- REPORT BY:PREM SHARMA || EDITED BY:AAJ NATIONAL NEWS DESK
लखनऊ। नगर निगम लखनऊ ने महापौर सुषमा खर्कवाल और नगर आयुक्त गौरव कुमार के नेतृत्व में “स्वच्छता का बड़ा मंगल” थीम के अंतर्गत एक अभिनव पहल की शुरुआत की है। इस पहल के अंतर्गत शहर भर में आयोजित भंडारों को ज़ीरो वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम के अनुसार संचालित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य धार्मिक और सामाजिक आयोजनों के दौरान स्वच्छता बनाए रखना और कचरे के पर्यावरण पर प्रभाव को न्यूनतम करना है।
इस पहल में नगर निगम लखनऊ, लखनऊ स्वच्छता अभियान (एलएसए), लायन एनवायरो की संयुक्त टीमों ने विभिन्न स्थानों पर ज़ीरो वेस्ट भंडारों का सफल आयोजन किया। इन भंडारों में कचरे को स्रोत पर ही अलग करने की व्यवस्था की गई, जिससे जैविक और अजैविक कचरे का प्रबंधन आसान हो सके। इसके साथ ही आयोजकों और आमजन को सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग से बचने और पर्यावरण अनुकूल विकल्प अपनाने के लिए जागरूक किया गया। प्रमुख स्थलों पर आयोजित ज़ीरो वेस्ट भंडारों में विधानसभा गेट नंबर-5, दयाल पैराडाइज चौराहा (गोमती नगर), सेक्टर-एन आशियाना, श्रृंगार नगर (आलमबाग), सेंट्रल पार्क, पीली कॉलोनी और ऐशबाग प्रमुख रहे। इन स्थानों पर लोगों ने स्वच्छता के इस प्रयास का खुले दिल से स्वागत किया और बढ़-चढ़कर भाग लिया। नगर निगम की टीमों ने इन भंडारों में कम्पोस्टेबल प्लेट्स, दो डस्टबिन व्यवस्था (गीले-सूखे कचरे के लिए अलग-अलग), साफ-सफाई कर्मियों की तैनाती, और कचरा उठान की त्वरित व्यवस्था सुनिश्चित की। साथ ही, आयोजकों को ज़ीरो वेस्ट भंडारा आयोजित करने की प्रक्रिया समझाई गई और उन्हें ज़िम्मेदार आयोजक के रूप में प्रोत्साहित किया गया। महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल ने बताया, “लखनऊ को स्वच्छ और हरित शहर बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। ज़ीरो वेस्ट आयोजन न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा करता है बल्कि समाज में स्वच्छता की संस्कृति को भी बढ़ावा देता है।” नगर आयुक्त गौरव कुमार ने भी नागरिकों से अपील की कि वे भंडारों एवं सार्वजनिक आयोजनों में प्लास्टिक का उपयोग न करें और कचरे को जिम्मेदारी से प्रबंधित करें। उन्होंने कहा कि “हम सभी की भागीदारी से ही लखनऊ स्वच्छता के राष्ट्रीय मानकों पर अग्रणी बन सकता है।”
साफ-सफाई को लेकर अपर नगर आयुक्त ने दिए कड़े निर्देश
नगर निगम की अपर नगर आयुक्त नम्रता सिंह ने मंगलवार को जोन-3 में त्रिवेणी नगर और फैजुल्लागंज क्षेत्र का दौरा कर साफ-सफाई और निर्माण कार्यों की स्थिति का जायज़ा लिया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने विशेष रूप से नाले और नालियों की सफाई पर ध्यान केंद्रित किया तथा सड़कों और जलनिकासी की निर्माण प्रगति की भी समीक्षा की।
निरीक्षण के दौरान नम्रता सिंह ने देखा कि कुछ स्थानों पर नाले पूरी तरह से साफ नहीं थे और सफाई कार्य अधूरा था। इस पर उन्होंने नाराज़गी व्यक्त करते हुए ज़ोन के अधिकारियों और उपस्थित अभियंताओं को निर्देशित किया कि नालों की नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए और कहीं भी जलजमाव की स्थिति न बनने दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि मानसून आने से पहले सभी नालों की सफाई का कार्य पूरी तरह से पूर्ण हो जाना चाहिए।