-उपभोक्ता परिषद जल्दी इस मुद्दे पर आयोग से पुनः करेगा बात
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REPORT BY:PREM SHARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन द्वारा असंवैधानिक तरीके से अप्रैल महीने में प्रदेश के सभी 3 करोड़ 45 लाख विद्युत उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में 4.27 प्रतिशत ईंधन अधिभार शुल्क मार्च 2025 का जून माह में सभी विद्युत उपभोक्ताओं पर उनके बिल से चार्ज किया जाएगा। यानि यह कहना उचित होगा कि जून महीने में प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं को भारी झटका लगेगा। सभी प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं से लगभग 390 करोड़ की वसूली होगी। जहां अप्रैल के महीने में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं से 1.24 प्रतिशत की वसूली हुई थी। तो मई के महीने में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को 2 प्रतिशत ईंधन अधिभार शुल्क में लाभ मिला था। यानि कि बिलों में कमी हुई थी। देश में कोई भी ऐसा कानून नहीं है जहां पर किसी भी बिजली कंपनी में उपभोक्ताओं का सर प्लस निकल रहा हो तो उसकी बिजली दरों में अथवा किसी भी रूप में ईंधन सरचार्ज में कोई बढ़ोतरी हो सकती है।
उत्तर प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33122 करोड़ सर प्लस निकल रहा है। ऐसे में पावर कारपोरेशन का बढ़ोतरी का आदेश गैर कानूनी है।उपभोक्ता परिषद जल्द ही आयोग के सामने यह भी मुद्दा उठाएगा। इस सरप्लस के मामले में ईंधन अधिवास शुल्क की वसूली प्रदेश के उपभोक्ताओं से ना की जाए। केवल घटोत्री के मामले में ही आदेश लागू किया जाए। वर्तमान में जिस प्रकार से देश के बड़े निजी घराने के दबाव में यह सब साजिश की जा रही है वह किसी भी रूप में प्रदेश के उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। इससे लगातार सरकार की छबि धूमिल होना स्वाभाविक है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विद्युत नियामक आयोग जब मल्टी ईयर टैरिफ संशोधन कानून बना रहा था उस वक्त भी उपभोक्ता परिषद ने इस मुद्दे को आयोग की सुनवाई में उठाया था कि सर प्लस के मामले में बढ़ोतरी पर रोक लगनी चाहिए। केवल उपभोक्ताओं की बिजली दरों में अथवा फ्यूल सरचार्ज में जब घटोत्री हो इसकी इजाजत देना चाहिए। ऐसे में पावर कॉरपोरेशन निकट भविष्य में कोई भी अन्य आसंवैधानिक आदेश न करें और वसूली न कर पाए उसके लिए विद्युत नियामक आयोग पावर कारपोरेशन को यह निर्देश जारी करें कि जब तक सर प्लस बराबर ना हो जाए तब तक बढ़ोतरी के मामले में रोक रहेगी। केवल उसे दशा में फ्यूल सरचार्ज को आगे बढ़ाया जा सकता है जहां पर उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में घटोतरी हो रही है।
दक्षिणांचल पूर्वांचल निजीकरण का मामलें कई विधिक विवाद,फिर आयोग पहुंचा उपभोक्ता परिषद
दक्षिणांचल पूर्वांचल के 42 जनपदों में निजीकरण का मामला लगातार विधिक विवादों में फसता नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के तरफ से आज विद्युत नियामक आयोग में एक विधिक लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल करते हुए यह मुद्दा उठाया गया कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा निजीकरण करने की जो शुरुआत की गई है उसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है। उपभोक्ता परिषद ने अपने प्रस्ताव के माध्यम से हरियाणा विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2015 में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 86(2 )के तहत हरियाणा सरकार को भेजी गई सलाह को नजीर बनाते हुए विद्युत नियामक आयोग से स्वतंत्र होकर निष्पक्ष निर्णय लेने की मांग उठाई। उपभोक्ता परिषद में विद्युत नियामक आयोग से यह ही भी मांग उठाई कि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से यदि निजीकरण के मामले पर सलाह