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REPORT BY:PREM SHARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ। महापौर सुषमा खर्कवाल के स्पष्ट निर्देशन में लखनऊ नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ अपनी सख्त मुहिम को जारी रखा है। बुधवार को हाई कोर्ट के आदेश पर नगर आयुक्त गौरव कुमार के निर्देशानुसार जोन-5 के जोनल अधिकारी नंदकिशोर के नेतृत्व में आलमबाग क्षेत्र स्थित चंदन नगर मार्केट में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत चंदन नगर मार्केट में अवैध कब्जों पर बुलडोजर चला और दुकानों द्वारा सड़क पर किए गए अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया गया।
कार्रवाई के दौरान चंदन नगर मार्केट में उन दुकानदारों के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए जिन्होंने सड़क पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा था। दुकानों द्वारा नाली और सड़क तक फैलाई गई टीन शेड और अन्य अवैध निर्माण को मौके पर ही तोड़ा गया। नगर निगम की इस कार्रवाई से अवैध कब्जेदारों में हड़कंप मच गया और बाजार में अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला। इस सख्त कार्रवाई के दौरान मानकनगर और आलमबाग थानों की पुलिस और पीएसी के जवान भारी संख्या में मौजूद रहे ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना न घटे और कानून व्यवस्था बनी रहे। प्रशासन की सख्ती के कारण अवैध कब्जेदारों को कोई विरोध करने का मौका नहीं मिला और कार्रवाई सुचारु रूप से पूरी की गई। चंदर नगर गेट से मार्केट की ओर जाने वाले रास्ते से लेकर चंदर नगर पुलिस चौकी तक की सड़क पर पूरी तरह कब्जा था। इस इलाके में करीब 70 दुकानें अस्थायी रूप से वेंडिंग जोन में संचालित की जा रही थीं। ये दुकानें 18 फुट चौड़ी सड़क का आधा हिस्सा और नाली तक कब्जा करके चलाई जा रही थीं। बुधवार को हुई कार्रवाई में इन सभी दुकानों को हटाकर सड़क को साफ किया गया। साथ ही कई टीन शेड और सड़कों तक बने चबूतरे भी तोड़े गए, जिससे सड़कों की चौड़ाई पुनः बहाल की गई। इस ड्राइव के दौरान मार्केट में अतिक्रमण के चलते एक बड़ी नाली छिप गई थी जिसे अतिक्रमण हटाकर खोला गया है।चंदर नगर मार्केट की समानांतर सड़क पर बनी पक्की दुकानों ने सड़क तक चबूतरे और सीढ़ियां बना रखी थीं। इस पर नगर निगम ने बुलडोजर चलाते हुए अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया और सड़क को खाली कराया। इससे स्थानीय लोगों को राहत मिली और सड़कों पर आवागमन सुगम हुआ।चंदर नगर पुलिस चौकी के बगल से सिंध क्लॉथ की ओर जाने वाले रास्ते पर 15 फुट चौड़ी सड़क को दुकानदारों ने दोनों ओर से अतिक्रमण कर महज 4 फुट चौड़ा कर दिया था। यहां कोई अधिकृत वेंडिंग जोन नहीं था। ऐसे में नगर निगम ने इस पूरे रास्ते को खाली कराते हुए सभी अवैध दुकानें हटा दीं। इससे अब यह सड़क आवागमन योग्य हो गई है।
अतिक्रमण और गंदगी के खिलाफ सख्ती
नगर निगम ने साफ कर दिया है कि भविष्य में भी शहर को अतिक्रमण और गंदगी से मुक्त करने के लिए इस प्रकार की सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। नगर आयुक्त गौरव कुमार के निर्देशों के अनुपालन में, नगर निगम ने बुधवार को जोन-7 और जोन-8 क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाने का व्यापक अभियान चलाया।जोनल अधिकारी आकाश कुमार (जोन-7) के नेतृत्व में अरविंदो पार्क के चारों ओर चाय, जूता-चप्पल विक्रेताओं और दोपहिया वाहन मिस्त्रियों द्वारा किए गए अवैध अतिक्रमण को हटाया गया। कार्रवाई के दौरान 4 ठेला, 3 ठेलिया, 2 गुमटी, 2 लोहे के काउंटर हटाए गए। इसके अलावा 7 कैरेट और 1 गुमटी को जब्त किया गया और 7 झोपड़ियों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया।वहीं, जोन-8 के जोनल अधिकारी अजीत राय के नेतृत्व में खजाना चौराहे से स्मृति उपवन चौराहा, पावर हाउस चौराहा होते हुए पराग रोड तक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई।
