-बिजनौर में जमीन पर धोखाधड़ी और कब्जे के मामले में बड़ी कार्रवाई
-
REPORT BY:A.S.CHAUHAN || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ।बिजनौर थाने की पुलिस ने पूर्व एसडीएम मनोज कुमार की पत्नी योगिता वर्मा की जमीन पर धोखाधड़ी और कब्जे के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जबकि अन्य संलिप्त लोगों की तलाश में छापेमारी की जा रही है।थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अरविंद कुमार राणा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान पिपरसंड थाना सरोजनीनगर के पालखेड़ा निवासी दीपक पाल, बंथरा थाना क्षेत्र के पडियाना निवासी सोनू कुमार और बंथरा के अमावां निवासी मालती पटेल के रूप में हुई है। पूछताछ में इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों के नाम भी सामने आए हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस विभिन्न स्थानों पर दबिश दे रही है।मामला देहरादून निवासी पूर्व एसडीएम मनोज कुमार की पत्नी योगिता वर्मा की शिकायत पर शुरू हुआ। योगिता ने बिजनौर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था कि उनकी जमीन पर धोखाधड़ी से कब्जा किया गया है। जांच में खुलासा हुआ कि दीपक पाल ने मालती पटेल को योगिता वर्मा के रूप में पेश कर फर्जी रजिस्ट्री कराई थी। इस दौरान शैलेंद्र कुमार और उनके साथी ने गवाही देकर इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया। इसके बाद जमीन को परवर पूरब निवासी नीरज शुक्ला को बेच दिया गया।इंस्पेक्टर राणा ने बताया कि आरोपियों से दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा गया था, लेकिन कई दिनों तक टालमटोल करने के बाद सख्ती से पूछताछ में उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया। पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और मामले की गहन जांच जारी है।पुलिस का कहना है कि इस तरह के जालसाजी के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
बंथरा के रतौली खटोला में सरकारी भूमि अतिक्रमण मुक्त,मध्यमवर्गीय खरीदारों के सपनों पर छाया संकट
बंथरा थाना क्षेत्र के ग्राम सभा रतौली खटोला में गाटा संख्या 193 और 194, जो राजस्व अभिलेखों में सरकारी भूमि के रूप में दर्ज हैं, को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए सरोजनीनगर तहसील की राजस्व टीम ने बुधवार को कार्रवाई की। तहसील दिवस में प्राप्त शिकायत के आधार पर की गई जांच और पैमाइश के बाद, इस भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराकर ग्राम प्रधान संतोष राजपूत के सुपुर्द कर दिया गया।जानकारी के अनुसार, प्रॉपर्टी डीलरों ने गाटा संख्या 204 में प्लॉटिंग कर खरीदारों को गाटा संख्या 193 और 194 की सरकारी जमीनों पर कब्जा दिलाया था। इन दोनों गाटा संख्याओं की कुल 38 बीघा भूमि, जिसकी अनुमानित कीमत तीन करोड़ रुपये से अधिक है, पर प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा पूरी तरह प्लॉटिंग कर विक्रय किया गया था। तहसील प्रशासन की इस कार्रवाई से सरकारी जमीन तो वापस आ गई, लेकिन उन गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है, जिन्होंने अपनी जमा-पूंजी लगाकर इन प्लॉटों पर अपना आशियाना बनाने का सपना देखा था।मध्यमवर्गीय खरीदारों के सपनों पर संकट इस कार्रवाई ने उन छोटे और मध्यमवर्गीय खरीदारों के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई और कई बार बच्चों के भविष्य के लिए बचाई गई पूंजी को इन प्लॉटों में निवेश किया था। अब, जब प्रशासन ने इस जमीन को सरकारी घोषित कर अपने कब्जे में ले लिया है, तो इन खरीदारों का भविष्य अनिश्चितता के भंवर में फंस गया है। सवाल उठता है कि इन निर्दोष खरीदारों का क्या होगा, जिन्हें प्रॉपर्टी डीलरों ने गलत तरीके से सरकारी जमीन पर कब्जा दिलाया उनकी आर्थिक क्षति की भरपाई कौन करेगा।