-अखिल भारतीय सम्मेलन में निजीकरण का निर्णय वापस लेने की मांग
- REPORT BY:PREM SHARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ। दिल्ली में हुए सम्मेलन में आज अलग अलग उद्योगों के बीस राष्ट्रीय महासंघों ने उत्तर प्रदेश में चल रही बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर चेतावनी दी है कि निजीकरण के विरोध में आंदोलनरत उप्र के बिजली कर्मियों का उत्पीड़न किया गया तो देश भर के करोड़ों कर्मचारी आंदोलन करने को बाध्य होंगे। सम्मेलन आल इंडिया फेडरेशन अगेंस्ट प्राइवेटाइजेशन के तत्वावधान में कांस्टीट्यूशन क्लब में हुआ।
सम्मेलन में उपस्थित बीस राष्ट्रीय श्रम संघों की सूची संलग्न है। मुख्यतया आल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन, ऑल इंडिया कंफेडरेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स , संचार निगम कर्मचारी महासंघ, आल इंडिया इंश्योरेंस इम्प्लाइज फेडरेशन, एटक, इंटक और अन्य फेडरेशन के शीर्ष पदाधिकारियों ने उप्र में बिजली के निजीकरण का विरोध किया और उप्र के बिजली कर्मियों को पुरजोर समर्थन दिया। सम्मेलन में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन, आल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज, आल इंडिया पावर मेन्स फेडरेशन के शीर्ष पदाधिकारी भी उपस्थित थे। आल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन ने निजीकरण विरोधी प्रस्ताव का समर्थन किया।राष्ट्रीय महासंघों की ओर से शिव गोपाल मिश्र, डॉ ए मैथ्यू, गिरीश भावे, अशोक सिंह, शैलेन्द्र दुबे,के अशोक राव ने निजीकरण से उपभोक्ताओं और कर्मचारियों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की चर्चा की। उप्र के पी के दीक्षित और मोहम्मद वसीम ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के पदाधिकारियों ने आज लखनऊ में कहा कि जब अवैधानिक ढंग से नियुक्त कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन का फर्जीवाड़ा सामने आ गया है और कंसल्टेंट का शपथ पत्र झूठा पाया गया है तब मुख्य सचिव को कार्यवाही कर कंसल्टेंट की नियुक्ति तत्काल निरस्त करनी चाहिए। निजीकरण के विरोध में 16 अप्रैल से जन जागरण पखवाड़ा प्रारम्भ हो रहा है जिसमें सांसदों और विधायकों को ज्ञापन दो अभियान चलाया जाएगा।
नगर निगम टीम ने मुक्त कराई 15 करोड़ की सरकारी भूमि
मण्डलायुक्त लखनऊ एवं नगर निगम आयुक्त इन्द्रजीत सिंह के निर्देश पर सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत आज एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया। इस अभियान के अंतर्गत अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव के पर्यवेक्षण में गठित विशेष टीम ने ग्राम नटकुर, तहसील सरोजनीनगर में नगर निगम की स्वामित्व वाली बहुमूल्य भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया। इसकी कीमत लगभग 15 करोड़ आंकी गई है।
अभियान के दौरान ग्राम नटकुर की विभिन्न गाटा संख्याओं जिनका कुल क्षेत्रफल लगभग 1.697 हेक्टेयर है, पर से अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण हटाया गया। यह भूमि राजस्व अभिलेखों में बंजर, तालाब, नवीन परती व ऊसर के रूप में दर्ज है और नगर निगम की संपत्ति मानी जाती है। जानकारी के अनुसार, इन भूखंडों पर कुछ स्थानीय लोगों एवं प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा झाड़ियाँ उगाकर, अवैध रास्ते बनाकर, नींव भरकर व बाउंड्री वॉल बनाकर प्लाटिंग कार्य किया जा रहा था। इससे सरकारी भूमि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा था। टीम ने मौके पर पहुँचकर जेसीबी मशीन की सहायता से अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया