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नई दिल्ली:चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर में है आज पूरी दुनिया-द्रौपदी मुर्मू

  • REPORT BY:NITIN/PIB
  • EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS

नई दिल्ली:आज पूरी दुनिया चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर में है। इस क्रांति की चुनौतियों का सामना करने और इसके अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत भी तैयार है। इस राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने में जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी।उक्त उद्गार भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज हरियाणा के फरीदाबाद में जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 5वें दीक्षांत समारोह में भाग लेते हुए ब्यक्त किये ।इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह जानकर प्रसन्न हुई कि इस विश्वविद्यालय ने पिछले कुछ वर्षों में कई औद्योगिक और शैक्षणिक संस्थानों के साथ समझौते किए हैं।उन्होंने कहा कि बहुत सी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए इस विश्वविद्यालय के परिसर में उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किए हैं।उन्होंने उम्मीद जताई की कि इन सभी प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की सराहना

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि वर्तमान में प्रौद्योगिकी के विकास के कारण प्रगति के अनेक रास्ते खुल गए हैं।दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच ने ऑनलाइन रोजगार के अनेक अवसर पैदा किए हैं। लेकिन,हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि प्रौद्योगिकी का उपयोग उचित तथा सतत विकास और जनहित के लिए किया जाना चाहिए। इसका गलत उपयोग विनाशकारी हो सकता है।जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 5वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं को कुशल और आत्म-निर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों की शानदार सूची है, जो देश-विदेश में अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को पूर्व छात्र संघ के योगदान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाने की सलाह दी।

समृद्ध विरासत का हिस्सा युवा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इस विश्वविद्यालय का नाम महान वैज्ञानिक और आधुनिक विज्ञान के प्रणेता जगदीश चंद्र बोस के नाम पर रखा गया है,जो दुनिया के पहले वैज्ञानिक थे,जिन्होंने वैज्ञानिक रूप से यह साबित किया कि पेड़-पौधों में भी भावनाएं होती हैं।उनकी इस खोज ने वनस्पति जगत को देखने का हमारा नजरिया बदल दिया। उन्होंने छात्रों से उनके जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेने और प्रौद्योगिकी के ज़रिए से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का आग्रह किया।उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध विरासत हमें हमेशा गौरवान्वित करती है। युवा इस समृद्ध विरासत का हिस्सा हैं और उन्हें इसका ध्वजवाहक बनना है। उन्होंने छात्रों को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की सलाह दी।

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