जवाबदेही का सवाल प्रशासन की इस कार्रवाई ने जहां एक ओर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सख्ती दिखाई, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठता है कि ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है। प्रॉपर्टी डीलरों की इस धोखाधड़ी में शामिल लोगों पर क्या कार्रवाई होगी, क्या प्रशासन उन गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के नुकसान की भरपाई के लिए कोई कदम उठाएगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी घटनाओं में अक्सर छोटे खरीदार ही नुकसान उठाते हैं, जबकि मुख्य दोषी बच निकलते हैं।प्रशासन के सामने चुनौती इस मामले में प्रशासन को न केवल दोषी प्रॉपर्टी डीलरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी, बल्कि उन निर्दोष खरीदारों के लिए भी कोई ठोस समाधान निकालना होगा, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई इस जमीन में लगाई थी। यदि प्रशासन इस दिशा में गंभीर कदम नहीं उठाता, तो यह कार्रवाई एक तरफ सरकारी जमीन की रक्षा करेगी, लेकिन दूसरी तरफ मध्यमवर्गीय परिवारों के सपनों को चकनाचूर कर देगी।यह मामला अब न केवल राजस्व विभाग और स्थानीय प्रशासन के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक गंभीर मुद्दा बन गया है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले में पारदर्शी जांच करे और दोषियों को सजा दिलाने के साथ-साथ प्रभावित खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए भी कदम उठाए।
अमौसी मेट्रो स्टेशन के पास संदिग्ध अवस्था में मिला अज्ञात का शव
सरोजनीनगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत अमौसी मेट्रो स्टेशन के पास कानपुर रोड पर मंगलवार शाम लगभग साढ़े सात बजे एक अज्ञात युवक का शव संदिग्ध परिस्थितियों में पड़ा मिला, मृतक की अनुमानित उम्र लगभग 35 वर्ष बताई जा रही है। पुलिस के अनुसार, युवक ने स्लेटी रंग की शर्ट और काली पैंट पहनी हुई थी। सूचना मिलने के बाद घटनास्थल पर पहुंची सरोजनीनगर पुलिस ने शव की जांच की, लेकिन मृतक के पास से कोई पहचान पत्र या अन्य सामान नहीं मिला, जिससे उसकी शिनाख्त हो सकी। पुलिस ने आसपास के लोगों से मृतक की पहचान कराने का प्रयास किया, लेकिन कोई भी उसे पहचान नहीं सका।शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है, और मृतक की शिनाख्त के लिए उसके फोटो आसपास के थानों में भेजे गए हैं। पुलिस अन्य थानों से लापता व्यक्तियों के रिकॉर्ड की जांच कर रही है, ताकि मृतक की पहचान सुनिश्चित की जा सके।सरोजनीनगर थाना प्रभारी ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद मृत्यु के कारणों का पता चल सकेगा। फिलहाल, पुलिस सभी पहलुओं पर जांच कर रही है और यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि यह मामला हत्या, आत्महत्या या दुर्घटना से संबंधित है।इस घटना ने क्षेत्र में सनसनी फैला दी है, और स्थानीय लोग मृतक की पहचान और मौत के कारणों को लेकर उत्सुक हैं। थाने की पुलिस ने लोगों से अपील की है कि यदि किसी के पास मृतक के बारे में कोई जानकारी हो, तो वह तुरंत निकटतम पुलिस स्टेशन से संपर्क करें।जांच पूरी होने और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई स्पष्ट हो सकेगी।
सरोजनीनगर में मारुति वैन क्षतिग्रस्त, पिकअप ड्राइवर के खिलाफ मुकदमा दर्ज
