसे में इस बात पर भी सबको विचार करना चाहिए कि सभी कार्मिक एक जैसे नहीं है। बडी संख्या में कार्मिकों के द्वारा ही यह बडे-बडे कीर्तिमान स्थापित किए जाते हैं इसलिए सभी को एक तराजू में तुलना उचित नहीं है।

अभियान चलाकर नगर निगम ने वसूला 5.66 लाख गृहकर

नगर आयुक्त के निर्देशो के क्रम में गृहकर के बड़े बकायेदारो से वसूली का अभियान चलाया जा रहा है। अभियान में गृहकर के बड़े बकायेदारो से वसूली हेतु कुर्की नीलामी की कार्यवाही की गयी। इस दौरान 19 बड़े बकाएदारों पर कार्रवाई करते हुए 5.66 लाख गृहकर वसूला गया।

जोन-4 जोन-4 कें अन्तर्गत वार्ड चिनहट प्रथम में  रश्मि सिंह, रुद्र प्रताप सिंह, एम.डी. एकेडमी, एल्डिको ग्रीन, भ.सं. 1/13 विनीतखंड, गोमती नगर पर कुल बकाया रु. 1,44,138 के सापेक्ष कार्यावाही के दौरान मौके पर रु. 50,000 जमा कराया गया। अभियान के दौरान रु. 1,71,793 आंशिक भुगतान के रूप में जमा करायी गयी। जोन-6 कें अन्तर्गत वार्ड बालागंज में बड़े बकायेदार राम आसरे, शाहिद अली, नुरूल हसन हनफी, जोन-8 कें अन्तर्गत वार्ड विद्यावती तृतीय में मुमेन्टम लॉन, मदिरा, भवन और जोन-7 कें अन्तर्गत वार्ड इन्दिरानगर में जेमिस सिद्दीकी लक्ष्मी मेडिकल स्टोर,मीरा कास्मेटिक, यादव दुग्ध डेरी, जनमती, भगवान दीन,  ईना सिंह, जी.सी.शमा,  कमला सहगल के खिलाफ मौके पर भुगतान प्राप्त न होने पर भवन सील किया गया। आज के अभियान में कुल 19 भवनों से 5,66,683 की धनराशि वसूल की गयी।

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