मांगी जाती है तो उस पर सलाह देने के बजाय उचित होगा कि विद्युत नियामक आयोग हरियाणा नियामक आयोग के तर्ज पर एक स्वतंत्र जांच करा कर निर्णय जनहित में ले तो ज्यादा उचित होगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा इसी प्रकार के एक मामले में हरियाणा इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन द्वारा महालेखाकार (सीएजी )कैग की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए वर्ष 2015 में हरियाणा सरकार को निजीकरण की सिफारिश की गई थी और भी कई उपाय बताए गए थे। हरियाणा विद्युत नियामक आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट में यह कहा गया था कि विद्युत सुधार अधिनियम 1997 और विद्युत अधिनियम 2003 के मूल उद्देश्य हरियाणा विद्युत क्षेत्र वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर नहीं बन पाया। 31 मार्च 2014 को समाप्त वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में पाया गया कि हरियाणा में 9 कंपनियां घाटे में चल रही है। इसलिए इसमें बदलाव की जरूरत है उपभोक्ता परिषद हरियाणा विद्युत नियामक आयोग के इस आदेश को इसलिए आयोग के सामने रख रहा है क्योंकि यही उचित माध्यम है। आयोग भी बिजली कंपििनयों की एक स्वतंत्र समीक्षा कराकर उनकी वित्तीय स्थिति को समझे कि निजीकरण की आवश्यकता है अथवा सरकारी क्षेत्र में ही सुधार हो सकता है। या कोई और भी कदम उठाने से बिजली कंपनियां सुधार की ओर आगे बढ़ सकती है।
उत्तर प्रदेश विद्युत सुधार अधिनियम 1999 और विद्युत अधिनियम 2003 का मूल उद्देश्य विद्युत क्षेत्र उत्तर प्रदेश को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाना था ताकि वह राज्य सरकार के संसाधनों पर वित्तीय बोझ न बन सके। इसके बावजूद भी यदि बिजली कंपनियां सही रूप से आत्मनिर्भर बनने में सफल नहीं हो पा रही है तो विद्युत नियामक आयोग जिसके द्वारा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 के तहत सभी बिजली कंपनियों को लाइसेंस दिया गया तो निश्चित तौर पर उसकी समीक्षा करके विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 86(2) में राज्य सरकार को सलाह देना चाहिए कि बिजली कंपनियां कैसे और क्या कदम उठाए। लेकिन बड़े दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है कि उत्तर प्रदेश के पावर सेक्टर में 25 नवंबर 2024 को पावर कॉरपोरेशन द्वारा यह ऐलान किया गया कि बिजली कंपनियां घाटे में जा रही है। अब सरकार घाटा और वित्तीय बोझ नही बहन करने की स्थिति में है। इसलिए पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जाएगा। सवाल या उठता है कि पावर कॉरपोरेशन कौन सी स्वतंत्र समीक्षा करने वाली संस्था है। क्या पावर कारपोरेशन ने इससे संबंधित कोई समीक्षा कराई कोई स्वतंत्र रिपोर्ट तैयार कराई।ऐसा कुछ नहीं केवल उत्तर प्रदेश में एक प्राइवेट प्लेयर द्वारा डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट कराई गई और उसमें उद्योगपतियों के साथ बैठक करके साठ गांठ करके मसौदा तैयार हो गया। जो अपने आप में सीबीआई जांच का मामला बनता है। उत्तर प्रदेश सरकार विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 131 का उपयोग करने के लिए अग्रसर है लेकिन यह धारा केवल राज विद्युत परिषद को विकसित करने के लिए था वर्तमान में पावर कॉरपोरेशन को विकसित करके बिजली कंपनियां बनाई जा चुकी है और उन्हें विद्युत नियामक आयोग द्वारा लाइसेंस दिया जा चुका है। इसलिए इस धारा का प्रयोग उचित प्रतीत नहीं होता। यह धारा केवल अनबंडलिंग राज विद्युत परिषद के लिए एक बार प्रयोग में ले जाने के लिए है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 131 132 134 का प्रावधान वर्तमान में चर्चा करना उचित प्रतीत नहीं होता।
ब्राजील के प्रतिनिधि मण्डल ने शिवरी प्लांट का किया निरीक्षण
