-अब रुपया 70 प्रति स्क्वायर फिट के हिसाब से जमा होगी धनराशि
- REPORT BY:PREM SHARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ। शहरी क्षेत्र से सटी अविकसित कॉलोनी मैं अब जहां कनेक्शन लेना आसान हो गया है। लेकिन जो भी बिजली कनेक्शन लेना चाहेंगे उन्हें दुगनी धनराशि खर्च करनी पडेगी। विद्युत नियामक आयोग द्वारा पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव पर 2017 में जारी किए गए अपने नवे संशोधन को पावर टू रिमूव डिफिकल्टी के दायरे में लाते हुए पुनः उसमे यह संशोधन कर दिया गया है कि अब यदि कोई भी शहरी क्षेत्र से सटी आविकसित कॉलोनी होगी वहां का कोई भी प्लाट ओनर मकान व प्रॉपर्टी कॉलोनी रुपया 70 प्रति स्क्वायर मीटर के हिसाब से धनराशि जमा करके बिजली कनेक्शन बिना किसी शर्त के प्राप्त कर सकता है। पहले कुछ शर्तों के साथ विद्युत नियामक आयोग का जो आदेश लागू था वह रुपया 35 स्क्वायर फीट के हिसाब से चार्ज किया जाता था।
विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी किए गए संशोधन आदेश के हिसाब से प्लाट ओनर या कॉलोनी के किसी व्यक्ति द्वारा रुपया 70 स्क्वायर प्रति फीट के हिसाब से पैसा जमा किए जाने के बाद उसे 40 मीटर की परिधि में जिस प्रकार से सामान्य कनेक्शन मिलता है उसी हिसाब से कनेक्शन देना पडेगा।अविकसित कॉलोनी में नए कनेक्शन लेने के लिए प्लाट ओनर मकान व कोई कॉलोनी अन्य को दुगना धनराशि रुपया 35 स्क्वायर फीट की जगह रुपया 70 स्क्वायर फीट जमा करने के विरोध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आज विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर एक लोक महत्व जनहित प्रस्ताव दाखिल करते हुए यह मुद्दा उठा दिया कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा सौंप गए प्रस्ताव पर विद्युत नियामक आयोग द्वारा पावर टू रिमूव डिफिकल्टी के तहत जो संशोधन आदेश जारी किया गया है उसमें पब्लिक की राय लेने के लिए सप्लाई कोड रिव्यू पैनल की बैठक में इस मुद्दे को ले जाना चाहिए था।
उपभोक्ता परिषद की मांग है कि दोगुना राशि प्लाट ओनर मकान अथवा कॉलोनी व अन्य से वसूला जाना अधिक है उसमें कमी करने के लिए विद्युत नियामक आयोग अपने आदेश पर पुनर्विचार करें। रिव्यू पैनल की बैठक बुलाकर उसमें पुनः संशोधन करें।जिससे अपेक्षित कॉलोनी के प्लाट ओनर को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल पाए और गरीब प्लाट ओनर भी उसका लाभ ले सके। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि पावर कारपोरेशन का जो प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया गया था यदि वह लागू होता तो वह प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए बहुत ज्यादा कष्टकारी होता क्योंकि उसमें बहुत ही अधिक शर्तें लगाई गई थी और बार-बार प्लाट ओनर और आविकसित कॉलोनी को पैसा जमा करना पडता।
निजीकरण रोकने छह केंद्रीय श्रम संघों की मुख्यमंत्री से अपील
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आज लगातार 98 वें दिन बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजना मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन किया निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन 06 व 07 मार्च को भी यथावत जारी रहेगा। संघर्ष के 101वें दिन संघर्ष समिति के सभी घटक श्रम संघों और सेवा संगठनों के केंद्रीय पदाधिकारियों की लखनऊ में बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में निजीकरण निरस्त कराने हेतु संघर्ष तेज करने की रणनीति तय की जाएगी।उधर छह केन्द्रीय श्रम संघों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह निजीकरण की प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार को देखते हुए निजीकरण का निर्णय तत्काल निरस्त करने की कृपाकरें।
