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वाराणसी:सरकार की योजनाओं से महिलाओ को मिल रहा प्रोत्साहन,क्लिक करें और भी खबरें

-गाय के गोबर से बने दीपों के निर्माण में जुटी हैं महिलाएं
-सीएम योगी की दूरदर्शिता से आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं

  • REPORT BY:MUKESH JAYASWAL || EDITED BY:AAJNATIONAL NEWS DEASK

वाराणसी।15 नवंबर को काशी में मनाई जाने वाली देव दीपावली में 12 लाख दीपों से घाट रोशन होंगे, जिसमें गाय के गोबर से बने दीप भी शामिल होंगे। देव दीपावली पर गाय के गोबर से बने दीपों के निर्माण में महिलाओं की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि जब महिलाओं को सही अवसर मिलते हैं, तो वे समाज में बदलाव ला सकती हैं। योगी सरकार के इन प्रयासों से न केवल महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं, बल्कि वे समाज में अपनी पहचान भी बना रही । योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं को रोजगार और सशक्तिकरण के नए अवसर प्रदान किए हैं। इस मिशन से जुड़ी महिलाएं गाय के गोबर से बने दीपों का निर्माण कर रही हैं, और इन दीपों की बिक्री से उनकी आय में वृद्धि हो रही है। इसके अलावा, सरकार ने महिलाओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हुए गाय के गोबर का उपयोग करके उन्हें एक स्वच्छ और पर्यावरण फ्रेंडली रोजगार का अवसर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की है। इन प्रयासों से न केवल महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण हो रहा है, बल्कि उनके आत्मसम्मान में भी वृद्धि हो रही है। खासकर वाराणसी जिले में देव दीपावली के मौके पर गाय के गोबर से बने दीपों का निर्माण कर रही महिलाओं की सफलता इस बात की गवाह है कि कैसे योगी सरकार ने उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत किया है।

साहित्य चोरी में फंसे सहायक प्रोफेसर की पी एच डी उपाधि छिनी,BHU की समिति की सिफारिशों पर अकादमिक परिषद की मुहर

वाराणसी। सामाजिक विज्ञान संकाय के इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर को पीएचडी करने में अनुचित साधनों का प्रयोग और साहित्य चोरी का दोषी पाया गया है। विश्वविद्यालय की स्थायी समिति ने जांच में आरोपों को सच पाया है।अकादमिक परिषद ने उनकी पीएचडी की उपाधि छीन ली है और वह अपने नाम के आगे डाक्टर नहीं लिख सकेंगे। सामाजिक विज्ञान संकाय की डीन प्रो. बृंदा परांजपे ने इसकी शिकायत करते हुए कार्रवाई की सिफारिश की थी।अशोक सोनकर को तीन वर्ष के बजाय दो वर्ष में नए सिरे से पीएचडी करने की छूट दी गई है। परिषद की बैठक में कार्रवाई की सिफारिशें पढ़ते हुए रजिस्ट्रार प्रो. अरुण कुमार सिंह ने यह जानकारी दी।

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