ब्राजील के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को लखनऊ नगर निगम के शिवरी प्लांट का दौरा किया। इस डेलीगेशन का नेतृत्व महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल ने किया। इस अवसर पर डेलीगेशन के सदस्यों को लखनऊ नगर निगम के कचरा निस्तारण की प्रक्रिया, विशेषकर फ्रेश वेस्ट और लीगेसी वेस्ट के प्रबंधन और निपटान की विस्तृत जानकारी दी गई। इस दौरान अपर नगर आयुक्त डॉ. अरविंद कुमार राव और पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान उपस्थित रहे।
इस डेलीगेशन में कैमरा इंडो ब्रासीलीरा के सीईओ पाउलो अज़ेवेडो और सीओओ गुस्तावो रामोस प्रमुख रूप से शामिल रहे। उन्होंने शिवरी प्लांट का दौरा कर इसके तकनीकी पहलुओं की सराहना की। पाउलो अज़ेवेडो ने कहा कि भारत, विशेषकर लखनऊ नगर निगम द्वारा ठोस कचरे के निस्तारण में जो उन्नत तकनीक अपनाई गई है, उसे ब्राजील के विभिन्न शहरों में लागू किया जा सकता है।ब्राजील डेलीगेशन ने लखनऊ नगर निगम और महापौर से भारत और ब्राजील के बीच तकनीकी हस्तांतरण और साझेदारी को मजबूत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की स्थितियां काफी हद तक एक जैसी हैं और भारत की उन्नत तकनीक से ब्राजील को भी कचरा निस्तारण की चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सकती है। प्रतिनिधिमंडल ने भारत सरकार के साथ विभिन्न परियोजनाओं में सहयोग हेतु एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर की संभावनाओं पर भी चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल ने भारत और ब्राजील के बीच भू-राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अन्य देशों की अपेक्षा भारत और ब्राजील के बीच तकनीकी और व्यावसायिक संबंध और मजबूत हो सकते हैं। प्रतिनिधिमंडल ने इस अवसर पर भारत सरकार और लखनऊ नगर निगम को भविष्य की परियोजनाओं के लिए ब्राजील में संभावित सहयोग का न्योता भी दिया।ब्राजील डेलीगेशन ने लखनऊ नगर निगम से आग्रह किया कि वे एथनॉल उत्पादन, कचरे से ऊर्जा उत्पादन और अन्य कृषि-आधारित उद्योगों में भी सहयोग करें। उन्होंने कहा कि ब्राजील में ठोस कचरे के निस्तारण की कंपनियां बहुत कम हैं और वहां की प्रक्रिया भी उतनी प्रभावी नहीं है जितनी भारत में, विशेषकर लखनऊ में लागू की गई है। इसीलिए, वे भारत से तकनीक और सर्वाेत्तम प्रक्रियाओं का हस्तांतरण करना चाहते हैं।डेलीगेशन ने लखनऊ नगर निगम की कचरा निस्तारण तकनीक की विशेष सराहना करते हुए भूघ्मि ग्रीन एनर्जी जैसी कंपनियों के साथ भविष्य में साझेदारी की इच्छा भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ब्राजील में भी इसी तरह की परियोजनाएं शुरू की जाएंगी, ताकि वहां की कचरा प्रबंधन प्रणाली को बेहतर और प्रभावी बनाया जा सके।
अतिक्रमण हटाने के वसूला जा रहा जुर्माना
महापौर के निर्देशन में नगर आयुक्त के आदेश पर मंगलवार को नगर निगम के विभिन्न जोनों में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया गया। इस अभियान का नेतृत्व ज़ोनल अधिकारियों द्वारा किया गया और बड़ी मात्रा में अवैध अतिक्रमण हटाया गया।
जोन-2 में ज़ोनल अधिकारी शिल्पा कुमारी के नेतृत्व में अभियान चलाया गया। यह अभियान मिल एरिया चौकी से एवरेडी चौराहे होते हुए बालाजी मंदिर कॉटन मिल लालकटोरा तक तथा दुर्गापुरी से चारबाग बस अड्डे, नत्था चौराहा, मेट्रो स्टेशन होते हुए अंबेडकर प्रतिमा तक चलाया गया। इस दौरान 2 ठेले, 2 तिरपाल, छोटे अन्य सामान जब्त किए गए और 500 का जुर्माना भी वसूला गया।ज़ोन-5 क्षेत्र में ज़ोनल अधिकारी नन्दकिशोर के नेतृत्व में मवैया छत्ता होते हुए चारबाग मेट्रो स्टेशन से केकेसी तक अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया। इस दौरान 10 ठेले, 1 गुमटी, 4 काउंटर हटाए गए एवं 2 ठेले ज़ब्त किए गए। अतिक्रमणकारियों से 1000 का शमन शुल्क भी वसूला गया। जोन-6 में ज़ोनल अधिकारी मनोज यादव के नेतृत्व में तीन बंदर मंदिर से दुबग्गा चौराहे तक अस्थाई अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया गया। इसमें 14 ठेले, 11 अस्थाई दुकानें, 4 तख्त, 1 ड्रम, 1 लकड़ी की मेज, 2 लोहे के स्टैंड और 2 ठेले ज़ब्त किए गए। अतिक्रमणकारियों को चेतावनी दी गई और 1200 का जुर्माना भी वसूला गया।
