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LUCKNOW:यूनीफाईड पेंशन स्कीम से सहमत नहीं यूपी के कर्मचारी,पुरानी पेंशन बहाली पर अड़े

  • REPORT BY:ATUL TIWARI
  • EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS

-नाराज कर्मचारी संगठनों ने ब्यक्त की अलग-अलग प्रतिक्रिया,जताई अपनी नाराजगी

लखनऊ:प्रदेश के कर्मचारी यूनीफाईड पेंशन स्कीम से सहमत नहीं है,इसको लेकर उन्होंने अपनी नाराजगी जताते हुए पुरानी पेंशन बहाली की मांग को और तेज कर दिया है,नाराज संगठनों ने इसको लेकर अलग अलग प्रतिक्रिया ब्यक्त कर अपनी नाराजगी का इजहार किया है ।

केंद्र सरकार के निर्णय के अलावा कोई समझौता स्वीकार नहीं

गांधी जयंती 2 अक्टूबर को देशभर के कर्मचारी सत्याग्रह का संकल्प लेंगे जो आगे भी चलता रहेगा। कर्मचारियों की मांगे क्रमशः पुरानी पेंशन की यथावत बहाली, स्थाई राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन,आउटसोर्स कर्मचारी की सेवा सुरक्षा तथा न्यूनतम वेतन सहित नियमित सेवा में वरीयता की नियमावली बनाना हैं। इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने बताया कि मांगों का ज्ञापन राजनाथ सिंह के माध्यम से कई बार भेजा जा चुका है। श्री सिंह ने इप्सेफ के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया था कि इप्सेफ की मांगों पर प्रधानमंत्री से बातचीत कर निराकरण कराएंगे। इस संबंध में कार्मिक सचिव से वार्ता हुई थी पेंशन बहाली समिति का गठन भी इप्सेफ के अनुरोध से गठित हुई परंतु उसकी संस्तुतियों के बारे में निर्णय नहीं किया गया। प्रेम चन्द महासचिव ने बताया कि पिछला वेतन आयोग 2 वर्ष पहले ही गठित हो गया था जिसका लाभ 1 जनवरी 2016 से लागू कर दिया गया था ।उसी तरह आठवीं वेतन आयोग भी 2 वर्ष पूर्व अर्थात 2024 में गठित होना चाहिए। अतुल मिश्रा उप महासचिव राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा सुरेश रावत ने कहा कि उत्तर प्रदेश में डेली वेजेस कर्मचारियों का नियमितीकरण की भाँति आउटसोर्स कर्मचारी को विनियमितीकरण की नीति बनाई जानी चाहिए। इप्सेफ नेताओं ने देश भर के करोड़ों कर्मचारियों से अपील की उपरोक्त मांगों को पूरा करने के लिए 2 अक्टूबर को आंदोलन करने का संकल्प करेंगे और आगे के आंदोलन में पूरी भागीदारी करेंगे। इप्सेफ ने राजनाथ सिंह से अपील की है कि तीनों मांगों को पूरा करने में पूरा सहयोग करें देशभर का कर्मचारी आभार व्यक्त करेगा। भारत सरकार निर्णय नहीं करेगी तो चुनाव में भाजपा को भारी क्षति उठानी पड़ेगी। सरकार की इस घोषणा के बाद दिल्ली इंडियन पब्लिक सर्विस एम्पलाइज फेडरेशन की राज्य इकाई में 12 सितंबर को संसद पर प्रदर्शन का ऐलान किया।

