LUCKNOW:अवैध ठेलिया कारोबार हटाने पहुची टीम पर बांग्लादेशियों का हमला,क्लिक करें और भी खबरें

-महापौर संख्त, ध्वस्त कराई झुग्गियॉ, कानूनी कार्रवाई के निर्देश

  • REPORT BY: ANNEWS /PREM SHARMA ||AAJNATIONAL NEWS DEASK

लखनऊ।राजधानी के लगभग हर जोन में अवैध ठेलिया का कारोबार चल रहा है। चंद पैसों के लिए इनकों संरक्षण भी दिया जाता है। समय समय पर शासन के सख्त निर्देश होने पर जब इनके खिलाफ अभियान चलाया जाता है तो मनबंढ़ बांग्लादेशियों द्वारा अराजकता पर उतारू हो जाते है। ऐसा ही वाक्या आज जोन सात के इन्द्राप्रियदशर्नी वार्ड में हुआ। यहॉ नगर निगम की महिला अधिकारी के साथ बदजुमानी, धक्का मुक्की के साथ जान से मारने की धमकी देने के साथ सहयोगी कर्मचारियों पर हमला किया गया। जोन 7 के अन्तर्गत इन्द्राप्रियदर्शनी वार्ड में अवैध रूप से ठेलिया के कारोबार करने वाले बांग्लादेशियों और नगर निगम कर्मचारियों के बीच हुई मारपीट की सूचना मिलने पर महापौर सुषमा खर्कवाल ने तत्काल  मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।

महापौर ने मौजूद  नगर निगम कर्मचारियों और पुलिस अधिकारियों से विस्तृत जानकारी प्राप्त की और मामले की जांच के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अवैध कारोबार करने वाले बांग्लादेशियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और नगर निगम कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। महापौर ने जिलाधिकारी और लखनऊ कमिशनर को फोन कर मामले की जानकारी दी और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश के साथ साथ पीएससी भेजने के लिए बोला, उन्होंने कहा कि शहर में अवैध कारोबार और अपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाएगी।

नगर आयुक्त इंद्रजीत के साथ साथ मौके पर नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित है।महापौर सुषमा खर्कवाल ने साफ शब्दों में कहा कि अगर हमले में शामिल लोग तुरंत गिरफ्तार नहीं किए गए, तो नगर निगम टीम धरने पर बैठने को मजबूर होगी। उन्होंने घटनास्थल पर अधिशासी अभियंता अभय प्रताप सिंह से फोन पर बात कर मामले की जानकारी ली और नगर आयुक्त को सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने हालात को देखते हुए एसडीएम को मौके पर बुलाया।

प्लॉट पर लंबे समय से कब्जा जमाए ठेलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही गई। महापौर ने अवैध कब्जे और सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने पर जोर दिया।नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने हालात को देखते हुए एसडीएम को मौके पर बुलाया। प्लॉट पर लंबे समय से कब्जा जमाए ठेलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही गई। महापौर ने अवैध कब्जे और सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने पर जोर दिया।इस पूरे घटनाक्रम से नगर निगम के प्रयासों और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।

नगर निगम ने साफ किया है कि अवैध कब्जे के खिलाफ उनकी कार्रवाई जारी रहेगी।कांग्रेस पार्षद एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निवर्तमान महासचिव मुकेश सिंह चौहान ने इन्दिराप्रियदर्शनी वार्ड में प्राइवेट ठेलिया से कूड़ा उठाने वाले नागरिकों और नगर निगम कर्मचारियों के बीच हुई मारपीट पर निंदा व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासन को उन अराजक तत्वों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की और यह भी कहा आज तक प्राइवेट ठेलिया से कूड़ा वाले नागरिक शहर में घरों से कूड़ा उठा कर सफाई में अपना योगदान दे रहे थे तो क्या नगर निगम के संरक्षण में हो रहा था।

महापौर ने पुलिस एवं बिजली विभाग की कार्यशैली पर उठाये सवाल

महिला अधिकारी के साथ हुई घटना से आहत महापौर ने पुलिस कार्मिश्नर द्वारा फोन उठाये जाने तथा चंद कदमों में पुलिस की मौजूगी के बावजूद इस तरह की अवैध गतिविधियों के संचालन पर सवाल उठाये। यही नही बिजली विभाग से भी बिजली कनेक्शन को लेकर उन्होंने सवाल किए। उन्होंने कहा कि ये सब नही चलेगा। कार्रवाई होगी।

