-निरस्त करने की मुख्यमंत्री से अपील
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REPORT BY:PREM SHARMA ||AAJNATIONAL NEWS DEASK
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने आज प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे व्यापक जनहित में पॉवर कारपोरेशन द्वारा वाराणसी एवं आगरा विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के निर्णय को निरस्त करने की कृपा करें। संघर्ष समिति ने यह भी निर्णय लिया है कि निजीकरण के बाद आम जनता को होने वाली कठिनाईयों से अवगत कराने हेतु संघर्ष समिति व्यापक जनजागरण अभियान चलायेगी। जन जागरण अभियान के पहले चरण में आगामी 04 दिसम्बर को वाराणसी में और 10 दिसम्बर को आगरा में जन पंचायत आयोजित की जायेगी जिनमें बड़ी संख्या में कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं के अतिरिक्त आम उपभोक्ता सम्मिलित होंगे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के प्रमुख पदाधिकारियों जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, वी सी उपाध्याय, आर बी सिंह, राजेंद्र घिल्डियाल, शशिकांत श्रीवास्तव, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, ए के श्रीवास्तव, मो वसीम, श्रीचंद, सी.एल. दीक्षित, के एस रावत, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, राम सहारे वर्मा, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, देवेन्द्र पाण्डेय ने आज यहां जारी वक्तव्य में बताया कि पॉवर कारपोरेशन द्वारा द्योषित पीपीपी मॉडल के आधार पर उड़ीसा की तर्ज पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि0 एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 के निजीकरण का निर्णय लिया गया है जो न ही कर्मचारियों के हित में है आर न ही आम उपभोक्ताओं के हित में है।संघर्ष समिति ने कहा कि 25 जनवरी 2000 को मुख्यमंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में यह लिखा है ‘‘विद्युत सुधार अन्तरण स्कीम के लागू होने से हुए उपलब्धियों का मूल्यांकन कर यदि आवश्यक हुआ तो पूर्व की स्थिति बहाल करने पर एक वर्ष बाद विचार किया जायेगा।’’ उल्लेखनीय है कि वर्ष 2000 में विद्युत परिषद का विघटन होने के समय 77 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष का घाटा था जो अब 25 वर्ष के बाद 01 लाख 10 हजार करोड़ हो गया है। स्पष्ट है कि विघटन का प्रयोग पूरी तरह असफल रहा और 25 जनवरी 2000 के समझौते के अनुसार पूर्व की स्थिति बहाल की जानी चाहिए जबकि प्रबन्धन निजीकरण करने पर उतारू है।उन्होंने कहा कि अप्रैल 2018 एवं अक्टूबर 2020 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा एवं मंत्री मण्डलीय उपसमिति के अध्यक्ष वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के साथ हुए समझौते में यह उल्लेख है कि ‘’उप्र में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही सुधार हेतु कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जायेगी। कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लिये बिना उप्र में किसी भी स्थान पर काई निजीकरण नहीं किया जायेगा।’’ निजीकरण की अब की जा रही कार्यवाही स्पष्ट तौर पर इतने उच्च स्तर पर किये गये समझौते का खुला उल्लंघन है।