हिन्द मजदूर सभा के अरुण गोपाल मिश्र, पीयूष मिश्र, एटक के चन्द्र शेखर, इंटक के दिलीप श्रीवास्तव, सुधीर श्रीवास्तव, सीटू के प्रेम नाथ राय, हेमन्त कुमार सिंह, एआईटीयूटीसी से बीरेंद्र त्रिपाठी और सेवा से सीता रावत, मीना ने संयुक्त बैठक कर निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के आन्दोलन का समर्थन करते हुए कहा है कि निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति के मामले में जिस तरह हितों के टकराव के प्रावधान को शिथिल कर दिया गया है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि निजीकरण की प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार चल रहा है। केंद्रीय श्रम संगठनों की बैठक की अध्यक्षता एटक के चंद्रशेखर ने की।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने पुनः कहा है कि पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन निजीकरण का राग बंद कर दें और बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सुधार की प्रक्रिया में लगे। बिजली कर्मी सुधार चाहते हैं और निजीकरण के विरोध में अनावश्यक बिजली कर्मियों की ऊर्जा लग रही है। यही ऊर्जा सुधार में लगे तो बिजली की व्यवस्था में और उत्तरोत्तर सुधार होगा।आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, प्रयागराज ,अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध सभा हुई।
नगर निगम के मूल बजट में कुछ संशोधन की मांग,संघ ने महापौर को वस्तुस्थिति से अवगत कराया
नगर निगम कर्मचारी संघ लखनऊ ने नगर निगम लखनऊ के मूल बजट वर्ष 2025-2026 के कुछ मदों में तर्क के साथ संशोधन की मांग की है। इसे लेकर महापौर को पत्र से अवगत कराया गया है।
नगर निगम कर्मचारी संघ लखनऊ के अध्यक्ष आनंद वर्मा ने महापौर को लिखे पत्र में कहा है कि नगर निगम लखनऊ के मूल बजट वर्ष 2025 2026 पर चर्चा हेतु महापौर की अध्यक्षता में कार्यकारिणी समिति की विशेष बैठक 10 मार्च 2025 प्रस्तावित है। नगर निगम लखनऊ के मूल बजट वर्ष 2025 2026 में कर्मचारी संस्था हित में कुछ बिन्दुओं पर सशोधन किये जाने की नितान्त आवश्यकता है। इनमें मद 3-क-1 डिस्पेन्सरी अधिष्ठान में 60.00 लाख का प्राविधान किया गया है। जबकि वर्तमान में नगर निगम लखनऊ की सीमा में आज के परिवेश के अनुरुप शहर में कोई भी डिस्पेन्सरी सुचारु रुप से संचालित नही है, जिसमें संशोधन की नितान्त आवश्यकता है। मद 4-2-6 वधशाला अधिष्ठान में 15 लाख का प्राविधान किया गया है, जबकि वर्तमान में नगर निगम, लखनऊ की सीमा में संचालित वधशालो पर रोक लगाये जाने उपरान्त न तो किसी कर्मचारी की तैनाती की गई है और न ही किसी वधशालाओं से नगर निगम, लखनऊ को कोई आय प्राप्त हो रही है। समस्त विभागों के नियमित कर्मचारियों के अधिष्ठान सम्बन्धी व्यय एवं कार्यदायी संस्था के कर्मचारी के वेतन पर होने वाले व्यय की जाने वाली धनराशि वर्ष 2025 2026 के मूल बजट में अलग प्राविधान किया जाये। ताकि भविष्य में कर्मचारियों के अधिष्ठान मद से किसी अन्य मद में भुगतान पर रोक लग सके। विभागों में कम्प्यूटर के संचालन एवं कम्प्यूटर आपरेटरों के वेतन पर व्यय की जाने वाली धनराशि का प्राविधान विभागों के नियमित कर्मचारियों के अधिष्ठान मद से अलग रखा जाए ताकि कम्प्यूटर आपरेटरों पर कितना व्यय किया जा रहा है। अतः संघ का मत है, कि नगर निगम, लखनऊ के मूल बजट वर्ष 2025 2026 में कर्मचारियों,संस्था हित में संशोधन किये जाने के सम्बन्ध में सम्बन्धित को निर्देशित करने का कष्ट करे,ताकि भविष्य तक त्रुटि से बचा जा सके।