नगर निगम ने 1.5 करोड की जमीन अवैध कब्जे से मुक्त कराई
मण्डलायुक्त लखनऊ एवं नगर आयुक्त नगर निगम लखनऊ गौरव कुमार के निर्देश पर ग्राम अमौसी, तहसील सरोजनी नगर में अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया गया। इस अभियान के अंतर्गत नगर निगम और तहसील प्रशासन की संयुक्त टीम ने सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया।इस विशेष अभियान का नेतृत्व अपर नगर आयुक्त नम्रता सिंह द्वारा गठित टीम ने किया। ग्राम अमौसी स्थित गाटा संख्या 806 (9.611 हेक्टेयर) की भूमि, जो राजस्व अभिलेखों में ऊसर रूप में दर्ज है और नगर निगम की संपत्ति है, पर स्थानीय व्यक्तियों द्वारा, 0.126 हेक्टेयर भूमि पर अस्थाई निर्माण, नींव भराई और सीमेन्टेड वाल खड़ी कर अतिक्रमण करने का प्रयास किया था।
नगर निगम की संपत्ति प्रभारी अधिकारी संजय यादव के निर्देशन में तहसील प्रशासन की टीम, जिसमें तहसीलदार अरविन्द पाण्डेय, नायब तहसीलदार रत्नेश कुमार, नगर निगम के राजस्व निरीक्षक अविनाश चन्द्र तिवारी, लेखपाल अजीत तिवारी एवं राहुल यादव, तथा तहसील सरोजनी नगर के लेखपाल संजय शुक्ला शामिल थे, ने जेसीबी मशीन की सहायता से अवैध निर्माण को ध्वस्त किया और भूमि को कब्जे से मुक्त कराया। मौके पर थानाध्यक्ष सरोजनीनगर द्वारा उपलब्ध कराई गई पुलिस बल,और नगर निगम की ईटीएफ टीम भी मौजूद रही जिससे कार्रवाई शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न हो सकी। उल्लेखनीय है कि उक्त गाटा संख्या पर शासन द्वारा स्वीकृत एक परियोजना स्थापित की जा रही है। जब टीम मौके पर पहुंची तो अवैध कब्जाधारियों ने विरोध किया। स्थिति को संभालते हुए प्रशासन ने कार्रवाई और शांति व्यवस्था बनाए रखी।इस अभियान के अंतर्गत कुल रकबा 9.611 में से 3.036 हेक्टेयर भूमि परियोजना हेतु अवैध कब्जे से मुक्त कर उपलब्ध कराई गई। विशेषज्ञों के अनुसार,कब्जा मुक्त कराई गई इस भूमि की वर्तमान बाजार कीमत लगभग 1.5 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह कार्यवाही सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
निजीकरण के विरोध में आज राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन,ऊर्जा मंत्री का दावा तथ्यों से परे: समिति
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने कल वाराणसी में ऊर्जा मंत्री द्वारा निजीकरण के बाद आगरा और ग्रेटर नोएडा में बहुत सुधार हो जाने के दावे को तथ्यों से परे बताते हुए कहा है कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजीकरण से पावर कारपोरेशन को प्रति वर्ष अरबों रुपए का घाटा हो रहा है और सुधार की बात पूरी तरह गलत है। उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में 29 मई को देश व्यापी विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। 29 मई से बिजली कर्मचारियों का प्रबंधन से पूर्ण असहयोग आंदोलन प्रारंभ हो रहा है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज यहां बताया कि आगरा में निजीकरण से प्रतिवर्ष लगभग 1000 करोड रुपए का पावर कारपोरेशन को घाटा उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पावर कारपोरेशन ने पिछले वर्ष 05 रुपए 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर निजी कंपनी को 04 रुपए 36 पैसे प्रति यूनिट की दर पर दी। टोरेंट पावर कंपनी को 2300 मिलियन यूनिट बिजली आपूर्ति करने में पावर कारपोरेशन को इस तरह 275 करोड रुपए का घाटा हुआ। आगरा लेदर इंडस्ट्री का सबसे बड़ा केंद्र है और आगरा में पर्यटन उद्योग होने के नाते सबसे अधिक पांच सितारा होटल है। इंडस्ट्रियल और कमर्शियल कंज्यूमर्स अधिक होने के कारण आगरा में प्रति यूनिट बिजली विक्रय दर 07 रुपए 98 पैसे हैं। निजीकरण के इस प्रयोग में सस्ती बिजली खरीद कर महंगी दरों पर बेचने में टोरेंट पावर कंपनी को प्रतिवर्ष 800 करोड रुपए का मुनाफा हो रहा है। यदि निजीकरण न होता तो यह मुनाफा पावर