घाटे के आँकडे़ पूरी तरह भ्रामक
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के मुताबिक पावर कारपोरेशन द्वारा जारी किये गये घाटे के आँकडे़ पूरी तरह भ्रामक हैं और उन्हें इस तरह प्रस्तुत किया जा रहा है मानों घाटे का मुख्य कारण कर्मचारी व अभियन्ता हैं। उन्होंने बतायाकि पॉवर कारपोरेशन में चालू दिनों में इस वर्ष सरकार द्वारा 46130 करोड़ रूपये की सहायता देने की बात कही है। पॉवर कारपोरेशन ने यह तथ्य छिपाया है कि 46130 करोड़ रूपये में सब्सिडी की धनराशि ही रूपये 20 हजार करोड़ है जो विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार सरकार को देनी ही होती है। इसी प्रकार उड़ीसा मॉडल की सच्चाई सामने लाते हुए संघर्ष समिति ने कहा कि उड़ीसा में निजीकरण का प्रयोग वर्ष 1998 में किया गया था जो पूरी तरह विफल रहा था और वर्ष 2015 में जब उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने निजी कम्पनी रिलायंस के सभी लाइसेंस रद्द किये तब उड़ीसा में लाइन हानियाँ 47 प्रतिशत से अधिक थीं। वर्ष 2020 में टाटा पॉवर के आने के बाद वर्ष 2023 में सदर्न कम्पनी में 31.3 प्रतिशत हानियाँ, वेस्टर्न कम्पनी में 20.5 प्रतिशत और सेन्ट्रल कम्पनी में हानियाँ 22.6 प्रतिशत हैं। जिसके सापेक्ष उप्र पॉवर कारपोरेशन में हानियाँ काफी कम 19 प्रतिशत हैं जो कि वर्तमान में चल रहे रिवैम्प योजना के पूर्ण होने के उपरान्त 15 प्रतिशत से भी कम हो जायेंगी। इस प्रकार पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन जिस उड़ीसा मॉडल की तर्ज पर उप्र में निजीकरण करने की बात कर रहा है उसका परफॉर्मेंस उप्र की वितरण कम्पनियों से कहीं ज्यादा खराब है।
मनमानी के कारण घाटा
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के मुताबिक नियम यह है कि बिजली की लागत का 85 प्रतिशत बिजली खरीद की लागत होती है। उप्र में सबसे सस्ती बिजली राज्य के जल विद्युत गृहों से रूपये 01 प्रति यूनिट व राज्य के ताप विद्युत गृहों से रूपये 4.28 प्रति यूनिट मिलती है इससे थोड़ी मंहगी बिजली एनटीपीसी से रूपये 4.78 प्रति यूनिट है जबकि सबसे मंहगी बिजली निजी क्षेत्र से रूपये 5.59 प्रति यूनिट और निजी क्षेत्र से शार्ट टर्म र्साेसेज से 7.53 रूपये प्रति यूनिट की दर से खरीदनी पड़ती है। उड़ीसा में बिजली खरीद की लागत रूपये 2.33 प्रति यूनिट है। निजी क्षेत्र से इतनी मंहगी दरों पर बिजली खरीदने के बाद उसे घाटा उठाकर सस्ती दरों में बेचना पड़ता है। उप्र में घाटे का सबसे बड़ा कारण यही है। दूसरी ओर मुंबई में निजी क्षेत्र की टाटा पॉवर कम्पनी की दरें घरेलू उपभोक्ताओं से 100 यूनिट तक रूपये 5.33 प्रति यूनिट, 101 से 300 यूनिट तक रूपये 8.51 प्रति यूनिट, 301 से 500 तक 14.77 प्रति यूनिट और 500 से यूनिट से अधिक पर 15.71 प्रति यूनिट है। निजी कम्पनी इस प्रकार भारी मुनाफा कमा रही है यह सच्चाई भी जनता के सामने आनी चाहिए।
दक्षिणांचल व पूर्वाचल में निजीकरण पर दलित व पिछड़े वर्ग के कार्मिकों ने भरी हुंकार
