-महापौर पहुंची इंद्रानगर थाने, एसीपी व इंस्पेक्टर को दिए निर्देश
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REPORT BY: AAJNATIONAL NEWS ||AAJNATIONAL NEWS DEASK
लखनऊ। इंद्रानगर क्षेत्र अंतर्गत इंद्राप्रियदर्शिनी कॉलोनी में हुई अप्रिय घटना के दृष्टिगत आज पुनः महापौर सुषमा खर्कवाल द्वारा स्वयं इंद्रानगर थाने में पहुजच कर स्थितियों का जायजा लिया गया।साथ ही थाना अध्यक्ष के अतिरिक्त एसीपी को मौके पर बुलाकर इस मामले में सख्त कार्य करने जैसे अन्य आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
कल हुई घटना के मामले में सख्य कार्यवाही करने हेतु कहा गया। ज़ोन 07 से जिन जिन थानों पर अतिक्रमण हटाये जाने के संबंध में पत्र प्रेषित कियर गए हैं, उन अतिक्रमण मुक्त करवाये जा चुके स्थानों पर पुनः अतिक्रमण कैसे व्याप्त हो गया, इसके संबंध में एसीपी एवं इंस्पेक्टर से जवाब मांगा और इस मामले की गहनता से जांच करने की बात कही। इसके अतिरिक्त अन्य अज्ञात लोग जो वहां झुग्गी झोपड़ी डाल कर रह रहे थे, उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई और उनकी गिरफ्तारी कब तक कर ली जाएगी, इसकी भी जानकारी उच्चाधिकारियों से ली गयी। जिस प्लाट पर ये घटना घटित हुई उस प्लाट के मालिक के ऊपर भी कार्यवाही सुनिश्चित किये जाने के निर्देश जारी किए गए। महापौर द्वारा नगर में गैरकानूनी तरीकों से रह रहे लोगों की खोज कर उन्हें यहां से बाहर निकालने व उनके विरुद्ध कार्यवाही किये जाने के संबंध में सख्त निर्देश देते हुए कहा कि इसके दृष्टिगत नगर निगम और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम गठित कर सत्यापन प्रक्रिया को शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री व अन्य उच्चाधिकारियों से भी मेरे द्वारा वार्ता की जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में अनाधिकृत रूप से निवास करने वाले संदिग्ध लोगों को लखनऊ नगर निगम की सीमा से बाहर निकाला जाएगा।
नए वर्ष 2025 में निजीकरण के मसौदे पर लगे पूर्ण विराम: उपभोक्ता परिषद
पीपीपी मॉडल के मसौदे में अनेकों लीगल व वित्तीय तकनीकी कमियां उजागर
माह से ज्यादा होने को है पूर्वांचल व दक्षिणांचल के निजीकरण को लेकर पूरे प्रदेश में उपभोक्ताओं अभियंताओं व किसानों में आक्रोश व्याप्त है। पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव पर एनर्जी टास्क फोर्स के अनुमोदन पर बडे पैमाने पर कमियां सामने उजागर होने के बाद मामले पर सभी ने चुप्पी साध रखी है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार व पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन को नए वर्ष 2025 में आगे आकर स्वता मान लेना चाहिए कि जिस जल्दबाजी में निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढाया गया था उसमें बडे पैमाने पर कमियां सामने आई। उसमें विद्युत अधिनियम 2003 द्वारा प्रावधानित नियमों व वित्तीय कमियां निकली जिससे कहीं-कहीं उद्योगपतियों को फायदा होने वाला था। इसलिए अब बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कानून और नियमों की परिधि में रहकर पीपीपी मॉडल से अलग आगे कार्यवाही की जाएगी। जिसे कहीं-कहीं पूरे प्रदेश में आंदोलन अभियंता कार्मिक नियमित रूप से पूरे मनोबल के साथ उपभोक्ता सेवा में लग सके।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा प्रदेश के 42 जनपदों का जिस प्रकार से पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढाया गया वह पूरी तरह असंवैधानिक नियमों के विपरीत वित्तीय खामियों से भरा हुआ प्रस्ताव था। जिससे कहीं-न कहीं आने वाले समय मे देश व प्रदेश के निजी घरानों को लाभ होता। उपभोक्ता परिषद उत्तर प्रदेश सरकार का इस बात के लिए शुक्रगुजार है की जल्दबाजी में जिस प्रस्ताव को आगे बढाया गया था उस पर कार्यवाही नहीं हुई अन्यथा की स्थिति में उपभोक्ताओं को लालटेन युग में जाने से कोई नहीं रोक सकता था। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा 1959 में बने राज्य विद्युत परिषद और 2003 में बनी बिजली कंपनियों में निश्चित तौर पर व्यापक सुधार की आवश्यकता है। लेकिन उसके लिए एक तकनीकी उच्च स्तरीय भिज्ञ टीम का गठन करना चाहिए जो सभी पहलुओं पर अध्ययन करने के बाद एक व्यापक कार्य योजना बताएं उसके आधार पर बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ईमानदारी से प्रयास हो।
नगर निगम ने ध्वस्त किया अवैध कब्जा
इन्द्रजीत सिंह, नगर आयुक्त व पंकज श्रीवास्तव अपर नगर आयुक्त के आदेशानुसार संजय यादव प्रभारी अधिकारी सम्पत्ति द्वारा प्रदान किये गये। जिसका अनुपालन करते हुए नगर निगम की टीम ने अवैध कब्जे को ध्वस्त कर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
निर्देशानुसार तहसीलदार अरविन्द कुमार पाण्डेय के निर्देश में ग्राम-दाउदनगर, तहसील व जिला-लखनऊ की खसरा संख्या-55 क्षेत्रफल 0.234 हेक्टेयर नवीन परती दर्ज भूमि पर अवैध रूप से किये गये अवैध कब्जों को नायब तहसीलदार राजेन्द्र कुमार के नेतृत्व में राजस्व निरीक्षक श्रप्रदीप गिरी की उपस्थिति में नगर निगम लेखपाल रवीन्द्र सिंह विष्ट, थानाध्यक्ष थाना-मड़ियाव द्वारा उपलब्ध करायी गयी पर्याप्त पुलिस बल व नगर निगम लखनऊ की ईटीएफ टीम के सहयोग से शांतिपूर्ण ढंग से 0.234हेक्टेयर भूमि से अवैध कब्जा हटवा दिया गया।
पदक विजेता कराटे खिलाड़ियों का सम्मान
हाल ही में हुई आल इंडिया सब जूनियर कराटे चौंपियनशिप व नेशनल स्कूल गेम्स की कराटे स्पर्धा में पदक जीतने वाले लखनऊ के खिलाड़ियों को पूर्वी विधानसभा के विधायक ओपी श्रीवास्तव ने सम्मानित किया। विधायक ओपी श्रीवास्तव ने पदक विजेताओं को आर्शीवाद देते हुए उनके उज्जवल भविष्य व आगामी प्रतियोगिताओं में भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की कामना की गई ।
उन्होंने खिलाड़ियों को अपने आर्शीवचन में कहा कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में खेल और खिलाड़ियों के हित में सरकार ने नीतियां बनाई है। उसके चलते खेल नए आयाम छू रहा है। इसका प्रमाण हमारे सामने मौजूद ये खिलाड़ी है, जिन्हें अभी और आगे जाना है। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में आप सभी खेल के फलक पर अपने परिवार, शहर अपने प्रदेश और देश का नाम रोशन करेंगे। बताते चले कि लखनऊ के कराटे खिलाड़ियों ने नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 14 व 15 दिसंबर, 2024 को आयोजित आल इंडिया सब जूनियर नेशनल कराटे चौंपियनशिप 2024 में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधत्व करते हुए 3 स्वर्ण, 3 रजत व एक कांस्य पदक अपने नाम किए थे। अरहम खान, अल्तमस ख़ान, ऋषिकेश शर्मा ने स्वर्ण पदक जीते। अक्षत सिंह, ऐश्वर्या सिंह व युवराज सिंह ने रजत पदक अपने नाम किए। रिद्धिमा सिंह को कांस्य पदक मिला। टीम कोच के तौर पर वीरू रसाली, धीरज कुमार, विवेक सिंह तथा आकाश सोनकर गए थे। इसके अलावा नेशनल स्कूल गेम्स में कराटे की आयु वर्ग की स्पर्धाओं में हनी सोनी व आयुष धीमान ने स्वर्ण, पिंटू यादव व विवान आहूजा ने रजत एवं शुभ रावत व और वैभव पांडेय ने कांस्य पदक जीते थे। आज सम्मान समारोह में पूर्व पार्षद राम मोहन अग्रवाल भी मौजूद रहे।
पूर्व पार्षद ने केन्द्र और राज्य सरकार किए सवाल
-बांग्लादेशी अवैध नागरिकों के मामलें में पूर्व पार्षद के सवालों को कौन देगा जबाब