यूनीफाईड पेंशन स्कीम धोखा है- गिरीश

पुरानी पेंशन की समाप्ति के बाद से ही उसकी बहाली को लेकर देश के सरकारी कर्मचारी आंदोलनरत रहे हैं लेकिन अचानक शनिवार को मोदी सरकार पुरानी पेंशन का एक और नया रूप लेकर सामने आ गयी। कर्मचारी नेता गिरीश कहते हैं कि यूपीएस धोखा है, मांगी ओल्ड पेंशन थमा दी यूपीएस। लोकसभा चुनावों में भाजपा को लगे तगड़े झटके के बाद से मोदी सरकार और भाजपा अपने पुराने अड़ियल चेहरे को डेंट पेंट करने में जुटी है। हाल में वक्फ बिल को जेपीसी में भेजा जाना और अधिकारियों की सीधी भर्ती के कदम को पीछे खींचना इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। सच तो यह है कि कई राज्यों में होने जारहे विधान सभा चुनावों और उत्तर प्रदेश आदि में होने वाले उपचुनावों को फेस करने में भाजपा को पसीने छूट रहे हैं। यूनीफाईड पेंशन स्कीम की घोषणा भी इसी श्रृंखला का अगला कदम मानी जा रही है। इसके बारे में पिछले कई दिनों से चर्चा चल रही थी लेकिन जिस रूप में इसका ऐलान हुआ है, उससे कई गंभीर सवाल भी उठ खड़े हुए हैं। बताया यह जा रहा है कि इसको देश के सारे राज्य लागू करेंगे। पर इसके लिए राज्यों को भारी भरकम बजट चाहिए, जिसको जुटा पाना उनके लिए असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है। इसको लेकर कर्मचारी संगठनों में भारी रोष व्याप्त है। ये कथित नयी पेंशन स्कीम उनको मंजूर नहीं है। वे ओपीएस को लेकर आंदोलन अवश्य जारी रखेंगे। पुरानी पेंशन बहाली के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने वाले नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के राष्ट्रीय नेतृत्व का कहना है कि सरकार ने यूपीएस लाकर कर्मचारियों के साथ छल किया है। इसे वे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। भाजपा सरकार पुरानी बोतल में नई शराब पेश करने में माहिर है। अतएव इस स्कीम को भी नया नाम दे दिया गया है। नई स्कीम का नाम यूनिफाइड पेंशन स्कीम ‘यूपीएस’ रखा गया है। केंद्रीय कैबिनेट ने इस स्कीम को मंजूरी भी दे दी और घोषणा भी कर दी है। सरकार ने ओपीएस को लेकर कोई भी सकारात्मक बयान नहीं दिया । सरकार अपनी बात पर ही अड़ी रही।

हमारा संघर्ष पुरानी पेंशन बहाल होने तक चलेगा: विजय कुमार बन्धु

एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस के स्थान पर यूनिफाइड पेंशन स्कीम शिक्षक, कर्मचारियों हेतु कैबिनेट द्वारा जो प्रस्ताव लाया गया है उस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार शिक्षक,कर्मचारियों को एनपीएस और यूपीएस के नाम पर गुमराह कर रही है। यह व्यवस्था तो और भी खतरनाक साबित होगी । इसके माध्यम से सरकार शिक्षक ,कर्मचारियों का शोषण और पूंजीपतियों को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से कर रही है। हमारा आंदोलन इस प्रकार की व्यवस्था के खिलाफ है। अटेवा, एनएमओपीएसका संहर्ष हूबहू पुरानी पेंशन के लिए है। देश भर का शिक्षक और कर्मचारी खड़ा है उसे केवल और केवल पुरानी पेंशन ही चाहिए। जो लोग कह रहे हैं यूपीएस ओपीएस के समकक्ष है तो फिर से परहेज क्यों ? ओपीएस में भी लास्ट बेसिक सेलरी का 50 प्रतिशत तो दिया जाता है तो उसे स्वीकार कर ले। 20 साल की नौकरी में पूरी पेंशन मिलने लगती है फिर इसमें 25 वर्ष क्यों रखा गया? राष्ट्रीय सचिव व प्रदेश महामंत्री अटेवा डॉ. नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि हमें इधर-उधर की बातों मे न उलझाया जाए बल्कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को यथाशीघ्र बहाल किया जाना चाहिए। पुरानी पेंशन बहाली के लिए संघर्ष यथावत जारी रहेगा। प्रदेश मीडिया प्रभारी अटेवा ने कहा कि देश का शिक्षक व कर्मचारी अब एकजुट हो गया। शिक्षकों व कर्मचारियों की एकजुटता को देखते हुए सरकार ने में बदलने का निर्णय लिया। अगर देश का शिक्षक व कर्मचारी इसी प्रकार एकजुट रहा तो सरकार अतिशीघ्र पुरानी पेंशन बहाल करने का भी निर्णय लेगी।