यूपीएसएलडीसी ट्रांसमिशन भवन सर्विस कमीशन जांच समिति अधिकारी कर्मचारी समिति के तत्वाधान में आज भारतीय संविधान दिवस पर एक भव्य कार्यक्रम गोमती नगर हाइडल ऑफिसर क्लब में किया गया। जिसमें बाबा साहब द्वारा बनाई गई संवैधानिक व्यवस्था को आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगम दक्षिणांचल व पूर्वांचल को ट्रिपल पी मॉडल में दिए जाने का विरोध किया गया। इस अवसर पर राज्य सलाहकार समिति के सदस्य व उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सभी दलित अभियंता कार्मिकों को संविधान को बचाने की शपथ दिलाते हुए हर हाल में बाबा साहब द्वारा बनाई गई संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा करने की शपथ दिलाई।इस अवसर पर सैकड़ो की संख्या में दलित पिछड़े वर्ग के कार्मिकों ने कहा सबसे पहले आरक्षण पर पावर कॉरपोरेशन व सरकार ऊर्जा निगम को बातकरना होगा। जिस तरह पावर कॉरपोरेशन निजीकरण करने की दिशा में आगे बढ़ रही है लेकिन शायद वह भूल गई की सबसे पहले पदोन्नतियों में आरक्षण छीन गया और अब दलित अभियंता कार्मिकों के आरक्षण पर कुठाराघात किया जा।रहा है। जिसके लिए हर कुर्बानी देने के लिए हम तैयार हैं। इस अवसर पर पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव अनिल कुमार ने भी अपनी बात रखते हुए कहा हर हाल में बाबा साहब की संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए हर कुर्बानी देने के लिए हम सभी तैयार हैं।
जोन दो की समीक्षा बैठक में मेसर्स सुएज इण्डिया की शिकायते
जोन-2 जोनल कार्यालय में नगर आयुक्त, अपर नगर आयुक्त, महाप्रबन्धक, पार्षदगणों की उपस्थिति में समीक्षा बैठक में कई निर्णय लिये गए। इन दौरान पार्षद गणों में जोन में व्याप्त कामियों को नगर आयुक्त के समक्ष रखा। नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह ने सभी समस्यों को सुनने के बाद दिशा निर्देश जारी किए। इस बैठक में अधिकाधिक पार्षदों ने मेसर्स सुएज इण्डिया प्रालि की लापरवाही एवं जन समस्याओं की अनदेखी का आरोप लगाया।समीक्षा बैठक में पार्षद राजेश कुमार दीक्षित, राजेन्द्र नगर वार्ड, वार्ड संख्या-90 ने बताय कि मेसर्स सुएज इण्डिया प्रालि, लखनऊ के पास उपकरण,मशीनरी नहीं है। मेसर्स सुएज इण्डिया प्रालि, लखनऊ के उच्च अधिकारी फोन नहीं उठाते है। मेसर्स सुएज इण्डिया प्रालि, लखनऊ द्वारा 30-40 मीटर सीवर बिछाये जाने के उपरान्त रीफिलिंग एवं मरम्मत का कार्य नहीं किया जाता है। पार्षद राजू गाँधी, मोती लाल नेहरू नगर-चन्द्रभानु गुप्त वार्ड द्वारा अवगत कराया गया कि चित्ताखेड़ा में सीवर लाइन के बार-बार चोक हो जाने से समस्या बढ़ जाती है, इसका पूर्ण रूप से निदान होना आवश्यक है।पार्षद राजेश कुमार दीक्षित ने बताया कि राजेन्द्र नगर में सीवर लाइन जो पूर्व में बिछायी गयी है, उसका अतःसंयोजन कई जगहो पर नहीं हुआ है। उक्त कार्य जल निगम द्वारा कराया गया है। अतः अतःसंयोजन कराया जाना आवश्यक है। पार्षद नरेन्द्र शर्मा, यहियागंज-नेता सुभाष चन्द्र बोस वार्ड ने बताया कि नाला चोक अवस्था में है, जिसका समायोजन शीतला प्रसाद रोड पर कराया जाना है। पार्षद राजीव बाजपेई, तिलक नगर-कुण्डरी रकाबगंज वार्ड, द्वारा अवगत कराया गया है कि तिलक नगर से मालवीय नगर की तरफ 150 मीटर सीवर लाइन को बिछाकर मुख्य सीवर लाइन से जोड़ना आवश्यक है। पार्षदराजीव बाजपेइ द्वारा अवगत कराया गया है कि श्री दुर्गेश, सुपरवाइजर, मेसर्स सुएज इण्डिया प्रालि, लखनऊ द्वारा सही से कार्य नहीं कर रहा है, जिसका अन्यत्र स्थानांतरण कर दिया जाये। पार्षद राजीव बाजपेई द्वारा अवगत कराया गया है कि