-यह कदम सरकार की छबि धूमिल करने वाला
- REPORT BY:PREM SHARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ। पूर्वांचल व दक्षिणांचल के 42 जनपदों के निजीकरण के मामले पर उपभोक्ता परिषद आज एक बड़ा खुलासा करने जा रहा है केंद्र सरकार में होली के पहले ऊर्जा विभाग की एक गोपनीय बैठक हुई कि उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण सफलतापूर्वक जल्दी किया जाए। इस योजना के तहत 12 अप्रैल को उत्तर प्रदेश लखनऊ स्थित एक फाइव स्टार होटल में सफलता पूर्वक निजीकरण करने वाले निजी घरानो के साथ एनटीपीसी व पावर ग्रिड की पावर कारपोरेशन ने एक गोपनीय बैठक बुलाई है।
उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग उठाई है कि सबसे पहले ब्रिटिश ट्रांजैक्शन एडवाइजर ग्रांट थ्रोनटन को आसंवैधानिक तरीके से निजीकरण के लिए रखा गया। अब प्रदेश के 42 जनपदों को निजी क्षेत्र में सफलतापूर्वक देने के लिए देश के बड़े निजी घराने अदानी, टोरेंट पावर टाटा पावर, नोएडा पावर कंपनी, रिलायंस के साथ गोपनीय बैठक आयोजित किया जाना उत्तर प्रदेश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा। इससे सरकार की छबि धूमिल होगी। तत्काल इस पर पूरी विराम लगाया जाए। उपभोक्ता परिषद में प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस प्रकार की गोपनीय बैठक पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा 1959 में बने राज्य विद्युत परिषद के अनुक्रम में गठित बिजली निगमो को बेचने की इतनी जल्दी क्यों है। सभी को पता है कि निजी घराने जब भी उत्तर प्रदेश में पैर पसारेगें प्रदेश की गरीब जनता को लालटेन युग में जाना पड़ेगा। वर्तमान में उड़ीसा में 1 किलो वाट का कनेक्शन 4000 रूपये से ऊपर है। जबकि उत्तर प्रदेश में 1 किलो वाट का कनेक्शन महज 1200 से 1300 के बीच है। इसी प्रकार मुंबई में निजीकरण के बाद अदानी द्वारा संचालित कंपनी की अधिकतम घरेलू की बिजली दरें रुपया 15 प्रति यूनिट से ऊपर है। प्रदेश में अधिकतम घरेलू कि 6.50 प्रति यूनिट है।जो यह दर्शाता है कि देश के यही निजी घराने जब उत्तर प्रदेश में अपना कब्जा जमा लेंगे। तो उत्तर प्रदेश की जनता को लालटेन युग में जाने से कोई नहीं रोक पाएगा। इसलिए अभी भी समय है उत्तर प्रदेश सरकार को पूरे मामले पर हस्तक्षेप करना चाहिए। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा जिस प्रकार से पावर कॉरपोरेशन लगातार आसंवैधानिक कार्रवाई कर रहा है और निजी घरानो के साथ बैठकर कर रहा है उसे उत्तर प्रदेश की जनता के साथ बड़ा धोखा होने वाला है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को पूरे मामले पर तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और पावर कारपोरेशन को यह खुलासा करना चाहिए इस बैठक का एजेंडा क्या है।
निजीकरण के खिलाफ 10 प्रान्तों के बिजली संगठन की आज रैली
पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों और अभियन्ताओं के चल रहे आन्दोलन को आज उत्तरी भारत के 10 प्रान्तों के बिजली कर्मचारी संगठनों ने पुरजोर समर्थन दिया। उत्तर प्रदेश के समर्थन में आन्दोलन का निर्णय लिया। 09 अप्रैल को लखनऊ में होने वाली विशाल रैली में देश के अनेक प्रान्तों से बिजली कर्मचारी एवं अभियन्ता संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी सम्मिलित होंगे। आज लखनऊ में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स के उत्तरी क्षेत्र के तत्वावधान में उत्तरी भारत के प्रान्तों के बिजली कर्मचारी संघों और अभियन्ता संघों की बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की गयी कि किसानों, आम घरेलू उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों के व्यापक हित को देखते हुए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय तत्काल निरस्त किया जाये। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि उप्र सरकार ने निजीकरण का निर्णय निरस्त न किया तो उप्र के साथ उत्तरी भारत के सभी प्रान्तों के तमाम बिजली कर्मी आन्दोलन करेंगे।संघर्ष समिति ने बताया कि 09 अप्रैल को लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल पर प्रदेश भर से आने वाले बिजली कर्मी एकत्र होने। तत्पश्चात मध्याह्न 12 बजे के बाद रैली निकाली जाएगी। रैली सिकन्दर बाग चौराहे से अशोक मार्ग, शक्ति भवन, मीरा बाई मार्ग होते हुए हाइडिल फील्ड हॉस्टल तक आएगी जहां सभा होगी।
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने यह निर्णय लिया कि उप्र के बिजली कर्मियों के समर्थन में आगामी 02 मई से 09 मई तक लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय पर क्रमिक अनशन होगा जिसमें अलग अलग प्रान्तों से बिजली कर्मी और अभियंता सम्मिलित होंगे। 14 मई को उप्र के आन्दोलन के समर्थन में उत्तरी भारत के सभी प्रान्तों के तमाम बिजली कर्मी सभी जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे। आज की बैठक में ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चयेरमैन शैलेन्द्र दुबे, ऑल इण्डिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आर के त्रिवेदी एवं जी वी पटेल, ऑल इण्डिया इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल मोहन शर्मा और इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ इण्डिया के उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, जनरल सेक्रेटरी सुदीप दत्त , आल इंडिया पावर मेन्स फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी आर के पाराशर सुरेश राठी, हरपाल सिंह ,कुलविंदर सिंह, रघुवेंद्र सिंह मुख्यतया सम्मलित हुए।आज की बैठक में पंजाब, चंडीगण, जम्मूकश्मीर, हरियाणा, उत्तराखण्ड के पदाधिकारियों के साथ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के सभी प्रमुख पदाधिकारी जितेन्द्र सिंह गुर्जर, महेन्द्र राय, पी के दीक्षित, सुहेल आबिद, श्री चन्द, मो वसीम, माया शंकर तिवारी, छोटे लाल दीक्षित, देवेन्द्र पांडेय, सरजू त्रिवेदी सम्मिलित हुए। बैठक में प्रस्ताव पारित कर कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में आगरा और ग्रेटर नोएडा में निजीकरण का प्रयोग पूरी तरह विफल हो चुका है। अब इस विफल प्रयोग को उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों में थोपने का कोई औचित्य नहीं है। अप्रैल 2010 में जब आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेंट पॉवर कम्पनी को सौंपी गयी थी तब उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन का 2200 करोड़ रूपये का उपभोक्ताओं का एरियर बकाया था जिसे टोरेंट कम्पनी को वसूल का पॉरव कारपोरेशन को देना था। पॉवर कारपोरेशन इसके एवज में टोरेंट पॉवर कम्पनी को 10 प्रतिशत इंसेटिव का भुगतान करती। आज 15 वर्ष गुजर जाने के बाद भी टोंरेंट पॉवर कम्पनी ने एक पैसा भी पॉवर कारपोरेशन को नहीं दिया है। इसके अतिरिक्त पॉवर कारपोरेशन 5.55 रूपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर टोरेंट कम्पनी को 4.36 रूपये प्रति यूनिट की दर से बेच रही है जिसके चलते प्रति वर्ष 275 करोड़ रूपये का नुकसान हो रहा हैं अतः इस प्रकार के विफल निजीकरण के प्रयोग को उत्तर प्रदेश में जबरिया लागू न किया जाये और निजीकरण का निर्णय तत्काल वापस लिया जाये।