नकामी छूपाने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा: मुकेश चौहान

पूर्व पार्षद कांग्रेसी नेता मुकेश सिंह चौहान ने बांग्लादेशी नागरिकों की अवैध उपस्थिति को लेकर भाजपा के मेयर और विधायक द्वारा लगाए गए आरोपों ने राज्य और केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह चिंताजनक है कि जिस भाजपा ने पिछले दस वर्षों से केंद्र में और सात वर्षों से उत्तर प्रदेश में सरकार चलाई है, वही अब अपनी नाकामी को छिपाने के लिए बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ का मुद्दा उठा रही है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी स्पष्ट रूप से पूछती है कि यदि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अवैध नागरिक मौजूद हैं, तो यह प्रशासन की बड़ी विफलता क्यों नहीं मानी जाए ? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास गृह विभाग है। क्या राज्य सरकार इन नागरिकों की पहचान और निष्कासन में पूरी तरह विफल हो चुकी है ? भाजपा सरकार को यह बताना चाहिए कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर अब तक ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई साथ ही लखनऊ की जनता को यह बताया जाए कि अब तक इस घुसपैठ को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए।यह मुद्दा सिर्फ राजनीति का नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का है। कांग्रेस जनता के साथ खड़ी है और भाजपा सरकार से जवाबदेही की मांग करती है।

सम्मान बचाने मुख्य अभियंताओं ने मांगी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति
-एसोसिएशन का खुलासा, निजीकरण के लिए षड़यंत्रकारी कार्रवाई जारी

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन की आज एक आवश्यक बैठक फिलहाल कार्यालय में संपन्न हुई। जिसमें सभी बिजली कंपनियों में लगातार निलंबन की कार्यवाही पर रोज व्यक्त करते हुए सभी पदाधिकारी ने सर्वसम्मत से मुख्यमंत्री से या मांग उठाई कि वर्तमान में बिजली कंपनियों में जिस प्रकार से बिजली अभियंताओं के साथ एक तरफा कार्रवाई की जा रही है उसकी जांच कराई जाए। जॉच में स्वतः सामने आएगा कि जानबूझकर कार्मिकों एवं अभियंताआंें को परेशान किया जा रहा है। संगठन ने कहा ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार आठ मुख्य अभियंताओं जिसमें ज्यादातर वितरण क्षेत्र के हैं और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (बीआरएस ) की लाइन में लगे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की वर्तमान में बिजली निगमो में अभियंता अपने मान सम्मान को बचाने के लिए नौकरी के आखिरी समय में स्वयं नौकरी से अपने को अलग कर घर में बैठना उचित समझते हैं। जबकि ऊर्जा क्षेत्र एक ऐसा तकनीकी विभाग है जिसमें ऐसे अनुभव वाले अभियंताओं की ईमानदारी से सम्मान को बचाने के लिए पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन को स्वतः आगे आना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष के बी राम, कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, ट्रांसमिशन अध्यक्ष सुशील कुमार वर्मा, प्रभाकर सिं,ह महेस अहिरवार, राम शब्द, ए के प्रभाकर ने कहा पावर ऑफिसर एसोसिएशन प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग करता है कि ऊर्जा क्षेत्र में एक गोपनीय जांच टीम बनाकर जांच कर लिया जाए तो सारा मामला सामने आ जाएगा। ज्यादातर अभियंताओं का मनोबल टूट गया है और बडे पैमाने अभियंता भय से ग्रसित है जो अपने आप में पावर कॉर्पाेरशन प्रबंधन व बिजली कंपनियों के प्रबंधन की कार्य प्रणाली को दर्शाता है। पावर कॉरपोरेशन सहित बिजली कंपनियों का प्रबंध लगातार बिजली अभियंताओं का मनोबल तोड रहा है। जिससे आने वाले समय में ऊर्जा क्षेत्र में गिरावट आएगी और उसका खामियाजा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को भुगतना पड सकता है। इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने एक बार पंुनः ऐलान किया है कि 1 जनवरी 2025 को पूरे उत्तर प्रदेश में निजीकरण के विरोध में दलित व पिछला वर्ग के अभियंता काली पट्टी बांधकर अपना नियमित काम करेंगे और निजीकरण का संवैधानिक विरोध करेंगे।

बिजली पंचायत में निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष का ऐलान