लोनिवि मिनिस्टीरियल एसोसिएशन का 99वाँ स्थापना दिवस मनाया
उत्तर प्रदेष लोक निर्माण विभाग मिनिस्टीरियल एसोसिएशन का 99वाँ स्थापना दिवस राजभवन के सामने स्थित ’’प्रेरणा सदन’’ में कार्यक्रम का मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री बृजेष पाठक दीप प्रज्जवालित कर उद्घाटन किया अपने सम्बोधन में उपमुख्यमंत्री जी ने मिनिस्टीरियल कर्मचारियों की भूरि-भूरि प्रषसा की है एवं 99वाँ स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी। विभाग में कर्मचारी एवं अधिकारियों को एक परिवार की भॉति सदैव कार्य करते हुए सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को जमीन पर लागू करने का कार्य करते रहे है। प्रान्तीय अध्यक्ष पद्मनाभ त्रिवेदी ने बताया कि प्रान्तीय अध्यक्ष ने बताया कि 27 मई 1926 को संगठन अपना शताब्दी वर्ष मनायेगा।
एसोसिएशन के महामंत्री जेपी पाण्डेय ने अपने संचालन में कहा कि स्थापना दिवस प्रदेश के 75 जिलों में बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में आए पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक मंजीत सिंह पटेल ने कहा कि कर्मचारियों के संघर्ष के कारण ही केन्द्र सरकार द्ववारा राष्ट्रीय पेशन योजना में संषोधन कर यूनीफाइड पेषन स्कीम लागू की गई तथा कर्मचारियांे संघर्ष के बल पर ही हमलोग शीघ्र ही पुरानी पेंशन बहाली योजना भी लागू कराकर रहेगे।कार्यक्रम में विषिष्ठ अतिथि विभाग के विभागाध्यक्ष मुकेश चन्द्र शर्मा ने गौरवमयी स्थापना दिवस के कार्यक्रम के उपलक्ष्य में एवं रक्तदान शिविर के आयोजन की प्रषांसा करते हुए शुभकामनाएं दी। एसोसिएशन के लखनऊ शाखा के जिलाध्यक्ष वीर बहादुर यादव एवं जिला मंत्री शशांक शुक्ला ने बताया कि पूर्व प्रवक्ता सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी सीपी श्रीवास्तव सहित सैकड़ो सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मल्यापर्ण कर अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रान्तीय संरक्षक सुरेन्द्र लाल श्रीवास्तव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हेमन्त गूजर वित्त मंत्री संजीव गुप्ता, संगठन मंत्री प्रशान्त शर्मा, पूर्व अध्यक्ष डा. बृजलाल तिवारी, पूर्व उपाध्यक्ष अषोक कुमार पाण्डेय, नियमित वर्कचार्ज संगठन के अध्यक्ष भारत सिंह यादव, चतुर्थ संगठन के अध्यक्ष क्रान्ति सिंह, पार्षद अमित कुमार चौधरी, मध्य क्षेत्र के अध्यक्ष आलोक राम मंत्री पवन द्विवेदी, राजीव श्रीवास्तव कई वरिष्ठ कर्मचारी नेता उपस्थित थे।
निजीकरण के विरोध में 29 मई को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन,अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार फिलहाल स्थगित
नेशनल कोऑडिर्नेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स ने निजीकरण के विरोध में उप्र के बिजली कर्मचारियों के समर्थन में 29 मई को देश के सभी जनपदों और परियोजनाओं पर राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने निजीकरण के विरोध में चल रहे प्रान्तव्यापी विरोध प्रदर्शन को 29 मई से और तेज करने का निर्णय लिया है। संघर्ष समिति की आज लखनऊ में हुई मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि बिजली कर्मियों के 181 दिन से चल रहे विरोध के चलते चूंकि प्रबन्धन अभी तक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का टेण्डर करने में विफल रहा है अतः भीषण गर्मी में उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ न हो इस दृष्टि से 29 मई से होने वाले अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार को फिलहाल स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु कोई टेण्डर नोटिस निकाली गयी तो पूरे प्रदेश के समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियन्ता बिना और कोई नोटिस दिये उसी समय सीधी कार्यवाही करने हेतु बाध्य होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन की होगी।