बिल्लौचपुरा ट्रंक लाइन पर अवैध कब्जा हो गया है, जिसको हटाया जाना आवश्यक है। पूर्व पार्षद, कुंवर ज्योति प्रसाद वाड द्वारा अवगत कराया गया है कि राजाजीपुरम में अवैध होटल से निकले हुए कचरे को सीधे सीवर लाइन में जोड़ कर डाल दिया जाता है, जिससे सीवर लाइन बार-बार चोक हो जाती है, जिससे उनको दंडित करने हेतु नोटिस जारी किया जाये। पार्षद श्री राजीव बाजपेई, द्वारा अवगत कराया गया है कि ऐशबाग ट्रीटमेन्ट प्लान्ट से वाशिंग पानी ओवरफ्लो होने लगता है, जिसका रिसाइकिलिंग कराया जाना आवश्यक है। समस्त पार्षदों द्वारा अवगत कराया गया है कि समरसेबिल पम्पों का मरम्मत तीव्र गति से नहीं हो रहा है। तीव्र गति से मरम्मत का कार्य कराया जाये। पूर्व पार्षदराजीव त्रिपाठी द्वारा अवगत कराया गया है कि सेतु निगम द्वारा नये ओवरब्रिज बनाने के दौरान बिना विभाग को सूचित किये सीवर लाइन बदल रहे है। अतः जांच कराया जाना आवश्यक है कि मानक के अनुसार कार्य करें। पार्षद श्रीमती ममता चौधरी, मालवीय नगर वार्ड, द्वारा अवगत कराया गया है कि लीकेज की तत्काल मरम्मत कराये जाने की मांग की गयी है।
’कैम्प लगाकर गृहकर वसूली, अतिक्रमण के खिलाफ अभियान
आज एक ओर ज़ोन 02 क्षेत्रान्तर्गत राजाबाजार वार्ड में ग्रह कर वसूली कैम्प का आयोजन किया गया, तो दूसरी ओर अवैध अतिक्रमण के विरुद्ध ऐशबाग वार्ड में वृहद अभियान चलाया गया।जोनल अधिकारी जोन 2 शिल्पा कुमारी के नेतृत्व में वार्ड राजाबाजार अंतर्गत मोहल्ला राजाबाजार स्थित पार्षद राहुल मिश्रा के कार्यालय में गृह कर वसूली का कैम्प का आयोजन किया गया।कैम्प में जिसमे 2, 63, 501 रु. सामान्य कर जमा कराया गया स कैम्प में वार्ड निरीक्षक सिब्ते रज़ा एवं अन्य स्टाफ उपस्थित रहे। नगर आयुक्त के आदेश के अनुपालन में नगर निगम जोन-2 कें अन्तर्गतवार्ड ऐशबाग के रामलीला मैदान से नादान महल रोड होतें हुए वाटर वर्क्स रोड तक अस्थाई अतिक्रमण हटवाने की गई। कार्यवाही के दौरान 02 ठेल, 01 मेज, 02 स्टूल, 01 काउंटर जब्त किया गया एवं 1500 जुर्माना वसूल किया गया।
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के सामने पेंशनर्स ने रखी समस्याएं,अधिवेशन में 9 सूत्रीय मांग पर किया प्रस्तुत
चारबाग स्थित रवीन्द्रालय प्रेक्षागृह लखनऊ में संयुक्त पेंशनर्स कल्याण समिति उतर प्रदेश का महाधिवेशन में देश के लगभग 20 राज्यों के पेंशनर्स संगठनों के पदाधिकारी भी शामिल हुए। उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि शासकीय सेवा में एक लम्बी भागदीरी और आपके अनुभव आज भी सरकार के लिए बहूत महत्वपूर्ण है। जीवन के इस पड़ाव में आप लोगों की सक्रियता वाकई काबिले तारीफ है। काफी लोग समाज सेवा में जुटे है। आप लोगों आज भी अपने अनुज कार्मिकों को उनकी समस्याओं के समाधान एवं अपने अनुभवों का लाभ प्रदान कर रहे है। आपकी समस्याओं को मै व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री जी से अवगत कराते हुए समाधान का आश्वासन देता हूॅ।संयुक्त पेंशनर्स कल्याण समिति उतर प्रदेश का महाधिवेशन रेलवे के शीर्ष नेता कामरेड शिवगोपाल मिश्रा, पूर्व मुख्य सचिव योगेश नारायण, एन पी त्रिपाठी, पी.के. शर्मा, एसएस दुबे, इ. पीके मिश्रा, सदानन्द पाठक,इं. दिवाकर राय,गोपी कृष्ण श्रीवास्तव, विनीत कुमार शर्मा, मानस मुकुल त्रिपाठी, अखिलेश कुमार श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।