इसके साथ ही उन्होंने सड़कों और नालियों के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच की और निर्माण सामग्री की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने संबंधित इंजीनियरों को निर्देश दिया कि निर्माण कार्य तय समय-सीमा के भीतर पूरा किया जाए और कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए।नम्रता सिंह ने मौके पर मौजूद अधिकारियों से वार्डवार रिपोर्ट मांगी और कहा कि प्रतिदिन की प्रगति की निगरानी की जाएगी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि लापरवाही बरतने वाले कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।अपर नगर आयुक्त ने नागरिकों से भी अपील की कि वे सफाई व्यवस्था में सहयोग करें, कचरा नालियों में न डालें और नगर निगम के साथ मिलकर स्वच्छ लखनऊ के लक्ष्य को साकार करने में सहभागी बनें। निरीक्षण के दौरान नगर निगम के जोन-3 के अधिशासी अभियंता समेत जोन के विभिन्न अधिकारी भी मौजूद थे।
अभियान, तीन जोनों में की गई बड़ी कार्रवाई
नगर निगम द्वारा शहर में बढ़ते अतिक्रमण को रोकने के लिए महापौर सुषमा खर्कवाल के निर्देश एवं नगर आयुक्त गौरव कुमार के आदेश पर मंगलवार को तीन अलग-अलग जोनों में व्यापक अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया। इस अभियान का नेतृत्व संबंधित जोनों के जोनल अधिकारियों ने किया।
नगर आयुक्त के निर्देश पर जोन-7 के जोनल अधिकारी आकाश कुमार के नेतृत्व में मुशीपुलिया सेक्टर-13 एवं पिकनिक स्पॉट रोड के आस-पास अवैध अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की गई। इस दौरान 1 ठेला, 2 ठेलिया, 2 गुमटी, और 2 लोहे के काउंटर हटाए गए। वहीं 1 लोहे का काउंटर, 1 लकड़ी का काउंटर व 1 टेलिया को जब्त किया गया। अतिक्रमणकारियों को पुनः ऐसा न करने की सख्त चेतावनी दी गई। यह अभियान अधीक्षक श्री राम अचल, ई.टी.एफ. और 296 टीम की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।जोन-6 के जोनल अधिकारी मनोज यादव के नेतृत्व में वार्ड बालागंज व कन्हैया माधौवपुर प्रथम में सीतापुर बाईपास से दुबग्गा सब्जी मंडी और कैम्पल रोड से एकता नगर चौराहे तक अभियान चलाया गया। इस दौरान 15 ठेले, 8 गुमटी और 8 अस्थायी दुकानें हटवाई गईं। इसके अतिरिक्त 1 तख्त, 2 मुर्गे की जाली, 1 लकड़ी की मेज, 1 फ्लैक्स बोर्ड, 2 लोहे के काउंटर, 1 बेंच और 1 ठेला जब्त किया गया। अतिक्रमणकारियों को चेतावनी के साथ-साथ स्थानीय थाने को भी पत्र भेजा गया ताकि भविष्य में अतिक्रमण न हो। जोन-5 के जोनल अधिकारी नंदकिशोर के नेतृत्व में सरोजनी नगर द्वितीय, नादरगंज चौराहे से ट्रांसपोर्ट नगर तक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई। इसमें 9 ठेले, 4 गुमटी और 5 काउंटर हटवाए गए। अतिक्रमणकारियों को फिर से ऐसा न करने की चेतावनी दी गई। इस अभियान में प्रवर्तन दल (296) और पुलिस बल शामिल रहे। नगर निगम द्वारा यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
वार्षिक राजस्व आवश्यकता मामले में आयोग की दरियादिली गलत: उपभोक्ता परिषद
-उपभोक्ता परिषद ने उठाये गम्भीर सवाल
प्रदेश की बिजली कंपनियों की तरफ से संशोधित आधार पर दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता वर्ष 2025- 26 को विद्युत नियामक आयोग ने उसमें बड़े पैमाने पर कमियां निकालते हुए गुपचुप तरीके से स्वीकार करके पावर कारपोरेशन को भेज दिया है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि वार्षिक राजस्व आवश्यकता संशोधित प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद विद्युत नियामक आयोग की वेबसाइट पर भी नहीं डाला गया। जो अपने आप में नियामक आयोग और पावर कारपोरेशन के अधिकारियों की मिली भगत को साबित करता है। विद्युत नियामक आयोग के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब संशोधित प्रस्ताव पर वार्षिक राजस्व आवश्यकता स्वीकार करके गुपचुप तरीके से उसमें डिफिशिएंसी नोट के साथ विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन को भेज दिया जो पारदर्शिता का बड़ा उल्लंघन है। सभी को पता है कि विद्युत नियामक आयोग को पावर कारपोरेशन ने मनगढ़ंत आंकड़ों के आधार पर पहले जो 10000 करोड़ घाटे को बढ़कर 19600 करोड़ करके 30 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव आकलित किया है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में यह पहली बार देखने को मिल रहा है कि विद्युत नियामक आयोग ने वार्षिक राजस्व आवश्यकता को स्वीकार करने के बाद पुनः कॉरपोरेशन की मांग पर उसमें टाइम एक्सटेंशन दिया है। लेकिन वह भी डिफिशिएंसी नोट के साथ यह उत्तर प्रदेश में एक अनोखा मामला है जब संशोधन वार्षिक राजस्व आवश्यकता दाखिल हो गई तो सबसे पहले उसमें डिफिशिएंसी नोट जारी करके कमियां दाखिल करवाना चाहिए था। लेकिन विद्युत नियामक आयोग ने एक साथ दोनों काम कर दिया। डिफिशिएंसी नोट भी उसी में जारी कर दिया और वार्षिक राजस्व आवश्यकता को तीन दिन के अंदर समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के लिए आदेश भी निर्गत कर दिया । अब सबसे बड़ा सवाल या उठना है कि पावर कॉरपोरेशन डिफिशिएंसी नोट में कमियां दूर करके तीन दिन में कैसे विज्ञापन प्रकाशित करा पाएगा और मनगढ़ंत आंकड़ों पर विज्ञापन छपता है तो उसे पर प्रदेश की जनता क्या आपत्तियां व सुझाव दाखिल करेगी। कुल मिलाकर विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन के साथ एक बार फिर दरियादिली दिखाई है जो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का उल्लंघन है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा यह प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए दुर्भाग्य की बात है कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सर प्लस निकल रहा ह।ै लेकिन विद्युत नियामक आयोग उसे पर सुनवाई न करके केवल बिजली दरों में बढ़ोतरी के लिए पावर कारपोरेशन को बढ़ा रहा है। जो अपने आप में ऊर्जा क्षेत्र में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का उल्लंघन है
संगठन नही तो कथित डिस्काम एसोसिएशन भी नही तय करेगें नीति: संघर्ष समिति
-घंटों तक चलने वाली वी सी से प्रभावित होती है बिजली व्यवस्था
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि यदि कर्मचारी संगठन सरकार की नीति नहीं तय करेंगे तो कथित डिस्कॉम एसोशिएशन भी सरकार की नीति नहीं तय करेंगे। संघर्ष समिति ने आज कहा कि घंटों चलने वाली वी सी बिजली आपूर्ति के लिए साधक नहीं अपितु बाधक होती है। आज लगातार 188 वें दिन बिजली कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में प्रांत भर में विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन के इस वक्तव्य कि सरकार की नीति कर्मचारी संगठन तय नहीं करेंगे पर पलटवार करते हुए कहा है कि सरकार की नीति कथित आल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन भी नहीं तय करेगी जिसके स्वयंभू जनरल सेक्रेटरी डॉ आशीष गोयल हैं। संघर्ष समिति ने बताया कि नवंबर 2024 के दूसरे सप्ताह में लखनऊ में विद्युत वितरण निगमों की एक मीटिंग पांच सितारा होटल में हुई। इसी बैठक में सुधार के नाम पर विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का निर्णय लिया गया। इस मीटिंग में ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के नाम से एक संगठन गठित कर लिया गया । इस संगठन के जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर आशीष गोयल बन गए और कोषाध्यक्ष दिल्ली की निजी कंपनी बी एस ई एस यमुना(रिलायंस पावर) के सी ई ओ अमरदीप सिंह बने। इस नव गठित डिस्कॉम एसोशिएशन में उड़ीसा के टाटा पॉवर के गजानन काले और नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड के पी आर कुमार भी है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव आगे बढ़ाने का अंदरुनी निर्णय इसी डिस्कॉम एसोशिएशन की बैठक में कार्पाेरेट के साथ मिलकर लिया गया जिसके जनरल सेक्रेटरी स्वयं डॉक्टर आशीष गोयल हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि पता चला है कि यह एसोशिएशन मोटा चंदा वसूल रही है और आशीष गोयल के साथ इसके कोषाध्यक्ष अमरदीप सिंह एक निजी कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि यह निजी कॉरपोरेट अपने निहित स्वार्थ में उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण करने पर तुले हुए हैं। संघर्ष समिति ने आगे कहा कि सही है कि कर्मचारी संगठन सरकार की नीति नहीं तय करेंगे किंतु कर्मचारी संगठनों से नीतिगत मामलों पर विचार विमर्श किया जाता रहा है। 05 अप्रैल 2018 और 06 अक्टूबर 2020 को ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में कहा गया है कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति को विश्वास में लिए बिना प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में कहीं पर भी कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को यह बताना चाहिए कि इन दोनों समझौता का सरासर उल्लंघन करते हुए उन्होंने निजीकरण का एक तरफा फैसला डिस्कॉम एसोशिएशन के गठन के चन्द दिन बाद कैसे ऐलान कर दिया।
इसके अतिरिक्त वर्ष 2000 में उप्र सरकार ने ऊर्जा निगमों में जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल बनाने का निर्णय लिया गया था। जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल के सामने नीतिगत विषय रखे जाते थे और इस काउंसिल में सभी मान्यता प्राप्त और बड़े कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधित होते थे। पिछले 20 वर्षों से जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल की कोई बैठक नहीं हुई। जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल काम नहीं कर रही है। ऐसे में नीतिगत मामलों पर कर्मचारी संगठनों का पक्ष भी प्रबंधन और सरकार के सामने नहीं आ रहा है। इसकी जिम्मेदारी पावर कारपोरेशन के प्रबंधन की है। संघर्ष समिति ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठकों का सिलसिला कोरोना कल में प्रारंभ हुआ था। कोरोना समाप्त हुए 04 साल गुजर चुके हैं किंतु अभी भी पावर कारपोरेशन के आलाअधिकारी और विशेषतरू चेयरमैन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंबी-लंबी बैठक कर अभियंताओं को डांट फटकार लगाना, अमर्यादित और अभद्र भाषा का प्रयोग करना और अपमानित करना जैसे कार्य कर रहे है । संघर्ष समिति ने कहा कि अनावश्यक तौर पर लंबी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठकों के कारण बिजली आपूर्ति प्रभावित होती है क्योंकि अभियन्ता इसी में फंसे रहते हैं। अतः जरूरी नहीं कि ऐसी बैठकों में अभियंता अपना समय नष्ट करें। अभियंताओं का मुख्य कार्य उपभोक्ताओं को इस भीषण गर्मी में बिजली आपूर्ति बनाए रखना है और उनकी यही प्राथमिकता है।
टैरिफ सब्सिडी देने वाले राज्यों में प्रदेश का पांचवा स्थान
-टैरिफ सब्सिडी के बदले सरकारे लेती राजनैतिक लाभ: अवधेश वर्मा