पेंशन मामले में सकारात्मक पहलः पटेल

सभी कर्मचारियों के बिगत कई वर्षों के संघर्ष का परिणाम है कि आज केंद्र सरकार द्वारा सुनिश्चित लाभ वाली यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू की है। एनपीएस में न्यूनतम पेंशन की कोई गारंटी नही थी ये पूरा का पूरा शेयर बाजार पर आधारित है। कई बार बृहत आंदोलन के बाद भी सरकार अंतिम वेतन का 40 प्रतिशत व 45 प्रतिशत देने की बात कर रही थी और उसमें डीए स्पष्ट नहीं था। अब लगातार ध्यानाकर्षण आन्दोलन और दबाव के बाद 50 प्रतिशत डीए देने के लिए तैयार हुई है जो सकारात्मक पहल है। राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन केंद्रीय अध्यक्ष जी वी पटेल ने आगे कहाकि लेकिन कर्मचारियों के मूल वेतन से 10 प्रतिशत अंशदान कटौती को भी सरकार को वापस लेना चाहिए यदि यह कटौती वापस नही ली जाती है तो अपरोक्ष रूप से यह समझा जा सकता है कि सरकार एनपीएस मुद्दे पर कायम है। यूपीएस का विस्तृत आदेश,सरकार का गजट आने के बाद इसपर दावे के साथ कुछ कहा जाना उचित होगा। साथ ही राज्य कर्मचारियों के अनुरूप उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगमो में कार्यरत कर्मचारियों पर सरकार द्वारा घोषित लाभकारी पेंशन योजना लागू किए जाने की व्यवस्था विकसित की जानी चाहिए और इस हेतु संघठन स्तर से प्रायस जारी रहेंगे।

पॉवर सेक्टर के कर्मचारियों एवं इंजीनियरों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की मॉग

ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद सम्मानजनक जीवन यापन देने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल का स्वागत करते हुए उन्हें पत्र भेजकर उनसे अनुरोध किया है कि इस मामले में सबसे दयनीय अवस्था में चल रहे देश भर के पॉवर सेक्टर के कर्मचारियों और इंजीनियरों के लिए भी पुरानी पेंशन की व्यवस्था लागू की जाय। फेडरेशन ने पत्र की प्रतिलिपि सभी प्रान्तों के मुख्यमंत्रियों को भी प्रेषित कर उनसे पॉवर सेक्टर में पुरानी पेंशन बहाली की मांग की है। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे एवं सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव ने आज यहां जारी बयान में कहा कि यद्यपि कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम पुरानी पेंशन स्कीम का विकल्प नहीं है तथा यूपीएस और ओ पी एस में काफी विसंगतियां हैं। किन्तु पॉवर सेक्टर के कर्मचारियों की स्थिति सबसे दयनीय है और इस मामले में उन्हें न्याय मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि राज्य बिजली बोर्ड के विघटन के बाद भर्ती होने वाले कर्मचारियों को पावर सेक्टर में पेंशन से महरूम कर दिया गया है। यह उल्लेखनीय है की इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के निगमीकरण के समय जारी की गई ट्रांसफर स्कीम, रिफॉर्म एक्ट या इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में यह कहीं पर भी उल्लेख नहीं है की निगमीकरण के बाद भर्ती होने वाले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नहीं दी जाएगी। लेकिन यह अन्याय पावर सेक्टर के कर्मचारियों के साथ चल रहा है। इतना ही नहीं तो विभिन्न प्रांतो और केंद्र शासित राज्यों के पावर सेक्टर में कर्मचारियों के लिए अलग-अलग नीति है।कहीं पर ईपीएफ है, कहीं पर सी पी एफ है और कहीं पर एनपीएस है। कुछ ऐसे भी प्रांत है जहां ईपीएफ और सी पी एफ दोनों चल रहा है। अब जब केंद्र सरकार ने एनपीएस के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन देने की पहल की है तो यह विचारणीय है कि विभिन्न प्रांतो में पावर सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों के बीच में एकरूपता लाने के लिए सभी कर्मचारियों को चाहे वे ईपीएफ के अंतर्गत हों, चाहे सी पी एफ के अंतर्गत हों या एनपीएस के अंतर्गत हों सभी कर्मचारियों को एकरूपता में पुरानी पेंशन का विकल्प दिया जाए। यह ध्यान देने की बात है की ईपीएफ और एनपीएस दोनों में कर्मचारियों का 10 प्रतिशत का अंशदान काटता है जो समान है और ई पी एफ में कर्मचारियों का 12 प्रतिशत का अंशदान कट रहा है जो एनपीएस की तुलना में अधिक है। यह भी उल्लेखनीय है कि पॉवर सेक्टर में राजस्थान और झारखंड में कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल कर दी गई है। बिजली संविधान में समवर्ती सूची में है अतः देश भर के पावर सेक्टर के कर्मचारियों को एकरूपता में पुरानी पेंशन देने हेतु केन्द्र सरकार राज्यों को यथोचित निर्देश जारी करे। उन्होंने कहा कि पावर सेक्टर के कर्मचारी देश को निर्बाध बिजली देने का काम कर रहे हैं और विकास का इंजन है ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि उन्हें माननीय प्रधानमंत्री से न्याय मिलेगा और पावर सेक्टर के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन लागू होगी।

 

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