अधिवेशन में तदर्थ सेवाओं पर पेंशनरी लाभ, सेवानिवृत्ति भुगतान पर राशिकृत धनराशि की कटौती पंजाब एवं हरियाणा की भॉति दस वर्ष में बंद करने, 65, 70 और 75 वर्ष की उम्र में पेंशन में 5, 10 और 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी, कोरोना काल में फ्रीज की गई मंहगाई राहत राशि का भुगतान किये जाने की मांग रखी गई। इसके अलावा आठवे वेतन आयोग के गठन, एनपीएस के अन्तर्गत सेवा निवृत्त कामर््िाकांें को चिकित्सा सुविधा, कैसलैश योजना का लाभ शिक्षा, स्थानीय निकाय और उपक्रमों के पेंशनरों को दिलाया जाना, पेंशनर सलाहकार समिति की बैठक शासनादेशनुसार किये जाने और पंेंशनर संगठनों के पदाधिकारियों को सचिवालय पास निर्गत किये जाने का ज्ञापन दिया गया।
चार शीर्ष पदाधिकारी चुने गए
अधिवेशन के द्वितीय सत्र में संयुक्त पेंशनर्स कल्याण समिति उप्र के 04 शीर्ष पदाधिकारियों का चुनाव किया गया। इनमें संयोजक के पद पर एन पी त्रिपाठी, सह संयोजक पद पर क्षमा नाथ दुबे, सह संयोजक प्रचार के ओंकार नाथ तिवारी तथा भगवान सिंह वर्मा का कोषाध्यक्ष के पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुए। निर्वाचन अधिकारी हरि किशोर तिवारी अध्यक्ष उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद द्वारा इनकी घोषणा की गई।
निकाय के आउटसोर्सिग सफाई कार्मिको की दिहाड़ी बढ़ी
प्रदश सरकार ने निकायों में आउटसोर्स पर कार्यरत सफाईकर्मियों की दिहाड़ी तय कर दी है। उन्हें प्रतिदिन 412 और माह में 10701 रुपये दिए जाएंगे। विशेष सचिव नगर विकास अमित कुमार सिंह ने इस संबंध में नगर आयुक्तों और अधिशासी अधिकारियों को यह निर्देश भेज दिए हैं।
प्रदेश में मौजूदा समय 762 नगर निकाय हैं। अधिकतर निकायों में आउटसोर्स सफाई कर्मियों के सहारे काम चलाया जा रहा है। एक जानकारी के मुताबिक 25 हजार से अधिक ठेके पर सफाई कर्मी कार्यरत हैं, लेकिन शासन के पास इसका कोई भी अधिकृत डेटा नहीं मिल पाया। प्रमुख सचिव नगर विकास से सफाई कर्मचारी संघ लगातार आउटसोर्स कर्मियों को उचित वेतन देने की मांग करते रहे हैं।श्रम विभाग ने भी न्यूनतम मजदूरी तय कर रखी है। इसके बाद भी लगातार शिकायतें मिलती रहती हैं कि ठेकेदारों द्वारा संविदा सफाई कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी नहीं दी जा रही है। नगर विकास विभाग ने निकायों को इस संबंध में निर्देश भेजते हुए कहा है कि आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मियों को अनिवार्य रूप से न्यूनतम मानदेय देने की व्यवस्था की जाए। निकार्यों को भेजे गए निर्देश में श्रम विभाग द्वारा तय की गई मजदूरी की भी चर्चा की गई है। अकुशल श्रमिकों को रोजाना 412 रुपये देने की व्यवस्था है।
महीने में 30 दिन होते हैं। इनमें चार दिन कर्मियों को श्रामिको केा रोजाना 412 रुपये देने की व्यवस्था है। महान में 30 दिन होत है। इनमें चार दिन कामया का छुट्टी देने की व्यवस्था है। इस हिसाब से उन्हें 26 दिन का मानदेय इसके हिसाब से देना होगा। निकायों से कहा गया है कि इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं चलेगी और किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही आउटसोर्स कंपनियों का करार निरस्त किया जाएगा।