-सरगना सहित अन्य से एसटीएफ नें उगलवाये कई राज,काठमांडू नेपाल का डेनियल कर रहा था खातों को आपरेट
- REPORT BY:AAJ NATIONAL NEWS || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ। यूपी एसटीएफ नें डिजिटल अरेस्ट व शेयर मार्केट तथा इनवेस्टमेंट व टास्क गेमिंग आदि तरीकों से की जा रही साइबर ठगी में प्रयोग होने वाले कार्पोरेट बैंक खाते किराये पर लेकर संचालित करने वाले संगठित गिरोह के सरगना सहित छह सदस्यो को राजधानी के विभूतिखंड थाने के आधार कार्ड आफिस के पास, गाडफादर कैफे के सामने से गिरफ्तार किया है।
पकड़े गये अब्दुल मलिक सरगना व आयुष मिश्रा व याषीन अहमद उर्फ यासिर व सैयद आलिम हुसैन व पुष्पेन्द्र सिंह व विजय कुमार पाठक के पास से ग्यारह मोबाइल फोन और 18 डेबिट/क्रेडिट कार्ड व दो चेकबुक व एक ब्लैक चेक तथा तीन आधार कार्ड व तीन पैन कार्ड व एक डीएल तथा निर्वाचन कार्ड और 52 पेज व्हाट्सएप्प के स्क्रीनशाट जिसमें साइबर अपराध करने से सम्बन्धित एपीके फाइल, चैटिंग व कार्पोरेट बैंक खातों की जानकारी है।इसके अलावा चौंतीस हजार पांच सौ रूपये नकद व दो कार बरामद की है।
यूपी एसटीएफ के मुताबिक अब्दुल मलिक वर्ष 2017 में संतकबीर नगर से इंटरमीडिएट करने के बाद लखनऊ में नीट की तैयारी करने के लिए आया। 03 वर्षों तक प्रयास करने पर भी वह नीट में सफल नही हुआ। इसी बीच उसकी लखनऊ में कई लोगों से मित्रता हो गयी वह लखनऊ में रहने लगा। वर्ष 2022 में उसकी मुलाकात शुभम ठाकुर नामक व्यक्ति से हुई जो खुद को शेयर मार्केट का बडा ट्रेडर बताता था। शुभम ने मलिक को बताया कि उसके साथ काम करने व इनवेस्टमेंट करने पर वह रू 1 लाख पर 12 हजार रूपये प्रतिमाह की दर से फायदा देता है। फायदे के लालच में आकर मलिक द्वारा खुद से लोन लेकर लगभग 10 लाख रूपये व अपने जानने वालों के लगभग 50 लाख रूपये शुभम को ट्रेडिंग करने के लिए दिये गये। दो माह तक फायदा देने के बाद शुभम सारे रूपये लेकर भाग गया। कर्ज अधिक हो जाने व लोगों द्वारा अपना रूपया वापस मांगने के कारण मलिक द्वारा साइबर क्राइम कर रूपये कमाने का प्रयास किया जाने लगा। इसी क्रम में वर्ष 2024 में थाना छितवापुर में अब्दुल मलिक पर मुकदमा दर्ज हुआ जिसमें मलिक व उसके गिरोह नें एनजीओ के माध्यम से लगभग 15 लाख रूपये की ठगी गयी थी।
यूपी एसटीएफ के मुताबिक सितम्बर-2024 में मलिक की मित्रता लखनऊ के फरहान से हुई। फरहान ने मलिक को जैकी पूना व डेनियल काठमांडू नेपाल से सोषल मीडिया के माध्यम से जोडा और कम समय में साइबर क्राइम कर रूपये कमाने के लिए कार्पोरेट बैंक खातों की जानकारी व बैंक खाता धारकों को मैनेज कर उनके बैंक खातों की जानकारी साझा करने पर मोटा कमीषन देने की बात हुई। इसके बाद मलिक अपने मित्र आयुष