और पूरे क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त कर दिया। नगर निगम द्वारा मौके पर 08 बोर्ड लगाए गए, जिससे यह भूमि अब चिन्हित और संरक्षित रहे। यह कार्रवाई नगर निगम और तहसील प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा की गई। कार्रवाई के दौरान कुछ स्थानीय लोगों द्वारा विरोध भी किया गया, लेकिन प्रशासन ने शांतिपूर्ण ढंग से कार्य को पूरा कराया। इस कार्रवाई के तहत मुक्त कराई गई 1.697 हेक्टेयर भूमि की बाजार कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये आंकी गई है।नगर निगम लखनऊ और तहसील प्रशासन की यह संयुक्त कार्यवाही अतिक्रमण के विरुद्ध प्रशासनिक दृढ़ता और प्रतिबद्धता का उदाहरण है। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि भविष्य में किसी भी प्रकार के अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इस प्रकार की कार्रवाइयां नियमित रूप से जारी रहेंगी।
ग्रांट थॉर्नटन कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर उसको काम पर न लगाया जाये
दक्षिणांचल व पूर्वाचल के 42 जनपदों में निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली ब्रिटिश कंपनी ग्रैंड फ्रांतन के ऊपर उपभोक्ता परिषद द्वारा जो गंभीर आरोप लगाए गए थे और खुलासा किया गया था कि अमेरिका के रेगुलेटर पब्लिक कंपनी एकाउंटिंग ओवर साइट बोर्ड द्वारा फरवरी 2024 में कंपनी पर रुपए 40000 डॉलर का जुर्माना लगाया था। सेंसरिंग अवार्ड किया था। उस पर पावर कॉरपोरेशन द्वारा 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा गया अंततः ग्रांट थ्रोनटन कंपनी ने जो जवाब दाखिल किया है उसमें उसके द्वारा उपभोक्ता परिषद ने जिस अमेरिकन रेगुलेटर के आर्डर का मामला उठाया था उसे आस्वीकार नहीं किया गया। वह सही पाया गया ग्रांट थॉर्नटन कंपनी ने उस अमेरिकन रेगुलेटर के आर्डर को स्वीकार किया है। इस प्रकार कंसल्टेंट कंपनी द्वारा दिया गया शपथ पत्र स्वत झूठा साबित हो गया है।इसी आधार पर उक्त कम्पनी को ब्लेक लिस्ट करते हुए उसके काम पर रोक लगाई जाए। उपभोक्ता परिषद में प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग उठाई है कि यह निजीकरण की शुरुआत में ही भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा मामला है। ऐसे में तत्काल हस्तक्षेप करते हुए दोषी उच्च अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा जब अब तय हो गया कि उपभोक्ता परिसद ने जी अमेरिका के आदेश का हवाला देकर बड़ा खुलासा किया था वह आदेश सत्य है। ऐसे में अब पावर कारपोरेशन के पास कंसल्टेंट कंपनी को ब्लैक लिस्टिंग करने और उसके खिलाफ विधिक कार्यवाही करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है। यदि इसमें कोई भी उसको बचाने की कोशिश करेगा तो वह बड़े भ्रष्टाचार का भागी होगा। पावर कारपोरेशन ने स्वतः अपना नियम बना रखा है कि कोई भी फार्म टेंडर में यदि झूठा अभिलेख लगाएगा तो उसे तत्काल 2 से 5 साल के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। पावर कारपोरेशन के सामने केवल एक ही सबसे बड़ा सवाल था कि उपभोक्ता परिषद ने जी आदेश का हवाला दिया है उसकी वैधता कितनी है अब जब उसे आदेश के क्रम में ग्रैंड फ्रांतन कंपनी ने खुद अपना जवाब दाखिल कर दिया है और उसे आदेश को उसके द्वारा भी माना गया है फिर अब निजीकरण की प्रक्रिया पर जो कार्यवाही कराई जा रही है। उसे पर रोक लगाने में इतनी देरी क्यों की जा रही है।
नगर निगम का बजट सदन में सर्वसम्मति से पारित,स्कूलों के लिए भी पहले की तुलना में पांच गुना अधिक राशि