साढ़े चार महीने पहले सरोजनीनगर थाना क्षेत्र में एक मारुति वैन को पिकअप वाहन द्वारा टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त करने का मामला सामने आया है। पीड़ित गणेश प्रसाद गुप्ता, निवासी उतरेठिया बाजार लखनऊ ने थाना प्रभारी सरोजनीनगर को दी गई तहरीर में इस घटना की जानकारी दी और दोषी पिकअप ड्राइवर के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है।तहरीर के अनुसार गणेश प्रसाद गुप्ता, जो मारुति वैन (पंजीकरण संख्या: यूपी-32 जीए 5814) के स्वामी ने अपनी गाड़ी को सर्विसिंग के बाद 4 जनवरी 2025 को हिंदनगर, बीयर वाली गली, निकट पराग रोड, ट्रांसपोर्ट नगर में पाल मिस्त्री के कार्यस्थल पर खड़ा किया था। उसी रात करीब 9:30 बजे, एक पिकअप वाहन (पंजीकरण संख्या: यूपी-32 डब्ल्यूएन-2753) का ड्राइवर, जो कथित तौर पर शराब के नशे में था, ने लापरवाही से तेज गति में वाहन चलाते हुए सड़क किनारे खड़ी मारुति वैन में जोरदार टक्कर मार दी। इस टक्कर से मारुति वैन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।पाल मिस्त्री ने रात 10 बजे गणेश प्रसाद को फोन पर घटना की सूचना दी। गणेश तत्काल घटनास्थल पर पहुंचे और देखा कि पिकअप वाहन उनकी गाड़ी में धूसा हुआ था। आसपास मौजूद लोगों ने बताया कि टक्कर के बाद पिकअप का ड्राइवर मौके से फरार हो गया और जाते समय कह गया कि वह अगले दिन आकर अपनी गाड़ी ले जाएगा और क्षतिग्रस्त मारुति वैन को ठीक करवाएगा।अगले दिन सुबह गणेश प्रसाद घटनास्थल पर गए, लेकिन ड्राइवर नहीं आया और पिकअप वाहन वही खड़ा रहा। 8 जनवरी 2025 को जब गणेश दोबारा घटनास्थल पर पहुंचे, तो पिकअप का ड्राइवर 5-6 अन्य लोगों के साथ वहां मौजूद था। ड्राइवर ने पिकअप ले जाते समय फिर आश्वासन दिया कि वह मारुति वैन को ठीक करवाएगा। इसके बाद, ड्राइवर रविंद्र राजपूत (मोबाइल नंबर: 99356XXXXX) से कई बार संपर्क करने पर वह गाड़ी ठीक करवाने का वादा करता रहा, लेकिन अंततः उसने साफ इनकार कर दिया और अब गणेश का फोन भी नहीं उठा रहा है।
गणेश प्रसाद की मारुति वैन अभी भी घटनास्थल पर क्षतिग्रस्त अवस्था में खड़ी है। पीड़ित ने थाना प्रभारी से अनुरोध किया है कि उनकी तहरीर के आधार पर पिकअप ड्राइवर और संबंधित दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि उन्हें न्याय मिल सके।फिलहाल, इस मामले में पुलिस ने तहरीर मिलने पर रिपोर्ट दर्ज कर प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, पिकअप वाहन के पंजीकरण नंबर के आधार पर ड्राइवर और मालिक की पहचान की जा रही है। साथ ही, घटनास्थल की जांच और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।गणेश प्रसाद ने कहा मेरी गाड़ी मेरा रोजगार का साधन है। इस घटना से मुझे भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। मैं पुलिस से मांग करता हूं कि दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और मेरी गाड़ी का नुकसान ठीक करवाया जाए।
बिजनौर युवक ने फांसी लगाकर की आत्महत्या
बिजनौर थाना क्षेत्र के नटकुर में एक 22 वर्षीय युवक ने संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान नीरज गौतम के रूप में हुई है, जो एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। मंगलवार रात नीरज ने खाना खाने के बाद अपने कमरे में सोने के लिए गया था। बुधवार सुबह देर तक न उठने पर परिजन उसे जगाने पहुंचे। कमरे से कोई जवाब न मिलने पर परिजनों ने खिड़की से झांककर देखा तो नीरज रस्सी के सहारे लटका हुआ था। यह देखकर परिजनों में कोहराम मच गया। चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग भी मौके पर जमा हो गए। परिजनों ने नीरज को रस्सी से उतारा, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।सूचना मिलने पर बिजनौर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पुलिस के अनुसार, आत्महत्या के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है। परिजनों ने भी इस संबंध में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। थाना प्रभारी बिजनौर अरविंद कुमार राणा ने बताया कि मामले की गहन छानबीन की जा रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर नीरज ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया। फिलहाल, पुलिस सभी पहलुओं की जांच में जुटी है।