मिश्रा, याषीन अहमद, सैयद आलिम, पुष्पेन्द्र सिंह आदि के साथ मिलकर ठगी का काम करने लगा। फील्ड से कार्पोरेट बैंक खाता धारकों को ढूढकर उनकों मोटा कमीषन का लालच देकर उनकी बैंक खाते की किट, एटीएम कार्ड, चेक बुक, रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर सिम कार्ड, इंटरनेट बैंकिग का यूजर आईडी पासवर्ड, कार्पोरेट आईडी, क्यूआर कोड आदि लेकर मलिक तक पहुचाने का काम गैंग के अन्य सदस्य करने लगे। गैंग के सदस्य बैंक खाता धारक के साथ होटल में रूकते थे फिर मौका पाकर उसके मोबाईल में एपीके फाइल के माध्यम से मैसेज फारवर्ड करने का साफ्टवेयर डाउनलोड कर देते थे। फिर अब्दुल मलिक, डानियल काठमांडू नेपाल, फरहान निवासी इंदिरा नगर लखनऊ जैकी निवासी पूना आदि के माध्यम से साइबर ठगी की प्रक्रिया पूरी कर पब्लिक के साथ साइबर ठगी का काम कर अवैध रूप से धन अर्जित करने लगे।एसटीएफ के मुताबिक 12 दिसम्बर 2024 को इस गिरोह द्वारा एटेक्ष इन्नोवेषन प्रा0लि0 आईटी सैल्यूषन कम्पनी लखनऊ का टर्नओवर बढाने का झांसा देकर कम्पनी के आईसीआईसीआई बैंक खाता को अनाधिकृत तरीके से एपीके फाइल के माध्यम से साफ्टवेयर डाउनलोड कर संचालित कर 47,58,968 रूपये की साइबर ठगी की गयी। इसके बाद इस गिरोह द्वारा जनवरी 2025 में टेलीग्राम पर निलेष यादव बिहार के नाम की आईडी पर सम्पर्क कर इंडियन ओवरसीज बैंक का कार्पोरेट बैंक खाता किराये पर लिया गया था इसके बाद डेनियल काठमांडू नेपाल ने उस बैंक खाते को संचालित कर लगभग 1 करोड 20 लाख की साइबर ठगी की थी। जिसमें भी इस गिरोह को मोटा कमीषन मिला था। इस गिरोह से बरामद इलेक्ट्रानिक डिवाइसों के प्रथम दृष्टयः परीक्षण से 10 कार्पोरेट बैंक खातों की डिटेल प्राप्त हुई जिनका प्रयोग इस गिरोह द्वारा साइबर ठगी मे किया गया है।
मिले बैंक खातों की जानकारी राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल से प्राप्त कर पता चला कि गिरोह के विरूद्व देश में साइबर क्राइम की 25 अन्य शिकायतें भी दर्ज हैं। गिरोह के सदस्य अब्दुल मलिक नें पूछताछ करने पर बताया कि एक्सिस बैंक के कार्पोरेट खाता जो कि विजय कुमार पाठक का है जिसको डेनियल काठमांडू नेपाल द्वारा आपरेट किया जा रहा है के माध्यम से ठगे गये रूपयों से प्राप्त कमीशन को बांटने के लिए इकट्ठा हुए थे। इसके अतिरिक्त कई कार्पोरेट बैंक खातों को अनाधिकृत तरीके से एक्सिस कर आपरेट किया गया हैं जिनमें डिजिटल अरेस्ट, शेयर मार्केट, इनवेस्टमेंट, टास्क फ्राड, गेमिंग, जुआ, आदि तरीकों से साइबर ठगी का रूपया आया था जिसका इन्हे मोटा कमीशन मिला है। एसटीएफ गिरोह के अन्य सदस्यो की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है। बरामद इलेक्ट्रानिक उपकरणों का फारेंसिक परीक्षण कराया जोयेगा।