बिजली के निजीकरण के विरोध में झाँसी में हुई बिजली पंचायत में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली कर्मियों को मुख्यमंत्री पर पूरा विश्वास है और बिजली कर्मचारी लगातार सुधार में लगे हुए हैं किन्तु पॉवर कारपोरेशन शीर्ष प्रबन्धन निजीकरण की एकतरफा कार्यवाही कर अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना रहा है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों शैलेन्द्र दुबे, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, दीपक चक्रवर्ती, सरजू त्रिवेदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि निजीकरण के विरोध में 01 जनवरी को बिजली कर्मी पूरे दिन काली पट्टी बंधेंगे और 01 जनवरी को काला दिवस मनाया जाएगा।
झांसी की बिजली पंचायत में उरई, महोबा, ललितपुर, और झांसी के बिजली कर्मियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं की भारी भीड़ उमड़ी। झाँसी की बिजली पंचायत में सभी वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि बिजली कर्मचारियों का प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी पर पूरा विश्वास है और बिजली कर्मी उनके नेतृत्व में लगातार सुधार में लगे हैं। वर्ष 2016-17 में 41 प्रतिशत हानियां थीं जो वर्ष 2023-24 में घटकर, 17 प्रतिशत हो गई है। बिजली कर्मी अगले एक दो वर्ष में लाइन हानियों को 15 प्रतिशत से नीचे लाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। कार्य का अच्छा वातावरण चल रहा था जिसे पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने अचानक निजीकरण की घोषणा कर बिगाड़ दिया है। संघर्ष समिति ने कहा कि सरकारी विद्युत वितरण निगम घाटा उठाकर लागत से कम मूल्य पर घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली देते हैं। निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती हैं। निजीकरण के बाद बिजली की दरों में काफी वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि मुम्बई में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17.71 रुपए प्रति यूनिट है जबकि उप्र में सरकारी क्षेत्र में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम दरें रु 06.50 प्रति यूनिट है। स्पष्ट है कि निजीकरण होते ही एक झटके में बिजली की दरें तीन गुना बढ़ जाएंगी। उन्होंने कहा कि पॉवर कारपोरेशन द्वारा तैयार किए गए निजीकरण के मसौदे में पूरे वितरण निगम की समस्त भूमि मात्र 01 रुपए प्रति वर्ष की लीज पर निजी कंपनी को देने का प्रस्ताव है। इसी प्रकार लाखों करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को बिना मूल्यांकन किए कौड़ियों के दाम निजी घरानों को सौंपने की साजिश है।
उन्होंने कहा कि मात्र एक रुपए में पूरी जमीन दे देना और बिना मूल्यांकन के कौड़ियों के दाम परिसंपत्तियों को बेचने की कोशिश एक साजिश है। बिजली कर्मचारियों को विश्वास है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। 05 जनवरी को प्रयागराज में अगली बिजली पंचायत आयोजित की जायेगी।

बिना टेस्ट मीटरों पर कौन कर रहा मेहरबानी
-बिना एसएटी पास किये अब तत्काल मीटर लगने पर लगे रोक: परिषद

प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में जहां सभी विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जाना है। पूरे प्रदेश में लगभग 5 लाख से ज्यादा स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के घर पर लगाए जा चुके हैं। मॉडल स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की धारा 9.6.1 के तहत 5 प्रतिशत अथवा 25000 जो पहले हो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग जाने के बाद साइट एक्सेप्टेंस टेस्ट (एसएटी) पास करना अनिवार्य होगा। एसएटी टेस्ट के पहले फील्ड इंस्टॉलेशन एंड इंटीग्रेशन टेस्ट (एफआईआईटी) पास करना अनिवार्य है। लेकिन उपभोक्ता परिषद ने जो खुलासा किया है उससे सभी के होश उड जाएंगे। उपभोक्ता परिषद के अनुसार स्मार्ट मीटर मामले में बडे पैमाने पर कमियां सामने आ गई है। वर्तमान में कोई भी मी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाला निजी घरानो का सभी बिजली कंपनियों मे स्मार्ट प्रीपेड मीटर अभी तक इन दोनों टेस्ट में पास नहीं हुअ।ा ऐसे में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने पर पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन को रोक लगाना चाहिए। क्योंकि यह मॉडल बिडिंग डॉक्यूमेंट का पार्ट है और ऐसा ना किया जाना उसका उल्लंघन होगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने बिडिंग डॉक्यूमेंट में दिए गए प्रावधान की जानकारी पावर कारपोरेशन के निदेशक वाणिज्य निधि नारंग को देते हुए तत्काल बिना एसएटी टेस्ट पास किए स्मार्ट प्रीपेड मीटर को उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाए जाने पर रोक लगाने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर अभी एसएटी टेस्ट ही नहीं पास कर पाया अब उसे उपभोक्ताओं के परिसर पर कतई ना लगाया जाए। इस पर निदेशक वाणिज्य ने आश्वासन दिया है कि मामले को गंभीरता से देखा जा रहा है। श्री वर्मा ने कहा बिना एसएटी पास होने के बाद पावर कारपोरेशन को यह सुनक्षित करना चाहिए कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर जो उपभोक्ताओं के परिसर पर लग रह वह पूरी तरीके से हार्डवेयर सॉफ्टवेयर इक्विपमेंट साइबर सिक्योरिटी सब में पास हो चुका है बिना कानूनंन अब एसएटी पास किए उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जाना गलत है। 25000 मीटर लगाए जाने की तो कानूनी जरूरत थी। उपभोक्ता परिषद ने कहा उत्तर प्रदेश में पहले भी जब 50 लाख स्मार्ट मीटर का टेंडर फाइनल हुआ था और एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ई ई एस एल )ने 12 लाख मीटर लगाया था। इसके बाद उसमें कमियां सामने आ गई और पूरा प्रोजेक्ट आज बंद हो गया उसका खामियाजा आज भी उपभोक्ता भुगत रहे। फिर भी पावर कारपोरेशन को होश नहीं बिना टेस्ट पास किए मीटर उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाए जा रहे हैं।

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