दक्षिणांचल पूर्वांचल के निजीकरण को लेकर जहां पूरे प्रदेश में हंगामा मचा हुआ है।ं पावर कॉरपोरेशन जो बार-बार यह कहता है कि उत्तर प्रदेश में सरकार जो टैरिफ की सब्सिडी दे रही है वह बहुत ज्यादा ह। कुल मिलाकर सरकार टैरिफ सब्सिडी भी देती है और लास् सब्सिडी भी देती है। जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश की सरकार को अब बिजली कंपनियों का घाटा बहन कर पाना मुश्किल का काम लग रहा है। आज उपभोक्ता परिषद उत्तर प्रदेश सरकार व पावर कारपोरेशन को बताना चाहती है कि पूरे देश में बड़े पैमाने पर अपने उपभोक्ताओं की बिजली दरें अधिक ना हो उसके लिए अनेको राज्य उत्तर प्रदेश से कहीं ज्यादा टैरिफ सब्सिडी दे रही है। पूरे देश में जो सरकार राजकीय सब्सिडी टैरिफ के मद मैं वर्ष 2023- 24 में लगभग 2 लाख 10784 करोड़ है। पूरे देश में 5 ऐसे राज्य जो टॉप पर अपने उपभोक्ताओं की बिजली दरें कम करने के लिए वर्ष 2023 24 में सब्सिडी दी है उसमे ंप्रदेश का पॉचवा स्थान है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार से बिजली कंपनियों को निजी घरानो को बेचने की साजिश की जा रही है वह पूरी तरह आसंवैधानिक है। पूरे देश में ज्यादातर राज्य अपने उपभोक्ताओं की बिजली दर कम करने के लिए बड़े पैमाने पर राजकीय टैरिफ सब्सिडी देते हैं तो उत्तर प्रदेश अगर दे रहा है तो इतना हो हल्ला क्यों मच रहा है। राज्य की सरकारी सब्सिडी तभी देती है जब वह उसका पॉलिटिकल लाभ लेती है। तो राज्य की सरकारों ने अगर पॉलिटिकल लाभ लिया है तो सब्सिडी देना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है। इसलिए अभी भी समय है उत्तर प्रदेश सरकार को अपने निजीकरण के फैसले को वापस लेना चाहिए अन्यथा की स्थिति में आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता वोट की ताकत से अपना हिसाब बराबर करेगी। वर्तमान में बिजली कंपनियों में कार्यरत जो नौकरशाह है वह सरकार नहीं बनवा पाएंग।े ऊपर से भ्रष्टाचार में कटघरे में खड़े होंगे।
पदो के समाप्ति आदेश की वापसी के लिए जनपदीय धरना आज
सिंचाई विभाग संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति ने सिंचाई विभाग के उपयोगी पदों को अनुपयोगी मानते हुये समाप्त करने के शासनादेश को वापस कराने के लिए प्रदेशव्यापी आन्दोलन जारी रखा है। इसी क्रम में 4 जून को जन स्तर पर धरना देकर मुख्यमंत्री और सिंचाई मंत्री को ज्ञापन सौपा जाएगा। यह जानकारी देते हुए समिति के संयोजक अमरजीत मिश्रा ने बताया कि लखनऊ में कर्मचारी प्रेरण स्थल, गोरखपुर में मुख्यमंत्री कार्यालय एवं वाराणसी में प्रधानमंत्री के स्थानीय कार्यालय में सिंचाई कार्मिक उपस्थित होकर ज्ञापन सौपेगे।
उन्होंने बतायाकि सिंचाई विभाग के रीढ़ अतिमहत्वपूर्ण पद जैसे उपराजस्व अधिकारी, जिलेदार, मुंशी, हेड मुंशी, पदों की संख्या में कटौती तथा नलकूप चालक, सीचपाल के साथ – साथ मिस्त्री कम ड्राइवर, व अन्य आवश्यक पदों को समाप्त किये जाने के शासनादेश 14.मई 2025 से कार्मिक समुदाय में अत्यन्त ही रोष व असंतोष व्याप्त है। इसके विरोध में 16 मई 2025 को विभाग के समस्त मान्यता प्राप्त संगठनों की बैठक में सर्वसम्मति से सिंचाई विभाग संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति उ.प्र. का गठन किया था। उक्त शासनादेश की समाप्ति के लिए 20 एवं 21 मई .2025 को काला फीता धारण कर प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन किया गया था। अब चार जून को प्रदेश में सिंचाई विभाग के समस्त कार्यालयों में गेट मीटिंग करने के साथ समस्त जनपदों में विशाल शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन आयोजित कर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री एवं सिंचाई मंत्री, उ.प्र. सरकार को ज्ञापन दिया जाएगा।