लखनऊ नगर निगम की सदन की बैठक में मंगलवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नगर निगम का वार्षिक बजट प्रस्तुत किया गया, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। नगर निगम की कार्यकारिणी समिति द्वारा पूर्व में अनुमोदित इस बजट को लेकर सदन में गहन चर्चा हुई, जिसमें पार्षदों और अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी रही। बजट में शहर के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए गए हैं, जिससे लखनऊ की तस्वीर और तकदीर दोनों बदलने की उम्मीद है।
इस वर्ष के बजट की सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि महापौर सुषमा खर्कवाल और नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने स्वयं की निधियों में कटौती कर दी है। वहीं, विकास कार्यों को गति देने के उद्देश्य से पार्षदों की निधि को 150 लाख रुपये से बढ़ाकर 210 लाख रुपये प्रति वार्ड कर दिया गया है। इससे प्रत्येक वार्ड में सड़कों, नालियों, स्कूलों और अन्य बुनियादी सुविधाओं के कार्यों को बल मिलेगा। नगर निगम ने इस बजट में गरीबों के लिए निःशुल्क अंतिम संस्कार योजना, शमशान घाटों के जीर्णाेद्धार, पार्कों की मरम्मत और सौंदर्यीकरण तथा सरकारी स्कूलों की अवस्थापना सुधार पर जोर दिया है। इसके तहत शमशान घाटों के लिए बजट को 10 लाख से बढ़ाकर 100 लाख रुपये और पार्कों के लिए 200 लाख से बढ़ाकर 600 लाख रुपये कर दिया गया है। स्कूलों के लिए भी पहले की तुलना में पांच गुना अधिक राशि (500 लाख रुपये) का प्रावधान किया गया है।नगर निगम ने ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए ई-ऑफिस और कंप्यूटरीकरण के मद में पहले से निर्धारित राशि को बढ़ाकर 400 लाख रुपये कर दिया है। इससे नागरिक सेवाओं में पारदर्शिता और गति दोनों आएंगी। सदन की बैठक में महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल, नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह, कार्यकारिणी उपाध्यक्ष गिरीश गुप्ता, पार्षदगण, समस्त अपर नगर आयुक्त, मुख्य वित्त अधिकारी, सीटीएओ, जोनल अधिकारी, जीएम जलकल, मुख्य अभियंता सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
पार्षद विकास निधि को किसी भी मद में कर सकेंगे खर्च
पार्षदों की विकास निधि को अलग-अलग मदों में बांटा गया है। जिसमें प्रति वार्ड मार्गों के मरम्मत एवं नवीनीकरण हेतु 150 लाख रुपये, प्रति वार्ड पैच हेतु 10 लाख रुपये, प्रति वार्ड क्रॉसिंग एवं पुलिया मरम्मत के लिए 10 लख रुपये, चूना, फॉगिंग, कीटनाशक दवाओं हेतु प्रति वार्ड 05 लाख रुपये, प्रति वार्ड हत्थू ठेला क्रय,मरम्मत हेतु 05 लाख रुपये, इलेक्ट्रॉनिक रेफ्रिजरेटर (कॉफिन) ई-रिक्शा 10 लाख प्रति वार्ड, मार्ग प्रकाश व्यवस्था हेतु प्रति वार्ड 10 लाख रुपये, पार्कों के अनुरक्षण/मरम्मत हेतु 10 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं। सदन में मंगलवार को सर्व सम्मति ये यह भी पारित हुआ है कि माननीय पार्षदगण अपनी निधि को किसी भी विकास कार्य में खर्च कर सकेंगे।
बजट के आंकड़े
इस बार नगर निगम का कुल बजट गत वर्ष की अवशेष धनराशि को जोड़ते हुए कुल 4,30,453.60 लाख रुपये रखा गया है। कुल व्यय 3,30,786.05 लाख रुपये प्रस्तावित किया गया है। इससे नगर निगम के पास परियोजनाओं के लिए समुचित वित्तीय संसाधन उपलब्ध होंगे।बजट में सफाई व्यवस्था, जल निकासी, स्कूलों के जीर्णाेद्धार, पार्कों की देखरेख और डिजिटलीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके अलावा यूजर चार्ज में बदलाव करते हुए इसे गृहकर से लिंक किया गया है, जिससे वसूली पारदर्शी और आसान होगी। इससे नगर निगम की आय में भी वृद्धि होगी और नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।