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेंद्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडे, महेंद्र राय, पी के दीक्षित, सुहेल आबिद, चंद्रभूषण उपाध्याय, विवेक सिंह, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, वी सी उपाध्याय, जवाहरलाल विश्वकर्मा, मोहम्मद वसीम, श्री चन्द, माया शंकर तिवारी, ए के श्रीवास्तव, योगेंद्र लाखा, सरजू त्रिवेदी, राम निवास त्यागी, मोहम्मद इलियास, पी एस बाजपेई, आर एस मिश्र, प्रेम नाथ राय, जी पी सिंह, देवेन्द्र पांडेय, आशीष त्रिपाठी, राम सहारे वर्मा, विशंभर सिंह, सुरेन्द्र सिंह, कपिल मुनि ने आज यहां जारी बयान में पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन पर इस भीषण गर्मी में ऊर्जा निगमों में हड़ताल थोपने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके द्वारा आज जारी किये गये धमकी भरे बयान से अभियन्ताओं और कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है।उन्होंने बताया कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन के विरोध में इतना अधिक आक्रोश बढ़ गया है कि आज उनके द्वारा बुलाई गयी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग का सायं 05 बजे के बाद सभी अभियन्ताओं ने बहिष्कार कर दिया। इस बहिष्कार से बेहद हताश और बौखलाये हुए चेयरमैन जो अब तक यह दावा कर रहे थे कि निजीकरण के बाद कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा वे आज कर्मचारियों और अभियन्ताओं का वेतन और समयबद्ध वेतनमान कम करने की धमकी दे रहे हैं। चेयरमैन के इन बयानों से ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशान्ति का वातावरण बन गया है जिसके दुष्परिणामों की सारी जिम्मेदारी चेयरमैन की होगी।
आज नेशनल कोऑडिर्नेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र और राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीयिनर्स संगठन, उप्र से अपील की कि चूंकि राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों की और बिजली कर्मचारियों की मई के महीने में होने वाले राष्ट्रीय हड़ताल को देश की परिस्थितियों को देखते हुए राष्ट्रहित में स्थगित कर दिया गया है, अतः उप्र में 29 मई से होने वाले अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार को स्थगित करने पर बिजली कर्मी विचारे करे। नेशनल कोऑडिर्नेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स ने यह भी कहा है कि यदि उप्र सरकार निजीकरण हेतु एक भी कदम आगे बढ़ाती है और निजीकरण हेतु टेण्डर नोटिस प्रकाशित की जाती है तो उप्र के साथ पूरे देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी विरोध में सड़क पर उतरेंगे। यह भी निर्णय लिया गया है कि 29 मई को देश भर में सभी जनपदों और परियोजनाओं पर उर्प्र में किये जा रहे बिजली के निजीकरण के निर्णय के विरोध में व्यापक विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे।संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि 29 मई से बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियन्ता सभी जनपदों और परियोजनाओं पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान बिजली कर्मी उपभोक्ताओं की सभी समस्यायें अटेण्ड करेंगे, अस्पताल, रेलवे, पेयजल आदि आवश्यक सेवाओं में कोई व्यवधान नहीं होने दिया जायेगा और उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे किन्तु पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन एवं चेयरमैन की सभी बैठकों का बहिष्कार किया जायेगा और उनके किसी भी जन-विरोधी निर्णय का पालन नहीं किया जायेगा।