कारपोरेशन को मिलता। इसके अतिरिक्त महंगी दर पर बिजली खरीद कर टोरेंट पावर कंपनी को सस्ती दर पर देने में 275 करोड रुपए प्रति वर्ष का घाटा भी न होता। साफ है यदि आगरा का निजीकरण न हुआ होता तो पावर कॉरपोरेशन को कम से कम 1000 करोड रुपए प्रति वर्ष का मुनाफा होता। उन्होंने बताया कि आगरा में निजी कंपनी किसानों को मुक्त बिजली नहीं दे रही है। ग्रेटर नोएडा में भी निजी कंपनी किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दे रही है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार की किसानों को मुक्त बिजली देने की नीति है। संघर्ष समिति ने कहा कि ग्रेटर नोएडा में यदि बिजली व्यवस्था इतनी अच्छी चल रही है तो उत्तर प्रदेश सरकार ग्रेटर नोएडा की निजी कंपनी का लाइसेंस निरस्त कराने के लिए माननीय सर्वाेच्च न्यायालय में मुकदमा क्यों लड़ रही है ? उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री का आगरा और ग्रेटर नोएडा को लेकर दिया गया बयान तथ्यों से परे है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री निजीकरण के फायदे गिना रहे हैं। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन पर झूठा शपथ पत्र देने और अमेरिका में पेनल्टी के मामले पर ऊर्जा मंत्री कोई बयान क्यों नहीं दे रहे हैं ? माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति है। इसके बावजूद पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में ही भ्रष्टाचार हो रहा है। अर्थात निजीकरण की सारी प्रक्रिया की बुनियाद में ही भ्रष्टाचार है। ऊर्जा मंत्री को इस पर तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए। संघर्ष समिति ने बताया कि निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के समर्थन 29 मई को पूरे देश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर लगभग 27 लाख बिजली कर्मी भोजन अवकाश के दौरान व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे। 29 मई को उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी भी व्यापक विरोध प्रदर्शन कर निजीकरण के प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज करेंगे। 29 मई से प्रारंभ हो रहे हैं आंदोलन के दूसरे चरण में बिजली कर्मचारी और अभियंता प्रबंधन के साथ पूर्ण असहयोग करेंगे। इस दौरान वे प्रबंधन के जन विरोधी और कर्मचारी विरोधी आदेशों का पालन नहीं करेंगे। प्रबंधन की किसी बैठक वीं सी को अटेंड नहीं करेंगे । किंतु बिजली कर्मचारी अपने आंदोलन के दौरान उपभोक्ताओं को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होने देंगे। उपभोक्ताओं की सभी समस्याएं अटेंड की।
टोरेंट पावर व नोएडा पावर कंपनी की जॉच रिपोर्ट सार्वजनिक कराई जाए,ऊर्जा मंत्री ने निजीकरण बयान के बाद आयोग पहुचा उपभोकता परिषद
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अनुसार प्रदेश के ऊर्जा मंत्री भले ही नोएडा पावर कंपनी और टोरेंट पावर की सफलता पर गुड़गांन करते हुए निजीकरण हर हाल में होगा का ऐलान कर रहे हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आज विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर एक लोकमहतत्वा प्रस्ताव दाखिल करते हुए कहा तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 में टोरेंट पावर व नोएडा पावर कंपनी के जांच के आदेश दिए थे जिस पर पावर कारपोरेशन ने निदेशक कमर्शियल की अध्यक्षता में तीन सदस्यों वाली कमेटी गठित की थी। जिसमें निदेशक वित्त भी शामिल थे। कमेटी ने अपनी एक विस्तृत जांच टोरेंट पावर कंपनी के संबंध में पावर कारपोरेशन को सौंपते हुए नोएडा पावर कंपनी के मामले में यह संस्तुति भेजी की क्योंकि एनपीसीएल एक लाइसेंसी है उसकी जांच उत्तर प्रदेश सरकार अपने स्तर से कराए। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार में जब एनपीसीएल के सभी वित्तीय पहलुओं की जांच से संबंधित पत्रावली आगे बढ़ी तो उसे दबा दिया गया। अंततः तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा बदल गए। वर्तमान ऊर्जा मंत्री उस पत्रावली को आज तक नहीं देखा।उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग से मांग उठाई कि दोनों निजी घरानो के एग्रीमेंट की समीक्षा कराई जाए और टोरेंट पावर के एग्रीमेंट को तत्काल निरस्त किया जाए।
