औरैया बिधूना सपा नेता पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री विनय शाक्य की बीती रात हार्टअटैक आने से मौत हो गयी। पूर्व विधायक की मौत की खबर से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। पूर्व विधायक की मौत की जानकारी होते ही शोक प्रकट करने वालों की भटौरा स्थित फार्म हाउस पर भारी भीड़ जुट गयी। भटौरा में ही पूर्व विधायक का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
जानकारी के अनुसार पूर्व मंत्री विनय शाक्य को शनिवार को लगभग 9 बजे अचानक दिक्कत महसूस हुई तो उन्होंने तत्काल बिधूना अस्पताल पहुंचकर अपना चैकप आदि कराया, जिसके बाद दवा लेकर भटौरा आवास वापस आ गये। इसके बाद रात लगभग 12 बजे विनय शाक्य को हार्ट अटैक के आने से सीने में दर्द उठने पर परिजन उन्हें पुनः सीएचसी बिधूना लेकर पहुंचे जहां पर डॉक्टरों उन्हें मृत घोषित कर दिया।
जिसके बाद एम्बुलेंस से पूर्व विधायक विनय शाक्य का शव भटौरा आवास पहुंचाया गया। पूर्व विधायक की मौत की सूचना मिलते ही क्षेत्र में शोक ही लहर दौड़ गयी। उनके भटौरा स्थित आवास पर शोक प्रकट करने वालों की भीड़ जुटने लगी। दोपहर बाद पूर्व विधायक विनय शाक्य का अंतिम संस्कार गांव में ही स्थित उनके खेतों पर कर दिया गया। विनय शाक्य के परिवार में पत्नी सीमा शाक्य, पुत्र सिद्दार्थ शाक्य, दो पुत्रियों व रिया के अलावा भाई देवेश शाक्य व मां द्रोपदी देवी हैं।
मूल रूप से अछल्दा ब्लाक के गांव घसारा की रहने बाली विनय शाक्य ने विधायक बनने बिधूना ब्लाक क्षेत्र के गांव भटौरा में फार्म हाउस बना लिया था। जहां पर दो विद्यालयों की स्थापना के साथ वह स्थाई रूप से वहीं पर रहने लगे थे। विनय शाक्य ने 1997 में अपना राजनीतिक जीवन समाजवादी पार्टी से शुरू किया और अपने जीवन के अंतिम समय में भी वह समाजवादी पार्टी में ही थे।
विनय शाक्य ने कुछ समय समाजवादी पार्टी में रहने के बाद बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। जिसके बाद संगठन में काम करते हुए वह 2002 में बिधूना विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़े और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धनीराम वर्मा को पराजित कर विधायक बने। प्रदेश में मायावती के नेतृत्व में सरकार बनने पर उन्होंने विनय शाक्य को बाह्य सहायतित विभाग का राज्य मंत्री बनाकर उनके कद को बढ़ा दिया था।
इसके बाद 2007 के चुनाव में विनय शाक्य सपा के धनीराम वर्मा से मात्र 267 वोट से पराजित हो गये थे जिसके बाद 2009 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने विनय शाक्य को एमएलसी बना दिया था। इसके बाद बसपा की सरकार बनने पर उन्हें निगम चेयरमैन बना दिया था। एमएलसी होने के कारण 2012 में विनय शाक्य ने अपने भाई देवेश शाक्य को बसपा से चुनाव लड़वाया, मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2017 के चुनाव से पहले विनय शाक्य भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये थे। जिसके बाद उन्होंने भाजपा ने विधानसभा चुनाव लड़ा और वह दूसरी बार बिधूना से विधायक बने।
विधायक बनने के कुछ समय बाद विनय शाक्य को ब्रेन स्ट्रोक हुआ जिसके बाद से वह लगातार बीमार चल रहे थे। हालांकि अपने छोटे भाई देवेश शाक्य के साथ सक्रिय रहते थे। हाल ही देवेश शाक्य समाजवादी पार्टी से एटा लोकसभा का चुनाव लड़े तो विनय शाक्य अस्वस्थ होने के बाबजूद एटा रहे और देवेश शाक्य के साथ चुनावी मंच साझा करते रहे।
रिपोर्ट अमित कुमार