लखनऊ में बांग्लादेशी नागरिकों की उपस्थिति को लेकर उठे विवाद और इससे संबंधित घटनाओं ने न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी गंभीर चिंता का विषय है। पूर्व कांग्रेस पार्टी के पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने ऐसा पत्र मुख्यमत्री को लिखा है जिसका शायद किसी के पास जबाब नही होगा। उन्होने लिखा है कि इस पत्र के माध्यम से इस मुद्दे पर आपके और प्रदेश सरकार के ध्यानाकर्षण की आवश्यकता है।
पूर्व पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने लिखा कि भाजपा के विधायक और महापौर ने सार्वजनिक रूप से दावा किया है कि लखनऊ में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं और वे नगर निगम के अंतर्गत कूड़ा प्रबंधन जैसे काम कर रहे हैं। इस दावे को लेकर उठे विवाद ने कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब राज्य और केंद्र सरकार को देना चाहिए। इस सम्बन्ध में हमें ज्ञात हुआ है कि इन लोगों के पास आधार कार्ड हैं, अगर उनके पास इस देश के आधार कार्ड मौजूद है तो इन्हें बंगलादेशी नागरिक कहना कहा तक उचित है, यह समझ से परे है।
पूर्व कांग्रेस पार्टी के पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने पत्र में लिखा है कि अगर ये लोग बंगलादेश नागरिक नहीं है तो इनके साथ 29 दिसम्बर-2024 को किये गये अमानवीय कृत्य की निन्दा होनी चाहिए। जिसके चलते इस भीषण ठंड के मौसम में उनके बच्चों को खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर होना पड़ा है। जहॉं तक बंगलादेशी नागरिकों का सवाल है तो बांग्लादेशी नागरिकों की अवैध घुसपैठ को लेकर केंद्र सरकार का रुख हमेशा से सख्त रहा है। पिछले एक दशक से केंद्र में भाजपा सरकार है, और इस दौरान देश की सीमाओं की सुरक्षा मजबूत करने के दावे किए गए हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बांग्लादेशी नागरिकों की उपस्थिति न केवल प्रशासनिक विफलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किए जा रहे दावे जमीनी स्तर पर कमजोर हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले सात वर्षों से भाजपा की सरकार है, और मुख्यमंत्री स्वयं गृह विभाग की जिम्मेदारी संभालते हैं।
पूर्व कांग्रेस पार्टी के पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने पत्र में लिखा है कि अगर लखनऊ में अवैध रूप से बांग्लादेशी नागरिक रह रहे हैं, तो यह प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इनकी पहचान करे और इन पर उचित कार्रवाई करे। अब तक ऐसी कोई ठोस कार्रवाई न होना यह दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन इस मामले में गंभीर नहीं है।इन्द्राप्रियदर्शनी वार्ड में नगर निगम कर्मचारियों और प्राइवेट ठेलिया से कूड़ा उठाने वाले नागरिकों से नगर निगम के कर्मचारियों के बीच हुए विवाद के पश्चात बांग्लादेशी नागरिकों की संलिप्तता की आशंका जाहिर की गई है। इस मामले की पारदर्शी जांच होना आवश्यक है। यदि इस घटना में बांग्लादेशी नागरिक शामिल हैं, तो यह नगर निगम की ठेकेदारी प्रक्रिया और निगरानी तंत्र की विफलता को उजागर करता है। साथ ही जिन अराजक तत्वों द्वारा नगर निगम के कर्मचारियों के साथ मार-पीट की गयी उनके साथ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
पूर्व कांग्रेस पार्टी के पार्षद मुकेश सिंह चौहान ने पत्र में लिखा है कि यह भाजपा की राजनीतिक विफलता है कि अवैध नागरिकों की पहचान और निष्कासन नहीं हो सका। इस स्थिति में यह स्पष्ट होना चाहिए कि सरकार का इरादा और प्रयास इस दिशा में कितना प्रभावी है। यदि यह मुद्दा महज राजनीतिक लाभ के लिए उठाया जा रहा है, तो यह जनता के साथ धोखा है।लखनऊ में बांग्लादेशी नागरिकों की उपस्थिति पर लगाए गए आरोप न केवल प्रशासनिक कमजोरी को दर्शाते हैं, बल्कि यह राज्य और केंद्र सरकार की जवाबदेही का भी प्रश्न उठाते हैं। इस गंभीर मुद्दे पर आपकी सरकार से ठोस और पारदर्शी कार्रवाही की अपेक्षा है।