उपभोक्ता परिषद की तरफ से बताय गयाकि जांच कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा कि टोरेंट पावर कंपनी को पावर कारपोरेशन का पिछला बकाया लगभग 2200 करोड़ जो वसूल कर देना था। जो उसके द्वारा नही दिया गया। 10 वर्षों के अंदर 15 प्रतिशत लाइन लॉस उसे कम करना था। उसे कम तो कर लिया लेकिन उसे बताया नहीं गया। जिसके चलते कम्पनी बड़ा लाभ कमा रहा है। आज भी लाइन लॉस वास्तविकता में काफी कम है। लेकिन वह ज्यादा दिखाकर करोड़ अरबो कमा रहा है। उपभोक्ता परिषद ने नोएडा पावर कंपनी के मामले में कहा सभी को पता है कि नोएडा पावर कंपनी में औसत बिजली खरीद लागत से ज्यादा उपभोक्ताओं से वसूली की थी जिसका उपभोक्ता परिषद ने खुलासा किया नोएडा पावर कंपनी में और अंततः लगभग रुपया 1082 करोड़ सर प्लस निकाला। जिसके चलते 10 प्रतिशत बिजली दर में छूट मिलती आ रही है। उसकी पुराने अधिक वसूली का खामियाजा है। इसे काबिलियत कहना सरासर गलत है। ऐसे में इन दोनों बिजली कंपनियों की सफलता का ढिंढोरा पीटना पूरी तरह सही नहीं है। जिस आधार पर उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों का जो निजीकरण किया जा रहा है वह गलत है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को पूरे मामले पर स्वतंत्र होकर जांच करना चाहिए। नोएडा पावर कंपनी सहित टोरेंट पावर कंपनी के एग्रीमेंट की पुनः समीक्षा करनी चाहिए। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एक शर्मा ने कहा बसपा सरकार में टोरेंट पावर का निजीकरण हुआ और सपा कांग्रेस सरकार में नोएडा पावर कंपनी का पहले ही निजीकरण हो चुका है तो फिर अब निजीकरण होकर रहेगा। अवधेश वर्मा ने कहा कि ऊर्जा मंत्री को शायद पता नहीं कि वर्ष 2014 में जब गाजियाबाद बनारस मेरठ एवं कानपुर सहरो का सपा सरकार में निजीकरण किया जा रहा था। ट्रांजैक्शन एडवाइजर की रिपोर्ट भी आ गई थी। उस समय उपभोक्ता परिषद की याचिका पर विद्युत नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन अध्यक्ष को तलब किया और उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी बात की थी और उनके द्वारा निजीकरण के फैसले को टाल दिया गया था। तो फिर जब उन्ही का उदाहरण लेना है तो फिर वर्ष 2014 के सपा सरकार के फैसले के आधार पर 42 जनपदों के निजीकरण को ऊर्जा मंत्री की निरस्त कर देना चाहिए। ऊर्जा मंत्री कोई अभी पता होगा कि नोएडा पावर कंपनी के मामले में उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार उसके लाइसेंस को निरस्त करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ रही है।
नवनियुक्त अपर आयुक्त से मिला कर्मचारी प्रतिनिधि मण्डल
नवनियुक्त अपर नगर आयुक्त नम्रता सिंह, नगर निगम लखनऊ से नगर निगम जल कल कर्मचारी संघ सदस्यो ने शिष्टाचार भेंट कर पुष्प गुछ,अंगवस्त्र भेंट कर नगर निगम में अपर नगर आयुक्त के पद पर पदासीन होने पर हार्दिक स्वागत किया गया। यह जानकारी शशि कुमार मिश्र प्रदेश अध्यक्ष एवं संघ संरक्षक ने दी।
भेंट में संघ के अध्यक्ष आनन्द मिश्र ,महामंत्री सै.कैसर रजा,हरिशंकर पाण्डेय, अमरेन्द्र दीक्षित, संजय चन्द्रा,अमित सिंह, सुनीता भट्ट, आयूष पन्त, आर पी सिंह, दिग्विजय सिंह यादव, अनिल शुक्ल, सुधाकर मिश्र,सत्यवृत यादव संदीप यादव आदि मुख्यालय सहित विभिन्न जोन कार्यालय के बडी संख्या में संघ प्रतिनिधि उपस्थित हुए। शिष्टाचार भेंट में अपर आयुक्त ने भरोसा दिलाया कि कर्मचारी एवं संस्था हित में सदैव सकारात्मक निर्णय करूंगी,इस अवसर पर संघ ने भी अपर साहब को भरोसा दिलाया कि हमारा संघ एवं कर्मचारी समाज पूरी ईमानदारी से अपने दायित्वो का निर्वहन करेगा।